शुक्रवार, 3 जून 2016

अलविदा डेजी!

आज मन बहुत संतप्त है।  डेजी हमेशा के लिए हमें छोड़ कर चली गयी।  सत्रह सालों का ही साथ था उसका।  लगभग दो दशक।  मुझे याद है कि वर्ष 1999 में जब मैं वाराणसी में कार्यरत था , बच्चों मिकी और प्रियेषा की जिद पर डेजी हमारे घर आयी। एक रुई के गोले  के मानिंद वह थी और बच्चों के लिए खिलौना।  हमारे लिए भी आनंद का स्रोत। सभी का मन उसी में लगा  रहता। उत्तरोत्तर वह अपने कौतुक से लोगों का ध्यान आकर्षित करती।  आने वाले हमारे अतिथियों को वह अपना अतिथि मानती थी। स्वतःस्फूर्त  स्वागत करती। बड़ी होने के साथ उसकी मासूमियत और हमसे  लगाव ने  उसे  हमारी चहेती बना  दिया।  



डेजी ने  कई ट्रांसफर भी झेले।  अनेक सामाजिक समारोहों ,व्याह शादियों  में शरीक हुयी।  जिन शादियों में वह गयी उन जोड़ों  की संताने भी आगे चल उसकी  मुरीद हुईं । लगभग दो दशक के  कालखण्ड में वह कई घटनाओं का साक्षी बनी. बच्चे उसे बहुत चाहते थे मगर वह बच्चों  से दूर रहती।  छेड़खानी उसे बिलकुल पसंद नहीं थी. घर में प्रियेषा  उस पर ज्यादा फ़िदा रहतीं।  मिकी का उस पर रोब  चलता।  वह कमांड किसी का मानती  तो बस मिकी का। हाँ अटैच वह सबसे अधिक गृहिणी संध्या पर ही रही -आजीवन ! आखिर उसके खाने पीने का पूरा ख्याल वे रखतीं। अन्नदाता को भला कौन भूलेगा! 

मेरे घर लौटने पर उसका उसका लट्टू की तरह नाच कर मेरा स्वागत करना कभी नहीं भूलता। अब पहले प्रियेषा अपनी पढ़ाई को लेकर दिल्ली गयीं और मिक्की भी आजीविका  के लिए बंगलौर चले गए ! अब डेजी के साथ केवल हम दोनों रह गए थे। २०१२ के सितम्बर में मेरा फिर ट्रांसफर यहाँ सोनभद्र हुआ तो वह हमारे साथ यहाँ आ गयी।  एक पल भी पत्नी संध्या का विछोह उसे सहन नहीं था। थोड़ी देर के लिए भी घर से बाहर जाने पर वह आसमान सर पर उठा लेती।  अब उसे साथ लेकर ही आना जाना पड़ता। अब डेजी हमारी लायबिलिटी बनती जा रही थीं।  एक बात कहूँगा -कुत्ते बहुत केयर की मांग करते हैं -बच्चे पिल्लों पर मोहित हो पाल तो लेते हैं मगर झेलना मां बाप को पड़ता है . हम ट्रेन बस से अकेले टूर पर चले जाते  मगर  डेजी के लिए AC कार हायर करनी होती  ....
बचपन के उपरांत जबसे मुझे कुछ जानने समझने का शऊर आया मैंने दुख सुख दोनो तरह की घटनाओं को तटस्थ भाव से लेने का आत्मसंयम विकसित करना शुरू किया। यह मुश्किल है किन्तु अभ्यास से संभव है। जीवन मृत्यु, भाव अभाव, हानि लाभ से जुड़ी घटनाओं में मन को स्थिर रखने में गीता के नियमित पाठ से मुझे काफी सहायता मिली। मगर डेजी के मृत्यु ने मुझे गहरे संस्पर्श किया। मैं विचलित हो उठा।एक कुत्ते की मौत पर इतना मर्माहत हो उठना?इसी विश्लेषण में लगा हूं।जो समझ पाया हूं वह यह है कि यह एक निरीह, मासूम के अवसान पर प्रतिक्रिया है। और अपनी असहायता जनित आक्रोश की पीड़ामय अभिव्यक्ति भी कि उसकी जान बचाने के लिए यहां सोनभद्र में चिकित्सा की समुचित व्यवस्था नही हो सकी। 

ऐसा लगता है कि अगर शारीरिक संरचना को छोड़ दें तो भावनात्मक रूप से स्त्री पुरुष में कोई भेद नहीं है। हां पुरुषों को आंसुओं पर नियंत्रण रखना, कठोरता का प्रदर्शन आदि संस्कारगत सीखे हैं। जार जार रोने वाले पुरुष उपहास के पात्र बनते हैं। उन्हे तो पाषाण हृदय होना ही समाज में श्रेयस्कर माना गया है। इसके विपरीत रोना धोना, अधीरता, कातरता स्त्री मूल्यों के रुप में समाज में समादृत हैं। डेजी के अवसान ने मेरे ऊपर लागू इन बाह्य व्यावहारिक परतों को उधेड़ दिया। मन कातर हो उठा। समग्र आत्मसंयम काफूर हो उठा। निर्बल असहाय निरीह और मूक की पीड़ा में इतनी ताकत है।

डेजी पाम स्पिट्ज की प्रजाति की थी . इस प्रजाति के पालतू कुत्ते औसतन  बारह वर्ष और अधिकतम सोलह वर्ष जीते हैं । इस  लिहाज से उसने अपनी पूरी  उम्र हमारे साथ बिताई। लगभग दो वर्षों से उसमें उम्र वार्धक्य के लक्षण दिखने लगे थे।  फिर पैरों में सन्धिवात और बार बार दिगभ्रमित  होना भी आरम्भ हुआ।कैनाइन कॉग्निटिव डिफिशिएंसी सिंड्रोम! विशेषज्ञ बताते हैं कि  मनुष्य का दस वर्ष कुत्ते के एक  वर्ष के बराबर होता है! इस तरह डेजी १७० वर्ष की सबसे उम्रदराज सदस्य थी हमारे परिवार की। आज उसके विछोह ने हमें आघात सा दिया है।  एक प्रिय का लम्बे समय साथ रहकर हमेशा के लिए चला जाना बहुत सालता है।  हम सभी दुखी हैं।  खासतौर पर उसकी मासूमियत और  हमारी असहायता कि हम उसके प्रयाण को रोक पाने में असमर्थ रहे हमें बहुत संत्रास  पंहुचा रही है। मगर नियति को भला कौन टाल  सकता है! अलविदा डेजी! 

16 टिप्‍पणियां:

  1. घर से एक सदस्य के चले जाने जैसी पीड़ा है. ईश्वर आपको शक्ति दे...

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    1. विल्सन के साथ सात सालों से रिश्ते में होने के बाद, मैंने सबकुछ संभव किया, मैं उसे हर तरह से प्राप्त करना चाहता था, मैंने वादे किए कि मैंने ऑनलाइन किसी को अपनी समस्या समझाई और उसने सुझाव दिया कि मुझे एक जादू कैस्टर से संपर्क करना चाहिए जो मुझे एक कास्ट करने में मदद कर सकता है मेरे लिए जादू करो, लेकिन मैं वह प्रकार हूं जो जादू में विश्वास नहीं करता था, मेरे पास कोशिश करने से कोई विकल्प नहीं था, मेरा मतलब है कि डॉ। अखेर नामक एक जादू कास्टर और मैंने उसे ईमेल किया, और उसने मुझे बताया कि कोई समस्या नहीं है कि सब कुछ ठीक रहेगा तीन दिन पहले, कि मेरा पूर्व तीन दिनों से पहले मेरे पास वापस आ जाएगा, उसने दूसरे दिन में जादू और आश्चर्यजनक रूप से डाला, यह लगभग 4 बजे था, मुझे बहुत पहले आश्चर्य हुआ, मैं बहुत हैरान था, मैंने फोन का जवाब दिया और उसने कहा कि वह जो कुछ हुआ उसके लिए खेद है, कि वह मुझे इतना प्यार करता है। मैं बहुत खुश था और तब से उसके पास गया, मैंने वादा किया है कि किसी को पता है कि रिश्ते की समस्या है, मैं उसे एकमात्र असली और शक्तिशाली जादू कैस्टर बनने में मदद करना चाहता हूं जिसने मुझे अपनी समस्या से मदद की और कौन है वहां सभी नकली लोगों से अलग किसी को भी जादू कैस्टर की मदद की आवश्यकता हो सकती है, उसका ईमेल: AKHERETEMPLE@gmail.com
      या
      कॉल / व्हाट्सएप: +2349057261346 अगर आपको अपने रिश्ते या कुछ भी मदद की ज़रूरत है तो आप उसे ईमेल कर सकते हैं। अब तक अपनी सभी समस्याओं के समाधान के लिए संपर्क करें
      AKHERETEMPLE@gmail.com
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      कॉल / व्हाट्सएप: +2349057261346

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  2. ये नन्हे जीव हमारे जीवन के एक अभिन्न अंग बन जाते हैं। डेजी के स्वागत का लाभ उठाने में मैं भी शामिल था, और उससे आपके परिवार की आत्मीयता का साक्षी भी। उसकी कमी तो सभी को खलेगी मगर अभी आपको और आंटी जी को ज्यादा ही। इस रिक्ति से उबरने में वक्त लगेगा...

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  3. रह रह कर सब याद आने लगता है... डेज़ी हमेशा जीवित रहेगी हमारी यादों में....

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  4. बचपन में हुए एक हादसे कि वजह से मैं हमेशा कुत्तों से डरती हूॅ। आज भी ऐसे घरों में खुशी से जाना पसंद नहीं करती जहाॅ कुत्ते होते हैं। पर डेज़ी के प्रति ऐसा कभी नहीं लगा वो बहुत ही मिलनसार और प्यारी थी। डेज़ी ही पहली और अब तक की एकमात्र है जिसे मैंने छुआ होगा। याद है जब हम उसका जन्मदिन मनाया करते थे। डेज़ी अम्मा के पास आकर घण्टों बैठा करती थी। सच अब बस यादें ही रह गयी हैं।

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    1. सच निष्ठा, अब बस उसकी यादें ही शेष है।

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    2. सच निष्ठा, अब बस उसकी यादें ही शेष है।

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  5. अलविदा डेजी ...



    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " बिछड़े सभी बारी बारी ... " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. आभार शिवम जी डेजी को स्थान देने के लिए

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    2. आभार शिवम जी डेजी को स्थान देने के लिए

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  6. अाप को शायद उतनी तकलीफ़ नहीं हुई होगी जितनी कि भाभी जी को क्योंकि डेज़ी को उन्होंने खिलाया है इतने वर्षों , मै यह दर्द झेल चुका हूँ , वह अापके घर को उतना ही प्यार करती थी जितना अाप स्वयं ....
    हम मानव संवेदनशीलता मे इनके अासपास भी नही ठहरते वे बहुत अच्छे हैं हम लोगो से ....
    श्रृद्धांजलि डेज़ी को !

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  7. विल्सन के साथ सात सालों से रिश्ते में होने के बाद, मैंने सबकुछ संभव किया, मैं उसे हर तरह से प्राप्त करना चाहता था, मैंने वादे किए कि मैंने ऑनलाइन किसी को अपनी समस्या समझाई और उसने सुझाव दिया कि मुझे एक जादू कैस्टर से संपर्क करना चाहिए जो मुझे एक कास्ट करने में मदद कर सकता है मेरे लिए जादू करो, लेकिन मैं वह प्रकार हूं जो जादू में विश्वास नहीं करता था, मेरे पास कोशिश करने से कोई विकल्प नहीं था, मेरा मतलब है कि डॉ। अखेर नामक एक जादू कास्टर और मैंने उसे ईमेल किया, और उसने मुझे बताया कि कोई समस्या नहीं है कि सब कुछ ठीक रहेगा तीन दिन पहले, कि मेरा पूर्व तीन दिनों से पहले मेरे पास वापस आ जाएगा, उसने दूसरे दिन में जादू और आश्चर्यजनक रूप से डाला, यह लगभग 4 बजे था, मुझे बहुत पहले आश्चर्य हुआ, मैं बहुत हैरान था, मैंने फोन का जवाब दिया और उसने कहा कि वह जो कुछ हुआ उसके लिए खेद है, कि वह मुझे इतना प्यार करता है। मैं बहुत खुश था और तब से उसके पास गया, मैंने वादा किया है कि किसी को पता है कि रिश्ते की समस्या है, मैं उसे एकमात्र असली और शक्तिशाली जादू कैस्टर बनने में मदद करना चाहता हूं जिसने मुझे अपनी समस्या से मदद की और कौन है वहां सभी नकली लोगों से अलग किसी को भी जादू कैस्टर की मदद की आवश्यकता हो सकती है, उसका ईमेल: AKHERETEMPLE@gmail.com
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    कॉल / व्हाट्सएप: +2349057261346 अगर आपको अपने रिश्ते या कुछ भी मदद की ज़रूरत है तो आप उसे ईमेल कर सकते हैं। अब तक अपनी सभी समस्याओं के समाधान के लिए संपर्क करें
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