गुरुवार, 6 मई 2010

आक्रामक सेल्समैनशिप ....क्या आपने कभी इन्हें झेला है ?

सबसे पहले तो यह खेद प्रकाश कर दूं कि मैं सेल्समैनशिप के लिए कोई सुडौल सटीक शब्द नहीं ढूंढ पाया हूँ -आपके दिमाग में कौंधे  तो जरूर बताएं ....अब आईये विषय पर बतियायें! आज दफ्तर में एक फाईल में निमग्न यानि डूबा हुआ था कि अचानक कुछ अनकुस सा लगा ... शासनादेशों की भाषा वैसे ही काफी जटिल होती है ..इसलिए आँखे गड़ाए  एक लम्बे से  वाक्य को डिकोड कर रहा था कि अचानक आँखों के आगे एक काला सा परदा उभर आया और शब्द कुछ वैसे ही लोप हो गए जैसे राहु चन्द्रमा को ग्रस लेता है .भौचक सा मैं इस अचानक आई स्थिति को समझने को तैयार ही हो रहा था कि एक आकाशवाणी सी  हुई .....
"सर ये काटन के बेहतरीन मोज़े हैं केवल ६० रूपये जोड़े ..और आपके लिए ख़ास पेशकश .... हम  दे रहे हैं यह मास्क्विटो  क्वायल फ्री .." तो यह थी राहु की महादशा ,बाकायदा  आकाशवाणी के साथ ....तेज गुस्सा लगी ....यह जोकर  सरकारी दफ्तर और वह भी मेरी केबिन तक कैसे आ गया बेरोकटोक ....रिफ्लेक्स एक्शन में घंटी पर उंगली दबी और देखा तो चपरासी उसके पीछे ही असहज सा खडा था ...
" ये भीतर कैसे आये ."
" सर अचानक ये  दफ्तर में घुसते हुए आपके कमरे में घुस गए ..इसके पहले कि हम इन्हें रोक पाते ..." 
शासनादेश की व्याख्या तो गयी कूडे भाड़  में ....सोचा इन्ही सज्जन   से ही निपट लूं .....मैंने उन्हें समझाया कि जनाब शिष्टता का तकाजा यह होता है कि आपको मिलने और अपनी  यह जोरदार पेशकश करने के पहले मुझसे अनुमति लेनी थी ..और यह क्या तरीका है आपने मोज़े मेरी फाईल पर रख दिए ....जनाब के ऊपर मानो कोई फर्क ही नहीं पड़ा और वे अपने प्रोडक्ट प्रोमोशन का काम बदस्तूर जारी रखे रहे ....मुझे लगभग चीख कर उन्हें बाहर जाने को कहना पड़ा ...पता नहीं इन प्रोडक्ट कम्पनियों ने अपने इन गुर्गों को कोई शिष्टता  क्यों  नहीं सिखायी या फिर यह सामान बेचने का एक नया  आक्रामक कल्चर है कि उपभोक्ता पर हावी हो जाओ और उसे सामान  खरीदने के लिए  वैकल्पिक निर्णय का समय ही न दो .....यह कोई नई घटना नहीं है ..अभी उस दिन भयंकर   धूप में वाहन से उतर जैसे ही मैं अपने निवास का गेट खोल रहा था एक  देवी जी सहसा प्रगट हुईं  जिलेट का जुड़वा  आफर लेकर ...गेट पर ही अड़ गयीं ...ऐसे एंगल पर कि बिना उन्हें हटाये गेट  नहीं खुल सकता था .अब यह तो बड़ी असहज स्थति थी ....मुझे कुछ न कुछ तत्काल करना था ..आखिर थोड़ी बहुत लोक लाज बची है ..कोई भी देखता तो क्या सोचता और वे बार बार यही रट लगाये थीं कि  सर एक जोड़ा ये जिलेट का विशेष आफर जल्दी से लेकर मुझे उपकृत करें ..यहाँ महिलायें बाजी मार ले जाती हैं ..पुरुष सेल्समैन होता तो उसे धकिया कर गेट तो कम से कम खोला ही जा सकता था ..अब तक पूरी तरह  असहज और धूप से भागने के फिराक में मैंने ड्राइवर जो हतप्रभ सा  गधा अभी तक तमाशा देख रहा था को पास बुलाकर कहा  कि ये जो कुछ भी दे  रहीं हों लेकर आ जाओ  और लौट कर पैसा दे दो ...खैर  मुझे जिलेट रेज़र खरीदना भी था ...ऊपर आकर  ड्राइवर ने श्रीमती जी को सामान पकड़ाकर जब १७० रूपये माँगा तो जो बखेड़ा हुआ उसका जिक्र न ही किया जाय तभी अच्छा ..उन्होंने कहा कि वह सेल्सगर्ल कई दिनों से इसे बेचने के फिराक में थी और आज आप को बना ही दिया ...बहरहाल किसी तरह चिरौरी विनती करके उसके पैसे भिजवाये ...

 याद करिए आपको कुछ खरीदना है!
 एक सूटेड बूटेड सज्जन किसी की जन पहचान लेकर एक दिन आफिस आ धमके और लगे मेरी विद्वता की बखान करने और बाद में एक पोषाहार की सेल्समेन शुरू कर दिए -यह है एक अप्रत्यक्ष आक्रामकता जो भानाओं का शोषण कर अपना उल्लू सीधा करती  है -ऐसी सेल्समैनगीरी ज्यादा खतरनाक है .
मुखर और अप्रत्यक्ष आक्रामकता  उपभोक्ता सामानों के बेचने का नया फंडा है ..आये  दिन फोन पर भी बैंको के लोन  और पलिसीज लेने के आफर मधुर  मदिर वाणी मे आते रहते हैं .....बचपन के दिनों में गावों में बिसारतियों को टिकुली  तेल फुलेल की बिक्री करते देखा  करता था ....इन विक्रेताओं से  से गृहणियां ही निपटने में माहिर हैं ....तेल फुलेल टिकुली के बिसारती युग का एक नया आक्रामक ट्रेंड आ गया है ..भगवान बचाए इनसे ....मगर जिस तरह से जनसँख्या और उसी लहजे में बेरोजगारी बढ रही है कहीं हमें इन सेल्समैनों भले ही वे अशिष्ट क्यूं न हो रहे हों क्या  जरा नरमी से पेश नहीं आना चाहिए?  ...आखिर पापी पेट का सवाल है !

35 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसे ही सेल्समेनों की आड़ में अपराधी भी घरों में घुस आते है अपराध करने |

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  2. अरविन्द जी , अच्छा मुदा उठाया , अभी हाल में अपने एक दोस्त जो विजिलेंस में हैं की पत्नी के साथ घटित वाकया बताना चाहता हूँ ! वे फरीदाबाद में रहते है , दिन में बीबी घर पर अकेली थी क्योंकि जनाव दफ्तर गए थे और बेटा चेन्नई से इन्जिनेअरिंग कर रहा है ! ऐंसा ही एक सेल्समैन वहाँ के एक प्रतिष्ठित शो रूम का ब्राउचर लेकर आया और दो सौ रुपे मूल्य के इस्क्रेचिंग कार्ड पर वाशिंग मशीन , वोक्युम क्लीनर इत्यादि का इनाम देने का शर्तिया वादा कर के वह कूपन उन्हें थमा गया , जब उन्होंने स्केरेच किया तो वासिंग मशीन पर ६० प्रतिशत डिस्काउंट का इनाम मिला ! शाम को जब जनाव घर पहुंचे तो बीबी ने खुशखबरी सुनाई , वे माथा पकड़ कर बैठ गए , मुझे फोन लगाया , मैंने कहा, जब तुम्हारे घर में ये सब चीजे पहले से मौजूद है तो फिर इस डिस्काउंट का फ़ायदा ? फिर भी कल एक बार उसके शो रूम पर जाकर वाशिंग मशीन की कीमत पूछो ! वे दुसरे दिन शो रूम पर पहुंचे तो उस वाशिंग मशीन जो कि बाजार भाव से २५०० रूपये ऊपर के रेट पर रखी हुई थी, उसने उन्हें दिखाया ! यानी फ्रौड़ साफ़ नजर आ रहा था, फिर जब उन जनाव ने अपना उसे अपने बारे में जानकारी दी तो वह दो सौ रूपये लौटाकर हाथ पैर पड़ने लगा ! कहने का आशय यह है कि आज इस तरह की भी मार्केटिंग हो रही है !

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  3. यह उपभोक्ता को माल बेचने का बहुत नया फंडा नहीं है। पर इस से लगता है कि हमारे बड़े उद्योग भी किन संकटों से जूझ रहे हैं।
    पूंजीवाद का आवश्यक परिणाम।

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  4. इनसे माल खरीदने का अनुभव अच्छा नहीं है । गुणवत्ता तो दिमाग से निकाल कर ही इसमें पड़ें ।

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  5. सरकार सोती है ,कानून अँधा है ,मंत्री चंगा है ,ठगी का धंधा उम्दा है /

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  6. Haan,pada hai pala khoob pada hai!Ek baar to darwaze pe tainat santri salesman ko leke seedhe bedroom me ghus aaya!
    Pahla sawal to maine santri se kiya...meri tabiyat waisehi kharab thi..jawab mila:" Inhon ne kaha madam ne hame khas bulaya hai!"

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  7. विक्रेतापन..!

    बेरोजगारी की समस्या का लाभ उठा कर रद्दी से रद्दी सामान को भी खपाने का गोरखधंधा.

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  8. samsya gambheer hai or maal kachra hai...ye log hi uthaigire bhi hote hain

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  9. बहुत अच्छी पोस्ट.... सेल्समैनशिप भी Distributive Trades Theory का ही एक पार्ट है.....

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  10. An expertly planned and executed marketing strategy may negate the need for outside sales entirely. it brings more customers by travel sales and enticing them to contact us. This way companies can dramatically improve their results, efficiency, profitability, and allow salespeople to provide a drastically higher level of customer service and satisfaction, instead of sitting idle in shops and searching for someone to sell to.

    I find it a good bargain with- 'Buy one get one free".

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  11. भगवान ओर जीसस का धन्यवाद हमारे यहां यह बीमारियां अभी तक तो नही है

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  12. मज़ा तो तब आता है जब आफिस से आने के बाद थोड़ी देर की झपकी ले रहा होता हूँ, उसी समय फोन बजता है, "मैं फुलां लाइफ इंशोरेंस कंपनी से..."

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  13. आईये
    फाईल
    गुस्सा लगी
    सामन
    पलिसीज
    गावों
    - ठीक कीजिए और 'अनकुस' का अर्थ भी बताइए।
    @ एक नया आक्रामक कल्चर है कि उपभोक्ता पर हावी हो जाओ और उसे सामान खरीदने के लिए वैकल्पिक निर्णय का समय ही न दो - मार्केटिंग का एक अलिखित नियम है। डिकोड करने के लिए बधाई।
    आप में व्यंग्य लिखने की अद्भुत क्षमता है। हालाँकि इस विधा को आप अधिक पसन्द नहीं करते - ह्यूमर कब हाय हत्या में बदल जाय, पता नहीं :)
    - टिकुली, तेल, फुलेल- दूर गाँवों में असूर्यपश्या ग्राहकों तक सामान पहुँचाने की बड़ी प्राचीन परम्परा है यह। ये लोग शादी जोड़ने, तोड़ने और सनेसियों का भी काम करते थे। ..
    एक ठो पोस्ट इस पर भी हो जाय।

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  14. इस तरह के सेलसमैनों और सेल्सगर्लों से सभी लोग त्रस्त हैं. यह है भी एक आक्रामक बिक्री नीति का हिस्सा. पर... मैं मामले का दूसरा पक्ष देख रही हूँ. हमारे देश में बेरोजगारी अपने चरम पर है. कुछ तो अर्थव्यवस्था की पतली हालत के कारण और कुछ रोजगार नीति के कारण. नतीजा यह होता है कि जो बच्चे इतने खुशनसीब होते हैं कि उनके माता-पिता उन्हें प्रोफ़ेशनल कोर्स करा सकें या किसी अच्छी शिक्षण संस्था में प्रवेश दिला सकें, वो तो अच्छी नौकरी पा जाते हैं... रह जाते हैं निम्नमध्यमवर्गीय परिवार के युवक-युवतियाँ... जो इसी तरह के काम करते हैं.
    ज़रा सोचिये, घूम-घूमकर इन थर्ड क्लास उत्पादों को बेचने के बाद इन्हें महीने के ज्यादा से ज्यादा चार हज़ार रुपये मिलते हैं या फिर इनके ऊपर सामान बिकने पर कुछ कमीशन मिल जाता है. इसके लिये उन्हें कड़ी धूप में घर-घर जाकर सामान लेने का आग्रह करना पड़ता है... इतनी मेहनत के बाद विनम्रता बची रह पायेगी क्या? प्यार से बोलने लायक नरमी रहेगी क्या? और ऊपर से सामान ऐसा होता है कि चार बातें भी सुननी पड़ती हैं...
    एक बार फिर सोचिये.

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  15. गर्मियों की भरी दुपहरी में सब काम निपटा कर ली जाने वाली नींद किस तरह हराम की जा सकती है ...इन काल्स को या दरवाजे की घंटियों को अटेंड करने वाली गृहिणियों से पूछ देखें ...भरी धूप में घर घर भटकने वाले इन सलेस्मन को देखकर दुःख तो बहुत होता है मगर व्यवहारिकता भी कोई चीज होती है ...
    कॉल करने वालों पर फिर भी दया नहीं आती क्यूंकि ये लोग एयरकंडीशन की ठंडी हवा खाते कॉल सेंटर में होते हैं ...
    @ यहाँ महिलायें बाजी मार ले जाती हैं...सहमत ...इसी तरह एक बीमा कंपनी की कन्या अपना प्लान अप्रूव कराने में सफल हो गयी ....मैंने पतिदेव से पूछ ही लिया ...कि इसके स्थान पर कोई पुरुष होता तो क्या आप ये प्लान लेते ...बेटियों के माता -पिता के लिए और भी मुश्किल होता है मना करना ...कही से अपनी बेटियों का चेहरा झांक लेता हैं उनमे ..सहानुभूति मिल ही जाती है ...मैं इस बात पर जोर नहीं दे रही कि हर व्यक्ति उन चेहरों में अपनी बेटियों को ही तलाशता होगा ...

    @ह्यूमर कब हाय हत्या में बदल जाय, पता नहीं :)
    :):):):)):):)

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  16. आक्रमण और आप पर?? हेहेहे , मज़ा आया सुनकर. वैसे अभी आप आक्रमण झेलने के आदि नहीं हुए क्या?


    गिरिजेश जी , अनकुस का अर्थ नहीं जानने पर आपको अनकुस नहीं लगता क्या? अरे भाई ये तो गोबर पट्टी का बड़ा ही प्रचलित शब्द है . मतलब होता है अजीब सा लगना या विचित्र महसूस करना. कृपया बुरा मत मानियेगा हम तो केवल निर्मल मजाक कर रहे थे .

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  17. @मुक्ति
    जी आपकी बता समझ रहा हूँ और मेरे विचार भी विलमस से ही सही वही हैं जो आपके हैं -और मेरे पोस्ट की निष्पत्ति भी वही है !
    @ शुक्रिया आशीष ,
    आपने मेरा काम कर दिया

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  18. आपकी बात से एकदम सहमत हूँ......... मगर उनके (सेल्स मैन/गर्ल) हाल को देख के तरस भी आता है.........यही सोच के संतोष कर लेता हूँ की चलो ये सब चोरी और अनैतिक काम तो नहीं कर रहे......!

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  19. @गिरिजेश जी
    शुद्ध रूप भी सामने लिख दिया करें ,
    सेल्समैनशिप की हिन्दी भी बतानी थी वैसे एक तो मिल गयी है
    इतना ध्यान से पढ़ते हैं पोस्ट, अच्छा लगा
    फिर से पढ़ा और करेक्शन किया है मगर शायद अभी भी त्रुटियाँ रह गयी हैं
    कुछ जोड़ा भी है !

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  20. जी झेला है. नए नए तरीके इजाद किये जाते हैं... बात वही है पापी पेट का सवाल.

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  21. झटकते हैं इनको; पर फिर भी यदा कदा फंस ही जाते हैं। :(

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  22. खुशनसीब हैं हम जो इनसे बचे हुए हैं..
    यहाँ इस तरह के घूमने वाले सेल्समेनों/सेल्सगर्ल्स 'पर सख्त कानूनी पाबन्दी है.

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  23. आज तो हमें एक रेस्टोरेंट में धर लिया... टेबल पे आया तो हमें लगा आर्डर लेने आया है.

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  24. इन दरवाजेबेचू विक्रेताओं की मजबूरी भी बहुत होती है, हालांकि हमारी मानवीय संवेसनशीलता खत्म हो चुकी है, समाज में अब इनको बुरी नजर से देखा जाता है पर उनकी भी तो मजबूरी है, पापी पेट का सवाल है।

    खैर, अब हम क्या बोलें, हम तो इनकी तरफ़ देखते भी नहीं और अगर कोई अड़के खड़ा हो जाये तो अपनी घुटने वाले दिमाग पर जोर देकर उसे ही कुछ सोचने पर मजबूर कर देते हैं।

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  25. फिलहाल मुक्ति जी के नज़रिये और आपकी निष्पत्ति से इत्तफाक रख रहे हैं !

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  26. ये तो मरने मारने पर उतारु हो जाते है.. लेना है, क्यू नही लेना है..? फ़िर रेफ़ेरेन्स भी..

    सब क्लोजिग की माया है.. जिसने जितना बेचा है, उसने उतना कमाया है..

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  27. इस तरह की सेल्समैनशिप हाल के वर्षों में काफी बढ़ गयी है.इस पर अंकुश लगना चाहिए.
    किसी कार्यालय या घर में बेरोकटोक चले जाने की हिमायत नहीं की जा सकती.

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  28. अरविन्द जी, मुझे लगता है आप ठीक कह रहे है... पर मेरा मन यह तर्क भी करता है की अगर मना करते हुए कुछ सख्ती से पेश आ भी जाए तो ...इनकी रोजमर्रा की आमदनी पर या इनकी कार्य क्षमता पर कोई फ़र्क नही पड़ेगा क्योंकि जनसंख्या तो बढ़ ही रही है ... परंतु अक्सर हम सभी चक्कर मे आ ही जाते है ... है ना ??

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  29. कई बार जब धूप में पसीना बहाती सेल्स गर्ल्स जब कुछ खरीदने के लिये चिरौरी करती हैं तो मुझसे तो उनको खाली हाथ लौटाया नही जाता । कभी कभी अवश्य जब आप व्यस्त हों तो बडी खीझ होती है इन लोगों की वजह से । हां जब भी कोई विशेष छूट की बात करता है तो मै दरवाजा बंद कर लेती हूँ ।

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  30. हर शहर या हर कार्यालय की यही कहानी है। इससे यही साबित होता है कि इस तरह के कार्य में जो बच्चे लगे हैं उनको धैर्य और अपनी बात कितनी भी विपरीत परिस्थिति में रखने का तरीका अच्छी तरह समझाया गया है।

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