बुधवार, 20 नवंबर 2013

सभी पुरुष एक जैसे ही होते हैं..... ललित निबंध

सभी पुरुष एक जैसे ही होते हैं..... यह एक ऐसी बात है जिससे  महिलायें ख़ास तौर पर नारीवादी सक्रियक  झट से सहमत हो लेती हैं। उनके लिए यह सार्वभौमिक सत्य है। वे फरेबी होते हैं, झूठे होते हैं वादा करके मुकर जाते हैं।  रूहानी लगाव के बजाय बस रूप सौंदर्य के दीवाने होते हैं।  उनकी चाहतें यकसाँ  ही होती हैं। हर मायनों में सभी समान होते हैं और उनमें भी कुछ और भी ज्यादा समान होते हैं।  यहाँ तक कि अलग से दिखने वाले (नारीवादी पुरुष) भी अंततः आखिर पुरुष ही साबित होते हैं।  मुझे भी यह वाक्य गाहे बगाहे सुनना ही पड़ता रहा है।  अब लाख समझाईये कि नहीं अपुन तो भीड़ से बिल्कुल अलग हैं.एक नायाब पुरुष पीस हैं मगर उनके चेहरे का अविश्वास इतना अटल रहता है कि कभी कभी और अब तो अक्सर ही खुद भी अपने बारे में शक होने लगता है कि कहीं हम भी वाकई 'सभी पुरुषों' की ही श्रेणी में तो नहीं आते -सोचते हैं खुद को कहीं आजमा के देख ही लिया जाय कि अपनी असलियत आखिर है क्या ? वालंटियर्स चाहिए।  

मैंने कभी ,मतलब अंतर्जाल में पहला कदम रखने के दरमियान ही एक मित्र से तब इस जुमले की हकीकत को गहराई से समझने का प्रयास किया था।  इसके पहले वे इस गूढ़ रहस्य को उजागर करतीं अंतर्जाल छोड़कर ही कहीं लुप्त हो गयीं और मेरा प्रश्न अनुत्तरित ही रह गया।एक आधी दुनिया के मित्र ने जब फिर इस जुमले को उछाला तो मैं जैसे इसकी मीमांसा के लिए तैयार ही बैठा  था।  मैंने अनुनय किया कि कृपा कर इसे व्याख्यायित किया जाय और बिना व्याख्या अंतर्जाल न छोड़ा जाय।उन्होंने एक चिढाऊ स्माईली बनाकर कहा कि मैं सब जानता हूँ -मैंने जवाब दिया कि मैं क्या जानता हूँ यही बता दिया जाय ताकि सत्यापित कर सकूं कि वह  सही या गलत हैं। उन्होंने बात का एक आखिरी छोर पकड़ा दिया कि आप सभी पुरुष बड़े वो होते हैं। और एक शातिराना स्माईली छोड़कर चल दी हैं -लगता है अभी बात की तह तक पहुँचने में कई चैट सेशन बीत जायेगें।  

मैं तो विज्ञान और उसमें भी जैव विज्ञान  का एक अदना सा अध्येता रहा हूँ -चार्ल्स डार्विन को अपना ईश्वर पैगम्बर सब कुछ मानता हूँ -उनके अनुसार तो विभिन्नता प्रकृति का नियम है -तो पुरुष एक जैसे तभी हो सकते हैं जब वे जुड़वां हों और वह भी एक ही निषेचित अंड की उत्पत्ति हों।  तो सभी पुरुष एक जैसे कैसे हो सकते हैं। इसलिए मेरी तो वैज्ञानिक मान्यता यह है कि सभी  पुरुष और न ही नारी एक जैसे होते हैं।  नारियां तो बिल्कुल ही एक जैसी नहीं होतीं।  बहुत फर्क होता है उनमें, यह मेरा स्वयं का सुदीर्घ अनुसन्धान है।  एक अंग्रेजी कहावत के जनक ने भी यही कहा है कि नारी नारी में बहुत फर्क होता है -" सम वीमेन ब्लश व्हेन दे आर किस्ड ,सम स्वेयर , सम काल फार पोलिस बट वर्स्ट आर दोज हू लाफ " देखिये न यह कहावत यह सिद्ध कर देती है कि नारियां अलग अलग होती हैं। मेरी इस बात से आप निश्चय ही झट से सहमत हो जायेगें :-) 
मगर मेरे एक फेसबुकिये मित्र हैं जो इससे असहमत हैं।  वे कहते हैं कि सभी नारियां भी एक जैसी होती हैं , उन्होंने अपनी पीड़ा सरे आम फेसबुक पर साझा की थी , जो याद है उसके मुताबिक़ वे अपने पुरुष दोस्तों से घनिष्ठ होते होते सहसा ही पलट जाती हैं। 

 वे कहती हैं -
१ -मैं आपकी बहुत इज्जत करती हूँ मगर मैंने कभी उस निग़ाह से आपको देखा ही नहीं। 
2 -आप मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं मगर उसके आगे नहीं 
३- मेरे लिए मित्रता से बढ़कर दुनिया में और कुछ नहीं है मगर मित्र से मैं शादी नहीं कर सकती।  
४-दोस्ती मित्रता अपनी जगह  विवाह शादी अपनी जगह 
5 -आपने तो कभी पहले बताया ही नहीं। मैं तो किसी और के हाथों महफूज हो गयी हूँ। .

मित्र का मानना है सभी एक सा ही सोचती हैं।  एक जैसी ही हैं। तो चलिए यह मानने में क्या गुरेज कि सभी पुरुष या नारी एक जैसे ही होते हैं :-) आपकी भी तो अपनी कोई राय होगी इस मुद्दे पर या निजी अनुभव होगा तो क्यों नहीं साझा करते यहाँ? मानवता का मार्ग दर्शन होगा! 

39 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी राय में तो आपने सत्य ही कहा है .वैसे, कोई भी एक जैसे नहीं होते.एक कहावत है - No Two have same identical.

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  2. मूलभूत गुण तो एक से होंगे ही ..जो कि हर प्रजाति में होते हैं....बाकि बहुत से गुण अलग भी होते हैं....कुछ जन्मजात होते हैं..कुछ इच्छा शक्ति से विकसित कर लिए जाते हैं...और कुछ संगत का असर..

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  3. इस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :- 21/11/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक - 47 पर.
    आप भी पधारें, सादर ....

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  4. ऑल वीमेन आर फ्रॉम वीनस, ऑल मेन आर फ्रॉम मार्स :)

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    1. वीनस और मार्स के लक्षण बताए जाँय। कुछ न कुछ हल निकलेगा जरूर।

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    2. वीनस प्रेम की देवी है। .... मार्स एक युद्धार्थी वीर
      अब निहितार्थ निकालिये

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  5. शब्दकोश.कॉम से प्राप्त जानकारी
    Venus का अर्थ - शुक्र (m), वीनस (f), प्रेम और सौंदर्य की देवी, शुक्र ग्रह (m), रति देवी
    Mars का अर्थ- मंगल, मंगल ग्रह
    मंगल का अर्थ- bliss, delight, ecstasy (m), Mars, welfare,

    शायद इससे कुछ प्रकाश मिले।

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    1. यूनानी मिथकों में वीनस प्रेम की देवी हैं ,रति हैं !
      शुक्र हमारे यहाँ फलितय ज्योतिष में एक आक्रामक योद्धा है।
      शिखा जी ने जिस बहु उद्धृत वाक्य को उद्धृत किया है उसे इस अर्थ में भी देखा जाना चाहिये

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    2. यहाँ इतने अर्थों के बाद तो लगता है कि जॉन ग्रे को अपनी किताब फिर से लिखनी पड़ेगी :)

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    3. भारतीय भाष्यकारों से पाला नहीं पड़ा था न :-)

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  6. न सारे पुरुष एक जैसे होते हैं और न स्त्रियाँ।
    .
    .विद्वानों ने तो हथिनी,शंखिनी,पद्मिनी जैसी स्त्रियों की कई प्रजातियाँ बड़े शोध के बाद बताई हैं:)

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    1. संतोष त्रिवेदी जी पुरुष भी अश्व ,वृषभ ,…नारी मुग्धा ,मध्या ,प्रौढ़ा और न जाने कैसे कैसे ट्रेट लिए रहतीं हैं कई तो मर्द को ऊपर जाने की सीढ़ी कई मनबहलाव का साधन माने रहतीं हैं। कई उसे मुफ्त का सुरक्षा कर्मी मान लेती हैं।

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    2. वीरेंद्र शर्मा जी से सहमत.

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  7. प्रत्येक मनुष्य बिल्कुल अलग होता है पर चूँकि यहॉं केन्द्र में प्रेम है तो कुछ भी कहा नहीं जा सकता क्योंकि प्रेम अपरिभाषेय है । प्रेम की जितनी हम व्याख्या करेंगे उतनी ही उलझनें पैदा होंगी वस्तुतः प्रेम कहने की नहीं करने की चीज़ है । " प्रेम न खेती ऊपजे प्रेम न हाट बिकाय राजा परजा जेहि रुचै शीष देइ लै जाय ।" कबीर

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  8. सारी स्त्रियां एक जैसी ही होती हैं :)

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  9. एक जैसे तो एक ही व्यक्ति के हाथों की उंगलियां भी नहीं होती। दायां भाग बाएं के बराबर नहीं होता जुड़वांओं का व्यवहार भी परिवेश तय करता है।क्लोन्स बोले तो हमशक्ल भी हम अक्ल नहीं होते एक जिसे सब मर्द कैसे हो सकते हैं कुछ चारित्रिक गुण सभी के एक जैसे हो सकते हैं। सभी पुरुष प्रेम चाहते हैं नारी से ज्यादा कोमल होते हैं जैसे अरविन्द एवं वीरुभाई।

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  10. कुछ गुण व्यक्तिगत भी होते हैं , पुरुष हों या स्त्री .....

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  11. हर जगह यही प्रश्न सुना है मैंने भी.

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  12. आजकल स्त्री पुरुष बहुत से गुणों में एक समान होते हुए भी एक दूसरे के कुछ विशेष गुण (vice-versa )अपनाते हैं। स्त्रियों की तुलना में पुरुष बेहतरीन मित्र होते हैं , हालाँकि इसका कारण स्त्रियों के आसपास का वातावरण (पुरुष भी कह सकते हैं ) अधिक है !

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    1. पुरुषों को बेहतरीन मित्र का खिताब देने के लिए खुद अपनी और से और सभी पुरुष मित्रों की और से आपका बहुत आभार -आपने इस तरह हममें अपना जो विश्वास व्यक्त किया है जिसे हम ऋण समेत अदा करेगें वाणी जी :-)

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  13. वैसे, किसी पार्टी में चले जाओ, सब पुरूष एक जैसे मिलेंगे - वही कोट-टाई-सूट डांटे. रंग भी यक सा - काला या गहरा भूरा. एकाध अपवाद को छोड़कर. और वहां की स्त्रियाँ? कोई एक जैसे दो का गिनीज़ रेकॉर्ड अभी बना नहीं है, टूटने की तो बात ही क्या!

    सो, देयर यू आर!

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  14. ये तो सरासर नाइंसाफी है ...पुरुषों के भी पांच महत्वपूर्ण बिंदुओं को उद्दृत करना तो बनता था कि वे क्या कहते हैं? तब न तुलनात्मक अध्ययन आगे बढ़ता..

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    1. पुरुष तो जीवन भर बोन्दे ही रह जाते हैं :-)

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  15. कल 23/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  16. मानवता का मार्ग दर्शन? अभी तो अपना ही नहीं हुआ सरजी.

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  17. पंडित जी! विलम्ब के लिये खेद. बहुत ही बैलेंस्ड आलेख है आपका और आपके तेवर भी (जिनके लिये आपकी उन तमाम शुभचिंतकों ने आपको कुख्यात कर रखा है) माइल्ड हैं. एक बहुत खूबसूरत लेख है!! सारे मर्द एक से होते हैं यह जुमला इस तरह प्रयोग किया जाता रहा है कि यह सर्वथा निगेटिव शेड में पेंट करता है.. और कई बार तो इसके लपेटे में भगवान राम और कृष्ण को भी खडा किया जाता रहा है!

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    1. @सही सलिल भाई.
      अब कुख्यात कर ही रखा है तो अपनी बात कहने में क्या संकोच ?
      :-)

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  18. तरुण तेजपाल , आसाराम , फणीश मूर्थी

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    1. बस तीन लोग से पूरी पुरुष आदम जात कलंकित हो गयी बेनामी/अनामिका जी ?

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  19. हर मनुष्य unique होता है - चाहे पुरुष हो या स्त्री । जनरलाइजेशन नहीं किया जाना चाहिए ।

    संस्मरण श्रंखला?

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  20. सोचना ही गलत है कि सब पुरुष सब महिलाएं एक जैसे होंगे,विज्ञानं पहले ही सिद्ध कर चुका है कि पुरुष महिला के जींस अलग अलग होते हैं,तुलना करना फालतू है.

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  21. Dominique Strauss-Kahn,
    Bill Clinton
    Nick Clegg

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  22. सारी मानवता को दो बड़े भागों में ही बाँट देना बहुतों के साथ अन्याय हो जायेगा।

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