बिग बॉस की अधिष्ठात्री शिल्पा शेट्टी
इस समय भारत में रियलिटी शो के नाम पर बिग बॉस का डंका बज रहा है .यह अभी पिछले वर्ष इंग्लैंड में चर्चित हुए बिग ब्रथर रियल्टी शो की ही भोंडी/देशी नक़ल मात्र है जिसमें शिल्पा शेट्टी नाम्नी अभिनेत्री को नस्ल भेदी टिप्पणियों से रूबरू होने का मामला सारी दुनिया में काफी उछाला गया था . दरअसल बिग ब्रदर शब्द से ही सुप्रसिद्ध ब्रितानी उपन्यासकार जार्ज आरवेल के मशहूर नॉवेल ,1984 की याद आ जाती है। `बिग्र ब्रदर इज वाचिंग यू´ (देखो, खूसट दादा/बुड्ढा देख रहा है) इसी उपन्यास से निकला हुआ वह जुमला है जिसका इस्तेमाल प्राय: निजी जीवन में किसी के हस्तक्षेप-ताक झांक के प्रयासों के समय किया जाता है। यह वाक्य-जुमला निजता में हस्तक्षेप के विरुद्ध कुछ न कर पाने की असहायता को भी इंगित करता है।
कभी जॉर्ज आर्वेल जैसे युग द्रष्टा ने प्रौद्योगिकी की रुझान को भांप लिया था और यह पूर्वानुमान कर लिया था कि कालांतर में ऐसी जुगते जरूर बन जांयेगी जिससे हर किसी को हर वक्त वॉच किया जा सकेगा .निजता जैसी बात नही रह जायेगी -यह भविष्य का एक खौफनाक मंजर था -लोग ऐसी दुनिया की सोच से ही खौफजदा हो गए थे -यह भी कोई बात हुयी -सोते जागते ,खाते पीते ,काम केलि तक भी कोई आपको ताक रहा है -देख रहा है .और हाँ आज के मोबाईल ,क्लोज सर्किट कैमरा आर्वेल की उस दूर दृष्टि पर ही मुहर लगा रहे हैं .आज नियोक्ता से बच के आप नहीं रह सकते .....वह हर वक्त आपको घूर सा रहा है !
मगर इस दहशतनाक मंजर को भी रियल्टी शो के जरिये मनोरंजक बना देने की सूझ सचमुच अप्रत्याशित है -बिग ब्रथर और बिग बॉस जैसे शो के जरिये आज लोगों की निजता भी अब बिकाऊ बन गयी है -लोग अपनी निजता भी बेंच रहे हैं और हमारे आप जैसे फालतू लोग ऐसे चरित्रों से तादात्म्य बनाते हुए इन प्रयासों को हिट बना रहे हैं-भारत में कोलोर चैनेल पर बिग बॉस इस समय टी आर पी में हिट जा रहा है -हद तो यह है कि इसके ज्यादा तर पात्र अपने वास्तविक जीवन में अपराधी या नकारात्मक छवियों वाले रहे हैं -मगर रील की अपनी रीयल लाईफ में वे हिट जा रहे हैं -क्या यह लोकरुचि में एक खतरनाक बदलाव का संकेत तो नही है -हम जरायम पेशा लोगों को तो कहीं अपने हीरो के रूप में तो नही देख रहे हैं -क्या पारंपरिक आदर्शों के दिन लद चुके क्या सचमुच अब हमारे सामने अब मोनिका बेदी और राहुल महाजन जैसों का ही आदर्श अपनाने को रह गया है ?कहीं आम लोगों /दर्शकों की सुरुचि प्रियता को को संगठित तरीके से विनष्ट तो नही किया जा रहा है ? क्या जीवन मूल्यों में सायास रद्दोबदल से व्यावसायिकता का नया घिनौना खेल तो नही शुरू हो गया है ?
बिग ब्रदर से बिग बॉस तक का सफर हमें इन बातों को सोचने के लिए मजबूर कर रहा है ! आपकी राय क्या है ?
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
Gyan aur jankari se bhara hua post......
जवाब देंहटाएंmudda kafi achha hai ki kya nijta mahtvata nahi rakhti?
Aur rahi baat isse related serials ki, jisme real life me negative character wale bhi postivity dikhakar chamak rahen hai, to ye baat jagjahir hai ki "jo chamkta hai wo bikta hai."
क्या जीवन मूल्यों में सायास रद्दोबदल से व्यावसायिकता का नया घिनौना खेल तो नही शुरू हो गया है ?
जवाब देंहटाएंशायद आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं ! इन नकारात्मक सोच वाले लोगो को नायक बना कर शायद इस लिए पेश किया जा
रहा है की बदनाम हैं तो क्या नाम तो है ! और वोही बिकाऊ है !
बहुत खुब लिखा हे आप ने , ओर बिलकुल मे सच ,एक समय था भारत की ओरते हीरोईन नही बनती थी, ओर इस पार्ट कॊ लडके या वेशया करती थी, ओर आज का बाप गर्व करता हे उस की बेटी करोडो मे नंगी हो कर पेसा ओर नाम कमा रही हे,ओर हम लोग इन्हे अपना आदर्श मानते हे, वाह रे जमाने,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुन्दर विचार के लिये
्बहुत सही लिखा आपने,ऐसा लगता है हमारी सन्स्क्रति को सुनियोजित ढंग से भ्रष्ट किया जा रहा हैं। निहायत ही ज़रुरी सवाल उठाया आपने,आभार आपका
जवाब देंहटाएंरियालिटी शो में एक भद्दा पन तो है ही। अश्लीलता का पता नहीं।
जवाब देंहटाएंबाजार की देन है और बाजार के नियमों से संचालित।
अच्छा लिखा है।
जवाब देंहटाएंBilkul sahi likha hai aapne. hamen to big boss dekhne ka sowbhagya nahin milta hai parantu kal Aaj tak par samacharon men bhi iske unsh pel diye gaye. swiming pool ka jo drashya dikhaya usse lagta hai ki bus ab thoda sa aur baaki hai dikhane men. ab kuchh nahin bachega to phir kya dikhayenge. is gandgi par kya pabandi nahin lag sakti ?
जवाब देंहटाएंक्या जीवन मूल्यों में सायास रद्दोबदल से व्यावसायिकता का नया घिनौना खेल तो नही शुरू हो गया है ?
जवाब देंहटाएंबिग ब्रदर से बिग बॉस तक का सफर हमें इन बातों को सोचने के लिए मजबूर कर रहा है
very well said, yhee ho rha hai jo aapne last line mey express kiya hai, koee doubt nahee hai, jeevan mulyon ka koee importance nahee reh gyee aaj kul, sub business bn gya hai, good artical about it and wonderful presentation"
Regards
contoversial लोगो को चुनना ही उनका मकसद था साहब...मिर्च मसाला ....
जवाब देंहटाएंsahi likha aapne
जवाब देंहटाएंऐसे लोगो को चुन कर तो यह अपनी टी आर पी बढाते हैं ..इतनी बेहूदापन है इस में ..अच्छा सार्थक लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंशायद इसके हिट होने का एक कारण यह भी है कि आज समाज में नकारात्मक प्रवृत्तियॉं तेजी से बढ रही हैं। जाहिर सी बात है कि ऐसे लोग नकारात्मक प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले चरित्रों को तवज्जो देंगे ही।
जवाब देंहटाएंकहाँ फंस गये आप भी मिश्रा जी, ये सब माया है।
जवाब देंहटाएंऔर माया को भला आज तक कौन जान पाया है?
जवाब देंहटाएंबिल्कुल ठीक कहा है आपने। मुन्नाभाई जैसी फ़िल्में भी 'हार्डकोर क्रिमिनल्ज़' को 'ग्लोरिफ़ाइ' ही करती हैं।
जवाब देंहटाएंसच न हो मगर सच जैसा नीरस तो है ही - बहुत दिन नहीं चलेंगे यह रेअल्टी शो
जवाब देंहटाएंsir jo dikhata hey vo bikata hey
जवाब देंहटाएंye sab machine hey jo khud paisa banati hey or hum jibh niklate hey
apka mitra
regards
कटु सत्य को उजागर करते आपके आलेख के विषय पर सचमुच गंभीर चिंतन और विचार विमर्श की आवश्यकता है. अगर हमारे जीवन मूल्य ऐसे ही ख़त्म होते रहे तो आने वाला समय ना जाने कैसा होगा.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है. मार्गदर्शन कीजिएगा.
http://monijain21dec.blogspot.com/