शनिवार, 29 मई 2010

क्या हिन्दी ब्लागिंग के ये अशुभ लक्षण हैं ?

ज्ञानदत्त जी स्वास्थ्यलाभ कर रहे हैं और इसलिए उनकी मानसिक हलचल पर कोई गतिविधि नहीं हैं ....मगर वे ट्विटर और फेसबुक पर सक्रिय हैं .इसी तरह मेरी एक (अ )भूतपूर्व मित्र जो कहती हैं कि वे ब्लॉगजगत से घोषित अवकाश पर हैं फेसबुक पर जीवंत हैं और दिन प्रतिदिन अपने अनुसरणकर्ताओं की फ़ौज बढाती जा रही हैं ....क्या  हिन्दी ब्लागिंग के  लिए ये अशुभ लक्षण हैं ?
क्या अब हिन्दी ब्लागिंग फेसबुक और ट्विटर  का रुख कर रही है ?
फेसबुक पर टाईम ने एक कवर स्टोरी की है ....दुनिया की एक बड़ी आबादी पहले से ही फेसबुक पर आ चुकी है ....यहाँ आप अपने को एक वैश्विक परिदृश्य में पाते हैं और आपके सुख दुःख बाटने वालों की फ़ौज तैयार रहती हैं ...और ब्लॉग की लम्बी पोस्ट के बजाय आप अपनी बात संक्षेप में रख कर उस पर टू  द पाईंट प्रतिक्रया पा सकते हैं ...यह अपनी अभिव्यक्ति के साथ एक सामाजिक माहौल में होने का आभास कराता है ..जबकि हिन्दी ब्लागिंग से सामाजिकता  का साया मानों तेजी से उठता गया हो ..रोज रोज की लड़ाई ..खुद को केंद्र में रखने और श्रेष्ठ साबित करने की धमाचौकड़ी ....और गहन अवैयक्तिकता (जहां मानवीय इच्छाओं,सम्वेदनाओं  और भावनाओं की कोई कद्र न हो)   का तिरता माहौल ..बड़ी सूनी सूनी सी होती जा रही है यह हिन्दी ब्लागिंग ..तो बुद्धि चपल लोग उधर का रुख किये बैठे हैं ....कभी कभार पुरानी दुनिया में लौट कर हाय हूय कर और यह कह सुन कि वे बहुत व्यस्त हैं उधर की दूसरी दुनिया के साम्राज्य विस्तार में लगे हैं! ..और पुराने प्यारे ब्लॉग जगत को बस हम जैसे लल्लुओ पंजुओ के लिए छोड़ दिया है ! 



क्या निश्चित ही फेसबुक और ट्विटर अभिव्यक्ति के माकूल माध्यम हैं ? आज यह सवाल मौजू हो गया है ? मगर मुझे यह नहीं लगता .मुझे लगता है ये सोशल साईटें मुख्य दुनिया से भागते लोगों की शरणस्थलियाँ बन रही हैं या फिर अपनी निजी कारणों से मुख्य धारा से कट गए लोगों के लिए पनाह बन रही हैं ....अब ज्ञान जी ट्विटर पर इसलिए सक्रिय हैं क्योंकि अभी वे स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं ब्लागिंग की मुख्य धारा में लौटने पर पाबंदियां हैं ....और फिर ये साईटें तकनीकी लिहाज से अक्सेस करने में भी सहज है ..इन पर मोबाईल से टिपियाना आसान है ...

जरा  आप भी तो उधर टहल आईये ..हो सकता है आपसे अलविदा कह चुका कोई शख्स वहां गुले गुलजार मना रहा हो .......

57 टिप्‍पणियां:

  1. दोनों तीनों अलग अलग विधायें हैं, एक दूसरे के विकल्प नहीं.

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  2. upasthiti aur sakriyata vidha se badi hai, mahatwpurn hai aur upyogi bhi. nirash hone ki aawashyakata nahi.

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  3. ब्लॉग्गिंग अलग अहमियत रखती है ट्वीटर सन्देश अलग , फिर भी थोड़ा चिंता का विषय जरूर है !

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  4. ओह फेसबुक का मुखारवृन्‍द इतना प्रभावशाली ?

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  5. इस तरह की साइट्स के बारे में मुख्यधारा मीडिया में जो कुछ लिखा जाता है, सब सही हो, यह ज़रूरी तो नहीं. ऑरकुट, ट्विट्टर, फेसबुक वगैरह अपना स्पेस बढ़ाने के लिए भी तो मुख्यधारा मीडिया का उपयोग करते हैं. वैसे मुझे लगता है कि ब्लागिंग को इस तरह की साइट्स रिप्लेस नहीं कर सकेंगी.

    मुझे अगर खूब लिखना है और बड़ा लिखना है तो मुझे ब्लॉग पर ही लिखना पड़ेगा. १४० अक्षरों वाला ट्विट्टर मेरे काम का नहीं है.

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  6. ऑरकुट, ट्विट्टर, फेसबुक तीनो पे ही प्रोफाइल बनी है, पर उधर से ऊब कर हिंदी ब्लोगिंग में शांति पायी है.
    तो सरजी बात सीधी सी है कि ये जो मानव मन है ना बड़ा लोलुप है कहीं एक जगह टिकता नहीं है, अभी यहाँ से ऊब कर वे फेसबुक पे फेस दिखा रहे है, फिर थोड़े समय बाद ब्लॉग पर ज्ञान दान करेंगे. समय साईकिल का पैडल है जी कभी एक ऊपर कभी दूसरा. तो निचिंत रहिये हिंदी ब्लोगिंग या अभिवक्ति कि कोई भी विधा अपना अस्तित्व नहीं कहो सकती कभी भी.

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  7. खतरा तो बढ़ता ही जा रहा है , आगे राम ही राखे ।

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  8. हर इंसान को परिवर्तन अच्छा लगता है....और कुछ ही दिनों में एकरसता से उब जाता है ...ऐसे ही फेस बुक और ट्वीटर पर भी होगा ...हिंदी ब्लोगिंग को ऐसा कोई खतरा नज़र नहीं आ रहा ...

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  9. बढ़िया विषय! चर्चा कीजिए

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  10. ब्लॉगिंग दिमाग के लिए पौष्टिक आहार है तो फेसबुक मीठे का काम करता है..बाकि सभी स्नैक्स जैसे... समीरजी से सहमत..तो अमित शर्मा की बात को भी नकारा नहीं जा सकता....हर दिन चंचल मन में लगभग 65000 सोचें आती जाती हैं जिन्हें हम इधर उधर अलग अलग साँचों में फिट करने की कोशिश मे लगे रहते हैं.

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  11. blogjagat par roj aate hain apan lekin facebook, orkut jaisi jagah par kabhi kabhar

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  12. मुझे तो कोई अशुभ लक्षण नहीं दिखते!

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  13. ...एक ही पेड की तीन शाखाएं लग रही हैं .... कहीं ऎसा तो नहीं कि बंदर की तरह कभी इस डाल तो कभी उस डाल ?????????

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  14. a person who is memebr of science blogger association should rise above shubh and ashubh

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  15. कहते हैं ,उतना ही काम फैलाना चाहिये जितना संभाल सकें...
    ट्विट्टर पर अकाउंट कब का डिलीट कर चुकी हूँ.
    ..ऑरकुट /फ्लिकर सब यहाँ प्रतिबंधित हैं..वो रास्ते बंद!
    सो ब्लॉग तक ही अपनी पहुँच है [वो भी जब तक यह प्रतिबंधित नहीं हो जाता.]
    इसलिए हम यहीं खुश हैं..

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  16. ऑरकुट, ट्विट्टर, फेसबुक मुझे सब से अच्छा लगा ब्लांग, क्योकि ऑरकुट, ट्विट्टर, फेसबुक मुझे अभी ठीक से समझ नही आया, शुभ ओर अशुभ के बारे पता नही

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  17. आनन्द तलाशते हुए यात्राएँ हैं . यहाँ नही तो वहाँ ।

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  18. जी नहीं । हमने तो फेसबुक बहुत पहले छोड़ दिया था। ब्लोगिंग के मुकाबले फेसबुक कुछ नहीं ।

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  19. फेसबुक पर अकाउंट था डिलीट किये महीने गुज़र गये !
    पहले झटके मे ही (अ)भूतपूर्व पर लटक गये आगे पढने की बहुत कोशिश की पर कुछ सूझा ही नहीं ...क्या ये लक्षण एबनारमेलिटी के हैं :)

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  20. ऑरकुट फेसबुक ट्विट्टर मुझे आकर्षित नहीं करता, ये सिर्फ सोशल नेटवर्किंग का अच्छा टूल है. लोगों के बीच बने रहने के लिए है.

    परन्तु यहाँ ब्लॉगजगत में हम जैसे ज्ञान पिपासु को बहुत राहत मिलती है. नाना प्रकार की जानकारियाँ अलग अलग अंदाज में परोसे जाते हैं.

    फैन फोल्लोविंग में मेरा विश्वास कम है. एक लेखक के लिए उसके रीडर्स मायने रखते हैं. यहाँ ब्लॉग पर चर्चाएँ अच्छे से हो जाती है.

    शुभ अशुभ की कोई बात नहीं है... ब्लोगर्स तेजी से बढ़ रहे हैं.

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  21. एक दफ़े किसी ने पूछा था कि कौन सी साईट कब यूज करते हो कुछ पता ही नहीं चलता है.. :)

    मेरा कहना था कि जब एक लाइना लिखना होता है तो ट्वीटर, ३-४ लाइन लिखना हो तो फेसबुक, किसी से पर्सनली लेकिन खुल्लम-खुल्ला बात करनी हो तो ऑरकुट, फोटो शेयर करना हो तो फ्लिकर और लंबा लेख लिखना हो तो ब्लॉग पर डाल कर बज्ज पर शेयर.. :)

    जिसकी जितनी औकात, उसी के मुताबिक उसका प्रयोग.. और क्या?

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  22. @उदय जी ,
    बेफालतू उछल कूद मचने वाले बन्दर कभी डाली से चूक भी जाते हैं .....!
    @रचना जी ,
    यहाँ अशुभ अंगरेजी के बैड ओमेंन के अर्थ में ही इस्तेमाल हुआ है ...मनुष्य मन / जीवन से शुभ- अशुभ क्या विज्ञान
    रिप्लेस कर पायेगा ..?बाई द वे मेरी पोजीशन तो नीचे न करें ..मैं साईंस ब्लागर्स का अध्यक्ष हूँ ,हा न नहीं तो .अब इतना लिटरल अर्थ भी लेना ठीक नहीं ...
    @अली सा ,साफ़ साफ़ बताएं किसकी ऐब नार्मिलटी की बात करे हो आप ?मेरी , आपकी या उनकी ?
    @पी डी ये औकात वाली बात भी खूब रही -मैं सहमत हूँ !

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  23. .
    .
    .
    "..जबकि हिन्दी ब्लागिंग से सामाजिकता का साया मानों तेजी से उठता गया हो ..रोज रोज की लड़ाई ..खुद को केंद्र में रखने और श्रेष्ठ साबित करने की धमाचौकड़ी ....और गहन अवैयक्तिकता (जहां मानवीय इच्छाओं,सम्वेदनाओं और भावनाओं की कोई कद्र न हो) का तिरता माहौल ..बड़ी सूनी सूनी सी होती जा रही है यह हिन्दी ब्लागिंग ..तो बुद्धि चपल लोग उधर का रुख किये बैठे हैं ....कभी कभार पुरानी दुनिया में लौट कर हाय हूय कर और यह कह सुन कि वे बहुत व्यस्त हैं उधर की दूसरी दुनिया के साम्राज्य विस्तार में लगे हैं! ..और पुराने प्यारे ब्लॉग जगत को बस हम जैसे लल्लुओ पंजुओ के लिए छोड़ दिया है !"

    आदरणीय अरविन्द मिश्र जी,

    यह दुनिया ऐसी ही है... लोग आयेंगे ब्लॉगवुड में...उनमें से कई कुछ समय बाद उब जायेंगे... अभिव्यक्ति के दूसरे साधन तलाशेंगे...कभी-कभार बस हैलो-हाय कहने के लिये ही आयेंगे...पर इस सब में चिन्ता की कोई बात नहीं...

    हो सकता है कि कल लल्लू-पंजू भी न सक्रिय न रहें ब्लॉगवुड में...
    तो क्या, कोई भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा...



    घोर आशावादी हूँ, इसलिये मैं तो यही कहूँगा कि...

    "कल और आएंगे नग़मों की खिलती कलियाँ चुनने वाले,
    मुझसे बेहतर कहने वाले, तुमसे बेहतर सुनने वाले "
    -साहिर



    और जो जा चुके हैं या इधर-उधर जा रहे हैं...उनके लिये...

    ये जिंदगी के मेले, ये जिंदगी के मेले
    दुनिया में कम न होंगे, अफसोस हम(तुम) न होगे

    -मेला/1948/शकील बंदायूजी/नौशाद

    आभार!

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  24. @ अरविन्द जी फिलहाल तो मेरी पर जोर है :)

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  25. "कल और आएंगे नग़मों की खिलती कलियाँ चुनने वाले,
    मुझसे बेहतर कहने वाले, तुमसे बेहतर सुनने वाले "
    -साहिर
    प्रवीण शाह जी ,क्या खूब ! मन संजीदा हो गया !

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  26. http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post.html जिस्‍म पर आंख।
    मैंने अपना ब्‍लोग बनाया है। कृपया मुझे मार्गदर्शन दीजिए।

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  27. मीनाक्षी जी की टिपण्णी से सहमत हूँ ....फेसबुक एक सोशल साइट्स है...जहाँ पुराने दोस्त या फोटो शेयर करना एक माध्यम है ...वहां .ढेरो ऐसे लोग है जिनकी अपनी सोच है ....अलबत्ता ब्लोगिंग को सोशल नेटवर्किंग की तरह इस्तेमाल करना थोडा अजीब लगता है ......

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  28. दो दोनों अलग अलग पहलू है ....पहलू ना कहे पर अलग अवश्य है

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  29. शिव जी की टिप्पणी मेरी भी मानी जाय।

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  30. बहुत से लोगों ने ब्लोगिंग को शायद सोशल नेट्वोर्किंग का ही एक साधन समझा था इसलिए बाद में मोहभंग हुआ. पाण्डेय जी तो स्वस्थ होते ही वापस ब्लोगिंग पर आयेंगे ही क्योंकि उन्हें इन दोनों का अंतर बहुत स्पष्ट है.

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  31. केवल हिंदी के लिए ही क्यों?

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  32. और एक बात... इस विधा को भी खत्म होना है... कुछ नया आएगा... कितना देर से या कितनी जल्दी.. इस पर बहस हो सकती है...

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  33. @रंजन जी ,
    क्योंकि प्रेक्षण हिन्दी ब्लागरों का था -क्या यह ट्रेंड और कहीं दृष्टिगोचर है ?

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  34. ऑर्कुट एवं फेसबुक ,ब्लॉग्गिंग का पर्याय तो कभी नहीं बन सकते...वहाँ एक दूसरे के बारे में सूचनाएं शेयर की जाती है...तस्वीरें लगाई जाती हैं...जबकि ब्लॉग्गिंग अभिव्यक्ति का मध्यम है...मात्र सूचनाओं के आदान-प्रदान का नहीं.
    ज्ञान जी अभी ट्विटर पर इसलिए ज्यादा सक्रिय हैं क्यूंकि वे ज्यादा चिंतन-मनन कर लम्बे आलेख लिखने की स्थिति में नहीं हैं.
    वैसे PD ने संतुलित रूप से तीनो की विशेषताएं और उपयोगिता बता दी है.

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  35. अपनी-अपनी ढपली अपने-अपने रागों के लिए ही हैं ... जब जिस ढपली को चाहें और जैसा चाहें वैसे बजाएं.

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  36. मुझे नही लगता.
    हलके फुल्के विचारों और उनके त्वरित आदान प्रदान के लिए लिए बेहतर माध्यम हो सकते हैं लेकिन फेसबुक, ट्वीटर और ऑरकुट आदि साइटों को ब्लॉग के विकल्प के रूप में कतई नहीं देखा जा सकता.

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  37. आपने मेरी शायरी पढ़कर उसे एक नए रूप में प्रस्तुत किया है और उसके लिए मैं तहे दिल से आपका शुक्रियादा करती हूँ! आपके कहने के मुताबिक अब मैंने आपकी लिखी हुई शायरी को पोस्ट किया है! इसी तरह आपका सुझाव मिलता रहे तो मैं और बेहतर लिख सकूँगी!
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने! मेरा तो ये मन्ना है की ब्लोगिंग से बेहतर और कुछ नहीं चाहे ऑरकुट, फेसबुक या ट्विट्टर इत्यादि क्यूँ न हो!

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  38. जो मेरी मोटी बुद्धि में आया है कि,

    ब्लॉगिंग = फुल मील डायट
    फ़ेसबुक = लाइट रेफ़्रेशमेन्ट
    ट्विटर = चाय बिस्कुट

    ज्ञान जी को स्वास्थ्यलाभ के लिये चाय बिस्कुट और लाइट रेफ़्रेशमेन्ट से ही काम चलाने की सलाह दी गयी है, इसमें चिन्तित होने की क्या बात है ?

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  39. फेसबुक और ट्विटर में विस्तार से भावों को व्यक्त करना संभव नहीं है....अभिव्यक्ति के लिए ब्लॉगिंग से बेहतर माध्यम नहीं ...जहाज के पंछी यहीं लौट कर आयेंगे ...
    फेसबुक और ट्विटर के अलावा कुछ लोग डिग पर भी सक्रिय हैं ...:):)
    फेसबुक अकाउंट डीएक्टिवेट कर चुकी हूँ ...

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  40. ब्लाग का संक्रमण काल
    ज्ञान जी को क्या हुआ

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  41. फेसबुक और ट्विटर, ब्लॉगिंग का विकल्प कभी नहीं हो सकते. अलबत्ता मैं भी अली जी की तरह मेरी (अ) भूतपूर्व मित्र पर अटक गयी हूँ.

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  42. Blogging introduces new people with real identity[not always though]
    These People add you on Facebook/HI-fi/digg/netlog/flickr/Orkut/yahoo/MSN/Skype-and what not.If you do not add them as friends on network they stop reading you[Not all but most of them].
    This is how it becomes a tool to social networking.
    OR
    People make friends on social networking sites like facebook/orkut/...etc and then add[/invite] them as a reader to their blog.
    When a blogger involves himself with these all tools, this cycle goes on.

    I surprise, how people have so much of time to spend on all these things!

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  43. मैं तो ऑरकुट से होकर ब्लॉग पे आया हूँ. फेसबुक में कभी कभी ही जाता हूँ.

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  44. blog aur facebook alag jagah hai ..... facebook blog ki jagah kabhi nahi le sakta ........

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  45. किस गहराई तक उतरना है, यह उस पर निर्भर करता है । फेसबुक व ट्विटर, दोनों को अभी घर के बाहर छोड़कर आया हूँ । किनारे पर रहकर उकताने वाले गहराई ढूढ़ते हैं ।

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  46. अशुभ जैसा तो नहीं....पर बदलाव जैसा जरूर महसूस होता है..........! इस बदलाव में भी जीकर देखते हैं....!

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  47. आईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!
    आचार्य जी

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  48. बहुत ही बढ़िया विषय को लेकर आपने बड़े ही सुन्दरता से चर्चा किया है! वैसे आजकल करीबन सभी ऑरकुट के अलावा फेसबुक, ट्विट्टर और न जाने क्या क्या है जिसमें सभी अपना प्रोफाइल बनाकर रखते हैं पर ब्लोगिंग करने में मुझे बहुत अच्छा लगता है!

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  49. चित्रों के साथ संकलन छपवाने की बात कहकर आपने तो मेरा लिखने का हौसला बढ़ा दिया! आप जैसे महान लेखक के सामने तो मैं कुछ भी नहीं पर कोशिश करती हूँ की बेहतर लिख सकूँ! अरविन्द जी अगर आपका सुझाव मिले संकलन छपवाने के बारे में तो बहुत ख़ुशी होगी!

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  50. blogging aur facebook ki tulna nahi ki jaa sakti...haan kuch logo k ek cheez zyada suit maar sakti hai...smaay ki kamee me fb aur twitter ke aayde hai,par blogworld pe jo maahol hai wo wahaan paida nahi ho sakta..sach kahoon to kuch maamlo me to facebook orkut se bhi peeche hai abhi

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  51. ब्लॉग का जो महत्व है, मेरी समझ से उसकी जगह न तो फेसबुक ले सकती है और न ट्विटर। हाँ, ये दोनों जगह उन लोगों के लिए ज्यादा मुफीद हैं, जिनके पास रचनात्मक प्रतिभा का टोटा हो। जिसकी अपनी लम्बी लम्बी कविताएँ और लेख पढवाने का शौक होगा, और ईश्वर की दया से ऐसे लोगों की कमी नहीं, वह कभी भी ब्लॉग जगत को छोडकर नहीं जाएगा।

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  52. ४-५ दिनों के ग्राम प्रवास के कारण पोस्ट पढने का मौका नहीं मिला. आज एकसाथ आपकी पिछली ३ पोस्ट पढ़ डाली. उधो तन ना भये दस बीस , एकदम झन्नाटेदार पोस्ट , नेहरु चाचा को सलूट , और ब्लॉग्गिंग है अच्छा , जाहे वो फेसबुक हो या आर्कुट . आपकी तीनो पोस्टो के लिएमेरी सम्मिलित टिप्पड़ी . आप इतना अच्छा कैसे लिख लेते हो? मिश्राम्बू (बिना भंग वाली) पीने के बाद ऐसा लिखा जा सकता है क्या?? हा हा आधुनिक गोपिका का मन विश्लेषण समय काल के हिसाब से एकदम सटीक .

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  53. ब्लॉग जगत की अपनी महत्ता है वशर्ते कि हम इसे प्रतियोगिताओं का, धर्म का, जाति का, श्रेष्ठ और कनिष्ठ का अखाडा न बनायें ।
    प्रतिक्रिया मिले ना मिले अपनी बात कहने और रखने का हक कोई हमसे नही छीनता ।

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  54. 'लेखन' तो ब्लॉग में ही संभव है.हालांकि ब्लॉगजगत की तू-तू ,मैं-मैं और अशोभनीय भाषा से मन खिन्न अवश्य होता है.

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  55. आईये जानें .... मैं कौन हूं!

    आचार्य जी

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