मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

शंख बोली बलाय टली ...

दिल्ली की घटना ने सहसा इतना दुःख संतप्त और दिमाग को कुंद कर रखा था कि कुछ लिखने पढने का मन ही नहीं हुआ -ज्यादातर वक्त टीवी देखते गुजरा ,जिसने मन को निरंतर और भी विक्षुब्ध किया। मानवता को शर्मसार करते  एक घिनौने जघन्य कृत्य की जिम्मेदारी न लेकर उसके विरोध में सहज ही सड़कों पर उतर आये छात्र छात्राओं और अभिभावकों पर पुलिस का निर्मम बल प्रयोग दिल को सालता रहा . अब आशा बंधी है कि यौन अत्याचार पर प्रभावी अंकुश लगाने की दिशा में कुछ ठोस कार्यवाही हो सकेगी .और इस सोच ने मुझे और भी प्रफुल्लता से शंख ध्वनि के लिए प्रेरित किया . मैं प्रति दिन गीता के पांच श्लोकों के पाठ पूरा होने पर शंखनाद करता हूँ। कुछ एक अनुष्ठान की पारम्परिक प्रक्रिया के  तहत तो कुछ फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए .
शंख एक अद्भुत आदि -नैसर्गिक वाद्य यंत्र है . आप सभी जानते ही हैं कि यह वस्तुतः बिना रीढ़ के मोलस्क संघ   का समुद्री प्राणी है जो  इस मजबूत खोल में अपनी रक्षा करता है . हिन्द महासागर में पाया जाने वाला शंख - टरबिनेला पायिरम( Turbinella pyrum )  धार्मिक अनुष्ठानों का शंख है .

शंख वादन को  आदि मानवों ने शुरू किया होगा -अपने आस पास के घने जगंलों से खतरनाक पशुओं को दूर रखने के लिए . आग और शंख ध्वनि ही उन प्राचीनतम उपायों में रहे होंगें जिनसे आदि मानवों ने हिंस्र पशुओं से अपनी रक्षा की होगी -बाद में कई दूर तक मार करने वाले अश्त्र शस्त्र -धनुष ,भाले बरछे भी ईजाद  हुए होंगें . कह सकते हैं मनुष्य की आत्मरक्षा में शंख का योगदान प्राचीनतम है। मनुष्य की कल्पनाशीलता और कला प्रियता ने शंख के कई और भी उपयोग कालांतर में ढूंढ निकाले। धर्मयुद्धों के पूर्व शंखनाद की एक परिपाटी ही बन गयी . भारत वर्ष के सबसे बड़े युद्ध महाभारत की शुरुआत ही महा शंखनाद से हुयी -पांचजन्य हृषीकेशो देवदत्तं धनंजय : पौंनड्रम   दध्मौ महाशंखम भीमकर्मा वृकोदरः मतलब श्रीकृष्ण ने पांचजन्य ,अर्जुन ने देवदत्त ,भीमसेन ने पौण्ड्र नामके शंख बजाकर धर्मयुद्ध की घोषणा कर दी . फिर तो शंखों के नाद की एक श्रृखला ही शुरू हो गयी ...युधिष्ठिर ने अनंत विजय और नकुल सहदेव ने क्रमशः सुघोष और मणिपुष्पक नामके शंख बनाए -फिर तो अनेक योद्धाओं ने अपने अपने शंख बजकर तुमुल घोष किये।
शंखनाद! 

कालान्तर  में यजमानी वाले पुरोहित  पंडितों ने इसे अपना कुल वाद्य यंत्र ही बना लिया और हर कथा वार्ता के अंत में शंखनाद करना आरम्भ किया . सत्यनारायण व्रत कथा के हर अध्याय की सम्पूर्ति पर शंख बजाने का चलन है . हमारे कुल पुरोहित  पंडित जी के पास एक पुश्तैनी शंख हैं,वह कई पीढ़ियों से उनके  पास है .  सत्यनारायण संतोषी माँ सरीखे काफी बाद के अन्वेषित देवता है और विष्णु   के स्वरुप लगते हैं .विष्णु  को शंख बहुत प्रिय है . उनके एक हाथ में शंख है -सशंख चक्रम  सक्रीट  कुण्डलं... हमलोग शंख की आवाज सुनकर  बचपन में भोग- प्रसाद और चरणामृत लेने पूजा स्थल पर पहुँच जाते थे , लोकजीवन में शंखनाद शुभ, कुशल क्षेम के आगत  का प्रतीक है . राबर्ट्सगंज के मेरे नए पड़ोसी 90 वर्षीय वृद्ध मेरे शंख बजने पर खुश होकर बोल पड़ते हैं -शंख बोली बलाय टली ...

मैंने भारत के समुद्र तटीय धार्मिक स्थलों जैसे रामेश्वरम ,कन्याकुमारी,पुरी अदि की यात्रा पर वहां से शंख खरीदे हैं और पंडितों को शंख -दान किये हैं जिन्हें उन्होंने प्रफुल्लित होकर स्वीकार किया है . शंख केरल का राज्य प्रतीक चिह्न ऐसे ही नहीं बनाया गया है . भारत में अब फिर से एक बार तुमुल शंखनाद आरम्भ हो गया है -निहितार्थ आप सुधीजन समझ ही रहे होंगें -इसी तुमुल नाद में एक कोमल स्वर मेरा भी है!  

28 टिप्‍पणियां:

  1. ..क़ाश आपके शंख से ऐसा नाद निकले, जो इस व्यवस्था के खिलाफ़ महाभारत का ऐलान कर दे !

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  2. हमारी भी शंखनाद करने की इच्छा जागृत हो उठी है ।

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  3. फ़ेफ़ड़े ऐसे ही शंखनाद करते रहें। गाल ऐसे ही हवा भरे रहें।

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  4. बंगालियों में पूजा के समय अब भी शंख बजाने का चलन है.
    इस ध्वनि का पूजा में उपयोग का वैज्ञानिक आधार ज़रूर होगा.
    अवश्य ही यह सकारात्मक ऊर्जा देने वाली ध्वनि है जो नकारात्मक उर्जा को नष्ट करती है .
    आशा है भारत में उठे इस तुमुल शंखनाद ' को उचित मान , सहयोग और दिशा मिले.

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  5. “शंखनाद” एक साथ बहुत सारे अर्थ ध्वनित करता है. वैसे , रोज पांच श्लोक पढ शंख बजाना अच्छी बात है.

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  6. इस पोस्ट से मुझे शंख बजाते हुए मेरे नानाजी की स्मृतियों को ताजा कर दिया। पूजा के बाद वे हमेशा अपने शंख की तारीफ करते थे।

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  7. योद्धा से लेकर पंडितों तक का शंखनाद का सफ़र रोचक रहा।
    दिल्ली में फ़िलहाल शांति की ज़रुरत है। भगवान सबको सद्बुद्धि दे।

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  8. आपके वृद्ध पडौसी वाकई अच्छे है, शुभ भावना का सम्मान और प्रोत्साहन करना जानते हैं।
    इस शंखनाद का स्वागत है।

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  9. आपकी पोस्ट कई प्रश्नों को खोलने वाली है मुझे लगता है कि इस तरह शंख पर पहली बार किसी ने लिखा है यह तो रिसर्च का विषय है कि किस प्रकार घुड़सवारी में कुशल एक प्रजाति ने युद्ध के लिए शंख का प्रयोग किया और मुझे तो लगता है कि पूरे विश्व में भारतीय जाति ही एकमात्र जाति है जिसने शंख का प्रयोग युद्ध में इस पैमाने पर किया हो। भगवत गीता के सबसे आरंभिक श्लोकों में शंखों का जिक्र आना अद्भुत बात है। बहुत सुंदर आलेख

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  10. आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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  11. .
    .
    .
    एक और बात जिसकी ओर ध्यान दिलाना चाहूँगा वह यह है कि यदि आप पूरी तरह से अच्छे तरीके से शंख बजा पा रहे हैं तो इसका अर्थ यह भी है कि आपके शरीर के सभी तंत्र ठीक से काम कर रहे हैं... अच्छे स्वास्थ्य का एक प्रकार का टैस्ट है यह...



    ...

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  12. बचपन में मैं शंख खूब बजा लेता था पर अब नहीं। बजाना जारी रखता तो शायद होता रहता।

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  13. या तो युद्ध का प्रारम्भ या अतिवृष्टि से बचने के लिये इन्द्र को संकेत।

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  14. नाद शंखों के स्वरों में एक स्वर मेरा मिलालो -

    प्रसंग वश शंख ध्वनी से 500 मीटर के दायरे विषाणु का नाश हो जाता है जर्मनी में संपन्न एक शोध में यह पुष्ट हुआ था .

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  15. आज प्रचंड शंखनाद की ही आवश्यकता है .

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  16. शाम के समय विशेषकर बंगाली घरों से आती शंखध्वनी अलग ही प्रभाव छोड़ती है। और वाकई परिवर्तन के शंखनाद का यह समय तो है ही...

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  17. नववर्ष शुभ हो ,खुश हाली लाये चौतरफा आसपास आपके .नव वर्ष शुभ हो ,खुश हाली लाये चौतरफा आपके आसपास .

    Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 दिमागी तौर पर ठस रह सकती गूगल पीढ़ी


    1mVirendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    आरोग्य प्रहरी ...... http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2012/12/blog-post_8739.html …

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  18. आप जैसे विद्वान ही शंख का इतना वृहद और पौराणिक उल्लेख क्रमबद्ध कर सकते हैं .प्रणाम देरी के लिए क्षमा .

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  19. सामने सी ब्लोक में रोज़ सवेरे शंख ध्वनि के साथ किसी के घर में पूजा अर्चना संपन्न होती है तब बहुत भला लगता है .शंख बजाना फेफड़ों का व्यायाम है .

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  20. बहुत सुंदर...आपकी पोस्ट शंखनाद से कम नहीं है...

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  21. शुभ भावना ,शुभकामना लिए आई है आपकी पोस्ट ,सानंद रहें सेहत मंद रहें कुछ नया करें 2013 में यही शुभेच्छा है .आभार आपकी सद्य टिप्पणियों का .

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  22. ये हमारी पारिवारिक परंपरा में भी है। एक शंख अगली बार लेकर अमेरिका जरूर आयेंगे :)

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