आज से नवरात्र शुरू हो रहा है -शक्ति पूजा का एक बड़ा अनुष्ठान ! मेरे मन में एक सवाल उमड़ घुमड़ रहा है जिसे मैं आप के साथ बाँटना चाह रहा हूँ -देवी दुर्गा को कहीं तो बाघ और कहीं शेर पर आरूढ़ दिखाया गया है -सबको पता है है कि ये दोनों अलग अलग प्राणी हैं -सभी देवी देवताओं का अपना अलग अलग एक निश्चित वाहन है .इन्द्र का ऐरावत हाथी ,यमराज का भैंसा ,शिव का नंदी ,विष्णु का गरुण ,आदि आदि अरे हाँ पार्वती का व्याघ्र या पति के साथ वे नंदी को भी कृत्य कृत्य करती हैं .वैसे तो मां पार्वती के परिवार में कई वाहन हैं मगर वे चूहे को छोड़ सभी पर ,नंदी-वृषभ ,बाघ और मोर पर भ्रमण करती देखी गयीं हैं .क्या पार्वती का वाहन बाघ और माँ दुर्गा का वाहन शेर है -दुर्गा जी क्या सचमुच शेरावालिये हैं ! मामला पेंचीदा है तो आईये इस मामले की थोड़ी पड़ताल कर लें क्योंकि आज से नवरात्र की पूजा शुरू हो रही है और हमें अपनी अधिष्टात्री के स्वरुप ध्यान के लिए इस गुत्थी को सुलझाना ही होगा ।
पहले तो यह जान लें कि समूची दुनिया में भारत ही वह अकेला देश है जहाँ बाघ और शेर का सह अस्तित्व है .चित्र में आप बाघ और शेर को सहज ही पहचान सकते हैं .अफ्रीका में भी शेर है तो बाघ नदारद ! रूस में बाघ है तो शेर नदारद ! चीन में भी बाघ है पर शेर का नामोनिशान नहीं .भारत का राष्ट्र पशु भी १९७२ तक शेर ही था पर बाघों की गिरती संख्यां से विचलित भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाईगर के साथ ही इस देश का रास्त्रीय पशु भी बाघ घोषित कर डाला ।
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तो पहले भारत में कौन आया शेर या बाघ ? कैलाश सांखला जैसे वन्य जीव विशेषज्ञों की माने तो बाघ भारत में सबसे पहले आया .सिन्धु घाटी के लोगों को शेर की जानकारी नहीं थी जबकि उस काल की मुद्राओं पर बाघ की छाप अंकित पाई गयी है .शेर का उल्लेख वैदिक काल से मिलाने लगता है .अब अपने आदि देव शंकर को ही लें -वहां बाघम्बर( व्याघ्र चर्म ) है ,पार्वती बाघ पर आरूढ़ दिखती हैं .कैलाश सांखला जोर देकर कहते हैं कि बाघ भारत में हर हाल में ४५०० ईशा पूर्व से मौजूद है .शेर की मौजूदगी का प्रचुर विवरण सम्राट अशोक के काल से मिलने लगता है .एशियाई सिंहों के बारे में पारसियों को अछ्ही जानकारी थी .ऐसा प्रतीत होता है कि १५०० ईशा पूर्व से भारत में व्याघ्र सत्ता का पराभव और शेर का वर्चस्व शुरू होता है.इसकी पुष्टि संस्कृत साहित्य से भी होती है .शेर की सत्ता स्थापित होने में सम्राट अशोक की भी बड़ी भूमिका लगती है -भारत के स्वतंत्र होने पर सम्राट अशोक की पटना में स्थापित लाट (३०० वर्ष ईशा पूर्व )से ही भारत का रास्त्रीय चिह्न चुना गया जिसमे शेरों को ही प्रमुखता से दिखाया गया है ।अब यह बिल्कुल स्पष्ट है कि भारत में अपनी अपनी सत्ता स्थापित करने की धमाचौकडी बाघ और शेर के बीच आदि काल से चलती रही है -कभी बाघ ऊपर तो कभी शेर ! पर यह तय है कि बाघ ही हमारा आदि साथी है जो इस समय राष्ट्रीय पशु के रूप में ही प्रतिष्ठित है -जब किंग एडवर्ड सप्तम -प्रिंस आफ वेल्स ने १८५७ में बिहार के पूर्णिया क्षेत्र में बाघ का शिकार किया तो वाहवाही में भारतीय बाघ को रायल बंगाल टाईगर का खिताब नवाजा गया .आख़िर वह किसी ऐरे गैरे की गोली का शिकार थोड़े ही हुआ था -तो रायल बंगाल टाईगर भारत में कहीं भी मिलने वाला बाघ है केवल बंगाल तक ही सीमित नहीं ।
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तो अब आप ही निर्णय लें कि माँ दुर्गा का आदि वाहन क्या था -मेरी अल्प बुद्धि से तो यह बाघ ही था पर कालांतर के सामयिक परिवर्तनों से उनके भक्त जन भी अपनी अधिष्टात्री को बदल बदल कर वाहन अर्पित करते रहे कभी बाघ तो कभी शेर -पंजाब में तो वे पूरी तरह शेरावालियाँ ही हो गयीं है -इस बार के पूजा पंडालों पर ज़रा गौर करें देवी किस वाहन पर आरूढ़ दिखती हैं -बाघ तो मान शेर पर !वैसे पर वे बाघ पर आरूढ़ हों या शेर पर उनकी शक्तिमत्ता में तो रंच मात्र का फर्क नहीं रहेगा .या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपें संस्थिता ...........