सोमवार, 5 मार्च 2012

हे कवयित्री!


हे कवयित्री!

होली देहरी लाँघ चुकी है अब तो छेड़ो  नेह की  बातें   
घुट घुट जीवन क्या जीना अब तो  करो फाग की बातें 
बीता जो बीता, कल की कब की अब न बात करो 
जीवन जो शेष पड़ा है अब उसका तो श्रृंगार करो 
हे कवयित्री! 
सबका जीवन ऐसा ही है जहाँ सुख दुःख का रेला है 
कोई ऐसा भी है जिसने दुःख को कभी न झेला है ?
फिर नित क्यूं  रोना धोना ह्रदय शूल को दूर करो 
फागुन ने दी दस्तक है  बढ़  आगे बंदनवार धरो 
हे कवयित्री!
माना बेदर्दों ने तुमको दुःख पहुचाये हैं अनगिन पल छिन 
लेकिन देखो  कोई है जिसकी  है तुममे  दिन रात लगन 
त्याग युगों की यह सिसकन,उठ देख  द्वार है कौन आया 
अभिसार करो   हो  धन्य, हो जाए  पुलकित  मन  काया 
हे कवयित्री!  
 मंगलमय  होली पर आप सभी मित्रगण को रंगारंग शुभकामनाएं!

42 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई सन्देश साफ़ है ....
    शुभकामनायें आपको !

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  2. माना बेदर्दों ने तुमको दुःख पहुचाये हैं अनगिन पल छिन
    लेकिन देखो कोई है जो अब भी है तुममे दिन रात मगन
    दिन रात का यह क्यूं रोना धोना,उठ देख कोई जो द्वार पे आया
    होली पर मिलने को उत्सुक यह जो है उसका अभिसार करो
    BBahut usndar!

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  3. कवयित्री के सन्देश का उत्तर आना तो आपकी किस्मत (और रणनीति) तय करेगी, हमारी ओर से होली की शुभकामनायें! - आपको भी, उनको भी और सभी पाठको, मित्रों, परिजनों को भी।

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  4. होली का आना
    बना सुन्दर बहाना
    अरविन्द जी का कविता में
    हाथ आजमाना

    किसी कवयित्री को
    ऐसे मनाना
    जैसे बहन जी का
    कांग्रेस से गठबंधन
    बेनी प्रसाद वर्मा
    को लगता सुहाना।

    वाह वाह होली में
    कैसी ये बोली
    है कैसा जमाना?

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  5. @स्मार्ट जी,
    यह कैसी अनस्मार्ट बात कह दी है आपने ..कविता व्यष्टि नहीं समष्टि के लिए होती है -आप तो खुद कवि और कहानीकार भी है !

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  6. शुक्रिया! हमारी ओर से होली की शुभकामनायें! - आपको भी, उनको भी और सभी पाठको, मित्रों, परिजनों को भी।

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  7. @इतना तो बिलकुल दुरुस्त है!

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  8. हर बार कवयित्री ही क्यों? जीवन के थपेड़ों से लड़ते हर इन्सान को नव उत्साह की आवश्यकता है।

    प्रेरणादायक गीत!!
    होली की शुभकामनायें!

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  9. बिखराया है आपने रंग सबके अनुमान में
    भला कौन बैठा रहे अपने सांवरे वितान में..

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  10. हे कवयित्री !
    हम तो कल ही तीन तीन को एक साथ झेलकर आए हैं :)

    होली पर आपके इंतजार के लिए शुभकामनायें .

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  11. सबका जीवन ऐसा ही है जहाँ सुख दुःख का रेला है
    कोई ऐसा भी है जिसने दुःख को कभी न झेला है ?.

    वाह ... जीवन का सत्य तो यही है ... तो फॉर दुःख को ले के काहे बैठे रहना ...
    होली की बहुत बहुत शुभकामनायें ...

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  12. होली की शुभकामनायें ....

    वैसे दर्द केवल कवयित्रि को ही नहीं कवि को भी होता है तभी कविता बनती है ...अब यह दर्द कैसा और कौन सा है वो अलग बात है :):)

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  13. होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको ....

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  14. आप को होली की शुभकामनायें.

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  15. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।आप को होली की शुभकामनायें.

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  16. महाराज...ऐसी रचना की अपेक्षा बहुत दिनों से थी.आखिर होलियाने मूड में आपने अपने मन की कह दी,वो भी कब तक चुप बैठेंगे......!

    होली में खूब मौज काटो...तन की भी,मन की भी !

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  17. .
    .
    .
    हा हा हा हा,

    डायरेक्ट दिल से... ;)

    इस होली पर आपका मन और काया दोनों पुलकित हों, आखिर दिन रात की लगन का फल तो मिलेगा ही, मिलना भी चाहिये...

    शुभकामनायें !!!



    ...

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  18. बहुत ही प्यारी रचना है ,आप को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

    नए ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित है

    स्वास्थ्य के राज़ रसोई में: आंवले की चटनी
    razrsoi.blogspot.com

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  19. सार्थक सन्देश ..
    अंदाज तो अलग ही है

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  20. :)
    शुभकामनायें आपको भी , आपके पाठकों को भी :)

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  21. बढ़िया रचना प्रस्तुति .... होली की शुभकामना और बधाई ...

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  22. हे कवयित्री!
    माना बेदर्दों ने तुमको दुःख पहुचाये हैं अनगिन पल छिन
    लेकिन देखो कोई है जिसकी है तुममे दिन रात लगन
    त्याग युगों की यह सिसकन,उठ देख द्वार है कौन आया
    अभिसार करो हो धन्य, हो जाए पुलकित मन काया
    हे कवयित्री!
    सरे आम उकसाते हो अभिसार को ,

    रंग लगाने आये हो खुद 'फाग '

    बुरा न मानो होली है ,रंगों की बरजोरी है ,

    ब्लोगर बीच ठिठोली है ,

    'टल्ली' पूरी टोली है .

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  23. अर्थपूर्ण.... हार्दिक शुभकामनायें होली की.....

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  24. सरे आम उकसाते हो अभिसार को ,

    रंग लगाने आये हो खुद 'फाग 'को .

    आपका ब्लॉग पे आना उत्साह बढ़ा जाता है -

    होली पे एक शैर आपके लिए -

    अगर तलाश करोगे ,कोई मिल ही जाएगा

    मगर वो 'आँखें 'हमारी कहाँ से लाएगा .

    होली मुबारक !

    हाँ कविता व्यष्टि का समष्टि में विसर्जन ही है ,विलोपन है ,फिर 'तू' कहाँ और 'मैं '

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  25. **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
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    ♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
    ♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥



    आपको सपरिवार
    होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
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    जवाब देंहटाएं
  26. फिर नित क्यूं रोना धोना ह्रदय शूल को दूर करो फागुन ने दी दस्तक है बढ़ आगे बंदनवार धरो....
    होली की हार्दिक शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  27. 'हे कवयित्री' के साथ 'हे कवि' (भी) क्यों नहीं- कोई तात्विक अंतर मुझे तो दिखाई नहीं देता?
    शुभ-कामनायें स्वीकारें !

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  28. गजब।

    होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  29. itni achchi kavita padhkar to nishchit roop se kaviyatri ji khushi ke geet likhne lagengi :)

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  30. हज़ार साल नरगीश अपनी बे -नूरी पे रोती है ,

    तब कहीं पैदा होता है ,चमन में एक दीदावर .,

    उठो कवयित्री अवसाद छोड़ रसपान करो ,भोर की उजास का ,पुष्प गंधा जादू देखो .....

    अच्छी प्रस्तुति !

    मेसेज पढ़ लिया था ,मेल भी दियें हैं पुष्टि का .!

    शुक्रिया !बाखबर रखने का .चाहने वालों से .

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  31. सशक्त संदेश
    बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट...... शुभकामनायें।

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  32. राजहंसों पर उम्दा जानकारी से भरी पोस्ट |इसी तरह आपके ज्ञान का पिटारा हम लोगों के लिए खुलता रहे |

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