सोमवार, 5 नवंबर 2012

.....और मैं हतप्रभ सा देखता रह गया!


पिछले कुछ दिनों मैं जौनपुर जनपद के अपने पैतृक आवास पर छुट्टियों के दौरान था जब 1/2 नवम्बर  की रात को  दो- ढाई बजे से चार बजे  के दौरान वह  अद्भुत आकाशीय नज़ारा दिखाई दिया. मुझे बचपन में ऐसा ही दृश्य दिखायी दिया था तब मेरी बाल सुलभ उत्सुकता को शांत करते हुए मेरे बाबा जी ने कहा था तुम यह जो घेरा सा देख रहो हो चंद्रमा के चारो ओर यह दरअसल इंद्र की सभा है और  वे  मौसम  के आगामी रुख पर विचार विमर्श कर रहे हैं -घटना थी चन्द्र छल्ले या चन्द्र आभा की . चन्द्रमा ठीक मेरे सिर के ऊपर और उसके चारो ओर सटीक गोलाई में ४४ अंश का घेरा ....मैं विस्मित सा देखता रह गया -आधी रात के बाद की घोर निद्रा में सो रही पत्नी और बेटी को भी जब यह नज़ारा दिखाया तो नीद में खलल पड़ने का उनको कोई मलाल न था और सबसे बड़ी राहत कि मुझे डांट नहीं पडी . मैं तो तुरंत फेसबुक अपडेट करने में लग गया . मगर हद है इक्का दुक्का ही लोग जागते मिले ..एक तो अजमेर के साहब जिन्हें भी यह दृश्य दिखा था .पलकों से नीद गायब थी और सुबह होते होते काफी जानकारी अंतर्जाल से बजरिये मोबाईल मिल गयी थी .. 
अद्भुत संयोग था कि सैंडी के अमेरिका के पूर्वी तट पर कहर बरपाने वाली रात को ऐसा ही छल्ला वहां दिखा था .....तो क्या मेरे द्वारा देखे गए चन्द्र छल्ले का मतलब किसी तूफ़ान का संकेत था ..बिलकुल  था -यह नीलम चक्रवात की ही धमक थी मगर अच्छी बात रही कि उसका प्रभाव यहाँ तक आते आते काफी क्षीण हो चुका था ,सुबह सुबह जागरण के स्थानीय संवाददाता ओंकार मिश्र ने इस खबर को कवर किया और जागरण ने इसे प्रमुखता से छापा .मगर मुझे आश्चर्य यह है कि आलतू फालतू ख़बरों को दिन रात दिखाने वाले मीडिया चैनेल और भारतीय खगोल शास्त्री या फिर शौकिया खगोल विद सभी उस रात घोड़े बेंच के सोये हुए थे? दरअसल ऐसी घटनाएं लोगों में और खासकर बच्चों -किशोरों में खगोल विज्ञान के प्रति रूचि जगाने का एक अवसर देती हैं और ऐसे में चूकना नहीं चाहिए. 
अद्भुत आकाशीय नजारे का हुआ दीदार
नौपेड़वा (जौनपुर): गुरुवार आधी रात के बाद चन्द्रमा के इर्द-गिर्द बना विशाल गोल घेरा लोगों को अचंभित कर रहा था। अद्भुत आकाशीय नजारा देखने हेतु लोगों ने अपने परिजनों को जगाया। रात दो बजे से चार बजे तक दिखा घेरा धीरे-धीरे स्वत: समाप्त हो गया। चन्द्रमा के बिल्कुल करीब वृहस्पति ग्रह भी स्पष्ट रूप से चमक रहा था। इस बारे में अपने पैत्रिक आवास चुरावनपुर बक्शा में छुट्टियां बिताने आए विज्ञान संचारक डा.अरविन्द मिश्र ने बताया कि यह एक दुर्लभ आकाशीय घटना है। जो प्राय: किसी आने वाले तूफान का आभास देता है।
डा.मिश्र ने बताया कि अमेरिका में आए हुए सैन्डी तूफान के ठीक पहले 28 अक्टूबर को पूर्वी तट के निवासियों ने एक ऐसा ही आकाशीय नजारा देखा था। वैज्ञानिक इस आकाशीय घटना को चन्द्र छल्ला 'ल्यूनर हालो' अथवा मूल रिंग का नाम देते हैं।
वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि जब आसमान में एक खास प्रकार के बादल जिसे सिर्रस बादल कहा जाता है जो बहुत ऊंचाई पर होते हैं तथा बर्फ के क्रिस्टल बनते हैं तो चन्द्रमा के प्रकाश के परावर्तन से चन्द्र छल्ले का बनना दिखलाई देता है। लोक कथाओं में ऐसे चन्द्र छल्ले का बनना दिखना किसी तूफान के आने का संकेत माना जाता है जिसे वैज्ञानिक भी पुष्ट करते हैं। सैंडी तूफान के आने के ठीक पहले एक विशाल चन्द्र छल्ले का दिखना इसका प्रमाण है। आकाश में गुरुवार की रात इस छल्ले को तमाम लोग देखे जिसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं रही।

35 टिप्‍पणियां:

  1. हतप्रभ करने वाली बात ही है जी ! अब वैज्ञानिक ही इस खगोलीय घटना की व्याख्या करें !

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  2. अद्भुत द्रश्य,,भारतीय खगोल के जानकार लोगों का ध्यान इस ओर न जाना बड़ी हतप्रभ करने वाली बात है,,,,,,,

    RECENT POST : समय की पुकार है,

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  3. सही कहा आपने , रोजमर्रा के जीवन से अगर हमारी शिक्षा को जोड़ दिया जाए तो पढ़ने का मजा ही अलग हो |

    सादर

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  4. प्रकृति की चमत्कारिक ड्राइंग का अद्भुत नमूना!!
    एक बार मैंने भी अपने वीडियो कैमरे को स्टैंड पर लगाकर उसे ५६० गुना ज़ूम करके चंद्र ग्रहण शूट किया था.. और तब बचपन में पढ़े पृथ्वी गोल है के प्रमाण स्वरुप चाँद पर पडती छाया साफ़ दिखाई रिकोर्ड की थी!!
    बहुत सुन्दर!!

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  5. मनोहारी दृश्य.... हमारे गाँव में इसे मंडल कहा जाता है .यह वर्ष का संकेत देता है .
    पास मंडल दूर पानी, दूर मंडल पास पानी..अर्थात मंडल दूर है तो जल्द ही बारिस हो सकती है.और मंडल निकट है तो बारिस की संभावना दूर है . ऐसी धारणा गाँव में प्रचलित है.

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  6. हार्दिक आभार मिश्र जी इस जानकारी और चित्र के लिए मेरी भी थोड़ी रूचि खगोल विज्ञान में है आशा है ऐसी जानकारियां आगे भी मिलती रहेंगी

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  7. अद्भुत जानकारी .... मौसम तो यहाँ का भी बदला हुआ है

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  8. जानकारी परक पोस्ट..... सच में यह अद्भुत दृश्य है....

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  9. गजब की जानकारी वाली अदभुत पोस्ट । एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण आप इसे और बेहतर समझ और समझा पाए । तूफ़ान से पहले ऐसा आकाशीय नज़ारा , सैंडी तूफ़ान के बाद नीलम तूफ़ान । सच में ही विद्यार्थियों और नव विज्ञानियों के लिए सीखने समझने लायक पोस्ट । सच कहा आपने मीडिया और हमारे मौसम शोध विभाग सिर्फ़ खानापूर्ति में लगे हैं । चलिए शुक्र है कि अब मीडिया को भी नागरिकों की सजगता से उनके द्वारा दी गई जानकारियों और समाचारों को अपनी खबर बनाने के लिए विवश होना पड रहा है । बहुत ही कमाल की पोस्ट सर । वर्ष की बेहतरीन पोस्टों में से एक ।

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  10. आम जन विशेषकर बच्चों में विज्ञानं को लोकप्रिय बनाने के लिए ऐसे लेखों की आवश्यकता है , जिसमे प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों , कारण और निवारण को सरल भाषा में समझाया जा सके और अधिकाधिक लोग प्रकृति से जुड़े .
    साधुवाद !

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  11. देवताओ की सभा बैठी है. आदमियो के चाल चलन पर गम्भीर चर्चा हुयी. भेजा था का करने करन लगे का.मुझे मिली गुप्त सूचना के अनुसार और भी बाते हुयी है जिसका खुलासा समय सुकाल देख कर प्रेस कांफ्रेस करके किया जायेगा.

    "मुझको यकी है सच कहती थी जो भी अम्मी कहती थी,

    जब मेरे बचपन के दिन थे चाद मे परिया रहती थी."

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  12. अद्भुत नज़ारा है.
    शायद पहले भी ऐसे दृश्य होते रहे होंगे.
    तूफ़ान के आने की चेतावनी हो सकती है. इस पर और अध्ययन होना चाहिए.
    लेकिन आप रात २ बजे अकेले जागकर क्या कर रहे थे ? :)

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  13. चार दिनों से झेलता, झारखण्ड बरसात |
    नीलम का यह असर है, चलता झंझावात |
    चलता झंझावात, उपग्रह है प्राकृतिक |
    दर्पण सा अवलोक, गगन से घटना हर इक |
    हुवे घाघ अति श्रेष्ठ, पढ़ें संकेत अनोखे |
    करे आकलन शुद्ध, मिलें फल हरदम चोखे ||

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  14. पुरानी कहावतों में आगत विपदाओं के संकेत की ऐसी बातें कही गई हैं - कुछ पशु-पक्षिओं में भी पूर्वाभास की अनोखी क्षमता पाई जाती है .
    ऐसे साक्षात्कार के अवसर बहुत दुर्लभ होते हैं !

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  15. jaankari ke liye aabhaar .. us raat hamare yahaan to itne baadal aur barish thee ki "chandraabha" ya "aabhaa" to door, "chandaa" maama ko bhi dekhna sambhav nahi tha .... "neelam" ji kee dua se....

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  16. ज्योतिष मूलत: किसी अत्यंत विकसित सभ्यता के द्वारा सतत विकसित किया गया प्रमाणिक विज्ञान है जो उस सभ्यता के ख़त्म हो जाने के बाद अधूरे सूत्रों के साथ रह गया है . विज्ञान भी आज उसे स्वीकार करने की ओर बढ़ रहा है . सौर-परिवार में निरंतर आंतरिक और सूक्ष्म संवाद होता ही रहता है . जिसका उदाहरण आपने आँखों-देखा बताया है . हमारी दृष्टी को और भी सूक्ष्म होने कि जरुरत है ताकि ज्यादा तो नहीं पर कुछ आगे का देख या भांप सके .

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  17. हाँ मौसम की नवज से जुड़ी है यह चन्द्र प्रभा .लूनर हैलो ,लूनर रिंग

    .जल्दी ही इस पर एक लेख पढियेगा .आभार इस सचेतन पोस्ट के

    लिए .सैंडी वैसे भी एक स्नो स्टॉर्म और हुर्रिकैन की दुर्भिसंधि थी .

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  18. अद्भुत दृश्य है। टीवी वालों और वैज्ञानिकों को इसकी खबर नहीं हुई यह घोर आश्चर्य है। आपने न दिखाया होता तो हम देख भी न पाते। आभार के साथ मलाल यह कि आपने हमे नहीं जगाया वरना हम भी रात को निकल पड़ते कैमरा लेकर। :)

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  19. aajtak to jaunpur ka oil hee suna thaa jo ki famous thaa lekin aaj ke baad chandrma bhee mashhoor ho gaya!

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  20. .
    .
    .
    सर जी,
    शानदार फोटो है... और गौर से देखने पर इन्द्रधनुष की तरह रंग भी दिख रहे हैं चन्द्रघेरे के...
    २२ डिग्री वृत्ताकार हेलो सूर्य व चंद्र दोनों के चारों ओर अक्सर बनते हैं और विश्व भर से रिपोर्ट भी किये जाते हैं । कभी कभी इनको देखे जाने के २४ से ४८ घंटे के भीतर तेज हवायें या बारिश होती है, पर हमेशा नहीं...


    ...

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  21. आपका यह हतप्रभ रहना ही हमसे इसी विषय पर एक पोस्ट लिखवा गया जिसके प्रेरणा स्रोत आप बने .आपकी टिपण्णी हमारे ब्लॉग की शान रहे ,हमें यही अभिमान रहे .

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  22. चित्र ही इतना सुन्दर है तो नज़ारा भी अद्भुत रहा होगा.
    इस घटना की जानकारी नहीं थी,अब मिल गई .
    आभार.

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  23. ------हर वर्षा ऋतु में ऐसे दृश्य देखे जाते हैं कोई नयी बात नहीं है ...वास्तव में तो हम भागम-भाग ज़िंदगी में आसमाँ व चाँद की ओर को देखना ही भूल गए हैं .. सही है इसे इन्द्रसभा कहा जाता है..चन्द्रमा पास में बैठा है अर्थात मीटिंग में ...वरसात आदि अवश्य होगी ... समुद्र तटीय क्षेत्रों में तेज ज्वार ....

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  24. चंद्र छल्ला मैने भी कई बार देखा है पर वह तूफान के आने की सूचना है यह पता नही था । हम तो वैसे भी समंदर से काफी दूर रहते रहे हैं । आप ठीक कह रहे हैं इसके बारे में टी वी पर बच्चों को जानकारी देना चाहिये थी

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  25. वाह ! हम बस सैंडी को ही देख पाए। ये नहीं पता था।

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  26. यह नजारा हमने भी देखा है मैं छत्‍तीसगढ के राजधानी से 120 किमी दुर कसडोल में रहता हूं हमारे तरफ इसे चंद्रमा को मण्‍डल घेरा है मतलब बरसात होगी कहते हैं जानकारी प्रादेशिक है अपडेट दे रहा हुं

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  27. पुराने समय में लोग चांद के वलय से मौसम का अनुमान लगाते थे, बड़े वलय का मतलब आंधी-तूफान और छोटे का मतलब बारिश माना जाता था, अब मौसम विभाग के निर्देश से चलते हैं

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