आईये इस असाधारण चिट्ठाकार को लेकर आपसे कुछ अनौपचारिक सी चर्चा आज हो ही जाय .औपचारिक प्रोफाईल तो आप यहाँ देख ही सकते हैं जो किसी को भी सहज ही प्रभावित करता है -मैंने इन्हे ख़ास तौर पर अनवरत पढ़ कर और इनकी टिप्पणियों को पढ़ पढ़ कर अनवरत जाना समझा है .द्विवेदी जी बहुत ही अध्ययनशील ,विनम्र व्यक्तित्व के धनी हैं. क़ानून और लोक जीवन ,संस्कृति तथा परम्पराओं पर इनकी पैनी नजर है और इन विषयों पर इनकी प्रोफेसनल दखल है .मैं इनके ज्ञान से तब चमत्कृत रह गया था जब साईब्लाग पर चल रहे पुरूष पर्यवेक्षण की अगली कड़ी का भी इन्हे पूर्वाभास हो जाता था .मैं दंग रह जाता था की अपने प्रोफेसन से भी इतर विषयों पर इनका इतना व्यापक अध्ययन है .एक मजेदार वाक़या है -मैं खल्वाट खोपडी के कई जैव व्यावहारिक पक्षों की चर्चा शुरू कर चुका था और इस सन्दर्भ में जाहिर है दिनेश जी भी संवेदित हो रहे थे और उनकी संवेदना का इंट्यूशन मुझे भी हो रहा था और इसे लेकर मैं थोडा असहज हो चला था -आश्चर्यों का आश्चर्य की इन्होने मुझे मेल करके हरी झंडी पकडा दी कि " मुझे पता है कि आप अब गंजे लोगों के बारे में उस अध्ययन का हवाला देने वाले हैं जिसके मुताबिक गंजेपन और सेक्स सक्रियता में समानुपातिक सम्बन्ध देखा गया है " मैं स्तब्ध रह गया ..जब ऐसी विज्ञ ,अधयनशील विभूतियाँ हिन्दी चिट्ठाजगत में मौजूद है तो फिर इसके भविष्य के प्रति सहज ही आश्वस्ति का भाव जगता है .तब से मैंने इनका लोहा मान लिया और पूरी गंभीरता और एक सहज आदर भाव से इन्हे लेने लगा ।
इनकी नही पर मेरी ही एक खामी है -मैं कुछेक बातों को लेकर अचानक असहज सा हो जाता हूँ -बोले तो शार्ट टेम्पेर ! और लाख चाहते हुए इस दुर्गुण से मुक्त नही हो पा रहा .अब जैसे कोई किसी प्रायोजित मामले को सायास उठा रहा हो ....किसी मंतव्य को लेकर -महज अपना उल्लू सीधा करने के लिए आपको बना रहा हो या फिर जो सहज नही है ऐसा आचरण कर रहा है .तो मैं ऐसे क्षणों में तुरंत असहज हो जाता हूँ .और ऊट पटांग कह देता हूँ .बाद में पछताता भी हूँ -मेरी यह समस्या यहाँ के आभासी जीवन में भी बनी हुयी है .निश्चय ही द्विवेदी जी ने अपनी कुछ टिप्पणियों पर मेरी प्रति टिप्पणियों का दंश सहा होगा मगर बड़प्पन देखिये कि उन्हें भी निहायत सजीदगी और शिष्टता से ग्रहण कर लिया .-कुछ उसी लहजे में कि 'ज्यो बालक कर तोतर बाता ,सुनहि मुदित होयं पितु माता "
मैं यह देखता हूँ कि मेरे उनकी उम्र में बस यही कोई बमुश्किल दो साल का अन्तर है पर अनुभव ,ज्ञान और गंभीरता में मैं उनके आगे कहीं भी नही दिखता -इससे मुझे कोफ्त भी होती है -नाहक ही अब तक का जीवन वर्थ में गवा डाला !
बहरहाल यह भी तो बता दूँ कि मुझे द्विवेदी जी की किन बातों से आरम्भिक चिढ /खीज हुयी थी जो निसंदेह अब नही है .उनका नारियों के प्रति अधिक पितृत्व -वात्सल्य भाव का प्रदर्शन ! यह सहज ही होगा पर मुझे यह असहज लगा है -एक तो नर नारी की तुलना के प्रसंगों से मैं सहज ही असहज हो जाता हूँ और मेरा स्पष्ट /दृढ़ मत रहा है और उत्तरोत्तर मैं इस पर और दृढ़ ही हुआ हूँ कि नर या नारी में कोई किसी से कम या बेसी नही है उनके अपने सामजिक -जैवीय रोल हैं और उनके अनुसार वे दोनों फिट हैं -मगर ब्लागजगत में इस मुद्दे को लेकर भी झौं झौं मची रहती है और इनसे जुड़े मुद्दों पर द्विवेदी जी सदैव एक ही पक्ष की ओर लौह स्तम्भ की तरह खड़े दिखायी देते हैं .अरे भाई हम भी बाल बच्चे वाले हैं और कभी भी घर आकर देख महसूस लीजियेगा कि अपने दूसरे हिस्से के प्रति मेरा भी कितना सम्मान समर्पण है .इसे कहने और दिन्ढोरा पीटने से क्या होगा ? (यह वाक्य द्विवेदी जी को लेकर नही है )
नारी ब्लॉगों ने इन मुद्दों को लेकर जो धमा चौकडी मचाई है कि ब्लॉग जगत असहज सा हो गया है बल्कि अब तो यह असहजता स्थायी भाव लेती जा रही है .मगर दाद देनी होगी द्विवेदी जी की कि इन वादों पर क्या मजाल कि वे कभी नारी झंडाबरदारों को भी आडे हाथों लें कि क्या उधम मचा रखा है तुम लोगों ने ? पर नहीं बड़े बुजुर्ग होकर भी इन्होने उन्हें सदैव शह दिया है ,देते रहते हैं और अब तो इन्ही के कारण ही मैं भी मुंह बंद कर चुका हूँ .क्योंकि निसंदेह द्विवेदी जी की इन मामलों की समझ और देश के क़ानून का ज्ञान मुझसे कहीं बहुत अधिक है -इसलिए कहीं अपने में ही कुछ ग़लत, कुछ अपरिपक्व मान कर चुप लगा बैठा हूँ ।पर मैं इनके इस व्यवहार से असहज जरूर रहता हूँ .और बराबर ऐसयीच सोचता हूँ कि "साधू ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय सार सार को गहि रहे थोथा देई उडाय ! "तो क्या कहीं द्विवेदी जी सार के साथ थोडा थोथा भी रख लेते हैं -यह तो पञ्च भी बताएँगे ? तो क्या राय है आपकी पंचों ?
तो अभी तो द्विवेदी जी पर चर्चा की इस पहली पारी को विराम देताहूँ ! और सोचने लगता हूँ कि अगली शख्सियत कौन होगी ? कोई हिन्ट ??
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
निःसंदेह द्विवेदी जी एक बहुत ही समर्पित चिट्ठाकार हैं --- विभिन्न विषयों पर उन की इतनी इच्छी पकड़ है कि मैं भी हैरान हूं। चिट्ठाकारी के स्टेज पर उन की नियमित उपस्थिति एवं नये नये चिट्ठाकारों को प्रोत्साहनात्मक टिप्पणीयों की भेंट करना उन का स्वाभाव है।
जवाब देंहटाएंइस प्रभु से प्रार्थना है कि इस महान चिट्ठाकार का साया हिंदी चिट्ठाजगत पर हमेशा बना रहे और इन के लिये एवं आप सब के लिये भी नये वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें।
द्विवेदी जी के लेखों में जीवन की विषमताओं के साथ -साथ व्यवहारिक समाधानों की झलक भी मिलती है |
जवाब देंहटाएंमेरे जैसे कितनों के प्रेरणा स्त्रोत हैं द्विवेदी जी |
द्विवेदी जी विज्ञान के विद्यार्थी रहे, पत्रकारिता से भी जुड़े रहे और अब लम्बे समय से वकालत में आजीविका हेतु रत हैं. इन सब ने उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को उभारने में अपना-अपना योगदान दिया है, पर हिन्दी चिट्ठाजगत में उन्होंने अपने लिये जो विशेष स्थान बनाया है उसके पीछे उनके विचारों की ईमानदारी और कथन का साहस ही है.
जवाब देंहटाएंकई बार उनके विचारों से असहमति बनती है, विशेष रूप से उनके मार्क्सवादी रुझान के कारण, पर गहमागहमी में भी अपनी बात को तर्कपूर्ण ढंग से शालीनतापूर्वक रखने का सलीका उन्हें एक विशेष दर्जा देता है और कुछ सीखने का संदेश भी. वामपंथी झुकाव के बावजूद सभी से समान आदर पाने वाले उनके जैसे बिरले ही होंगे.
गहन स्वाध्याय और सहज सम्प्रेक्षण उनके स्वभाव का एक और गुण है जो मैं प्रेरणादायक पाता हूं. किसी भी विषय पर शीघ्र ही सुस्पष्ट धारणा के साथ उपस्थिति से वे अपने अध्ययन के उच्च स्तर को आसानी से दर्शा देते हैं.
द्विवेदी जी हिन्दी ब्लॉगजगत के लिये एक उपलब्धि हैं, इसमें कोई दो राय नहीं.
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नारी ब्लॉगों के प्रति उनके अति सहानुभूतिपूर्ण रवैये पर अपना कुछ कहना ठीक नहीं है. पंचों की राय देखना रोचक रहेगा. उसी का इन्तजार करते हैं.
अगली बार कौन? मेरे विचार में अभी प्रारम्भ में सर्वप्रिय और नॉन कन्ट्रोवर्शिअल फ़िगर्स पर ही केंद्रित रहा जाय तो बेहतर होगा. तीन आधार स्तम्भ हैं - समीर जी, अनूप जी और ज्ञान जी.
डॉ. अरविंद जी,
जवाब देंहटाएंवर्षांत में अचानक ही आप ने जिस तरह एक अमूल्य उपहार दे कर मुझे कृतार्थ किया है उसे शायद मैं जीवन भर स्मरण रखूँ।
जिस बात से मैं बचना चाहता था वही इस वर्षांत में मेरे सामने आ गई है। प्रशंसा व्यक्ति की उन आंखों को बंद कर देती है जिन से वह अपनी कमजोरियां, कमियाँ और मूर्खताएँ तलाश करता है।
मैं किसी भी प्रकार से अपनी प्रशंसा और चित्र खिंचवाने से बहुत बचता रहा हूँ। कोशिश रहेगी आगे भी बचता रहूँ। आप ने जिन गुणों का आरोपण मुझ में कर दिया है उन सब को अब विकसित करने का प्रयत्न जीवन भर करते रहना पड़ेगा। प्रशंसा के शब्द व्यक्ति के कंधों पर कितना भार बढ़ा देते हैं? उस का अहसास मुझे आज हो रहा है।
यह भार ढोने के लिए आप ने मुझे चुना उस के लिए आप का बहुत बहुत आभार!
द्विवेदी जी बहुत ही अध्ययनशील ,विनम्र व्यक्तित्व के धनी हैं. क़ानून और लोक जीवन ,संस्कृति तथा परम्पराओं पर इनकी पैनी नजर है और इन विषयों पर इनकी प्रोफेसनल दखल है
जवाब देंहटाएं"आपकी उपर लिखी पंक्तियों से हम भी पूर्ण रूप से सहमत हैं , इसमे कोई शक नही, द्विवेदी जी एक बहुत ही संवेदनशील चिट्ठाकार हैं और कितने ही विषयों पर रोज उनके लेख प्रकाशित होते हैं..नमन ऐसे महान व्यक्तित्व के मालिक को शुभकामनाओ सहित"
Regards
लेख के हर शब्द से हमारी घोर सहमति है. द्विवेदी जी को नमन के साथ ढेर सारी शुभकामनाएँ - नव वर्ष की.
जवाब देंहटाएंलेख के हर शब्द से हमारी घोर सहमति है. द्विवेदी जी को नमन के साथ ढेर सारी शुभकामनाएँ - नव वर्ष की.
जवाब देंहटाएंहिन्दी मेरे मन में दिनेश सर को लेकर कितना सम्मान है इसे मैं बयान नहीं कर सकता.. इसे बस मैं ही समझ सकता हूं या दिनेश सर ही.. :)
जवाब देंहटाएं.द्विवेदी जी बहुत ही अध्ययनशील ,विनम्र व्यक्तित्व के धनी हैं. क़ानून और लोक जीवन ,संस्कृति तथा परम्पराओं पर इनकी पैनी नजर है और इन विषयों पर इनकी प्रोफेसनल दखल है .
जवाब देंहटाएंआपने इन पंक्तियों में द्विवेदी जी पर पुरी माईक्रो पोस्ट ही लिख दी है ! आभार आपका इस श्रंखला के लिये ! आप अब ढुंढते रहिये अगला ब्लागर ! फ़िलहाल मैं तो आप को ही लेकर कुछ लिखने जा रहा हूं ! थोडा इन्तजार किजिये ! अध्ययन कर रहा हूं !
रामराम !
ठीक कहा।
जवाब देंहटाएंअजी द्विवेदी जी की तरीफ़ क्या करु आप सब ने इतनी कर दी, लेकिन मै तो बस इतना ही कहुगां की लेखन के साथ बाकी जो यह मुफ़्त मै लोगो को सलाह देते है वह बहुत सुंदर है, ओर एक धर्म का काम है, बस इतना ही कहुगां की द्विवेदी जी हम सब के दिलो पर राज करते है,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंaapki bato se sahmat hoo
जवाब देंहटाएंयह घोस्ट बस्टर जी की टिप्पणी से पूर्णत सहमति। दिनेश जी की ऊर्जा का जवाब नहीं।
जवाब देंहटाएंइस चर्चा में जहां द्विवेदी जी के बारे में काफी कुछ जानने को मिला, वहीं आपके व्यक्तित्व के भी कई नए पक्ष खुल का सामने आए हैं।
जवाब देंहटाएंएक बहुआयामी व्यक्तित्व का संक्षिप्त किंतु सारगर्भित परिचय देने के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएं@घोस्ट बस्टर जी ,आपके सौजन्य से इस चिट्ठाकार चर्चा के लिए भी बहुत ही उपयुक्त परिशिष्ट ! अब देखिये मैं निमित्त मात्र ही तो हूँ ना -सुधी ,विद्वान टिप्पणीकारों ने कैसे प्रभावपूर्ण अभिमत दिए हैं और चर्चा को समृद्ध किया है ! आभार !!
जवाब देंहटाएं@ ताऊ ,यह सब कुछ ना करें -यह उचित नहीं कि मैं आपकी बधिया उखेडूं और आप मेरी -बहुत से और लोग लुगाई हैं भाई ताऊ ,मुझे बख्शिए !
आदरणीय मिश्रा जी,
जवाब देंहटाएंआपने हमारे उस्ताद, मार्गदर्शक और सीनियर पन्डित द्विवेदी वकी़ल साहब की शान में यह लेख लिखकर, अदभुत ढंग से अहसान किया ब्लागजगत पर । वे वास्तव में पान्डित्य रखते हैं और सही मायनों में रहबर की भूमिका अदा करते हैं । हम सबको अपने आपको धन्य समझना चाहिए के उनके जैसे विराट व्यक्तित्व के विचार और इस्लाह हमें सहज में ही हासिल हो जाते हैं । उन्हें आपके ब्ला॓ग के माध्यम से शत शत नमन प्रस्तुत हैं ।
आह्हः, यह पोस्ट इतनी देर से क्यों देखा ?मेरी दृष्टि में द्विवेदी जी हिन्दी ब्लागिंग में शीर्षस्थ स्थान के अधिकारी हैं ! बिना किसी लंतरानी या ठिठोली के अपनी लोकप्रियता का यह स्तर बना लेना सहज़ नहीं है !
मैं तो उनसे इतना प्रभावित हूँ, कि मैंनें अपने ब्लागपृष्ठ पर उनके एक ई-मेल से बड़ी सरलता से कही गयी उक्ति " ब्लागरी तो उस पुरानी उपेक्षित हवेली की तरह है, जिस पर कोयले और ईंटों के टुकड़ों से कोई कुछ भी लिख देने को स्वतंत्र है.. तो यहाँ सब कुछ मिलेगा जो इंन्सानी दुनिया में संभव है ! " को पंचलाइन की तरह उद्धरित कर रखा है !
एक बात और.. अरविन्द जी, आपकी यह श्रृंखला अपने आप में अनोखी है, हिट तो है ही !
विलंब से पहुँचा हूँ। महानुभावों ने तकरीबन वह सब लिख ही दिया है, जो मेरे मन में द्विवेदी जी के प्रति आदर-सम्मान है। फिर भी कुछ पंक्तियां कॉपी-पेस्ट कर रहा हूँ कि
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी …अध्ययनशील ,विनम्र व्यक्तित्व के धनी हैं. क़ानून और लोक जीवन ,संस्कृति तथा परम्पराओं पर इनकी पैनी नजर है …इन विषयों पर इनकी प्रोफेशनल दखल है। चिट्ठाकारी के स्टेज पर उन की नियमित उपस्थिति …नये नये चिट्ठाकारों को प्रोत्साहनात्मक टिप्पणीयों की भेंट करना उन का स्वाभाव है। हिन्दी चिट्ठाजगत में उन्होंने अपने लिये जो विशेष स्थान बनाया है उसके पीछे उनके विचारों की ईमानदारी और कथन का साहस … अपनी बात को तर्कपूर्ण ढंग से शालीनतापूर्वक रखने का सलीका उन्हें एक विशेष दर्जा देता है …द्विवेदी जी हिन्दी ब्लॉगजगत के लिये एक उपलब्धि हैं, इसमें कोई दो राय नहीं.
मुझ पर उनका स्नेह हमेशा ही बना रहा है और अक्सर ही उनकी बहुमूल्य राय से मैं लाभान्वित होता रहा हूँ। इसी स्नेह को शायद उन्होंने बिना लिंग-भेद के बरकरार रखा है, जिससे स्वभाविक तौर पर कथित धमा-चौकड़ी मचाने वालों को शह देने का अंदेशा लगता है।
वैसे तो विभिन्न विषयों पर पकड़ के चलते ब्लॉगजगत पर उनकी ऊर्जा का अनुमान लगा पाना थोड़ी दिक्कत का काम है। एक क्लू से आप अंदाजा लगाईयेगा एक बार जैसा उन्होंने मुझे कहा था- वे जिस तारीख में सोते हैं उसी तारीख में उठ जाते हैं!
एक बार, थोड़ा सकुचाते हुए, लगभग डपटते हुए (भई, मुझे ऐसा ही लगा) उन्होंने कहा था कि ये सादर-वादर मत लिख करो, मेरी उमर ही क्या हुयी है अभी?
तो, इस पाश्चात्य नववर्ष के आगमन पर
मेरी शुभकामनायें हैं कि इस महान व्यक्तित्व का साया चिट्ठाजगत पर हमेशा बना रहे। द्विवेदी जी के लिये एवं आप सब के लिये भी नये वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें।
"साधू ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय सार सार को गहि रहे थोथा देई उडाय ! "तो क्या कहीं द्विवेदी जी सार के साथ थोडा थोथा भी रख लेते हैं
जवाब देंहटाएं~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
नव -वर्ष मँगलमय हो -
-आप सभी को -
आज आपने हिन्दी ब्लोग जगत मेँ कानून, समाज साहित्य,पठन,सामाजिक संगठन लेखन,साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियों , राजनीति, आर्थिक प्रश्न और आज ही विविध प्रकार की रोटीयोँ पे लेख प्रस्तुत करनेवाले,
[रोटियाँ ! ज्वार, बाजरा, मक्का और गेहूँ के आटे की रोटियाँ ! http://anvarat.blogspot.com/2008/12/blog-post_30.html]
हमारे दीनेश भाई जी पर लिखा
बहुत ही अच्छा लगा :)
आपने व्यक्ति और उनके गुणोँ को बखूबी दर्शाया है -
ये स्तँभ बेहद रोचक रहेगा -
और ताऊजी आप अवश्य लिखेँ -
('बकलमखुद वाले अजित भाई, आज तक स्वयम प्रकट नहीँ हुए अपनी बनाई शृँखला मेँ ! :)
अच्छा है दीनेश भाई जी "साधु नहीँ बने!! :)
सार ग्रहण अवश्य करते हैँ
प्रोत्साहन विषयानुरुप मँतव्य भी देते हैँ -
ईश्वर उन्हेँ सदैव सपरिवार उन्नति और सुख समृध्धि से पूरित रखेँ यही शुभ कामना सहित वर्ष के अँत मेँ लिखी इस पोस्ट को साधुवाद --
- लावण्या
आदरणीय द्विवेदी जी के बारे में आप सब ने इतना कुछ कह डाला कि अब हमारे पास मौन प्रणाम करने के अलावा कुछ बचा ही नहीं है.
जवाब देंहटाएंदिनेश जी की छवि मेरे मान में एक अभिभावक की सी है ..साईं ब्लॉग प्रकरण में उनकी निस्पक्षता ने मुझे बहुत प्रभावित किया था.पुरूष पर्यवेक्षण वाली सृंखला में आपकी लेखमाला की कमिओं के उन्होंने ही रेखांकित किया.ऐसे व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार रखने के लिए आप निश्चय ही बधाई के पात्र हैं
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी का व्यक्तित्व न जाने कितने चिट्ठाकारों के लिए प्रेरणास्रोत है. ज्ञान के साथ-साथ अनुभव का अद्भुत भण्डार हैं द्विवेदी जी. अपने कार्यक्षेत्र के विषयों के अलावा इतनी सारे विषयों पर उनकी पकड़ अद्भुत है. आपने बहुत ईमानदारी के साथ उनके बारे में लिखा है.
जवाब देंहटाएंअब हमें इंतजार है ताऊ जी द्बारा लिखित पोस्ट जो आपके बारे में है.
दिनेश जी के बारे में पढ कर बहुत अच्छा लगा. वाकई में दिनेश जी एक बहुत ज्ञानी, परिपक्व, दूरदर्शी, एवं व्यक्ति हैं
जवाब देंहटाएंराज भाटिया जी ने सही कहा कि दिनेश जी हम सबों के दिल पर राज करते है. वाकई में !!
सस्नेह -- शास्त्री
काश द्विवेदी जी कि तरह ही अन्य क्षेत्रों से भी लोग हिन्दी ब्लोगिगं मे आते तो चार चांद लग जाते । हमे इनके जैसे बहुत से ब्लोगरो को सामने लाना चाहिये जो निःस्वार्थ भाव से हिन्दी ब्लोग जगत कि सेवा कर रहे है । मिश्रा जी आपका आभार कि आपने एक महान आदमी के उपर पोस्ट लिखी है
जवाब देंहटाएंमेरा दुर्भाग्य कि इस श्रंखला के सभी आलेख मै देख न सका। द्विवेदी जी पर यह लेख उनके व्यक्तित्व का एक आयाम भर है। हम उनसे दो बार रूबरू मिल चुके हैं।
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