राजहंसों की पुनर्खोज विषयक पहली और दूसरी पोस्ट के बाद यह आख़िरी किश्त है जिसमें हंस /राजहंस की एक और प्रबल दावेदारी का उल्लेख किया जाना जरुरी लगता है .यह कटेगरी है गूज (goose )की जिन्हें भी भारतीय साहित्य में हंस और कहीं कहीं राजहंस का दर्जा मिला हुआ है .सालिम अली ने भी बारहेडेड गूज (अन्सेर इंडिकस ) को हंस, राजहंस,बिरवा और सवन के हिन्दी नामों का उल्लेख किया है .एक मिलती जुलती प्रजाति -बड़ी बत (अन्सेर अन्सेर) भी है.दोनों भारत में जाड़े की प्रवासी हैं और अक्सर अक्टूबर से मार्च तक नदियों ,झीलों के आस पास दीखते हैं .
बार हेडेड गूज -यह भी है एक हंस!
गूज जाड़े में समूचे उत्तर भारत, आसाम तक फ़ैल जाते हैं .मगर मध्य भारत को छोड़ आगे बढ़ते हुए ये मैसूर तक देखे गए हैं . मध्य भारत में इक्का दुक्का दिखाई पड़ते हैं .किसी हिन्दी कवि ने यह कहा है कि 'सिंहों के नहीं लेहड़े,हंसों की नहिं पांत " तो निश्चय ही उसने गूजों की टोली और पंक्तिपावन परम्परा अनदेखा ही किया था ..ये जमीन पर तो बड़े झुंडों में होते ही हैं उड़ते वक्त भी या तो V का अकार लेते हैं या फिर रिबन सरीखी कतार से नभ के दो सुदूर कोनों को जोड़ते हुए से लगते हैं .इनकी आंग आंग की आवाज गूजती हुयी सी लगती है .
सुरेश सिंह ने 'भारतीय पक्षी' में बारहेडेड गूज का सोनाबत और कादम्ब हंस भी नाम दिया है .उनका कहना है कि कि कुछ कवियों ने इसे ही कलहंस या हंसराज भी कहा है ...उनके अनुसार यह मंगोलिया और साइबेरिया के दक्षिणी भागों में अपने घोसले बनाती है . तिब्बत और लद्दाख की झीलों में भी इनकी एक बड़ी आबादी जोड़े बनाती है .
भारत सरकार की भी दरियादिली कि एक बत्तख को भी देवहंस का दर्जा मिल गया
कई कवियों ने ज्यादा नीर क्षीर विवेक के चक्कर में पड़कर बत्तखों को हंस मान लिया है जिनमें नुक्टा या काम्ब डक और ह्वाईट विंग वूड डक है जिन्हें क्रमशः नंदीमुख हँसक और देवहंस का नाम मिला है ...जाहिर हैं कवियों की कल्पनाएँ उनके नीर नीर क्षीर विवेक और प्रकृति के सूक्ष्म प्रेक्षण पर हावी रही हैं . कुछ कवियों ने चैती (टील ) आदि को भी हंसराली,काणक हंस जैसे सुन्दर नाम दे डाले हैं ....आशय यह कि एक आम पाठक के लिए इन्ही विवरणों के चलते असली हंस की पहचान मुश्किल तलब होती चली गयी ....
....इसलिए ही हंस गीतिका* आपकी सेवा में दरपेश हुयी -
*स्वान सांग = अंतिम कृति!
हंस-गीतिका के बारे में और जानकारी अपेक्षित है !!
जवाब देंहटाएंसार्थक, सामयिक प्रस्तुति, आभार.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग " meri kavitayen" पर पधारें, मेरे प्रयास पर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें .
राजहंस की कल्पित धारणा वैज्ञानिक न भी हो पर काव्य-क्षमता ही उसे विशिष्ट स्थान देता है . सार-असार में विभेद या फिर मोती का आहार हो , चुनाव श्रेष्ठ का ही करता है . वैसे हम अपनी आत्मा को भी उस हंस की क्षमता से युक्त पाते हैं यदि उससे परिचित हों तो . सुन्दर जानकारी देने के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंआपका पक्षी प्रेम पसंद आया ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें भाई जी !
बड़ा ही सु्दर लग रहा है यह पक्षी।
जवाब देंहटाएंBahut badhiya jaankaaree!
जवाब देंहटाएंसुंदर जानकारी एक ही जगह. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंहंसों पर बढ़िया जानकारी दी है ।
जवाब देंहटाएंलेकिन कवियों का क्या है , वे तो तिल का भी ताड़ बना देते हैं ।
सुन्दर पक्षी ,सुन्दर जानकारी.
जवाब देंहटाएंPlay gooseberry is a IDM जिसका अर्थ है प्रेमियों के एकांत मिलन में बाधक होना .
जवाब देंहटाएंGoose ,गूस बतख सरीखा (जैसा )बड़ा सफ़ेद पक्षी होता है जिसे मांस के लिए पाला जाता है .इसे गीज़ भी कहतें हैं .
नियाग्रा प्रपात (Big mishigun lake ) पर यह जल के सतह पर बादलों की तरह छा जातें हैं .हमने यह दृश्य अपनी आँखों से देखा है .बेहतरीन पोस्ट के लिए आपका आभार .
ये जानकारियां बहुत से लोगों के लिए नयी हैं , मेरे लिए भी..... आभार
जवाब देंहटाएंकुछ पकड़ने में कुछ छूट जाता है। आपकी पिछली पोस्ट भी छूट गई थी। आज दोनो पढ़ी। नई और रोचक जानकारी देते इस बेहतरीन आलेख को तैयार करने में आपका श्रम दिखता है।
जवाब देंहटाएं..आभार।
हम भी गूस को ही हंस मानते आये हैं. अब यदि राजहंस कहलाना है तो फिर Crown लगा होगा. कल ही मैंने कहीं (तस्वीर में)एक सफ़ेद डक देखा था जिसे Crown headed duck बताया गया था.
जवाब देंहटाएंकाव्य वीथिका और विज्ञानं वीथिका में काफी अंतर है ,दोनों का सफ़र यद्यपि मानसिक वातायन से निगमित होता है परन्तु ,लालित्य का राजहंस अभी तक तो मिथक ही है ,फिर भी हमारी परिकल्पना में सदैव वांछित रहा है ......सुन्दर आलेख ,बधाई /
जवाब देंहटाएंनई और रोचक जानकारी
जवाब देंहटाएंचकाचक!
जवाब देंहटाएंबड़ा अच्छा लगा इसे पढकर। संतोष भाई की बात से सहमत हूं।
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी दे रहे हैं आप - मुझे तो zero information थी इस बारे में :)
जवाब देंहटाएंआभार
राजहंस के बारे में मोनियर विलियम्स लिखते हैं - " kind-goose " , a kind of swan or goose (with red legs and bill , sometimes compared to a flamingo)
जवाब देंहटाएंलगभग उतना ही अनिश्चित जो कुछ इसके बारे में आपने अपने शोध के बाद आपने तीन किस्तों में लिखा। मुझे पसंद आया । धन्यवादम् ।