ब्लॉगर और व्यंग शिरोमणि अनूप शुक्ल जी का स्नेहादेश मिला कि मैं सद्य संपन्न बेटे कौस्तुभ के विवाह पर अपने ब्लॉग पर कुछ लिखूं। अब इतने मिले जुले अनुभव हुए हैं कि उन्हें ब्लाग पोस्ट की सीमा में समेटना बहुत मुश्किल सा है -इसलिए लिखने की शैली -लिखना कम और समझना अधिक वाली ही रहेगी। बेटे ने तीन चार माह पहले अपनी माँ से रहस्योद्घाटन किया कि उसे प्रेम विवाह करना है -प्रेम विवाह तक तो फिर भी ठीक था मगर यह तो अंतर्जातीय विवाह की बात थी। माँ घोर ब्राह्मण और वह भी "सर्वश्रेष्ठ शुक्ल" परिवार की -सुना तो दहल गईं। मुझसे भी छिपाए रखी गयी बात -मगर बात कहाँ पचती -एक सुअवसर पाकर उन्होंने मुझे बतायी -इस अचानक अप्रत्याशित इस बात से मुझे थोड़ा धक्का सा लगा तो मगर मैं सहज हो गया।
कौस्तुभ संग वर्षा
मैं पहले से ही दृढ मत का रहा हूँ कि शादी-व्याह बच्चों की इच्छा पर ही होना चाहिए। उन पर पैरेंटल दबाव नहीं होना चाहिए। दूसरा कि दहेज़ का लेंन देन बिल्कुल नहीं होना चाहिए। यह व्यक्ति - परिवार की गरिमा को गिराता है। अनूप शुक्ल जी ने ब्लॉग लेखन के हाहाकारी दिनों में मेरे इस विचार को ललकारा था -क्या आप खुद अपने बेटे का ऐसा विवाह करेगें? अब चूँकि अपने समाज में कथनी करनी का एक बड़ा अंतर है इसलिए शुक्ल जी का ऐसा पूछना सहज था। मैंने हामी भर दी थी । भवितव्यता साक्षात थी। लड़की वाले बनारस के चौरसिया परिवार के हैं तो उन्हें यह बड़ी हिचक थी कि ब्राह्मणों में बड़ा लेन देन चलता है। कौस्तुभ ने बताया कि उसने और वर्षा (वधू ) ने जब वे इंटरमीडिएट में थे तभी अनुबंध किया था कि जब दोनों को नौकरी मिल जाएगी तो वे विवाह करेगें. मुझे यह अच्छा लगा कि आज के इस अधीरता के युग में ऐसा कोई पैक्ट इतने वर्षों (पूरे आठ वर्ष) बना रहा तो निश्चय ही इनके बीच समर्पण है। बाकी मैंने अपने जीवन में जाति पाति पर कभी ध्यान नहीं दिया। मेरे लिए हमेशा व्यक्ति महत्वपूर्ण रहा है।
वर वधू और अतिथियों के स्वागत में सजा मेघदूत
मगर समाज का प्रबल विरोध मुझे सहना पड़ा। मगर मैं दृढ रहा। हाँ मैंने कौस्तुभ को सुझाव दिया कि तुम बनारस में कोर्ट मैरेज कर लो और समान मनसा इष्ट मित्रों के साथ एक रिसेप्शन हो जायेगा। मगर साहबजादे पारम्परिक विवाह पर अड़ गए -मैंने लाख समझाया कि दो नावों पर पैर न रखो मगर ये महापुरुष तो 'बेस्ट आफ बोथ द वर्ल्ड' हासिल करने पर अड़े रहे। कई रिश्तेदारों ने कड़ी लानत मलामत की -बंधु बांधवों का कड़ा विरोध भी रहा। हाँ केवल ह्यूस्टन विश्वविद्यालय अमेरिका के मेरे सगे चाचा डॉ सरोज कुमार मिश्रा जी चटटान की तरह इस विवाह के पक्ष में दृढ रहे। और विवाह में शामिल होने का वादा किया। फिर देश का कानून भी साथ था।
यह निमत्रण पत्र बेटी प्रियेषा ने डिजाइन किया था
धीरे धीरे आंतरिक विरोध के बावजूद भी बाहरी विरोध कम होने लगा। पारम्परिक विवाह का माहौल बनने लग गया। लड़की वालों की एक बड़ी आशंका मैंने यह स्पष्ट कहकर दूर कर दी कि मुझे दहेज़ नहीं चाहिए -न तो प्रत्यक्ष और न ही अप्रत्यक्ष। यह भी नहीं कि आपने अपनी बेटी के लिए कुछ तो संकल्प किया होगा। कुछ भी नहीं। बस हम सीमित और विशिष्ट जनों की बारात लेकर और वह भी दिन की बेला में आयेगें। इसलिए विवाह स्थल गरिमापूर्ण हो -चौरसिया परिवार ने बनारस के एक स्टार होटल रैडिसन में यह व्यवस्था की -अभी बीते १२ दिसम्बर को कौस्तुभ -वर्षा का परिणय संपन्न हुआ और वर्षा उसी दिन/रात पैतृक निवास मेघदूत आ गयी जो खुद दुल्हन की तरह सजा इस नव विवाहित जोड़े का इंतज़ार कर रहा था। विवाह में समाज के विभिन्न क्षेत्रों -राजनीति ,सिविल प्रशासन ,ग्राम्यजन, ब्लागर मित्रगण सभी जुटे। वर वधु को आशीर्वाद दिया। कौस्तुभ बंगलौर में एक फार्मास्यूटिकल उद्योग -सामी लैब्स में सहायक प्रबंधक हैं और वर्षा का चयन रिज़र्व बैंक में ग्रुप बी अधिकारी पद पर हुआ है।
मेघदूत पर आशीर्वाद प्रीतिभोज का आयोजन अगले दिन १३ दिसम्बर को था। जहाँ माहौल सहज था -कहीं कुछ भी असहज नहीं था। जो मित्र आये उनका तो आशीर्वाद कौस्तुभ -वर्षा को मिल गया। अब आपकी बारी है।
A photo gallery link: Courtesy Santosh Trivedi!
मेघदूत पर आशीर्वाद प्रीतिभोज का आयोजन अगले दिन १३ दिसम्बर को था। जहाँ माहौल सहज था -कहीं कुछ भी असहज नहीं था। जो मित्र आये उनका तो आशीर्वाद कौस्तुभ -वर्षा को मिल गया। अब आपकी बारी है।
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बच्चों को बधाई और आशीर्वाद
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई। सबसे बड़ी बधाई इस बात की कि आपने सामाजिक, पारिवारिक और पारम्परिक जड़ता तोड़ी।
जवाब देंहटाएं.
.आपकी खुशी के इस मौके का गवाह बनकर स्वयं को धन्य महसूस कर रहा हूँ।
हार्दिक बधाई स्वीकारें , सामाजिक स्तर पर कैसा विरोध सहा होगा आपने, हम सब समझ सकते हैं |
जवाब देंहटाएंआपके विचारों की दृढ़ता को नमन ......ढेरों शुभकामनाएं वर्षा और कौस्तुभ को |
आपको सपरिवार हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंवर वधु को स्नेहाशीष
जवाब देंहटाएंकौस्तुभ और वर्षा को हार्दिक मंगल आशीष . प्रेम और समर्पण की जीत कितनी निराली होती है जब उसमें रूढ़िवादिता घुटने टेक देती है . आपको भी बधाई अपने उसूलों के लिए जो परिष्कृत होकर आदर्श बन जाता है .
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट से इस आयोजन की पृष्ठभूमि की जानकारी भी मिली। धन्यवाद और पुनः बधाई...
जवाब देंहटाएंMany many congratulations !!
जवाब देंहटाएंIf more of us valued love and cheer and happiness above hoarded gold or money, it would be a merrier world.
हटाएंवर -वधू को स्नेहसिक्त बधाई..अरविन्द जी को साधुवाद.
जवाब देंहटाएंएक बार आदमी तय कर ले तो सारे विरोध निपट जाते हैं. शुभकामनाएँ स्वीकारें !!
जवाब देंहटाएं😊
जवाब देंहटाएंबच्चों को बधाई और शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई जी
जवाब देंहटाएंवर वधु को हार्दिक मंगल शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत बहुत बधाईयाँ :)
जवाब देंहटाएंबच्चों को शुभकामनाएं
सचमुच यह एक यादगार वैवाहिक कार्यक्रम था। क्योंकि आपने एवं कौस्तुभ ने समाज के बनाए अनेक दकियानूसी रिवाजों को तोड़ने का साहस दिखाया है। हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंपुण्य का काम हुआ।
जवाब देंहटाएंपरसाई जी के अनुसार हमारे समाज की आधी ताकत शादी व्याह में चली जाती है। यह बर्बादी बचाई आपने और कम से कम कुछ लोगों को (पुत्र पिताओं को) अपने पुत्रों को बिना दहेज विवाह के लिए प्रेरणा मिलेगी।
नव दम्पत्ति को उनके सफल वैवाहिक जीवन के लिए मंगलकामनाएं।
आपको एक बार फिर से जन्मदिन की बधाई।
जीवेत् शरदः शतम । अरविन्द जी जन्म- दिवस की अशेष शुभ - कामनायें ।
हटाएंआपको साधुवाद व बच्चों को आशीष प्रसन्न रहें.
जवाब देंहटाएंशगुन के नाम पर भेंट विनम्रता से अस्वीकार करना आसान नहीं था , सामजिक दवाबों की अवहेलना करने के लिए बड़ा जिगर चाहिए ! आपका उदाहरण अनुकरणीय रहा ! बधाई स्वीकारें !!
जवाब देंहटाएंश्रीमन्, आपने मुझे नवदंपति के निमित्त लाया हुआ जो “आशीर्वाद” उन्हें नहीं देने दिया उसकी चर्चा क्यों गोल कर दिया आपने? यह भी एक असाधारण बात दिखी मुझे इस शादी में।
जवाब देंहटाएंढेर सारी शुभकामनाएँ एवं बधाई।
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामना आप सभी को
जवाब देंहटाएंबधाई..सबसे आगे चलने वाले के लिए रास्ता मुश्किल होता है...मगर उसके बनाए रास्ते पर लोग आसानी से चलने लगते है.....जब मुड़कर देखते हैं तो अच्छा लगता है.....आप आगे चले ,सुखद लगा
जवाब देंहटाएंबच्चों को असीम आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंऔर डॉ साहेब आपको हैट्स ऑफ़ !
वर वधू को आशीर्वाद!
जवाब देंहटाएंअन्ततोगत्वा मेघदूत , कौस्तुभ के लिए , वर्षा को लेकर आ गया ।
जवाब देंहटाएंकोटिशः शुभ - कामनायें ।
श्रीमन्, आपने मुझे नवदंपति के निमित्त लाया हुआ जो “आशीर्वाद” उन्हें नहीं देने दिया उसकी चर्चा क्यों गोल कर दिया आपने? यह भी एक असाधारण बात दिखी मुझे इस शादी में।
जवाब देंहटाएंउत्तर दें.........................mere samjha me ye "sabse bari uplabdhi rahi' ................
"var-vadu" ko sa-sneh hardik mangalkamnayen
aur aapko janm-divas ke liye anek subhkamnayen
pranam.
बहुत बहुत बधाई,
जवाब देंहटाएंनवदंपति को सस्नेह मंगल कामनायें !
वर-वधू को ढेर सारा शुभाशिर्वाद!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंनिमंत्रण पत्र में फोटो बहुत अच्छा लगा ..
जवाब देंहटाएंबेटे कौस्तुभ के विवाह की अविस्मरणीय प्रस्तुति बन गयी है ....बहुत बहुत हार्दिक बधाई!
शानदार आपने बड़ा दिल दिखाया। लोग आपसे प्रेरणा लेंगे।
जवाब देंहटाएंपण्डित जी! हम मित्र द्वय की ओर से वर वधु के सानन्द वैवाहिक जीवन का आशीष!! आपको भी बधाई!!
जवाब देंहटाएंअनुकरणीय । हैट्स ऑफ़ टू यू । बच्चों को स्नेह एवं शुभकामनाओं समेत आशीर्वाद ।
जवाब देंहटाएंमेघदूत को वर्षा और बनारस को कौस्तुभ मिले। प्रेम से अधिक सहज और सनातन कुछ भी नहीं, वही नियम है, वही सत्य है।
जवाब देंहटाएंअविस्मरणीय प्रस्तुति बहुत बहुत बधाईयाँ :)
जवाब देंहटाएंरूढ़िवादी और पारंपरिक मान्यताओं को खत्म करने का समय अब आ गया है ! पेरेण्ट्स को भी ये बात समझनी ही पड़ेगी ! मिश्र परिवार मे जो विरोध हुआ होगा , उसे समझा जा सकता है ! लेकिन अन्तत: सब ठीक हो गया , इसके लिये आप सब को बधाई !
जवाब देंहटाएंबिना लेन देन के शादी करना एक अत्यंत साहसिक और सराहनीय कदम है ! आपको साधुवाद ...
कौस्तुभ और वर्षा को हार्दिक शुभकामनायें ... आपको भी बहत बहुत बधाई ... समाज में अपने नियमों को लेकर आप स्तम्भ की तरह खड़े रहे ... ये एक बहुत ही अच्छी बात है ... बदलाव ऐसे ही शुरू होगा ...
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार बहुत शुभकामनाएं . वर वधू के सुखद वैवाहिक जीवन के लिए ढेरों शुभकामनाए !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ एवं बधाई.
जवाब देंहटाएंआपने एक अनुकरणीय उदहारण प्रस्तुत किया है, आ. मिश्र जी.
MANY MANY CONGRATULATIONS TO VARSHA AND MICKY BHAIYA COMPLETED EIGHT YEARS TOGETHER...
जवाब देंहटाएंवास्तव मे चौरसिया भी ब्राहम्ण ही होते है।
जवाब देंहटाएंलेकिन OBC मे आते है।