सोमवार, 28 जुलाई 2008
मौका मिले तो आप भी मानस का खल प्रसंग पढ़ें !
"बहुरि बन्दि खल गन सतिभाएँ जे बिनु काज दाहिनेहु बाएँ "
मगर तुलसी फिर भी सशंकित ही हैं -
बायस पलिहें अति अनुरागा होहिं निरामिष कबहूँ न कागा
खल वन्दना की उसी परम्परा में कल एक जाने माने चिट्ठाकार का 'एनामिनासाय नमः ' पढ़कर बरबस ही होठों पर मुस्कराहट तिर आयी ।
दरअसल ऐसे खल कामियों का वंदन ही करना चाहिए जिससे आप आपना काम निर्विघ्न बिना खलल के पूरा कर सकें ।
पर तब भी बाज तो आयेंगे नही ...पर क्यां करे इन्होने जब तुलसी बाबा तक को नही छोडा तो मैं किस खेत का मूली हूँ ।
आप भी ऊपर के लिंक पर जाकर थोडा आनंद उठा सकते हैं .अगर मनोरंजन का आअज कोई दूसरा विकल्प न हो .....
शनिवार, 26 जुलाई 2008
नाल -भाषाई दुनिया का नया शब्द !
नाल बोले तो ज्ञान की ईकाई -नालेज से नाल शब्द लेकर बना यह नाल ।यह वैश्विक भाषा जगत को मिलने शब्द -उपहार है -
यह हिन्दी में नाल के रूप में जाना जायेगा ।
मेरेमनमेरे मन में इस शब्द ने कुछ हलचल मचाई है जिसे आप के साथ साझा कराने की इच्छा है -
हमारे लोक जीवन में नाल शब्द पहले से ही जाना पहचाना है -इसलिए यह साहित्य के यमक को या श्लेष को समृद्ध करेगा या अबिधा ,लक्षणा ,व्यंजना से तालमेल बिठाएगा यह तो भाषाशास्त्री और वैयाकरनी ही बता पायेंगे .मगर मैं नाल शब्द के कुछ प्रचलित शब्दार्थों को उधृत कर रहा हूँ -
नाल जैसा कि गर्भनाल में यानी नाली /नली सदृश्य
नाल जैसा कि कमल नाल में यानी पुष्प वृंत
वजन उठाने में लगाने वाले अतिरिक्त भार इकाईयों को भी नाल कहते हैं
जुआघरों के मालिकों द्वारा लिया जाने वाला कमीशन भी नाल है
क्या किसी तंत्र अनुष्ठान मे विरोधी को परास्त करने की नीयत से 'नाल चलाया जाता है ?
कोई बन्धु बांधवी बताएँगे क्या ?
गुरुवार, 17 जुलाई 2008
एकल ब्लॉग बनाम कम्युनिटी ब्लॉग -उत्तरजीविता का प्रश्न
अभी कुछ समय पहले किसी ब्लॉगर भाई ने एक अनोखी आशंका व्यक्त की थी कि उसके बाद उसके ब्लॉग की क्या गति होगी .पहली नजर में तो यह कुछ हास्यास्पद सी बात लगी ,मगर जल्दी ही इसके कई निहितार्थ जेहन मे तैर गए ।ब्लॉग लेखन की शुरुआत महज निजी अभिव्यक्ति को धरातल देने से हुयी थी .मगर यह पारम्परिक निजी डायरी भी नही थी जिसे गोपनीयता का आवरण दिया जाता रहा है .कुछेक निजी डायरियां आज नेट पर वजूद में हो सकती हैं मगर अब इनकी प्रवृत्ति लोकार्पित हो उठने की है -लोगों से विचार साझा करने की है .पारम्परिक प्रकाशनों को भी चुनौती देते हुए ब्लॉग नित नए रूपों और भूमिकाओं में उदित हो रहे हैं .कहीं सिटिजन पत्रकारिता का बोलबाला है तो कहीं तकनीकी जानकारियों को सर्व सुलभ बनाने का जज्बा है .ये नए नए रूप कलेवर हमें ब्लॉग जगत के संभावनावों भरे भविष्य के प्रति आश्वस्त करते हैं ।
ऐसे में इस माध्यम की कालजीविता या उत्तरजीविता की चिंता ही क्यों हो ?और अब तो साझा चिट्ठे -कम्युनिटी ब्लॉगों की भी तूती बोल रही है -जिन्हें यह चिंता हो कि उनके बाद उनके ब्लॉग का क्या हो वे अपने ब्लॉग को साझे ब्लॉग में रूपांतरित कर दें-मगर इसके लिए समान मनसा -समान धर्मी ब्लॉग साथियों की दरकार होगी .इतनी बड़ी दुनिया में यह भी मुश्किल नही है .साझे ब्लागों का कारवां काल को चुनौती देता चलता रहेगा ।
मगर मुझे किसी इंडिविजुअल की यह चिंता बेमानी ही लगती है कि उसके बाद उसका ब्लॉग यतीम हो जायेगा .भैया अपना काम करो आपके बाद दुनियाँ में क्या होगा इसमे काहें फिजूल का सर खपा रहे हो .हो सकता है कि मनुष्य की कलमें बनाना आसान हो जायं और अपने कलम को आप अपने ब्लॉग लेखन का जिम्मा पकडाते जायं .एक कलम अगली कलम को जिम्मेदारी सौंपे और यह सिलसिला चलता रहे -कभी ख़त्म न हो दास्ताँ ......
मुझे नही लगता कि महान कालजयी रचनाकारों ने कभी सोचा होगा कि उनके बाद उनकी रचनाओं का क्या होगा .तुलसी ने क्या यह सोचा होगा कि उनके बाद रामचरित मानस का क्या होगा ?
तो हे चिंताग्रस्त एकल ब्लॉग लेखक तूं लिखता चल तेरी समस्या का हल भविष्य की गर्भ मे छुपा है -चरैवेति चरैवेति .......
रविवार, 13 जुलाई 2008
पापी पेट को पालने के लिए यहाँ जगह नही है !
जबकि यह देखने में आ रहा है कि कई समादृत चिट्ठाकार जिनकी बिना पर अभिव्यक्ति के इस माध्यम ने अंगडाई ली वही अब कोई न कोई बहाना बना कर यहाँ से फूट लेने के चक्कर में पड़ गए हैं .इतने जल्दी मोहभंग ?
क्या हमारा कमिटमेंट इतना कमजोर निकला ?क्या हम किसी मिशन को लेकर यहाँ नही आए थे ?
क्या क्या सपने बुने गए थे !अभिव्यक्ति का समांतर संसार !! खडूस संपादकों की तानाशाही पर अन्तिम कील !सिटिजन पत्रकारिता की नींव !!और जाने क्या जुमले उछाले गए थे !!
और अब सब ठंडे बस्ते मे सामा रहे हैं मानो .सपेरें ने बीन तो उत्साह से बजाई ,नाग को भी नमूदार किया पर दर्शकों की बेरुखी को देख अब आगे का तमाशा न दिखा कर अपना साजो समान अब समेटना चाहता है ।
कुछ माननीयों ने नेट से कमाई का सब्ज बाग़ देखा और दिखाया भी .बहुत तो इससे गुमराह हुए -इसी को साध्य मान बैठे .जबकि भैये यह कमाई का मामला केवल एक साधन भर हो सकता है .साध्य तो कतई नहीं -अगर दिहाडी ही कमानी है तो भैये जाकर नरेगा में अपना जॉब कार्ड बनवा लें .सौ दिनों के रोज़गार की गारंटी तो है ही वहाँ -मतलब इतनी छोटी अवधि में १०००० रूपये जबकि इस हिन्दी ब्लागजगत में नामीगिरामी बंधुओं की अपने अपने ब्लागों के लिए टिपियाते हुए उंगलियां घिस गयीं और अधिक से अधिक मिला तो बस यही कोई दो ढाई हजार रुपिल्ली जिसे इस तरह से प्रर्दशित किया जा रहा है मनो कारू का खजाना मिल गया हो ।इससे नए ब्लॉगर निश्चित ही गुमराह हो रहे हैं ।
मेरी माने या न माने चिट्ठाकारिता या तो केवल स्वान्तः सुखाय है या फिर एक सामाजिक जिम्मेदारी ...जो बस इससे संतुष्ट हों वे तो यहाँ चल पायेंगे ...अभी तो रोजी रोटी कहीं और से जुगाड़ कर लें ।
पैसा ही कमाना है तो कुछ भी कर लीजिये -मुम्बई में हों तो चौपाटी पर भैये लोगों की भीड़ में घुस कर किसी झूठ मूठ के भी नए नुस्खे की भेलपूरी बेंच लें --या रेलों में जुगाड़ कर कुछ दे ले कर स्टेशनों के बीच चना जोर गरम या झाल मुरी बेंचें या सबसे सरल ,हाथ देख कर भाग्यफल बांच कर अपना पापी पेट पाल लें ।
यीशु /ईश्वर /अल्लाह के लिए पापी पेट को पालने के लिए फिलहाल हिन्दी चिट्ठाकारिता की शरण मत लें -यहाँ अभी तो मायूसी ही मिलेगी .कई नामी चिट्ठाकारों से पूँछ लें ...अगर वे आपको अब भी यहाँ दिखाई दे रहे हैं तो बस अपने मिशन के कारण ......
मंगलवार, 1 जुलाई 2008
सौदर्य और सौन्दर्यानुभूति -स्फुट विचार !
सौंदर्य और सौन्दर्य बोध का फलसफा बहुत पुराना है -
वाल्मीकि रामायण में 'क्षणे क्षणे यन्न्वतामुपेती तदैव रूपं रमणीयताह'[जो क्षण क्षण में नवीनता ग्रहण कर रहा हो वही रमणीय है ]का उद्घोष है तो मानों उसी तर्ज पर बिहारी नायिका का सौन्दर्य कुछ ऐसा है कि गर्वीला चित्रकार हाथ मलता रह जाता है क्योंकि क्षण क्षण बदलती नायिका की सौन्दर्य भाव भंगिमा को वह उकेर नही पाता ।
यह एक लंबा विषय है, आज प्रतिष्टापना हो गयी है -अभी अनेक बिन्दु उभरेंगे और चर्चा होगी
.आप का चर्चा में भाग लेने का सदैव स्वागत रहेगा .
मेरी ब्लॉग सूची
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Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico - Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa de se...9 वर्ष पहले
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