मेरे विज्ञान के ब्लॉग हैं .मगर मुझे विज्ञान के इतर भी अक्सर कुछ कहने की इच्छा होती है .विज्ञान के ब्लागों पर मैं अपने को बहुत बंधा पाता हूँ -विज्ञान का अनुशासन ही कुछ ऐसा है ।इसलिए संत महाकवि तुलसी से उधार लेकर उन्ही के शब्दों को इस ब्लाग का शीर्षक बनाया .विज्ञान से परे ,उससे इतर स्रोतों से -इधर उधर से भी जो यहाँ कह सकूं -क्वचिदन्यतोअपि .......
यह भी स्वान्तः सुखाय है .ताकि इसके सरोकारों /निरर्थकता /सार्थकता को लेकर कोई बहस हो तो यह स्वान्तः सुखाय का लेबल मेरी ढाल बन सके ।
यह तो इस ब्लॉग का नामकरण सन्दर्भ हो गया ....अब अगली पोस्ट देखिये कब होती है ..किसी ने क्या खूब कहा है कि ग़ज़ल के शेर कहाँ रोज रोज होते हैं ?यह नामकरण की पोस्ट कुछ कम थोड़े ही है -यह आत्मश्लाघा की बेहयाई करते हुए कह रहा हूँ .....शंकर .....शंकर .....
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले