सोचा आज कुछ निबंध विबंध लिखा जाय ..ऐसे ही बैठे ठाले ....कुछ फुरसत मिल गयी है तो उसका सदुपयोग किया जाय .अब निबंध लिखना है तो कुछ विषय उसय भी चाहिए ही ..दिमाग पर जोर डालने लगा ..कौन सा विषय चुनूं कौन सा छोडूं ....फिर सहसा फ्लैश हुआ कि अपने प्यारे हिन्दी ब्लाग जगत के रहते विषय की कौन सी कमी है ....एक ढूढों हजार विषय यहाँ मौजूद हैं ..मगर निबंध के लिए तो थोडा ठीक ठाक विषय होना चाहिए जिस पर कम से कम कुछ देर तक तो की बोर्ड पर उंगलियाँ खटखटाई जा सकें ..फिर सहसा यह भी सूझ गया कि क्यों न अपने ब्लॉग जगत की उपमा इन दिनों कलर चैनेल पर चल रहे अद्भुत गेम बिगबास से ही की जाय ...आखिर संस्कृत और हिन्दी साहित्य में उपमा विषय काफी समादृत हुआ है -संस्कृत में तो उपमा कालिदासस्य की नजीरे तक दी जाती हैं .तो मन ने तय पाया कि चलो आज हिन्दी ब्लॉग जगत की तुलना बिग बास से ही कर दी जाय ...
पहले तो अनजान लोगों को यह बता दूं कि बिग बास का यह भारतीय कांसेप्ट चुराया हुआ है मगर यह जहाँ से चुराया गया है ( अमेरिकन टी वी संसार ) वहां भी यह कहीं और से चुराया गया है .दरअसल यह सोच थी जार्ज आर्वेल की जिन्होंने अपने उपन्यास १९८४ में बिग ब्रदर इज वाचिंग यू का जुमला उछाला था ...मतलब १९८४ तक मशीनी जुगतों के सहारे हर नियोक्ता या सरकार सभी की पल पल की हरकतों पर निगाह रखेगी ...और उस मनीषी की सोच हकीकत में बदलती गयी और उसी तर्ज पर ये टी वी प्रोग्राम भी अब अच्छे खासे लोकप्रिय हो रहे हैं ...जिसमें एक घर के अंदर देश दुनिया से कटे कुछ ख्यात कुख्यात लोगों के बात व्यवहार ,चाल ढाल पर हर पल नजर रखी जाती है ....और उन्हें रियल्टी शो के नाम पर दर्शकों को परोस दिया जाता है ...मेरी कापीराईट सोच यह है कि बस इसी तर्ज पर जरा अपने हिन्दी ब्लागजगत के कुछ ख्यात कुख्यात बन्धु बान्धवियों की खोज खबर ली जाय कि वे इस आभासी जगत के बिना /बजाय कैसा जीवन जी रहे हैं ..यहाँ तो सब दूध के धुले उज्जवल स्वच्छ नजर आते हैं मगर अपनी दैनंदिन जिन्दगी में कैसा आचरण करते हैं .
मैं इस प्रस्ताव को कलर चैनेल तक पहुचाना चाहता हूँ कि अगले बिग बास के किरदारों का चुनाव वह हिन्दी ब्लॉग जगत के ख्यात कुख्यात लोगों में से करे ...और फिर देखे कि कैसे उसकी टी आर पी शूट करती है .सारा ब्लॉग जगत उसे देखने को उमड़ पड़ेगा ....बाकी कलर के परमानेंट दर्शक तो होंगे ही .अगर आप इन दिनों बिग बास देख रहे हों तो आप घर के सदस्यों के चुनाव पर सोचमग्न जरुर हुए होंगें -समाज के एक से एक बढ़कर रहनुमा उसमें किरदार बने हैं ..बंटी चोर से बीहड़ की डाकू तक उसमें अपने जलवे बिखेर रहे /रही हैं .और बिग बास के इस घर का शायद ही कोई सदस्य हो जो अपनी निजी जिन्दगी में भारतीय कथित श्रेष्ठ परम्पराओं के अनुकूल हो ...कोई परित्यक्त तो कोई परित्यकता ,कोई दाग दामन तो कोई नापाक! अगर यही ट्रेंड बरकरार रहा तो हिन्दी ब्लागजगत के चिट्ठाकारों के लिए एक सुनहला भविष्य इंतज़ार कर रहा है जहाँ वे छोटे परदे पर चरित्र का बखूबी निर्वहन कर सकेगें और दर्शकों का तिरस्कार या तालियाँ बटोरेगें...
बिग बास की चख चख
आईये हम बिग बास के अगले अगले और उसके अगले इपिसोडों के लिए टीमें तैयार करें ताकि प्रपोजल जल्दी से जल्दी कलर चैनेल वालों को भेजा जा सके ..एक बात तो तय है कि मैं इन टीमों में से किसी एक ,पहली ही में क्यों न ,खुद जाना चाहूँगा ..और अपने साथ ..................इन्हें देखना चाहूँगा ...पल पल गुजारकर वाकई देखना चाहता हूँ कौन वाकई कितना और अच्छा है और कौन वाकई कितना और कमीना है ..और दूसरे सदस्य भी खुद मेरे बारे में असली मूल्यांकन कर सकेगें ..आप कहें तो मैं अपनी च्वायस भी बता दूंगा मगर पहले आप लखनौआ तर्ज पर अपनी पसंद बता दें ताकि उसी हिसाब से टीम का गठन शुरू भी हो जाय .
ब्लागर्स इन बिग बास :पोस्टर सौजन्य ताऊ रामपुरिया
ओह कितना विषयांतर हो गया...मैंने शुरुआत एक निबंध लिखने से की थी मगर कहाँ से से कहाँ पहुँच गए ....अब तो फिलहाल निबंध लेखन का नेक ख़याल मुल्तवी करना पड़ रहा है ...