उत्तर प्रदेश में मतदान का एक दृश्य! मतदान केंद्र पर वोट देने के लिए अपनी बारी का बेसब्री से इंतज़ार करते दो छात्र -नवयुवक जिनका मतदान करने का यह पहला अवसर है.आखिर उनका नंबर आ ही गया और वे मतदान अधिकारी प्रथम के पास पहुँचते हैं .. .....
"मुझे फ़ार्म ४९ ओ दीजिये....मुझे किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं देना है ..सबके सब नालायक हैं, किसी काम के नहीं हैं ...." पीछे का लड़का भी यही मांग करता है .
"ऐसा कोई फ़ार्म नहीं है ..मतलब मुझे नहीं पता है, जाईये पीठासीन अधिकारी से मिलिए ...." उसने उन दोनों को एक ओर इशारा किया जहां पीठासीन अधिकारी बैठे थे ....
"अजीब मामला है इन लोगों को कुछ पता ही नहीं है ..." छात्र बुदबुदाए...पीठासीन अधिकारी के पास पहुंचकर उनका स्वर खीझभरा हो गया ...उनमें से जो एक ज्यादा तेज था बोला ...
"आपके मतदान अधिकारी को तो कुछ पता ही नहीं है ....हमें किसी को वोट नहीं देना है इसलिए हमें लाईये दीजिये फ़ार्म नंबर ४९ ओ ताकि किसी को भी वोट न देने के अपने अधिकार का हम प्रयोग कर सकें ...."
"फ़ार्म नंबर ४९ ओ? " पीठासीन अधिकारी के माथे पर बल पड़ते हैं ..फिर वह अपने सामने के कागजों को उलटता पलटता है ...परेशान सा बोल पड़ता है ..नहीं है ..ऐसा तो कोई फ़ार्म नहीं मिला है और न ही हमें ट्रेनिंग में बताया गया है ..."
"मगर केजरीवाल साहब का तो यही कहना है कि अगर कोई काबिल प्रत्याशी न हो तो फ़ार्म ४९ ओ लेकर आप अपना मत डाल सकते हैं .." दोनों लडके एक साथ लगभग चीखते हुए बोले ....
" आप एक काम कीजिये ... मतदाता रजिस्टर जो हमारे मतदान अधिकारी दो के पास है उस पर अपना मतदाता संख्या और साईन करके कह दीजिये कि हम मतदान नहीं करना चाहते ..हम फिर आपकी साईन कराके और अपनी भी साईन करके आपको यह करने की अनुमति दे देगें ... मगर आप ई वी एम मशीन में वोट नहीं डाल सकते और नहीं ऐसा कोई फ़ार्म मुझे मिला है ....जिसकी बात आप कर रहे हैं ..." पीठासीन अधिकारी ने लगभग उठते हुए कहा ....
अब तक उन छात्रों का टेम्पर लूज हो गया था ..मुंह से निकल रहे सुभाषितम में निर्वाचन आयोग और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ दो शब्द साफ़ सुनायी दे रहे थे ...अब तक शांत केन्द्रीय सुरक्षा बल का जवान सहसा हरकत में आया और अगले पल ही दोनो छात्र खुद लम्बी लाईन के आखिरी छोर पर जा पहुँच गए थे ...मगर वे अब वहीं धरने पर बैठ गए ... और निर्वाचन आयोग मुर्दाबाद ,अन्ना जिंदाबाद शुरू हो गया .....निर्वाचन कंट्रोल रूम तक अनुगूंज सुनायी पडी और इक्का दुक्का ऐसी ही खबरे और भी मतदान स्थलों से आने लगीं..
दरअसल यह मामला किसी फ़ार्म /प्रपत्र का नहीं बल्कि एक नियम से है -निर्वाचन संचालन नियम १९६१ के नियम ४९ ओ के अनुसार कोई भी मतदाता मतदान स्थल में प्रवेश और मतदाता पंजिका में हस्ताक्षर और अमिट स्याही या यहाँ तक कि ई वी एम मशीन में कमांड दिए जाने के बाद भी मतदान करने से मना कर सकता है ..इसके लिए उसके इस निर्णय के एवज में पीठासीन अधिकारी उसका हस्ताक्षर मतदाता पंजिका (१७ अ ) में कराकर उसे इसकी अनुमति दे सकता है . यही ४९ ओ है . यह नियम है कोई फार्म वार्म नहीं! मगर अब अन्ना साहब की टीम का क्या किया जाय जो अपने प्रशंसकों को अच्छा होमवर्क नहीं दे रही है ....यह उन्हें ठीक से बताना चाहिए था कि ४९ ओ की व्यवस्था क्या है?
मगर लगता है अन्ना साहब के टीम मेंबर भी अब पर उपदेश कुशल बहुतेरे की प्रचलित भारतीय आदत के शिकार हो चुके हैं ..खुद अरविन्द केजरीवाल जो इतना जोशीला भाषण देते हैं ,मतदाताओं को लम्बे अरसे से जागरूक करने का अभियान चलाये हुए हैं यह जानने की जहमत नहीं उठाये कि उनका ही नाम मतदाता सूची में नहीं है ....और इस खातिर अभी उनकी जोरदार किरकिरी हुयी है ....कल गोआ और उत्तर प्रदेश में मतदान है .उत्तर प्रदेश में तो आख़िरी सातवाँ चरण ..अगर आप या परिजन मतदान करने जा रहे हैं तो यह पोस्ट पढ़कर आप अपना मत किसी भी के पक्ष में न डालने के निर्णय पर ४९ ओ की उपर्युक्त प्रक्रिया अपना सकते हैं ..हो सकता आगे यह सुविधा ई वी ऍम में एक अलग बटन देकर कर दी जाय -राईट टू रिजेक्ट की बटन! मगर अभी तो ४९ओ से ही संतोष करना होगा ....भले ही इसकी बड़ी विडंबना यह है कि इसमें मतदान की गोपनीयता भंग हो जाती है ..आप ने किसी को वोट नहीं डाला यह बात उजागर हो रहती है ..जबकि निर्वाचन की व्यवस्था कानूनन गोपनीय है! इसलिए मेरी तो सलाह है कि किसी अपेक्षाकृत बेहतर पार्टी /प्रत्याशी के पक्ष में अपना गोपनीय मत ही डालें! अपने वोट को बर्बाद न करें!
क्यों ना इन लोगों का नाम ही 'टीम ४९ ओ' रख दिया जाये :)
जवाब देंहटाएंउत्तम तरीके से जानकारी देने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंलेकिन केजरीवाल जी का अमूल्य मत?
जवाब देंहटाएंउचित सलाह ....
जवाब देंहटाएंkejrival khud vote dalne nahi jana chahta tha. Wo toh media kai davav ki vajah se matdan kendra gaya. Aise log dogale hote hai.
जवाब देंहटाएंअपेक्षाकृत बेहतर पार्टी /प्रत्याशी यही तो जनता वर्षों से कर रही है, जिसका फ़ायदा ये लोग उठा रहे हैं। बेचारी जनता के पास और कोई विकल्प भी नहीं है, अब सब जोशीले नौजवान थोड़े ही होते हैं।
जवाब देंहटाएंवैसे ४९ओ के बारे में अच्छी जानकारी मिली।
@मेल से गिरिजेश:
जवाब देंहटाएंसाफ है कि नौकरशाही की टिपिकल उपेक्षा शैली और काम करने के ढंग का प्रभाव ट्रेनिंग पर भी पड़ा है। यदि निर्वाचन आयोग वाकई गम्भीर है तो उसे पहले चुनावी अमले को ठीक से ट्रेनिंग देनी चाहिये थी कि आम जनता में धारा 49-ओ ही प्रचारित है, इसलिये कोई उसकी माँग करे तो उसे बतायें कि उस प्रावधान के तहत 17 अ पंजिका की औपचारिकतायें पूरी करनी होगी न कि उससे उलझें कि ऐसा कोई फारम वारम है ही नहीं, हमें नहीं बताया गया।
मुद्दा आम जन के ट्रीटमेंट का है और प्रश्न यह है कि सत्ता तंत्र के इरादे नेक हैं या नहीं?
सादर,
गिरिजेश
अच्छा है आपने वह जानकारी उपलब्ध करा दी जिससे निर्वाचन विभाग और अन्ना टीम चूक रही है.
जवाब देंहटाएंमतदान न करने जैसी अपनी हालत भी अबकी बार कुछ ऐसी ही है.आज के नेताओं के ऐसे-ऐसे विकल्प हैं कि उनमें से कोई हमारी परख में फिट नहीं बैठता.
जवाब देंहटाएं..तो क्या किया जाये? मतदान का बहिष्कार ?
ज़रूर अपनी भड़ास मिटाने का एक जरिया फ़िलहाल ४९-ओ है.
इन नेताओं के बरक्स मुझे तो केजरीवाल कहीं ऊंचे कद के दिखते हैं.अन्ना का कोई भी विकल्प नहीं है इस समय .हाँ,आज की राजनीति में सत्ता से लड़ने का कमीनापन इनमें नहीं है अभी !
मतदाता सूची में नाम ना होना अरविन्द केजरीवाल की गलती नहीं है ,प्रधानमत्री से लेकर राष्ट्रपति तक सूची से गायब हो जाते हैं !
जवाब देंहटाएंजनता को फॉर्म की सही जानकारी देना पीठासीन अधिकारी की जिम्मेदारी है मगर जब उन्हें ट्रेनिंग में यह सिखाया ही नहीं गया हो तो !!
वोट नहीं देने जाना या फिर जाकर नहीं दे पाना ...जब वे खुल्लमखुल्ला विरोध कर रहे हैं दागी प्रत्यासियों को टिकट देने का तो क्यों देना चाहेंगे वोट जबतक कि राईट तो रिजेक्ट का अधिकार नहीं मिलता , फॉर्म भरने पर गोपनीयता भांग होने के खतरे से आपने आगाह कर ही दिया है !
सरकारी नियमों के बारे में जानकारी फैलाना और अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना सरकार की ज़िम्मेदारी है। लेकिन जो हर मोर्चे पर फ़ेल ही होना जानते हों वे यहाँ भी कोई काम ठीक से कैसे करेंगे?
जवाब देंहटाएंकबसे प्रतीक्षा थी कि आपने अपना जो बहुमूल्य समय देश के भविष्य को संवारने में दिया है तो उससे जुड़ी कोई रोचक और महत्वपूर्ण आलेख पढने को अवश्य मिलेगी . हमारी जिज्ञासा का भी हक़ बनता है .कुछ वैसा ही महत्वपूर्ण आलेख..
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण जानकारी. सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि "अपेक्षाकृत बेहतर" का पक्ष लेना होगा.
जवाब देंहटाएंएक अतिरिक्त बटन ही दे दिया जाये..
जवाब देंहटाएंमिश्रा जी - आपका आभार -- यह जानकारी इतने साफ़ रूप में शेयर करने के लिए | मैं भी अब तक फॉर्म ही समझ रही थी |
जवाब देंहटाएंराजनीति में भले लाग कब आएंगे
जवाब देंहटाएंलाग=लोग
जवाब देंहटाएंये झंझट का काम है और गोपनीयता तो बिल्कुल नहीं है इसमें.
जवाब देंहटाएंरंगों की बरजोरी है बुरा न मानो होली है ,दिल वालो की मतवालों की टोली है ...होली मुबारक .
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी ....मतदाता जागरूक ज़रूर हुआ है .लेकिन मतदाता सूची से नाम गायब कौन करता है चुन चुन कर ...?
धन्यवाद इस जानकारी का. क्या पहले से और ऑनलाइन पता कर सकते हैं कि मतदाता सूचि में नाम शामिल है या नहीं !
जवाब देंहटाएं@जी हाँ कर सकते हैं -नाम से एवं एपिक नम्बर से भी !
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अली साहब का सुझाव काम का है !
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