फिंगर बाउल या फिंगर बाथ?
अभी उसी दिन जब रेस्तरां में हम जैसे ही खाना ख़त्म किये तो बगल से गुजरते हुए बेयरे को बुलाकर मैंने कहा "फिंगर बाथ" ..और वह ऑर्डर सर्व करने आगे बढ़ गया ...तभी बिटिया की तीखी, ठंडी सख्त आवाज कानों में पडी "पापा,फिंगर बाथ नहीं फिंगर बाउल " मैं भी अड़ गया ..."नहीं, फिंगर बाथ " ..मामला शर्त तक जा पहुंचा ..बीच बचाव में बिटिया की मम्मी ने कहा कि कौस्तुभ से फोन कर पूछिए ...मैंने बेटे को तुरंत मोबाईल पर रिंग किया ..एक आशा की किरण झिलमिला रही थी ....मगर उधर के जवाब से भी मेरा चेहरा बुझ गया था ..प्रश्न सुनते ही बेटे का जवाब था-'फिंगर बाउल' और ऊपर से यह शिकायत भी कि उसकी अनुपस्थिति में हम खूब आउटिंग पर डिनर आदि का आनन्द ले रहे हैं ...बेटी शर्त जीत गयी थी ..अपने मन माफिक आईसक्रीम की .....मगर मैं फिंगर बाउल के बजाय फिंगर बाथ क्यों कहता रहा हूँ? अब सीधी सी बात है फिंगर बाउल एक संज्ञा है और मैं उस कृत्य को 'फिंगर बाथ' कह रहा था ...लेकिन बच्चों का कहना है जो भी हो उसे फिंगर बाउल कहकर ही बेयरे को संबोधित किया जाएगा! मामला अब ब्लागर अदालत तक आ ही गया है .जाहिर है नयी सजग पीढी शिष्टाचार के मामले में ज्यादा सावधान है ...
मैंने अंतर्जाल में गोते लगाये और ज्ञान के जितने मोती..ओह सारी बाउल मिले उनसे आपका भी साबका करा दूं मगर इसके पहले मैं फिर से अपनी सफाई में कुछ और जोड़ना चाहता हूँ .मैं मोहकमये मछलियान में हूँ तो वहां मछलियों के रोग निरोधन और उपचार के लिए जो तरीके प्रचलित हैं उनमें 'डिप मेथड' जिसमें मछलियों को दवाओं के घोल में बस डिप करके निकाल लिया जाता है और बाथ मेथड है जहाँ उन्हें घोल में बस कुछ पलों के लिए ही रखा जाता है, बखूबी नहलाया नहीं जाता -अब ये "टर्मिनालिजीज' मेरे अवचेतन में तो थी हीं...बस मुंह से निकल गया फिंगर बाथ .....बहरहाल ....
अंतर्जालीय स्रोतों ने मामले को काफी स्पष्ट कर दिया है मगर कुछ रोचक संस्मरण भी पढने को मिले हैं ..एक मेहमान ने अपने मेजबान के खाने की मेज पर फिंगर बाउल आते ही उसे पीना शुरू कर दिया ..अब मेजबान की जर्रानवाजी तो देखिये उसने भी झट से फिंगर बाउल को मुंह से लगा लिया .....अब इन रस्मो रिवाज से अनभिज्ञ मेहमान को लगा होगा कि कोई सुस्वादु पेय पदार्थ उसके मेहमान ने उसके सम्मान में पेश किया है ....मगर उस बिचारे भोले मेहमान की छोडिये मेरी ही तरह कितने लोग हैं जो इस डिनर टेबल मैनर के बारे में भ्रमित हैं ...फिंगर बाउल खाने के एकदम अंत में नहीं दिया जाता जबकि भारत में ज्यादातर यह खाने के अंत में ही लाया जाता है ....इसे बहुल खाद्य सामग्रियों के सेवन (मल्टिपल कोर्स मील ) के बीच बीच में भी लाया जा सकता है और प्रायः तो इसे डेजर्ट कोर्स यानी खाने के अंत में मीठी डिश के पहले/साथ सर्व किया जाता है ...आमतौर पर भारत में सर्व होने वाले हलके गरम नीबू पानी के बजाय यह अपने परिष्कृत रूप में गुलाब या अन्य फूलों की पंखुड़ियों ,सुगन्धित पत्तियों से सजाया हुआ होता है ...
भद्रजन इसमें अपनी उँगलियाँ बस डुबोते (डिप ) भर हैं धोते नहीं ....मतलब यह बाथ नहीं है ...बस एक फिंगर डिप बाउल है! अब इसमें उंगलियाँ और पूरी या आधी हथेली डाल कर साफ़ करना अभद्रता है ....यह कई बार तो अगले/अंतिम भोज्य पदार्थ की प्रतीक्षा में बस उँगलियों को डुबोने भर के लिए लाया जाता है .कुल मिलाकर अंतर्जाल गोताखोरी यह सिखाती है यह केवल एक नफासत का मामला है ..उँगलियाँ साफ़ करने -रोगाणु निरोधन के लिए वाश बेसिन और साबुन का ही सहारा सबसे अच्छा है ...
अब अगली बार आप जब कहीं बाहर डिनर करेगें तो बहुत मुमकिन है यह फिंगर बाथ प्रकरण याद हो आये ...... :)
बढिया है! ऐसे ही शर्त हारते रहें! पोस्ट निकलती रहेंगी। :)
जवाब देंहटाएंफिंगर बाथ या फिंगर बाउल जिस भी रेस्तरां में पेश होता है, वहां मोटा बिल देते वक्त फिंगर जलती ज़रूर हैं...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
ई 'फिंगर बाथ' सॉरी ,'फिंगर-बाउल' अगली बार अपन भी आजमाएँगे ! लेकिन मुझे आपका 'फिंगर-बाथ' कहना भी अनुपयुक्त नहीं लगता.
जवाब देंहटाएंपता भी नहीं चलता कि कब हम बच्चों से ज़्यादा बच्चे बन जाते हैं और वे बड़े !
..@@....इसे बहुल खाद्य सामग्रियों के सेवन (मल्टिपल कोर्स मील ) के बीच बीच में भी लाया जा सकता है और प्रायः तो इसे डेजर्ट कोर्स यानी खाने के अंत में किन्तु मीठी डिश के पहले/साथ सर्व किया जाता है ---------चलिए इसी बहाने कुछ और भी जानकारी बढ़ी .
जवाब देंहटाएंहमें तो बहते पानी से ही हाथ धोना अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंफिंगर डिप ??
जवाब देंहटाएंनयी जानकारी ....
हम तो इस बहाने, अब तक अच्छी तरह हाथ धोते रहे हैं , नैपकिन पर छोटे निशान सारी असलियत बता जाती है :-))
फिंगर बाउल... :) याद रहेगा....
जवाब देंहटाएंHa,ha,ha! Bachhe aise mamlon me bahut sensitive hote hain!
जवाब देंहटाएंसभ्यता ने इस सुविधा के साथ पंखुडियों की सुरुचि को जोड़ा है, पता न था.
जवाब देंहटाएंनिश्चित रूप से अब कहीं बाहर डिनर करने पर यह प्रकरण जरुर याद रहेगा.
जवाब देंहटाएंमुझे तो दोनों ही सही प्रतीत हो रहे हैं.. पुत्री ने पात्र की बात कही और पिता ने उस क्रिया की बात कही जिसमें उस पात्र का उपयोग होता है.. एक फिल्म में भी नायक को देहाती दिखाने के लिए नीम्बू निचोडकर वह पानी पीते हुए दिखाया जा चुका है!!
जवाब देंहटाएं@अब इसमें उंगलियाँ और पूरी या आधी हथेली डाल कर साफ़ करना अभद्रता है
जवाब देंहटाएंडॉ साहेब, जरा उन लोगों (मुझ जैसे) के बारे में लिख देते जो गलती से नीम्बू निचोड़ कर पी जाते हैं :)
सर बहुत ही रोचक शैली में लिखी गयी रोचक पोस्ट बधाई
जवाब देंहटाएंहम तो पूछ लेते हैं 'भैया निम्बू पानी नहीं दोगे?' :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! अरविन्द जी , आप तो के बी सी में जाने से पहले ही हार गए ।
जवाब देंहटाएंवैसे ये फिंगर बाउल जब आता है तो एक बार हमें भी यही फीलिंग आती है कि आ गया लेमन वाटर ।
वैसे ये सिर्फ उँगलियों से तेल छुड़ाने के लिए होता है ।
तकनीकी रूप से आप कितने भी सही हों लेकिन बिटिया ठीक कह रही है. आपके शर्त हारने में भलाई है :))
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की लगाई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
आपका आभार. हमारा भी ज्ञानवर्धन हुआ. अब तक तो हम भी बढ़िया हाथ ही धोते रहे हैं.
जवाब देंहटाएंकभी कभी तो हम भी उँगलियाँ चूस कर ही साफ करते है फिर फिंगर बाउलमें दिखाने के लिए डुबो देते है |
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहम तो ये बाथ या बाऊल कुछ समझते नही है, सीधा कहते हैं भैया तनि अंगुली स्नान कराबे का इंतजाम कराय दो और वो मुस्कराते हुये लाके नींबू का टुकडा डला पानी का कटोरा रख जाता है.
जवाब देंहटाएंभाई हम तो बाकायदा बाथ करवाते हैं नींबू रगड़ते हुए
जवाब देंहटाएंइस बहाने नाखूनों की सफाई भी हो जाती है :-)
रोचक है दैनिंदनी का एक भाग
finger bath ke liye koi specific reason nahee hota...chalo isi bahaane finger bath ho jaata hai
जवाब देंहटाएंरोचक!
जवाब देंहटाएंकई अंग्रजी शब्द- युग्म का यही हेर -फेर है अपने शब्दकोशीय अर्थ से भटक जाते हैं.
फ़िंगर बाउल नहीं तो फ़िंगर बाथ क्या खाक करोगे :)
जवाब देंहटाएंमान्यवर, अब उनका क्या कीजिएगा जो नीबू रगड़-रगड़ कर उस अंगुलि-कटोरिका में हस्त मार्जन पर उतारू रहते हैं और तौर-तरीके बदलने को कहते हैं!
जवाब देंहटाएंफिंगर बाउल या फिर फिंगर बाथ मकसद एक ही है हाथ से चिकनाई हटाइये .भाई साहब हाथ धुलवाइए .जो मजा लाइफ बॉय वाश से हाथ साफ़ करने में है जो जरासीम नाशी है ,जर्मिसाइड से लैस है वह फिंगर बाउल में कहा है .और नैपकिन से हाथ पूछने में तो बिलकुल ही नहीं है .अलबता यह डाइनिंग के विभिन्न प्रशाधन हैं ,प्रक्षालन हैं .
जवाब देंहटाएंआज के बच्चे बहुत कुछ सिखा देते है . रोचक पोस्ट.
जवाब देंहटाएंहम तो आज भी जब बाहर खाना खाने जाते हैं, और जब हाथ धोने के लिए फिंगर बाऊल आती है तो आपस में कहते हैं हाथ धोने के लिए आयी है कटोरी, नींबू निचोड़ कर पी मत जाना |
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