मैं घने कुहांसे के बावजूद भी चिट्ठाजगत के इस चेहरे को साफ़ साफ देख पा रहा हूँ ! यह जाना पहचाना चेहरा है ज्ञानदत्त पाण्डेय जी का जो दरअसल यहाँ किसी परिचय का मुहताज नही है .मेरे जैसे रंगरूट ब्लॉगर का उनके बारे में कुछ लिखना किसी ध्रिष्ठता से तो कम नही पर न जाने यह कैसी बेहयाई है जो मुझे बेबस कर रही है कि मैं कुछ जरूर व्यक्त करुँ इस ब्लॉगर ह्रदय सम्राट के बारे में ! तो नत नयन कुछ पुष्प समर्पित कर रहा हूँ -ज्ञानदत्त जी तो ज्ञानी हैं हीं अन्य ज्ञानी जन भी मेरी किसी भी भूल को अनदेखा कर के स्नेह बनाये रखेंगे .और मां सरस्वती भी मुझ पर स्नेह बनाए रंखेगी , नाराज नहीं होगी क्योंकि बाबा तुलसी उन्हें पहले से ही यह कह कर संवेदित कर चुके हैं -"कीन्हे प्राकृत गन गुण गाना सिर धुन गिरा लाग पछताना ! " माँ ,मैं तुम्हे आश्वस्त कर दूँ कि जिन चिट्ठाकारों को मैं चिट्ठाकार के रूप में चुन रहा हूँ वे बस प्राकृत जन ही नहीं हैं -यह आप रियेलायिज करोगी मां ! यहाँ मैं ज्ञानदत्त जी को अपने प्रिय संबोधन ज्ञान जी से ही संबोधित करूंगा -वैसे इस संबोधन के एक दूसरे विद्वान ब्लॉगर की भी अब खासी पहचान बन गयी है .
मुझे याद है ब्लॉग जगत में मुझे सबसे पहली टिप्पणी ज्ञान जी की ही मिली थी जो उन्होंने साईब्लाग पर मेरी मछलियों पर लिखी पोस्ट पर की थी- जैसा स्वाभाविक ही था टिप्पणी उत्साहवर्द्धक थी -दरअसल यहाँ एक ब्लॉगर के सिवा मैं मोहकमाये मछलियान में एक मरियल सा मुलाजिम भी हूँ - ज्ञान जी इसे तड से ताड़ गये कहते भये थे कि भई अच्छा लगा जानकर कि मछली के जानकार भी अब ब्लागजगत में उभर रहे हैं -प्रकारांतर से यह कि मछलियाँ भी अब सतह से ऊपर आने लगीं है ! लो ज्ञान जी एक मत्स्य मानव अब आपके सामने आ धमका है .
पहले कुछ व्यक्ति चित्र टाईप हो जाय ! ज्ञान जी एक बड़े अफसर हैं अपनी रीयल जिंदगी में -अगर वे अफसर नहीं होते तो जानते हैं कि क्या होते ? वे फिर भी अफसर ही होते ! वे जन्मजात अफसर है .रियाया को दूर से देखते हैं -दूर दूर रहते हैं - एक डिफाईंड दूरी बनी हुयी है इनकी -कृपया किसी मुगालते में न रहें ! मैं मुगालते में रहकर पछता चुका हूँ -इसका ज्यादा विस्तरेण नहीं पर थोड़ा सा हिंट जरूरी है -अब ज्ञान जी रेलवे के बड़े अफसर ठहरे -कुछ नये ब्लॉगर इन्हे शुरू में मेरी तरह हलके में लेने का ब्लंडर कर देते हैं - लोगों का कहीं न कहीं आना जाना बना ही रहता है -लोगबाग सहज ही सोच लेते हैं कि अपने ज्ञान भैया तो हैं हीं -एक रेल विभाग का बड़ा अफसर जब ब्लागर बिरादरी में है ही तो फिर रेल की छोटी मोटी सुविधाएँ सहज ही ब्लॉगर लोगों को उपलब्ध रहेंगी .नही मित्रों ,ज्ञान जी पहले ही अपनी एक पोस्ट में इस मुद्दे पर खबरदार कर चुके हैं -यहाँ वे पूरी तरह अफसर हैं ! काश मैं वह पोस्ट(क्या कोई बंधु बांधवी लिंक दें सकेंगे ?) पहले ही पढ़ चुका होता तो अपने नए नए ब्लागरी के दिनों में ऐसी ही एक फरियाद ज्ञान जी से न करता जो मैं अनिर्णय और विमोह की स्थिति में कर बैठा था और ज्ञान जी ने अपनी वह धांसूं पोस्ट मुझे पढ़ा दी थी .हाँ अगर आप जमे जमाये फुरसतिया ब्लागर हो चुके हैं या आपका ऐसे किसी ब्लॉगर से सोर्स सिफारिश का माद्दा है तो फिर ज्ञान जी आपकी मदद कर सकते हैं कुहांसे के बिना और बावजूद भी !
ज्ञान जी सुवर्ण प्रेमी हैं -नए नये वर्णों के प्रति उनका सहज आकर्षण है . ईथोलोजी-व्यवहार शास्त्र शब्द से वे इतने प्रभावित हुए की मुझे उत्साहित कराके उन्होंने साईब्लाग पर एक श्रृंखला ही इस विषय पर आरम्भ करा दी ! चूकि उनके अध्ययन का दायरा बहुत व्यापक है अतः प्रायः अंगरेजी शब्दों का उनका लगाव ब्लागजगत पर भी दर्शित होता रहता है, कुछ लोगों का उनका यह आंग्ल प्रेम फूटी आंखों नही सुहाता पर मुझे तो ज्ञान जी का यह शगल बहुत भाता है और नए शब्द और उनके सटीक प्रयोग मैंने ज्ञान जी से सीखा है , उनका ऋणी हूँ !चिट्ठाजगत में अभी भी घूम रहे इनीशियल एडवांटेज शब्दबोध के जनक ज्ञान जी हैं .
ज्ञान जी एक प्रतिभासंपन्न,परिष्कृत रुचियों वाले अध्ययनशील नामचीन ब्लॉगर तो हैं हीं वे मजे हुए टिप्पणीकार भी हैं .उनकी टिप्पणियाँ सारभूत भाव लिए होती हैं जिससे सहज ही लग जाता है की सम्बन्धित ब्लाग पोस्ट को उन्होंने तन्मयता से आद्योपांत पढा है -और वे वोरेसियस रीडर तो है ही अतः बहुत से ब्लागों को पढ़ते हैं और टिप्पणियों का प्रोत्साहन देते रहते हैं -घोस्ट बस्टर ने सही कहा था कि ब्लागजगत के त्रिदेवों में ज्ञान जी हैं और निश्चय ही महादेव हैं वे बाकी को तो आप भी जानते ही हैं ! मगर हाँ इन्हे ज़रा भी नानसेंस या न्यूसेंस बर्दाश्त नही है -आख़िर नम्बर वन आफीसर जो ठहरे !एक आफीसरनुमा ब्लॉगर ! बाकी मैं और कुछ दूसरे भाई बन्धु तो बस ब्लागर्नुमा अफसर ही बन के रह गये हैं ! जब ब्लागजगत को कुछ लोगों ने हाईजैक करने का उपक्रम किया था तो ज्ञान जी ने उन्हें पहले ही उपेक्षित कर दिया था उनके ब्लागों तक को त्याग दिया था -बादमें लोगों को सदबुद्धि आयी !ज्ञान जी बस एक ब्लॉग लिखते हैं -मानसिक हलचल -और वह एक ही भारी है ! कहते है ना कि एकै साधे सब सधे सब साधे सब जाय ! मगर एक बात है अपने सारथी वाले शास्त्री जी हैं न और ज्ञान जी ये ब्लॉग से अंतर्जाल पर धन कमाने के जुगाड़ में कई पोस्ट लिख डाले हैं -अब इन्हे इश्वर का दिया सब कुछ तो है मगर फिर इस लफडे में ये क्यों पड़े रहे बात हजम नहीं हुयी.इधर तो इस मुद्दे पर शान्ति है जो मुझे बहुत सकूं दे रहा है ! ज्ञान जी के अवदान कालजयी बनें यही अभिलाषा है !
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
बहोत ही बढ़िया लिखा है आपने जी,....
जवाब देंहटाएंअर्श
ज्ञान जी के बारे में आपकी कलम से जान कर अच्छा लगा ..यह बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं आप अरविन्द जी ..
जवाब देंहटाएंअपने मन पर साक्षात बनी छवि व आपके द्वारा प्रस्तुत की जाती छवि में समानता-असमानता खोज रही हूँ। मुझे लगता है कुछ मामलों में आपने पूर्वाग्रह बना लिया है। मुझे तो ज्ञान जी पहले परिचय में ही सदाशयी व आत्मीयतापूर्ण लगे। हाँ, वे रिज़र्वकिस्म के जरूर हैं।
जवाब देंहटाएं@कविता जी,
जवाब देंहटाएंयह फर्क आभासी और साक्षात के साक्षात्कार का ही है -मैंने ज्ञान जी को वास्तविक रूप से देखा जाना नही है -और यह न भूले यह चर्चा चिट्ठाकारों के आभासी व्यक्तित्व के ही हैं -यहाँ आभासी और वास्तविक अस्तित्व में कुछ भी घाल मेल नही है ! मैंने जैसा समझा वैसा रख दिया -अब यह आपको पूर्वाग्रह लगा तो हो सकता है यह पूर्वाग्रह ही हो ! मैंने तो " ईहाँ न पक्षपात कछु राखऊँ " भाव से ही लिखा है ! और सच कहूं जिन चिट्ठाकारों की चर्चा यहाँ कर रहा हूँ उनसे मिलने को साहस इसलिए नही है की कहीं उनके मिलते ही उनका जो आभा मंडल मन में निखर है वह प्रभावित न हो जाय !
chaliye gyaan jee ke baare main aapki kalam se kaafi kuch pata chala...
जवाब देंहटाएंमैं ज्ञान जी का लगभग हर आलेख पढता हूँ अत: आपने जो कुछ उन के बारे में लिखा है उसका अनुमोदन करता हूँ.
जवाब देंहटाएंसस्नेह -- शास्त्री
ज्ञान भाई साहब की शख्शियत को सही आँका है आपने - ब्लोग जगत के एक स्थायी स्तँभ हैँु नके विचार व "मानसिक हलचल "-
जवाब देंहटाएंआपका प्रयास स्त्युत्य है अरविँद भाई - जारी रखियेगा और आपकी मेहनत यहाँ साफ झलकती है जिसके लिये पुन: बधाई
स स्नेह,
- लावण्या
ज्ञान जी, के अफसर और ब्लागर के पीछे जो एक ईमानदार इंसान छुपा है उसे पहचानना आसान भी है और बहुत मुश्किल भी। वे बहुत सहज भी हैं और बहुत असहज भी। मेरी उन से कभी कोई बात नहीं हुई।
जवाब देंहटाएंज्ञान जी पर लिखना बहुत मुश्किल काम है। लेकिन आप वह सब कर गए।
यह सही कहा द्विवेदी जी ने कि ज्ञान जी पर लिखना कठिन है. बहुत कुछ अबूझे से या रिजर्व व्यक्तित्व पर लिखना अपने आप में एक कौशल का काम है. अब वह आप ही हैं कि घने कुंहासे के बाद भी इस चेहरे को साफ़ देख पा रहे हैं.
जवाब देंहटाएंज्ञान जी की टिप्पणियों का कायल तो मैं भी हूं. मैं प्रविष्टियां लिखता हूं, या उन्हें पोस्ट कर देता हूं तब तक तो कोइ भाव नहीं बनता, पर पोस्ट होने के बाद सोचता हूं कि शायद इस पर पहली टिप्पणी आपकी या ज्ञान जी की ही होगी. अब इस स्नेह का विचारें.
ज्ञान जी की टिप्पणियां सावधान कर देने वाली टिप्पणियां होती हैं कि यदि आपको लगता है कि बहुत अच्छा लिख गये हो तो ठीक वहीं अपना अहं तिरोहित कर दो, या इसके ठीक उलट यदि आप अपनी प्रविष्टियों का प्रभाव नहीं जानते तो इसे ज्ञान जी की प्रभावी टिप्पणी इतना मारक बना देगी कि दूसरे तो दूसरे, आप खुद ही अपनी प्रविष्टि के सम्मोहन में पड़ जायेंगे.
ज्ञान जी के चिट्ठाकार व्यक्तित्व की इस आभासी चर्चा के लिये धन्यवाद.
अच्छा लगा कि आपने ज्ञानजी के बारे में लिखा। लेकिन लगता है कि ज्ञानजी की अफ़सरी का कुछ ज्यादा ही आतंक पसरा हुआ है। :)
जवाब देंहटाएंअच्छा तो ज्ञान जी पहले रिजर्व बैंक में थे ? आप्पडिया :)
जवाब देंहटाएंआपने तो हमें डरा ही दिया. हम तो अभी तक एक दूसरे ही पाण्डेय जी से मिले थे!
जवाब देंहटाएंजिस व्यक्ति के बारे में आपने लिखा है, वह मुझसे कुछ मिलता जुलता है और कुछ नहीं भी।
जवाब देंहटाएंहां लिखा आपने बहुत मन से है - धन्यवाद!
ज्ञान जी क़ी टिप्पणी पढ़कर मैं कंफ्यूजिया गया हू क़ी इनमे से कौनसी बात उनसे मिलती है और कौनसी नही??
जवाब देंहटाएंखैर ज्ञान जी के बारे में पढ़ना अच्छा लगा.. वे उन चुनिंदा ब्लॉगरो में से है जिनके ब्लॉग पर जाना मैं अपना फ़र्ज़ समझता हू.. एक और बात आप ज्ञान जी के ब्लॉग पर बेझिझक कोई भी टिप्पणी कर सकते है.. वे उसे हमेशा पब्लिश करेंगे.. और हमेशा सकारात्मक रूप से ही लेंगे.. यही उनकी ख़ासियत है..
रही अफ़सर वाली बात.. तो कभी इस नज़र से उन्हे देखा नही..
ज्ञानदत्त जी पर कुछ लिखना वाकई बहुत दुष्कर कार्य है. उनके समूचे व्यक्तित्व(जैसा वह इस ब्लॉगिंग के आभासी संसार में पता चलता है) को चन्द शब्दों में समेटना कठिन है. आपने अच्छा ही प्रयास किया है.
जवाब देंहटाएंज्ञान जी ब्लॉगिंग को काफ़ी गम्भीरता से लेते हैं और इस विधा में निरन्तर कुछ नवीन की खोज में लगे रहते हैं. प्रोब्लॉगर और ब्लॉगर बस्टर जैसी साइट्स की चर्चा उनकी पोस्ट्स में होती रही है. नये ब्लॉगर्स के लिये काफ़ी कुछ जानकारी उनके पास मिल सकती है.
पोस्ट में सिर्फ़ विचार और शव्द ही नहीं बल्कि प्रस्तुतिकरण में भी आकर्षक रूप-रेखा उनके ब्लॉग पर अलग ही नजर आती है. डिज़ाइनिंग अस्पेक्ट्स पर वे काफ़ी बारीकी से ध्यान देते हैं जो हिन्दी ब्लॉग्स में अन्यत्र कम ही दिखता है.
कम शब्दों में गहरी बात कह जाना उनकी लेखनी को उच्च स्तर प्रदान करता है. ये बात ना सिर्फ़ उनकी ब्लॉग पोस्ट्स में उभरती है बल्कि विविध ब्लॉग्स पर उनकी टिप्पणियों में भी जो वे बगैर किसी कंजूसी के उदारतापूर्वक वितरित करते रहते हैं. नये चिट्ठाकारों को प्रोत्साहन में वे आगे रहते हैं बशर्ते विषय या लेखन (या दोनों) उन्हें रुच जायें.
विषयों की विविधता उनके ब्लॉग का एक सुदृढ़ पक्ष है जिसके चलते उन्हें काफ़ी फ़ैन फ़ॉलोइंग हासिल हुई है, आम रुचि की भी कुछ न कुछ सामग्री उनके यहाँ अक्सर मिल जाती है.
मेरा मानना है कि किसी ब्लॉग का स्तर उसके पाठक संसार से सहज ही अनुमानित किया जा सकता है. इस मामले में ज्ञान जी का ब्लॉग पहला दर्जा हासिल करता है. उनके ब्लॉग को मिलने वाली टिप्पणियाँ निर्विवाद रूप से सर्वश्रेष्ठ होती हैं, और मुझे बिल्कुल नहीं लगता कि इसमें उनकी अफ़स्ररी का कोई हाथ होता होगा.
लेकिन ज्ञान जी पर कोई भी बात तब तक पूर्ण नहीं कही जा सकती, जब तक कि उनकी बैटर हाफ़ आदरणीय रीता भाभी जी का जिक्र ना किया जाये. जीवन की राहों पर उनके साथ ने कई मुश्किलों को आसान बनाया ही होगा, पर एक ब्लॉगर के रूप में ज्ञान जी के सर्वोत्कृष्ट को बाहर निकालने में भी इनका कम योगदान नहीं मालूम होता.
मेरे लिये ज्ञान जी हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर हैं.
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लग रहा है कि टिप्पणी में प्रशंसा की मात्रा कुछ अधिक हो गयी है. इसे संतुलित करने के लिये ज्ञान जी की कुछ कमियों कमजोरियों को भी शामिल करना होगा. आज से ही तलाश शुरु करते हैं. मिलने पर टिप्पणी का दूसरा भाग लिखा जायेगा.
jinkaa naam hi gyaan hai ....un par likhnaa ...vaise unhe padhti rahti hoon ..dhanyvaad
जवाब देंहटाएंअफ़सर थोक के भाव मिल जाएंगे . पर मानसिक हलचल वाले ज्ञानदत्त अनूठे हैं . अपने जैसा एक ही पीस . वे उस पीढी के विरल ब्लॉगर हैं जो इस आभासी जगत में कम दिखाई देती हैं . उनका ब्लॉग जगत में होना और रहना नए अर्जित ज्ञान के साथ-साथ पारम्परिक मूल्यबोध और वैचारिक ईमानदारी के असंदिग्ध महत्व को रेखांकित करता है .
जवाब देंहटाएंमैं होता तो कडक अफसर पर कुछ लिखने से पहले उनकी परमीशन ले लेता . पर बिना परमीशन के लिखकर अपनी छीछालेदर न कराता .
जवाब देंहटाएंइसका अर्थ कहीं यह न लगा लें कि यहाँ लेखक की छीछालेदर हो गई है . न न :)
एक ही दिन में दो दो चर्चा??? बसटर जी ने भी चर्चा कर दी...
जवाब देंहटाएंअफसरो के तो ठाठ है जी.. हमको कौन पूछता है :(
जैसे सूरज को दिया दिखाना मुश्किल है वैसे ही आ.ज्ञानजी के बारे मे कुछ कहना भी बडी कठिन बात होगी.
जवाब देंहटाएंआपने उनको देवाधिदेव महादेव की उपाधि दे कर पहले ही कुछ बाकी नही छोडा. वैसे ये उपाधि सही भी है. वो हर लिहाज से हमारे महादेव ही हैं अगर हम अपने आपको देव माने तो.
उनमे मैने महादेव जैसी सक्षम कर्मठता भी महसूस की है और निश्छलता भी. और जीवन मे ऐसा सुन्दर तालमेल कम ही देखने को मिलता है.
वो बडी आसानी से कानपुर दौरे मे मूंगफ़ली बेचने वाले को देख कर, मुंगफ़ली बेचने का सोचने लगते हैं, कभी कुत्ते के पिल्लों से राग दिखाते हुये मिलते हैं और फ़िर सीधे आज सत्यम जैसे गुरु गम्भीर मसले पर सटीकता से लिख जाते हैं.
मैं यहां बहुत नया हूं, मेरी उनसे बहुत सहजता से निजी खतो-किताबत शुरू हो गई. और मुझे तो भाई सही बात ये है कि ज्ञानजी के नाम का चस्का सा लग गया है. जब तक उनकी टीपणि नही आये तब तक अपनी पोस्ट अधूरी रहती है.
अभी कोहरे की वजह से उनकी अनुपस्थिति बडी खल रही थी, पर क्या करे? आखिर हम सबको ब्लागिंग के अलावा यथार्थ जगत भी देखना है.
उनका सुर्य और चमके और हम सब पर आशिर्वाद बना रहे यही ईश्वर से प्रार्थना है.
रामराम.
gyaan ji ke baare men aapki kalam se padh ke unhe aur theek se jaane ka mauka mila
जवाब देंहटाएं@"लेकिन ज्ञान जी पर कोई भी बात तब तक पूर्ण नहीं कही जा सकती, जब तक कि उनकी बैटर हाफ़ आदरणीय रीता भाभी जी का जिक्र ना किया जाये. जीवन की राहों पर उनके साथ ने कई मुश्किलों को आसान बनाया ही होगा, पर एक ब्लॉगर के रूप में ज्ञान जी के सर्वोत्कृष्ट को बाहर निकालने में भी इनका कम योगदान नहीं मालूम होता."-घोस्ट बस्टर
जवाब देंहटाएंभूत भंजक भाई मैं यह मार्क करता रहा हूँ कि आप मेरे मनकी बात कह देते हैं या वह सन्दर्भ /परिशिष्ट जोड़ते हैं जो वस्तुतः मेरे कथ्य का ही एक विस्तार होता है -दरअसल मेरी मूल पोस्ट में ऊपर का ही वाक्य था जिसे मैंने अन्तिम समय हटा दिया था कुछ मिश्रित (मिश्र होने के कारण !) भावों के चलते ,,मगर आपने उसे सप्प्लीमेंट कर दिया -बहुत आभार ! और एक प्रश्न यह भी की कहीं आप ही तो मैं नहीं ? या मैं ही आप जैसे समीर जी और ताऊ का अद्वैत ब्लागजगत में साफ़ दीख रहा है ! तो आज से हम भी अद्वैत हुए !
ज्ञान जी के बारे में पढ़ना अच्छा लगा..
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसुरत . शुभकामनाएं.
मेरी समझ से किसी भी लेखक के पास यह अधिकार होना ही चाहिए कि वह जिस व्यक्ति के बारे में जैसा सोचता है, वैसा ही लिखे, भले ही वह वास्तविकता से भिन्न क्यों न हो। इस मायने में यह लेख जोरदार है। हॉं, विवेक भाई की चुटकी भी मजेदार है।
जवाब देंहटाएंज्ञान Sir के लेखन में विविधता है..सामायिक लिखते हैं .उन के बारे में और अधिक यहाँ जानकारी मिली ,अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंवैसे उनका व्यक्तित्व उनके ब्लॉग लेखन से झलकता ही है.बेहद प्रभावशाली है.
आभार.