अभी अभी तो
गिरिजेश गए हैं ! थोड़ी रिक्तता तिर आई है ! सपरिवार आये थे किसी सामाजिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने ! ब्लॉगर स्नेह सौजन्य ऐसा कि मुझसे मिलने आ गये ! उनकी सदाशयता ,विनम्रता ने मेरी एक शाम को सुखानुभूतियों से भर दिया ! रहे तो वे महज एक घंटे मगर इसी में हमने मानो एक युग जी लिया ! वो कहते हैं न कि मिलन की दीर्घावधि की तुलना में उसकी गहनता ज्यादे मायने रखती है ! हम खूब हँसे ,खिलखिलाए ,नाश्ता पानी किया ,थोड़ी ब्लागरी पर बतियाया ,एक फार्मल फोटो सेशन किया !
आगे कौस्तुभ और अरिदम ,पीछे दायें से गिरिजेश राव ,बिटिया अलका ,श्रीमती गिरिजेश राव ,संध्या मिश्रा और मैं (फोटो की खराब क्वालिटी के लिए खेद है )
मैंने दो कथा संग्रह उन्हें भेट किये -
'एक और क्रौंच वध ' और अभी सद्य प्रकाशित और लोकार्पित '
राहुल की मंगल यात्रा ' ख़ास तौर पर बच्चों,बिटिया अलका और बेटे अरिदम को भेट किया !अब इतने सरल चित्त और विज्ञ पाठक मिलें तो यह फायदा कौन उठाना नहीं चाहेगा ! कोई बमुश्किल एक घंटे गुजार कर वे अभी कुछ पल पहले ही सपरिवार लखनऊ कूच कर गए हैं -रोका पर रुके नहीं ! अभी अभी रास्ते से ही उनका फोन भी आ गया -
बाऊ के पुनरागमन पर कतिपय प्रिच्छायें कर रहे थे....पूरी तरह ब्लॉगर चरित्र पर उतर आये हैं बन्धु !
बेटे अरिदम के साथ एक पोज
अब उनसे यह मुलाकात सार्वजनिक की जाय या नहीं इसे लेकर भी कुछ असमंजस की स्थिति रही ....मगर ब्लॉगर क्या चाहे बस एक पोस्ट की जुगाड़ -के फलसफे पर मैं कायम था मगर पत्नी को गंवारा नहीं था हर पल ब्लागिंग को समर्पित करते रहना! फिर मैंने कुछ तार्किक चिंतन मनन किया -ब्लागर की स्वतंत्रता (के तर्क ) का पल्लू थामा ,यह भी कि आखिर घोडा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या ? और यह भी सोचकर कि जिस तेजी से गिरिजेश एक ब्लॉगर सेलिब्रिटी होने को उद्यत हैं आज यह मुलाक़ात सार्वजनिक कर आप लोगों की गवाही भी ले ले -न जाने आगे वे कहीं पहचानने से ही इनकार न कर दें -
प्रभुता पाई काह न मद होई !
ब्लागरी वर्ल्ड ने सचमुच दुनिया को एक परिवार का रूप दे दिया है -जो काम रीयल जगत नहीं कर पाया अब यह रायल जगत कर रहा है -नए नए नेह सम्बन्ध बन रहे हैं ! एक नया उत्साह जीवन को नए अर्थ दे रहा है -हम तो बहुत आशान्वित हैं ! क्या आप भी ?
मिथक टूट रहे हैं .इस दुनिया को आभासी कहने वालों कहां हो जी ...गिनती शुरू कर दो इन स्वर्णिम मुलाकातों की ..।
जवाब देंहटाएंमिश्र जी ..लंठ तो ..तस्वीर में बेहद मासूम और विनम्र लग रहे थे ..अद्भुत है कि ये शख्सियत ऐसी है ..सुंदर ..और ब्लोग्गर को हमेशा ही पोस्ट ठेलने के ब्लोग धर्म का पालन करना चाहिये ...चाहिये इसके लिये एक दिन का खाना भी न मिले घर में ...
गिरिजेश जी तो बेहद ही सकारात्मक ब्लोगेर है..उनके लिए तो "और बुखार माने और ज्यादा जीवन है.." उनसे मिलना निश्चित ही एक विशिष्ट अनुभव रहा होगा..इस मधुर,विशिष्ट मिलन की बधाइयाँ...
जवाब देंहटाएंBahut sundar raha ye milan, isse ek aur achchhi pratha chal nikli hai jo ki khatm hone ki kagar pe thi... apne 'Naye Mehman' kahani to padhi hi hogi... lekin bloggers meet ne mehmannawazi ka wo daur fir se shuru kar diya hai...
जवाब देंहटाएंJai Hind...
मिश्र जी और राव जी की मुलाकात को पढ़कर अभी हफ्ता पहले दिनेशराय द्विवेदी सर और बीएस पाबला जी के साथ बिताए पल फिर आंखों में फिल्म की तरह घूम गए...
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा भाई जी,
अगर आपके बताए उसूल पर ब्लॉगरों की पत्नियों ने चलना शुरू कर दिया तो हम जैसे कई अक्ल के कोल्हू भूखे ही मर जाएंगे...
जय हिंद...
हम भी पिछले दिनों दिल्ली में ब्लागरों से भेंटे हैं और रात्रि विश्राम भी किया अजय कुमार झा के आवास पर। बस ये मुलाकातें होती रहें। एक नया परिवार एक नया समाज खड़ा हो रहा है।
जवाब देंहटाएंआपके विचारो से सहमत हूँ .
जवाब देंहटाएंआभासी दुनिया जैसे शब्द अब हिंदी ब्लॉगिंग से लुप्त होने की उम्मीद है
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
मिल कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंमुलाक़ात का वर्णन बहुत भाया. दोनो ब्लॉगर्स की दोस्ती हमेशा ऐसे ही बढ़े ऐसी कामना है.
जवाब देंहटाएं" उनकी सदाशयता ,विनम्रता ने मेरी एक शाम को सुखानुभूतियों से भर दिया ! रहे तो वे महज एक घंटे मगर..........."
जवाब देंहटाएंएक पोस्ट ठेलने की सामग्री दे गए :)
यह ब्लागिंग संध्या
जवाब देंहटाएंजबरदस्त रही होगी ...
यह कुविचार आपके दिमाग में आया कैसे कि इस मुलाकात को सार्वजनिक न किया जाये । हम तो राव साहब और आपके परिवार की तस्वीर को अपनी जीवनसंगिनी लता और बिटिया कोपल को दिखा भी चुके ..इसलिये कि आप लोग जब दुर्ग-भिलाई आयें तो ऐसा लगे कि अपने रिश्तेदार आ रहे हैं और आवभगत में कोई कमी न रहे । बस यही सार है अरविन्द जी ..बाकी सब बेकार ।
जवाब देंहटाएंगिरिजेश ने निजी कुछ छोडा कहाँ है जिसे सार्वजनिक न किया जा सके??
जवाब देंहटाएंअर्विंद जी बहुत सुंदर विवरण इस मिलन का, आप का लेख पढ कर मुझे वत्स जी के संग बिताये कुछ पल याद आ गये, वो कुछ पल मेने सहेज कर रखे है. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवाह!! आप लोगों का मिलन अच्छा लगा!!
जवाब देंहटाएंगिरिजेश एक ब्लॉगर सेलिब्रिटी होने को उद्यत हैं -हमारे तो वो आज ही सेलिब्रिटी ब्लॉगर हैं.
गिरिजेश से मुलाक़ात कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंराव जी और मिश्र जी की परिवारों से अंतरजाल पर मिलना सुखद लगा...
जवाब देंहटाएंआप दोनों परिवारों की मित्रता दिनों-दिन गहरी होती जाए यही कामना है..निःसंदेह नए संबंधों का प्रस्फुटित होना ब्लॉग्गिंग की यह बहुत बड़ी उपलब्धि है...
बधाई आप दोनों को...
वो कहते हैं न कि मिलन की दीर्घावधि की तुलना में उसकी गहनता ज्यादे मायने रखती है !
जवाब देंहटाएंबहुत सही ...
आप लोगों की इस मुलाकात के लिए बधाई...!!
... ब्लाग एक मंच है और जुडे सभी लोगों का अपना एक अलग समाज है जो शनै:शनै: बिस्त्रत रूप लेगा !!!!
जवाब देंहटाएंभैया, अल्लसुबह चौंका गए। हम लोगों के निकलते ही पोस्ट ठेलन के जुगाड़ में लग गए थे शायद।
जवाब देंहटाएंइत्ती भारी भारी बड़ी बड़ी बातें कह गए हैं कि कभी अपने को कभी जाने किस किस को देखते हैं।
अरे, सेलीब्रटी वग़ैरह हम जैसे क्या खा कर बनेंगे जो बाहर तो बाहर अन्दर और यहाँ तक कि सोच में भी नुक़्ता चीं की गुंजाइश ढूढ़ते रहते हैं। प्रभुता तो हम जैसों के पैरलल ट्रैक पर चलती है - मतबल कि दुन्नों कभी नहीं मिलने वाले। हम तो ऐसे ही भोजपुरिया सोझवा टाइप रहेंगे। सुकून रहता है।
आप के स्नेह से सभी लोग अभिभूत हो गए। भाभी जी और कौस्तुभ से मिलना सुखद रहा। आत्मीयता और सहजता छू क्या झपिया गए।
नेट और ब्लॉगिंग की खासियत यही है कि समान तरह के लोगों को भौगोलिक या किसी भी तरह की सीमा से मुक्त कर जोड़ देते हैं। मैंने कब सोचा था कि बस टिप्पणियों के सहारे ऐसा अपनापन जुट जाएगा? भाई बन्धु ब्लॉगिंग के तार पकड़ अमेरिका से फोन करने लगें तो पता चलता है कि दुनिया छोटी हो गई है।
शायद यह छुटपन अंतर की छुटपन को छोटा करते करते एक दिन समाप्त कर देगा, यह मेरा आशावाद है।
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श्रीमती जी का एक्स्पर्ट कमेंट - भाई साहब बहुत लिखने पढ़ने वाले हैं। भाभी जी मेरी तरह सीधी(आत्मप्रशंसा !) हैं न, वक्त बेवक्त की कलम घिसाई पर रोकती नहीं होंगी। अब ये मेरे उपर कटाक्ष था लेकिन मैं सोच में पढ़ गया। क्या वाकई पढ़्ने लिखने, छ्पने छपाने वालों के अर्धांग को सीधा(!) होना चाहिए? ब्लॉगिंग करने वालों के साथ भी ऐसा होना चाहिए क्या? मतलब कि पत्नी ब्लॉगर तो पति सीधे और पति ब्लॉगर तो पत्नी सीधे ! इस सीधेपन ने तो सोच में डाल दिया भैया।
अब इसे कोई आभासी कहे या जिसे चाहे जो कहे,हम तो ये कहेंगे कंही से असली रिश्तों और असली दुनिया से कम नही है ये ब्लाग की दुनिया।बहुत बढिया लगी मुलाकात।मिलते रहना चाहिये।फ़लता-फ़ूलता रहे ब्लाग परिवार।हैप्पी ब्लागिंग्।
जवाब देंहटाएंदो रचनात्मक व्यक्तित्वों का आत्मीय मिलन हमेशा सुखद होता है . परिवार साथ हो तो पारिवारिकता की सुवास उसे और भी यादगार बना देती है . आभासी जगत से शुरू हुई मित्रताएं इसी तरह वास्तविक जगत को भासमान करती हैं .
जवाब देंहटाएंआपने सही लिखा है, अपनी उत्कट रचनाशीलता के कारण गिरिजेश सचमुच सेलिब्रिटी ब्लॉगर बनने की राह पर हैँ . वैसे आप कौन से कम सेलिब्रिटी हैं . सो ये तो 'तुम्हउं सेलिब्रिटी,हमउं सेलिब्रिटी' वाला मामला था . दो अत्यंत महत्वपूर्ण चिट्ठाकारों का मिलन .
विभेदों से भरे समय में आत्मीयता और सहज जुडाव के ये स्वर आशा का संचार करते हैं
बाउ के पुनरागमन की प्रिच्छायें ? तो क्या कहा आपने ?
जवाब देंहटाएंउनसे कहिये कि कम से कम मैं बाउ की गहरी प्रतीक्षा में हूँ ।
गिरिजेश भईया आये - काश थोड़ा और पास रहता मैं । तब तो खबर मिल ही जाती । दौड़ कर पहुँचता । सहज सनेह ! प्रसन्न हो रहा हूँ मैं (यद्यपि मिले आप हैं)।
गिरिजेश जी को अक्सर पढ़ता हूँ उनको पढ़ कर बहुत कुछ जानने को मिलता है, सच में एक टिप्पणी में पढ़ कि वे सकारात्मक लेखक है मै भी इस बात का सर्मथन करता हूँ।
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा यह पोस्ट, सार्थक और सराहनीय है।
अच्छा लगता है जब यूँ मुलाकात होती है ..
जवाब देंहटाएंहम भी जल्दी मिलते हैं गिरिजेशजी से. बस बिन बताये एक दिन जल्दी ही :)
जवाब देंहटाएंGirijesh ji.... kabhi mere bhi ghar aayiye....
जवाब देंहटाएंगिरिजेश जी के bare मे आप के ब्लॉग पर ही अधिक पढ़ने को मिला है.
जवाब देंहटाएंयह मुलाकात आप की अच्छी रही ,जानकर खुशी hui.दुनिया सच मे छोटी हो गयी है.
blogging ke is pahlu ke prati-हम bhi बहुत आशान्वित हैं
अरे सब बड़का बड़का लोग बोल चुके! हम तो यही कहेंगे कि गिरिजेश की कलम मिले तो चुरालें!
जवाब देंहटाएंदो सितारों के मिलन की घटना यूँ गुजर गयी और मुझे खबर तक नहीं हुई...? लगता है मैं ब्लॉगरी से भटक गया हूँ। आप लोगों ने मुझे अलग से क्यों नहीं बताया? हद है...।
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