गीत उन्मन है गजल चुप है औ रुबाई है उदास ..ऐसे माहौल में नीरज को बुलाया जाय ...(ब्लॉग जगत के नए जेहादियों लानत है तुम पर,कम से कम मेरी एक रात तुमने बर्बाद कर दी है ... ) ......और मैं आह्वान करता हूँ अल्पना वर्मा जी का -मेरी एक और प्रिय चिट्ठाकार जो अब किसी परिचय का मुहताज नहीं हैं .यहाँ इतनी देर से उनके आह्वान पर मैं खुद भी थोडा अचम्भित हूँ -उन्ही से शिकायत करता हूँ -बड़ी देर कर दी मेहरबां आते आते ..होता है होता है ...कभी कभी ऐसा भी हो जाता है ...अब वे इतने दिनों से हमारी सहयोगी हैं -साईंस ब्लॉगर असोसिएशन की जिम्मेदारियों का भार शुरुआती दौर में अल्पना जी के कन्धों पर भी था और उन्होंने जितनी गम्भीरता और नियमितता से इसका निर्वहन किया कि मैं उनके प्रति एक सम्मान भरी कृतज्ञता से आप्लावित होता रहा ...बहुत कम लोग हैं जो किसी भी कार्य को टीम -अभियान की गति देने में कुशलता से जुट जाते हैं-अल्पना जी साईंस के काज को समर्पित एक ऐसी ही प्रखर कामरेड हैं ...सबाई परिवार उनके इस व्यक्तित्व से बखूबी परिचित है और चिर कृतज्ञ भी ...
मैं चिट्ठाकार चर्चा में अल्पना जी को सम्मिलित करने को कई बार उन्मुख हुआ पर शायद तस्वीर पूरी बन नहीं पाती थी ....या वे खुद संभवतः किसी अलौकिक प्रेरणा के चलते यहाँ आह्वानित (गिरिजेश भैया ,मुक्ति ये शब्द गलत तो नहीं ? ) नहीं हो पा रही थीं या फिर देवी आह्वान का मेरा ही अनुष्ठान किसी अनजान कमी का शिकार हो रहा था ,कौन जाने ? तभी वह तस्वीर भी दिख गई जो ऊपर है - कहते हैं कि वह तो बहुत पहले से ही वहां थी ....रही होगी मैंने देखी नहीं या मुझे दिखी नहीं ...? ये सब अनुत्तरित प्रश्न ही हैं -लेकिन जब मैंने देखी तस्वीर तो पीत वसना अल्पना जी को अकस्मात कह बैठा -आप भारतीय सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति दिख रही हैं और उनकी - "शुक्रिया " का औपचारिक जवाब आ जाने से मैं आश्वश्त हो गया कि उन्होंने यह काम्प्लीमेंट स्वीकार कर मुझे अनुगृहीत कर दिया है -यद्यपि उन्होंने अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए अपने धन्यवाद ज्ञापन में यह जोड दिया -" अपनी प्रशंसा आखिर किसे अच्छी नहीं लगती " अब इस बात से कौन मुतमईन नहीं होगा? ..मगर मेरा आह्वान -यज्ञ पूरा हुआ तो मुझे बड़ी राहत मिल गई थी -देवी आह्वान पूरा हो चुका था -आज यह प्रतिष्ठापन भी ... बिहारी मैंने तुम्हे भी मात दे दी ...
लिखन बैठि जाकी सबिह, गहि-गहि गरब गरूर। भये न केते जगत के, चतुर चितेरे कूर॥*
अल्पना जी हैं तो प्रवासी भारतीय मगर उनका मन प्राण अपनी जन्मभूमि में बसता है -यह उदगार उनकी रचनाओं ,पोस्टों से अक्सर ध्वनित होता है .उनके मुख्य ब्लॉग व्योम के पार पर उनकी कविताओं और आलेखों से उनकी सोच की गहराई और प्रतिभा का सहज ही अहसास हो जाता है.उनकी प्रमुख रचनाओं के लिंक उनके ब्लॉग पृष्ठों पर दृष्टव्य हैं .-रानी लक्ष्मी बाई पर उनका लेख उनकी शोध वृत्ति और गहरे परिश्रम को भी इंगित करता है .मगर उनकी सबसे बड़ी खासियत है अपनी प्रतिभा का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रक्षेपण न करना ...बैद्धिक आग्रहों को दुराग्रहों में न बदलना ...अपनी साधना को चुपचाप अंजाम दिए जाना -वाद विवादों में न पड़ना जिससे कि रचनात्मक ऊर्जा का अपक्षय न हो ...उनके दूसरे ब्लागों -गुनगुनाती धूप , भारत दर्शन से उनकी बहुमुखी प्रतिभा का पता चलता है .भारत दर्शन तो जैसे उनके मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम को ही समर्पित है .वे खुद कहती हैं -
'यूँ तो वतन से दूर हूँ लेकिन इस की मिट्टी मुझे हमेशा अपनी ओर खींचे रहती है.
पहेली साम्राज्ञी तो वे है हीं -वे कहीं तो पहेली बुझाती हैं तो कहीं पहेलियों को पलक झपकते सुलझा लेती हैं -तस्लीम की कई पहेलियाँ वे चुटकियाँ बजाते हल करती आई हैं -उनकी इस प्रखर मेधा से मेरा परिचय तब हुआ था जब उन्होंने एक बड़ी कठिन सी पहेली का तत्क्षण जवाब दे मेरा दर्प तोड़ दिया था (ओह !) जब मैंने एक पत्थरनुमा संरचना पर बुजेरिगर चिड़ियों की चोंच मारती तस्वीर तस्लीम पर लगायी थी तो उन्होंने उस पत्थर के बाबत सटीक जानकारी देकर मुझे स्तब्ध सा किया था -और ब्लॉग जगत को हल्के में न लूं यह ताकीद भी करा दी थी ... दर्प टूटने के क्षणों की कसक आज भी महसूस होती है और तब से पहेलियों के बूझने के खेल में मेरे और उनके बीच तू डाल डाल और मैं पात पात का खेल बदस्तूर जारी है . अपनी इसी बहुआयामी प्रतिभा से वे कितने ही सम्मान /अलंकरण से विभूषित हुई हैं ..सुर संगीत की उनकी काबिलियत पर मैं नाकाबिल हूँ कुछ कह पाने में ..कोई संगीत परखी ही इस पर कुछ बोले तो ज्यादा मुफीद होगा -हाँ गाहे बगाहे मैं उनके गाये गीतों को सुनता हूँ और आनंदित होता हूँ ,फ़िल्मी गीतों का उनका चयन हमेशा सुरुचिपूर्ण होता है और उनके संवेदना के स्तर को दर्शाता है . उनकी कविताओं का लगभग नियमित पाठक हूँ और उनकी सोच की परिपक्वता और गहराई का प्रशंसक रहा हूँ ...
आज पहली बार ऐसा लग रहा है कि मेरे पास इस चिट्ठाकार की आलोचना के लिए न कोई शब्द है न भाव ...हैट्स आफ अल्पना जी ....ब्लॉग जगत आपके अवदानों से कृत कृत्य है -बढती चलिए !
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*भाव -अर्थ=
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*भाव -अर्थ=
‘‘लिखन बैठी जाकी सबी, गहि-गहि गरब गरूर,
भये न केते जगत के चतुर चितेरे कूर’’
भये न केते जगत के चतुर चितेरे कूर’’
-बिहारी
बिहारी नायिका के सौन्दर्य-चित्रण के लिए बड़े-बड़े और गर्वीले कलाकारों को बुलाया गया, किन्तु क्षण-क्षण परिवर्तित होते हुए उसके रूप को कोई भी चित्रकार-चित्रत नहीं कर सका। सारे कलाकार विफल होकर लौट गए। सौन्दर्य को परिभाषित करने में संस्कृत-साहित्य की एक उक्ति ही, इस घटना के लिए समीचीन जान पड़ती है-
‘‘क्षणै-क्षणै यन्नवतामुपैति तदैव रूपं रमणीयताया’’
(जो क्षण-क्षण परिवर्तित हो, वही रमणी का रूप है।)
क्या किसी नारी का ऊपरी परिधान, उसकी साज-सज्जा, उसका बाह्य रूप-रंग एक क्षण में परिवर्तित होता है ? क्षण-क्षण परिवर्तित होने वाली तो अगाध गहराइयों में छिपी हुई अरूप और निराकार भावनाएँ हैं, जो सहस्त्रों भावों-अनुभावों के रूप में सदा गतिवान रहती हैं। मन के इन्हीं सुन्दर भावों से नारी लावण्यमयी बनती है, जिस असाधारण लावण्य को आज तक न कोई परिभाषित कर सका है और न कोई चित्रकार चित्रित कर सकता है।
नारी अपने प्रकृतिप्रदत्त सहज संवेदनीय गुणों से अभिभूत इस सृष्टि का फूल है, जो उसके अन्तर्मन में अक्षुण्ण रूप में लिखा हुआ है। काँटो की चुभन से दूर जो नीरस, सूखा और एक ठूँठ मात्र है। जिसका अन्तर्मन सुन्दर है, वह सदा सुन्दर है। आन्तरिक सौन्दर्य से मण्डित नारी अक्षुण्ण सौन्दर्य की अधिष्ठात्री है। नारी ! तुम कितनी सुन्दर हो !
क्या किसी नारी का ऊपरी परिधान, उसकी साज-सज्जा, उसका बाह्य रूप-रंग एक क्षण में परिवर्तित होता है ? क्षण-क्षण परिवर्तित होने वाली तो अगाध गहराइयों में छिपी हुई अरूप और निराकार भावनाएँ हैं, जो सहस्त्रों भावों-अनुभावों के रूप में सदा गतिवान रहती हैं। मन के इन्हीं सुन्दर भावों से नारी लावण्यमयी बनती है, जिस असाधारण लावण्य को आज तक न कोई परिभाषित कर सका है और न कोई चित्रकार चित्रित कर सकता है।
नारी अपने प्रकृतिप्रदत्त सहज संवेदनीय गुणों से अभिभूत इस सृष्टि का फूल है, जो उसके अन्तर्मन में अक्षुण्ण रूप में लिखा हुआ है। काँटो की चुभन से दूर जो नीरस, सूखा और एक ठूँठ मात्र है। जिसका अन्तर्मन सुन्दर है, वह सदा सुन्दर है। आन्तरिक सौन्दर्य से मण्डित नारी अक्षुण्ण सौन्दर्य की अधिष्ठात्री है। नारी ! तुम कितनी सुन्दर हो !
चिट्ठाकार चर्चा
आह्वानित - आह्वान+इत। स्वीकार है दादा!(आज यह शब्द बार बार आ आ रहा है। कहानी का नायक, इकलौता पुत्र, बड़े भाई की कमी महसूस कर रहा है।)
जवाब देंहटाएंअल्पना जी के ब्लॉग पर मैं जाता रहा हूँ। पहले टिप्पणी भी करता था,अब नहीं करता। पढ़ लेना, प्रसन्न हो लेना और चल देना। उन्हें किसी प्रशंसा, टिप्पणी वगैरह की आवश्यकता ही नहीं है। वे स्वनाम धन्य हैं - अल्पना - घर के आगे बनी स्वागत करती, आदर जगाती सुन्दर गणितीय सममिति वाली रचना।
बिहारी के दोहे को आप ने और उदात्त अर्थ दे दिए हैं। कभी कभी वे वास्तविक चरित्र मिल जाते हैं जिनके प्रमाण में साहित्य रचा जाता है।
चलूँ, फिर आता हूँ।
एक अच्छी महिला ब्लोगर तथा उनकी अच्छी सोच को सम्मान देती पोस्ट ,सार्थक व सराहनीय प्रयास ...
जवाब देंहटाएंपहेली साम्राज्ञी के रूप में ही अल्पना जी से मेरा पहला परिचय हुआ था .. उसके बाद धीरे धीरे उनके चरित्र की अन्य विशेषताओं का भी पता चलता गया .. उनके ब्लॉग को तो मैं नियमित पढती हूं .. 'भारत दर्शन' ब्लॉग में इतने कोणों से प्रत्येक दर्शनीय स्थलों की जानकारी दे पाना आसान नहीं .. अपनी जिम्मेदारियों को पूरी गंभीरता से निबाहती हैं वो .. चंद शब्दों उनका परिचय कराना आसान नहीं .. पर आपने अच्छी कोशिश की है .. मुझे बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट !!
जवाब देंहटाएंअल्पना जी को काफी पढ़ा है बेहतरीन कलम की धनी अल्पना जी को, मैं एक ईमानदार और संवेदनशील रचनाकार मानता हूँ, विभिन्न विषयों और विधाओं पर समान अधिकार रखने वाली, इस विद्वान् कवियित्री लेखिका पर, एक लेख लिख कर आपने अच्छे लेखकों को सम्मान देने की श्रंखला में, एक प्रसंशनीय कार्य किया है!
जवाब देंहटाएंनिस्संदेह वे इस योग्य हैं ! इस सम्मानित महिला रचनाकार का बहुत सम्मान है मेरे दिल में ...हार्दिक शुभकामनाएँ
इसे क्वचिदन्य कैसे मानूं पर है भी. अरविन्द भाई, अल्पनाजी से, उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं से मुझ नये, अनजान को परिचित कराकर आप ने मेरा परिचय का दायरा ही नहीं बढाया, पठन -पाठन की दृष्टि से एक नयी खिड़्की भी खोल दी है. यह आप के लिये क्वचिदन्य हो न हो, मेरे लिये तो है ही. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं" आदरणीय अल्पना जी से हमारा भी परिचय काफी पुराना है और ये परिचय तब हुआ था जब उन्हें मेरे एक english ब्लॉग पर hearts ki collections बेहद भा गयी थी , और यदा कदा वे उनकी तारीफ करने से नहीं चुकती थी......उनसे हमे एक अजीब सा भावनात्मक लगाव भी है, , अनेक प्रतिभा से धनी अल्पना जी के बारे में आपने जिस तरह से उनके व्यक्तित्व की सुन्दरता को प्रस्तुत किया है, काबिले तारीफ है.......
जवाब देंहटाएंregards
Really hats off! Bahut achhese parichit karaya aapne Alpnaji ko!
जवाब देंहटाएंअल्पना जी से परिचय कराने के लिए आभार ....वैसे उनके ब्लॉग पर अक्सर जा कर पढ़ा है...फिर भी यहाँ उनका परिचय मिला...अच्छा लगा ...
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में मची कटजुज्झ के बीच अल्पना जी जैसा निर्विवाद और सृजनशील ब्लॉगर की उपस्थिति एक रूहानी सुकून देती है। उनकी सकारात्मक चेतना को सलाम करता हूँ।
जवाब देंहटाएंअल्पना जी से परिचय कराने के लिए आभार ..अच्छा लगा ..
जवाब देंहटाएंदोस्तों को किसी सनद की जरुरत नहीं होती.....अच्छे लोग हमेशा अच्छे ही रहते है .....वे उनमे से एक है ....बेहतरीन इन्सान
जवाब देंहटाएं@ अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंअल्पना जी के बारे में जानकर खुशी हुई,ज्यादातर पहेलियों वाले ब्लॉग में उनकी टिप्पणियां देखी है और बतौर विजेता फोटो भी ! छत्तीसगढ़ आधारित किसी आलेख के चलते एक बार उनका भारत दर्शन ब्लॉग भी देखा है !
व्योम के पार भी देखा जायेगा ,अफ़सोस कि आपने इनका परिचय काफी विलम्ब से दिया ! फोटो देखकर लग रहा है कि खूबसूरती के लिहाज़ से आप का वक्तव्य सही है ! विज्ञान के लोकव्यापीकरण से जुड़े ब्लागों से इनका जुड़ाव है पढकर सुखद अनुभूति हुई !
अच्छे ब्लागर से परिचय कराने हेतु आपका आभार !
सच कहा आप ने, हम तो उन्हे बहुत पहल्रे से जानते है, वो हमारी पहेलीयो की हेड भी रह चुकी है, हमेशा प्रथम आने वाली
जवाब देंहटाएंअल्पना जी के बारे मे जानकर काफ़ी अच्छा लगा …………………आभार्।
जवाब देंहटाएंअल्पना जी एक ऐसा व्यक्तित्व हैं जिनसे कभी मिलना नहीं हुआ पर हमेशा उन्हें अपने साथ ही पाया है उनके लिखे लफ्ज़ हमेशा दिल में अपनी एक विशेष जगह बनाते हैं ...उनका लिखा हुआ और उनके गाये गीत बहुत करीब ले जाते हैं उनके ...मुझे तो अक्सर कई बार वह अपनी स्कूल की कोई सहेली ही लगती है ..जिनसे कभी मिली नहीं पर सही में बहुत करीब ...अरविन्द जी आपने बेहतरीन तरीके से और भी उनके व्यक्तित्व को अपने लफ़्ज़ों से उजागर किया है
जवाब देंहटाएंअल्पना जी के बारे में जानकारी देने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअल्पना शब्द का मतलब भी गिरिजेश जी ने अच्छे से बता दिया है इसी बहाने एक और जानकारी में वद्धि हुई।
आज प्रथम परिचय हुआ । अच्छा लगा जानकर ।
जवाब देंहटाएंबेशक , ब्लॉगजगत में बहुत से अच्छे लोग भी हैं ।
अल्पना जी से मिलकर अच्छा लगा... शुक्रिया उनसे परिचय करवाने का.
जवाब देंहटाएंपरिचित का परिचय एक परिचित से पाना भी रोमांचित करता है और वो ही अल्पना जी का परिचय आपकी कलम से प्राप्त करके हुआ.
जवाब देंहटाएंआभार-अच्छा लगा.
मुझे इस ब्लॉग जगत में अगर सबसे ज्यादा किसी ने प्रभावित किया है तो वो अल्पना जी हैं!
जवाब देंहटाएं-
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मेरी सर्वाधिक प्रिय अल्पना जी पर केन्द्रित इस पोस्ट को देखकर बेहद प्रसन्नता हुयी! उनका आचरण हमेशा से अनुकरणीय रहा है! उनका निःस्वार्थ भाव से कार्य के प्रति समर्पण मंत्र-मुग्ध करता है! यह भी बहुत बड़ी बात है कि इतने लम्बे अरसे से ब्लॉग में सक्रिय रहने के बावजूद वाद-विवाद से दूर रहने में पूर्णतयः सफल रहीं!
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अल्पना जी का बहु-आयामी व्यक्तित्व एक या दो पोस्ट में नहीं समा सकता! अच्छा हुआ अरविन्द जी कि आपने लिखा अगर मैं लिखता तो धारावाहिक कई अंकों में लिखना पड़ता!
अल्पनाजी एक बहु आयामी प्रतिभा की धनी हैं. गीत संगीत, काव्य, विज्ञान, सामाजिक और पारिवारिक यानि हर क्षेत्र में वो जिस तन्मयता से समर्पित हैं वो उनके व्यक्तित्व को एक विशिष्ट गरिमा प्रदान करता है.
जवाब देंहटाएंताऊ पहेली के संचालन में उनका विशिष्ट योगदान भुलाया नही जा सकेगा. बहु आयामी प्रतिभा होने की वजह से उनके पास समय की कमी होना एक सहज सी बात है पर उन्होने ताऊ पहेली के कार्य को कभी एक सैकिंड भी नही रूकने दिया. आज ताऊ पहेली जिस मुकाम पर है उसमें अल्पनाजी का
अतुलनीय योगदान है.
यद्यपि वो उम्र में मुझसे काफ़ी छोटी हैं पर उनकी मेहनत और प्रतिभा के आगे नत मस्तक हूं. ईश्वर उनके इस जज्बे को बनाये रखे. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम
आप ऐसे ही बधाइयों में बँधकर रहें, यही शुभकामना है। व्यक्तित्व का सुन्दर परिचय।
जवाब देंहटाएंअल्पना जी के हम स्वयं बहुत पहले से प्रशंसक रहे हैं...ब्लागजगत में ऎसे बहुआयामी प्रतिभासम्पन्न ब्लागर्स बहुत कम संख्या में हैं.
जवाब देंहटाएंये बात तो आज ही पता चली कि उनका "भारत दर्शन" नाम से भी कोई ब्लाग है...
आभार आपका और अल्पना जी दोनों का ..हम तो दोनों के ही लेखनी के कायल हैं !!
जवाब देंहटाएंहम भी कायल है अल्पना जी की प्रतिभा से
जवाब देंहटाएंअल्पना जी से मिल कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंब्लॉग समंदर से अनमोल मोती छाँट ही लाये हैं आप इस बार ...
जवाब देंहटाएंबहुआयामी प्रतिभा से समपन्न इस व्यक्तित्व से परिचय इतने समय बाद ...
फिर भी ठीक है कि देर आये ..दुरुस्त आये ...
आभार ...!
सभी की टिप्पणियाँ और आपका सौ. अल्पना जी पर लिखा हुआ एक एक शब्द सच है
जवाब देंहटाएंमुझे भी उनका लेखन, गायन व व्यक्तित्त्व बहुत पसंद है ...मेरी ओर से ढेरों शुभकामनाए
व स्नेह भेज रही हूँ ..आपका आभार जो उन पर ये पोस्ट लिखी ...
सादर,
- लावण्या
.
जवाब देंहटाएंभईया हम तऽ हैट पहिनित नहीं, तौन का उछारी ?
मुला एत्ता हमहूँ कहब कि ई जौन अल्पना जी हैं, वुई बड़ी सुघढ़ अउर बहुआयामी चीज यहिं ।
एतना के इनका बारे मा बतावत बेरिया, तुमहूँ बगलि निहार गयौ । ईहै उनकेर सफलता आय !
अल्पना जी तो अपनी हैं, उनके बारे में क्या कहूँ. बहुमुखी प्रतिभा, मनमोहक सौंदर्य, और विचारशील व्यक्तित्व... उनकी त्रिवेणियाँ चमत्कृत करती हैं.
जवाब देंहटाएंअपि च, आह्वानित शब्द संस्कृत की दृष्टि से ठीक नहीं है, हाँ हिन्दी में प्रयुक्त हो सकता है.
अल्पना जी से परिचय कराने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंऎसे बहुआयामी प्रतिभासम्पन्न ब्लागर्स बहुत कम संख्या में हैं।
सार्थक व सराहनीय प्रयास ..
बी एस पाबला
@माननीय अरविन्द जी ,आप ने मुझे अपने ब्लॉग पर चिट्ठाकार स्तम्भ में स्थान दे कर जो सम्मान और स्नेह दिया है ,उसके लिए मैं हमेशा आप की आभारी रहूंगी.
जवाब देंहटाएंमुझे समझ नहीं आ रहा कि और क्या कहूँ ? नि:शब्द हूँ...धन्यवाद बहुत ही छोटा सा शब्द है.
आप मेरे लिए बहुत ही सम्मानीय हैं और आप की कलम से इतना मान पाना मेरे लिए गर्व की बात है.
मेरा प्रयास रहेगा कि मैं हमेशा आपकी अपेक्षाओं पर खरी उतर सकूँ .
@डॉ.टी.एस.दाराल जी,जय कुमार झा जी,राज भाटिया जी ,डॉ.सुभाष रॉय,क्षमा जी,संगीता स्वरुप जी,शिखा जी,वंदना जी,सतीश पंचम जी,रश्मि रविजा जी ,प्रवीण पाण्डेय जी,उन्मुक्त जी,राजभाषा हिंदी आप सभी से मिली शुभकामनाओं के प्रति आभार प्रकट करती हूँ.
जवाब देंहटाएं@गिरिजेश जी , आप से तारीख लिखने का रोचक और अनूठा ढंग सीखा था.याद रहेगा.
जवाब देंहटाएं@गिरिजेश जी, संगीता पुरी जी ,सतीश जी और ज़ाकिर जी आप के स्नेह और शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया भी छोटा शब्द है.
@समीर जी आप ने तो शब्दों की इतनी सुंदर माला बना दी...पसंद आई .आप के सहयोग,स्नेह और शुभकामनाओं के लिए आभार
जवाब देंहटाएं--------------
@रतन जी ,वाणी गीत जी,राम त्यागी जी आप के शब्दों ने मनोबल बढाया है इस से भविष्य में आगे और अच्छा कर सकूंगी.
आप के स्नेह और शुभकामनाओं के लिए आभार.
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@अली Sir ,विज्ञान ब्लॉग पर लिखना मुझे पसदं है इस वक़्त चार पोस्ट अधूरी पड़ी हैं ,उन्हें और बेहतर प्रस्तुत करने के लिए रोका हुआ है.
कुछ नया भी करने का सोचा है वहाँ ,देखें कब संभव हो पाता है.प्रयास रहेगा कि जल्द ही कुछ नयी पोस्ट वहाँ दे सकूँ.
आप की शुभकामनाओं के लिए आभार.
@रतन जी ,वाणी गीत जी,राम त्यागी जी आप के शब्दों ने मनोबल बढाया है इस से भविष्य में आगे और अच्छा कर सकूंगी.
जवाब देंहटाएंआप के स्नेह और शुभकामनाओं के लिए आभार.
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@डॉ.अमर कुमार जी और पाबला जी आप के शब्द हमेशा मार्गदर्शक रहेंगे.आप के प्रोत्साहन भरे शब्दों के लिए आप का आभार.
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@लावण्या दी और मुक्ति जी आप तो अपनी ही हैं जानती हूँ आप का स्नेह और शुभकामनाएं हमेशा मेरे साथ हैं और हमेशा रहेगा.
लावण्या दी आप की बातों में जो स्नेह और वात्सल्य भाव निहित रहता है वह किसी को भी अपना बनाने में सक्षम है.
बहुत बहुत आभार.
@पंडित वत्स जी ,हम भी आप के प्रशंसक हैं आप बहुत ही साधा हुआ और प्रभावी लिखते हैं.आप का धरम यात्रा ब्लॉग मुझे बेहद प्रिय है ,छोटी छोटी बातें जीवन में कितना महत्व रखती हैं यह वहाँ दी गयी कहानियों से शिक्षा मिलती है .आप के स्नेह और शुभ कामनाओं के लिए बहुत बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं@सीमा जी ,हाँ मुझे आप का वह जेम संग्रह सच में बहत आकर्षित करता है.न जाने क्यूँ?
जवाब देंहटाएं@रंजना[रंजू]भाटिया जी,हाँ मुझे भी ऐसा ही लगता है.आप के साथ भी खुद को हमेशा सहज महसूस किया है.
@अनुराग जी ,आप खुद बहुत ही अच्छे इन्सान हैं .आप ने ही मुझे त्रिवेणी लिखना सिखाया है ,हमेशा याद रहेगा.,
****आप मेरे ब्लॉग के शुरूआती सफ़र से [जब मैं किसी अग्रीग्रेटर से जुडी ही नहीं थी तब से]अब तक साथ रहे साथी भी तो हैं,आप तीनो से भावनात्मक जुड़ाव और लगाव होना ज़ाहिर सी बात है.
@प्रकाश जी आप का यह कहना कि 'अगर मैं लिखता तो धारावाहिक कई अंकों में लिखना पड़ता!
जवाब देंहटाएंआप का बडप्पन दर्शाता है.are ज़मीं पर रहने दिजीये मुझे!
रही पहेली वाली बात तो आप तो खुद ही ' अघोषित पहेली सम्राट हैं .यूँ तो आप से परिचय को अधिक समय नहीं हुआ है परन्तु इतना जानती हूँ कि सीधा सच बोल सकने वाले एक अच्छे इंसान हैं और ब्लॉगजगत ने मुझे एक बहुत ही अच्छा संवेदनशील मित्र , आलोचक,सलाहकार और शुभचिंतक दिया है .
आप के दिए सुझावों और सलाह ने मुझे हमेशा अच्छा परिणाम ही दिया है .अंग्रजी से हिंदी में अनुवाद कर सकने की मेरी योग्यता को पहचानते हुए 'भारत दर्शन ' ब्लॉग को बनाने का सुझाव आपने ही दिया था.आप ने मुझे जो मान -सम्मान यहाँ दिया है उसके लिए मैं आप की दिल से आभारी हूँ ,आशा है भविष्य में भी आप का मित्रवत सहयोग ,स्नेह और शुभकामनाएं साथ रहेंगी.
अरविंद मिश्र जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
ब्लॉगजगत में आए मुझे मात्र पांच माह ही हुए हैं , और हिंदी ब्लॉग / साइट्स टटोलते हुए सात माह ।
एक नवागंतुक के रूप में सर्वाधिक स्नेह , सम्मान और सहयोग मुझे जिनसे मिला , उनमें अल्पना वर्मा जी का नाम सबसे पहले आता है ।
बल्कि मुझे तो अपना ब्लॉग बनाने की प्रेरणा भी आप ही के कथन " ब्लॉग बनाना तीन मिनट का काम है " से मिली ।
शस्वरं की वह पोस्ट अधूरी ही होगी , जिसमें आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया न मिली हो ।
… और एक सृ्जनधर्मी के रूप में आपसे मैं सदैव प्रभावित रहा हूं । ईश्वर द्वारा प्रदत्त गुणों को निरंतर परिष्कृत करते रहना कोई अल्पना जी से सीखे । आपकी लिखी कविताएं , कहानियां , आलेख पाठकों के मन - मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ने में सक्षम हैं । आपके सुरीले स्वर में मुखरित जो भी गीत किसी ने मन से सुना , आप का मुरीद हो'कर रह गया ।
मैं तो कम्प्यूटर पर कुछ कर रहा होता हूं तो हैडफोन पर अल्पना जी के गीत सुनता रहता हूं ।
आप बधाई और साधुवाद के पात्र हैं , कि अल्पना वर्मा जी से कुछ और अधिक परिचित होने का अवसर हमें उपलब्ध कराया ।
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
अल्पना जी जितना ज्यादा आपको पढ़ा है उतना ही ज्यादा आपके बारे में सुना भी है...आप तो मेरी एक रोल मॉडल बन गयी है....
जवाब देंहटाएं@ताऊ जी ,आप मेरे ही नहीं पूरे ब्लॉग जगत के लिए ही आदरणीय हैं और आप के ब्लॉग पर पहेली आयोजन में अगर मैं अब तक सफल हूँ तो उस में समय समय पर मिलता आप का सहयोग और मार्गदर्शन ही मददगार रहा है.
जवाब देंहटाएंआप एक बहुत ही कुशल प्रबंधक हैं इसमें कोई शक नहीं.आप ने मुझे पहेली आयोजन में पूरी स्वंत्रता दी है,पहेली के लिए कभी किसी नए प्रयोग के लिए टोका नहीं ,हमेशा प्रोत्साहन ही दिया है.कई बार पलायन का विचार भी आया मगर आप ने जो विश्वास मुझे में बनाए रखा शायद यह भी एक कारण है कि यह आयोजन एक रिकॉर्ड बना रहा है.आप के कमेन्ट पर क्या कहूँ बस इतना ही कि अपना आशीर्वाद और स्नेह बनाए रखियेगा.
@राजेंद्र जी,
जवाब देंहटाएंआप एक जाने माने प्रसिद्ध गज़लकार हैं,आप की ब्लोगजगत में प्रभावशाली उपस्थिति शुभसंकेत है.आप से इन सुन्दर शब्दों में स्नेह और शुभकामनायें मिलीं,बहुत अच्छा लगा ,बहुत बहुत आभार.
--------
@शुभम,क्या कहूँ ?....हमेशा खुश रहीये.मेरी शुभकामनाएं सदा साथ हैं.
निश्चित तौर पर आदरणीय अल्पना जी वर्तमान हिंदी चिट्ठाकारों मे एक विशिष्ट स्थान रखती हैं. यह मेरी खुशनसीबी थी कि ब्लॉग जगत मे प्रवेश करते से ही मुझे उनका मार्गदर्शन मिला.
जवाब देंहटाएंमै अपनी टिप्पणी काफी देर से दे रहा हूँ जिसकी मुख्य वजह यह है कि मै क्वचिदन्यतोअपि तक पहुँच ही नहीं पाया. आदरणीय अरविंद मिश्रा जी आप का बहुत-बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं@धन्यवाद आशीष.
जवाब देंहटाएंअल्पना जी ..एक अच्छी महिला ब्लोगर तथा उनकी अच्छी सोच को सम्मान देती पोस्ट ,कलम की धनी,बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा
@शुक्रिया अरविन्द शुक्ला जी,
जवाब देंहटाएंआप के इन शब्दों से आगे और अच्छा लिखने का प्रोत्साहन मिला.
अल्पना जी से परिचय कराने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएं> kripya anyatha naa le par main is shabd ka arth jaanna chahta hoon
जवाब देंहटाएं"क्वचिदन्यतोअपि"
आज एक साल हो गया !
जवाब देंहटाएं....
प्रयास हैं कि यह छवि बनी रहे..
आभार.