बिग बॉस सीजन पांच शुरू हो गया है -इसकी लांचिंग सेरेमनी में मैं माहिला प्रतिभागियों की गिनती करते करते थक गया -कुल तेरह की (अ)शुभ संख्या में देवियाँ एक के बाद एक अवतरित होती गयीं और मैं नतमस्तक होता गया ..एक से बढ़कर एक हैं सब ....एक तो चार्ल्स शोभराज की दीवानी हैं और शो के एकमात्र बिचारे (का ) पुरुष शक्तिकपूर(नाम बड़े और दर्शन छोटे) को भी लुभाने की कोशिश में लग गयी हैं ...एक अर्धरात्रि में आईने में होठों पर लिपस्टिक फेरते हुए उन्होंने शक्ति से गुफ्तगू की कि वे उन्हें इम्प्रेस करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ने वालीं हैं .....एक प्रतिभागी को अभी जेल हुयी तो जेल से छूटते ही अपनी एक प्रतिस्पर्धी से बोल उठीं कि जब उसे छोड़कर वे गयीं थी तो वह प्रेगनेन्ट नहीं थी मगर उसके जाते ही वह कैसे प्रेगनेन्ट हो गयीं ..एक ने दूसरी के लिए कहा कि बड़ी आग है रे उसमें ....(मतलब कोई तो बुझाये ..आगे आग को बुझाने का विस्तार से वर्णन भी होगा ही )
एक बृहन्नला (यदि इस शब्द से आप अपरिचित हैं तो अपने हिन्दी शब्दकोश ज्ञान को और बढाईये,हम नहीं बताने वाले) प्रतिभागी भी हैं ....उनसे "सेक्सुअल अनुभव" की बातें शेयर करने पर कोई आमादा दिखीं -यह आज की ...आधुनिक और असेर्टिव नारी हैं ....या पैसे कमाने को /व्यावसायिक समझौते के तहत किसी भी सीमा तक जाने को तैयार नारी और उनका इस्तेमाल करने की व्यवसायी सोच ....नहीं नहीं मैं कोई मोरल पुलिसिंग नहीं कर रहा बल्कि चाव से देख रहा हूँ ड्रामे को अनफोल्ड होते ....बस दिक्कत यही है कि यह काफी देर से आसमानी हो रहा है और वह मेरे लिए सोने का समय है ..यह बात अपने पाबला जी बखूबी जानते हैं मेरे बारे में यकीन न हो पूछ सकते हैं ... हाल यह है कि इसेदेखते हुए आँखें मुंदते मुंदते अचानक खुल सी जाती है कुछ बतकहियों और दृश्यों पर ......
यहाँ देवियों की इतनी बड़ी फ़ौज देखकर एक काफी पहले पढ़ा चुटकुला याद आ गया -दो सखियाँ आपस में बात कर रही थीं . एक ने दूसरी से कहा कि जानती हो सखी ये पुरुष लोग भी अकेले में वही बतियाते हैं जो अक्सर हम बतियाते रहते हैं तो दूसरी बेसाख्ता बोल पडी ..हाय रे वे कितने गंदे होते हैं ..... :) बस जैसे इसी ग्रंथि से पैसा लूटने की शगल शुरू है बिग बॉस सीजन पांच में ....देखते जाईये महिलाओं की असली प्रतिनिधि दुनिया ...शौकत थानवी उर्दू के अच्छे व्यंग लेखक हुए हैं ..उनके एक व्यंग में मैंने पढ़ा था कि प्रगटतः आधुनिक देवियाँ बहुत सुशील दिखने का सारा प्रयास करती हैं मगर अँधेरे और अकेले में उनका कार्य व्यवहार बदल जाता है ....उन्होंने अपने एक लेख में इनकी इस कथित प्रवृत्ति की चुटकी लेते हुए एक उस वाकये का जिक्र किया था जब वे फिल्म देख रहे थे ...जब बगल से एक फुसफुसाहट भरी आवाज आयी कि छोडिये न मेरा हाथ क्यों पकड़ रहे हैं आप ..तो वे अकबका के रह गए ...नहीं मैंने कब आपका हाथ पकड़ा? वे घबरा कर बोल उठे और किसी तरह सिमटे दुबके रहे ..शिव शिव करके इंटरवल हुआ तो उन्होंने मोहतरमा का दीदार करना चाहा मगर वे तो बड़ी बेरुखी से दूसरी ओर देख रही थीं...कुछ समय पहले इतनी निकटता दिखाने वाली देवि उजाले में दूरस्थ हो गयीं थीं ....इस प्रवृत्ति की पुनरावृत्ति कहीं और सुनी है आपने ? याद कीजिये!
तो क्या आप तैयार हैं बिग बॉस सीजन पांच को देखने के लिए ..रतजगा की भी कीमत पर ..हाँ जी हम तो तैयार हैं ....आप सरीखा कोई साथी भी मिल जाय तो फिर क्या बात है?
दर्शकों को आकर्षित करने का मनोवैज्ञानिक गेम खेल रहे हैं चैनल्स. खुदा के फजल से मैं तो अभी टीवी से दूर ही हूँ, और आप तो हैं ही बिग बॉस के भी बौस ! तो उस घर में क्या चल रहा है आप ही से जानता रहूँगा... :-)
जवाब देंहटाएंअरे मिस्र जी , आप कैसे झेलते हैं ऐसे बेहुदे शो को । और सुंदरियों की तो क्या कहें --सारा मूड ख़राब हो जाता है ।
जवाब देंहटाएंहमारी पसंद का तो एक शो है --बड़े अच्छे लगते हैं --आप भी देखिये --बड़ा अच्छा लगेगा यह सीरियल ।
दो की बातें सुनना मुश्किल है यहां तो तेरह हैं..!भगवान बचाये। मैं तो पहले ही दिन भाग गया था।
जवाब देंहटाएंपूरा फ्लाप शो साबित होगा यह।
अपने से तो झेला नहीं जाता इन प्लास्टिक जैसी हँसी वाली कम्बख्तियों को।
जवाब देंहटाएंएक बार मान भी लिया जाय कि इस प्लास्टिक वाली मुस्कान, हंसी आदि एक्टिंग का हिस्सा है तो भी अपन इत्ती बेहूदी एक्टिंग न देखना चाहेंगे।
एकाध के बात करने का लहजा और चोंचले आदि देख मन में वही देशज भाव उभरते हैं जिसे अभिव्यक्त करते हुए कहा जाता है - ई छिनरिया त अउरौ.... :)
एक दो दिन देखा था, पर अब तो बिल्कुल देखने की हिम्मत ही नहीं होती, ऐसी ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं कि खुद अकेले ही देखने में शर्मिंदगी महसूस होती है, परिवार के साथ तो देखने की बात ही छोड़ दें।
जवाब देंहटाएंहम तो झेल ही नहीं पाते हैं, यह सब।
जवाब देंहटाएंचाहे पुरुष हो या महिला कोई कम नहीं है इस बेहूदे प्रसारण में... मनोरंजन के नाम पर पता नहीं कौन सी...
जवाब देंहटाएंखैर देखने वाले और दिखने वालों को सर दर्द की गोली साथ रखनी चाहिए| में तो सलमान को देखती हूँ :]
उफ़ झेलते कैसे हैं लोग ये शो.
जवाब देंहटाएंश्री शक्ति कपूर जी के बारे में गलत टिप्पणी करने के लिये हम अपनी आपत्ति दर्ज कराते हैं। हम उनके बडे वाले पंखे हैं।
जवाब देंहटाएंकभी कभी यह तो ज़रूर लगता है कि यह सब कहाँ जाकर रुकेगा ....? वैसे सच में इन्हें झेलना आसान नहीं.....
जवाब देंहटाएंमहाराज की जय हो ! आप भी ना ,सीरियल-वालों की तरह हॉट-विषय (वैसे विषय अपने आप में हॉट होता है ) ढूँढत रहत हौ !का ज़रुरत पड़ी है ई 'फिलम' देखने की ?
जवाब देंहटाएंइस तरह के सीरियल जानबूझ कर बनाए जा रहे हैं,स्क्रिप्ट लिखी और बोली जा रही है इसलिए ये 'रियलिटी ' शो नहीं 'सी-ग्रेड' की फ़िल्में हैं.न तो इसके बहाने आप नारी का मूल्याङ्कन कर सकते हैं न उसकी प्रवृत्तियों का ! रिमोट आपके हाथ में है...मन में है,'बुद्धत्व' प्राप्त करने के बाद इन चीज़ों से विरक्ति ले लो,अपनी नींद मत ख़राब करो !
(वैसे अकेले में 'टैमपास' करने के लिए ठीक है )
हम तो भैया टीवी सीरियल ही नहीं देखते।
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत मुश्किल है इस तरह के प्रोग्राम देख पाना ... आपकी हिम्मत को सलाम :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है आपने! मैं बहुत कम टीवी देखती हूँ ज़्यादातर न्यूज़ सुनती हूँ !
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
bilkul chhichhora show hai ye ekdum!!
जवाब देंहटाएंमुझे इस ब्लॉग की सबसे अच्छी बात यह लगती है कि यहां आकर लोग खुले दिमाग से लोग कमेंट लिखते हैं और विचारों को अभिव्यक्त करते हैं। किसी भी विषय पर लिखी गई पोस्ट हो, उसके लिखने का अंदाज ही ऐसा होता है कि लोग कूद कर अपने मन की बात लिखने लगते हैं। यही कारण है कि यहां एक बार लोग पोस्ट पढ़ने आते हैं दूसरी बार उस पोस्ट पर आये कमेंट पढ़ने।
जवाब देंहटाएं@ लिखने का अंदाज ही ऐसा होता है कि लोग कूद कर अपने मन की बात लिखने लगते हैं। देवेन्द्र जी की बात से सहमत हूँ...मैं ख़ुद कई बार उछल-कूद कर आता हूँ,पर 'उनके' आने का असर ही कुछ और है !
जवाब देंहटाएंदरालजी ने मिश्र की सर्जरी करके मिस्र बना दिया...यह भी ख़ूब रही !
टीवी पर अधिकतर फूहड़पन ही प्रदर्शित होता है !
जवाब देंहटाएंचटपटा लगना चाहिए चाहे जो भी हो ...
शुभकामनायें !
आज-कल यहाँ रात में बिजली ही नहीं रहती वर्ना देखते जरूर.
जवाब देंहटाएंab itte bure waqt bhi nahi ke aise
जवाब देंहटाएं'tam-pass' kari jawe......
post tag 'lok-hit me' achha hai...
post ke anuroop 'pancham da' ka andaz chutila laga....
aur is blog pe 'devendraji aur praveenji' ke kathya sahi lage......
yse sahmati apni bhai abhishek se rahi........
pranam.
बिग बोस में कोई दिलचस्पी नहीं है .आप विविध रूचि संपन्न व्यक्ति हैं अपनी रूचि न्यूज़ और व्यूज़ तक ही है .अच्छी जानकारी देती पोस्ट बिग बोस की .तीन तेरह करती .
जवाब देंहटाएं@ " तुझमे बड़ी आग है रे "
जवाब देंहटाएंमैं यह कार्यक्रम नहीं देखती इसलिए नहीं कह सकती कि ये शब्द किस सन्दर्भ में कहे गये मगर अक्सर लोंग अपने मनोरंजन के लिए किसी के भी बोले या लिखे गये शब्द का सुविधानुसार अर्थ निकाल लेते हैं. कई बार तेज तर्रार या अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित लोगों के लिए भी कहा जाता है कि " एक आग है तुझमे कहीं "!
@ प्रगटतः आधुनिक देवियाँ बहुत सुशील दिखने का सारा प्रयास करती हैं मगर अँधेरे और अकेले में उनका कार्य व्यवहार बदल जाता है ...
यह सिर्फ देवियों के लिए कहना ही सही नहीं है . अपने घनिष्ठ मित्रों के आगे सभी खुले होते हैं! ये बात और है कि मित्रता टूटने पर या कपटपूर्ण व्यवहार के चलते वही घनिष्ठ लोंग इसे ब्लैकमेलिंग की तरह इस्तेमाल करें . मेरा यह कथन स्त्री /पुरुष दोनों पर लागू होता है!
वैसे इस कार्यक्रम से बेहतर है " बड़े अच्छे लगते हैं " देखना !
अव्वल तो टीवी देखते ही नहीं , देखते हैं तो फ़िर चुनते हैं जो बेहतर लगता है उधर ही टिक टिका जाते हैं अक्सर तो वो डिस्कवरी ही होता है लेकिब बच्चों के कारण दस बजे टीवी बंद । इसलिए सारी जहालत फ़िर टीवी समाचार चैनलों पर देखने को मिल जाती अगले पूरे दिन
जवाब देंहटाएंसर मैं तयशुदा समय से पहले इलाहाबाद आ गया इसलिए आपकी इस बेबाक पोस्ट पर टिप्पणी करने का सुख हासिल हो सका |वाकई आपको पढ़ना चार्ल्स लैम्ब के निबन्ध को पढ़ने जैसा लगता है |अब फिल्म या सीरियल बनाने वाले बस पैसा बनाने के बारे में सोचते हैं |समाज या संस्कृति के बारे में उन्हें सोचने की आवश्यकता ही नहीं है |हम एक दृष्टिहीन दौर से गुजर रहे हैं |
जवाब देंहटाएंआप दोनों भाई बला के जीवट इंसान हैं :)
जवाब देंहटाएंडाक्टर दराल और संतोष त्रिवेदी जी की बात पे गौर फरमाइयेगा :)
जवाब देंहटाएंअली जी की बात सुनिए ।
जवाब देंहटाएंबस मिस्र जी को मिश्र जी पढ़िए । यह ट्रांसलिट्रेशन भी ना ---
सुधी जनों(जन यहाँ कामन जेंडर है ) : आप सभी ने इतना हतोत्साहित कर दिया कि रतजगा की हिम्मत ही नहीं रही अब ...
जवाब देंहटाएं@अभिषेक,बिग बॉस का भी बॉस? अविश्वसनीय!!
@डॉ .दराल ,बड़े अच्छे लगते हैं कब और कहाँ आता है?
@देवेन्द्र जी ,आपके कमेंटवा पर हम बतियाना चाहते थे.मुला मोबाईल बंद है आपका !
@सतीश जी ,"ई छिनरिया त अउरौ.... :)" छिः छिः यह भाषा तो हमारे यहाँ पुरनिये बोलते हैं -आप जुवा आदमी होके मत बोलिए ...बल्कि खेल में जुट लिया जाय ! :)
@विवेक जी,अब ऐसी भी क्या शर्मिन्दगी -आप तो बड़े भोले मासूम प्राणी निकले ....:)
@कविता जी ,
हमारी अर्धांगिनी भी सलमान को ही देखने जाती हैं -उसमें ऐसा क्या है जो हममे में नहीं है? तनिक प्रकाश डालियेगा न प्लीज़!
@नीरज जी ,शक्ति के आप पंखे हैं ये नहीं मालूम था नहीं तो भला ऐसी गुस्ताखी आपके शान में होती -सारी !
@डॉ.मोनिका शर्मा जी ,
जवाब देंहटाएंआप बजा फरमाती हैं मगर पब्लिक जो चाहती है वही वे दिखाते हैं....
सबसे आश्चर्यजनक तो यह है कि यहाँ औरतों को लेकर यौन विषयों को लेकर बड़े टैब्बूज हैं -और ये बात निर्माता जानते हैं!
@संतोष जी,
हम बुद्धत्व से बड़े जल्दी ऊब गए ....और हमें वहां मजा आता है जहाँ आम तौर पर लोगों की नजर नहीं जाती ..मगर यह भी नहीं कि यह एकदम कृत्रिम मानव व्यवहार ही दिखाता है!
और आपको इंतज़ार किसका रहता है और क्यों?
@काजल जी ,शुक्रिया सर ! :)
@वाणी गीत,लगता है आप चोरी चोरी चुपके चुपके इसे देख रही हैं तभी तो इतनी प्रमाणिकता से अपना पक्ष रख रही है ..अब आग वाले मामले में जो कहा गया वह मेरी अल्प समझ में अंतराग्नि से सम्बन्धित था ..मगर आप का पक्ष और है तो यह दृष्टि भेद से दृश्य भेद का मामला हो सकता है -आप सही हैं! हम मानते है अपने दृष्टि दोष को -अब इसमें कैसी बहस!
@जयकृष्ण जी कहाँ चार्ल्स लैम्ब और कहाँ यह अदना सा इंसान ....अब इतना भी न चढ़ा दीजिये पुआल के ढेर पर .. :) फिलहाल शुक्रिया !
@अली भाई,
जवाब देंहटाएंये दो भाईयों- किसकी बात है हुजूर?
तेरे ख़त में इक वो सलाम किसका था न था रकीब तो आखिर वो नाम किसका था ?
@@संतोष त्रिवेदी said...(वैसे अकेले में 'टैमपास' करने के लिए ठीक है )
जवाब देंहटाएंयही सत्य है जी
इस पर बात करना भी समय की बर्बादी है!!
जवाब देंहटाएंहम तो ऐसे फूहड़ प्रोग्राम देखने से रहे :)
जवाब देंहटाएंहमें तो आश्चर्य हुआ यह जानकार आप भी देखते है यह सब :)
जवाब देंहटाएंशायद बिग बास ने इस बार रिस्क उठाया है. महिलाएँ ही महिलाएँ और इकलौता नाम मात्र का 'शक्ति'.
जवाब देंहटाएंसर ये तो एक शो है , टी आर पी चाहिये ही और इसके लिये सीधी साधी हरकत करने वाले तो लिये नहीं जायेंगे । सीधे लोगों को तो घर में भी भाव नहीं मिलता ।
जवाब देंहटाएंजैसा मुझे जानकारी है ,इन्हें बाकायदा बता दिया जाता है कि कब क्या करना है?
कुछ लोग तो जुगाड़ लगा कर इसमें आते हैं ,शायद इसी के बाद काम मिल जाये , क्योंकि इस इंडस्ट्री में -जो दिखता है वो बिकता है। बहुत से लोगों को इसके बाद काम मिला भी है।
रतजगे में आप जागेंगे तो हम भी जागेंगे बा -शर्ते साथी आप जैसा हसीन हो .
जवाब देंहटाएंहमारी नींद बहुत ही कीमती है... किसी भी अच्छे-बुरे ...पर जाया नहीं करती.रतजगा के बहाने( किसी का) कई चरण ले लिया पर हम कुछ नहीं कहेंगे..
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