शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

कान्हा जब धरती पर अवतरित हुए तो बैकुंठ खाली हो गया.......

जन्माष्टमी करीब आ गयी है ...इससे जुडी खरीददारियां शुरू हो गयी हैं .शिशु  कान्हा के पहनने के लिए नन्हे नन्हे झिंगोला दुपट्टा ,मुकुट ,बांसुरी ,मोरपंख सभी बाजारों में बरबस ही आकर्षित कर रहे हैं .मेरे यहाँ भी ये खरीददारी हो गयी है ....इन सामानों से किशन कन्हैया के जन्मोत्सव की झांकी सजाई जायेगी ....बनारस में अब वैष्णवों का भी बोलबाला है यद्यपि मूलतः यह प्राचीनतम नगरी शैवों की रही है .शिव भक्ति यहाँ की मूल संस्कृति में रची बसी है -यह तो बाबा तुलसीदास का चमत्कार कहिये कि उन्होंने राम और शिव का ऐसा अन्योनाश्रित सबंध स्थापित कर दिया कि वैष्णवों को शिव सुहाने लगे और शैवों के लिए राम भी आराध्य बन गए ....
झांकी का ताम झाम और हसरत से देखता बच्चा 
कहते हैं जहां भगवान राम महज आठ कलाओं से युक्त थे कान्हा सभी सोलह कलाओं के साथ जब धरती पर अवतरित हुए तो बैकुंठ खाली हो गया ....क्योकि अपने सम्पूर्ण रूप में विष्णु कान्हा का रूप ले धरती पर आ गए ....साम दाम दंड भेद सभी की सभी चालों से युक्त थे कृष्ण .....छलिया थे,रसिया थे ,रणछोड़ थे, सब कुछ थे ....परकीया प्रेम में आसक्त रहे ,भोली भाली गोपियों को छला,महाभारत के दौरान -युद्ध क्षेत्रे धर्म क्षेत्रे कितने ही अर्ध सत्य बोले ,शत्रु दमन के लिए झूठ तक का सहारा लिया किन्तु तब भी हर दिल अजीज बने रहे ...

.कभी कभी सोचता हूँ भगवान राम   बिचारे सीता के निर्वासन की एक गलती कर आलोचना के पात्र बन गए ...उन्हें आम लोगों ने ही नहीं कविजनों तक ने नहीं बख्शा .....मगर कृष्ण को जन मानस कभी शायद ही कोई कोसता हो ....उत्तर राम काल में राम को दीवानगी की हद तक शायद ही किसी ने चाहा हो मगर कृष्ण की दीवानगी की एक झलक तो बावरी मीरा में ही देखी जा सकती है ...बिचारे राम!कृष्ण कूटनीति में माहिर थे....राम को केवल रघुकुल की रीति का सम्मान ही सर्वोच्च था ...वे वचन पर दृढ थे मगर अपने छलिया महराज सब तरह के कूट -प्रपंच में माहिर ....प्रत्यक्ष रूपवती सूर्पनखा के प्रति राम तुरंत अलेर्जिक हो उठते हैं ..कृष्ण ने कितनों को उपकृत किया यह सूचीबद्ध करने की किसी को भी सूझा तक न हो -पटरानियों ,रानियों के साथ उनका द्वारिकापुरी का अन्तःपुर श्री संमृद्धि से भरापूरा था ..
नन्हे कान्हा के नन्हे नन्हे लिबास 

कृष्ण ज्यादा आधुनिक लगते हैं .....लोक मानस  ने उनके साथ ज्यादा तादाम्य बना लिया ....राम जहां आराध्य ही बने रहे वहीं कृष्ण के प्रति लोगों में सखा भाव संचारित होता रहा ....कृष्ण से बढ़कर भला कौन तारणहार हो सकता है ? गज को ग्राह से मुक्त किया ....सुदामा का दारिद्रय दूर किया ,द्रोपदी की ऐन वक्त पर लाज बचा ली -यह सखत्व भाव किसी और देव में नहीं दीखता .....अपनी इसी लोकगम्यता के कारण ही कृष्ण  जन जन के ज्यादा करीब हैं ,मित्रवत लगते हैं ,ज्यादा सामजिक और अपने से हैं ....

कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं ! 




32 टिप्‍पणियां:

  1. श्रद्धा का अपना ही आनंद होता है ....
    फिर चाहे राम पर हो अथवा शिव पर क्या फर्क पड़ता है !

    हाँ जन्माष्टमी पर सब कुछ कृष्णमय हो जाता है...
    राधे राधे जपो चले आयेंगे मुरारी ...

    पर सब कुछ छोड़, झूमने का दिल करता है,
    भाई जी !

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  2. शिव और कृष्ण दोनो ने ही दार्शनिकों..कवियों..कला प्रेमियों..संगीत प्रेमियों..को आकर्षित किया है। सत्य और प्रेम का मार्ग यहीं से होकर जाता है। शैव हों या वैष्णव दोनो इक दूजे से आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकते।
    ..जै श्री कृष्ण।

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  3. रामचरितमानस पढने से पहले मुझे वैष्णवों और शैवों के पारस्परिक विरोध के बारे में जानकारी थी. लेकिन सही में तुलसी ने इस भेद को मिटाने में बहुत बड़ा योगदान किया.
    बहुत अच्छा लेख लगा आपका. बहुत दिनों तक ब्लॉग से दूर ही रहा.
    बहुत सुन्दर तुलनात्मक अभिव्यक्ति. वैसे तो राम और कृष्ण दोनों एक ही हैं..लेकिन मैंने जो एक सबसे बड़ा अंतर देखा वो ये है की श्री राम ने किसी से कोई सहायता लेने से पहले उसका उपकार किया हो. १. पहले बाली को मरकर सुग्रीव को निर्भय किया फिर उसके बानर सेना की मदद ली. २. पहले विभीषण को राज दे दिया फिर रावण के भेद जाने. आदि. पर मुझे ऐसा लगा कृष्ण ने पहले अपने भक्त की परिक्षा ली की वो कितना समर्पित है फिर ही उसे कुछ दिया. १. पहले द्रौपदी ने अपने दुप्पटे से उनकी उंगली बाँधी फिर उसको चीर का दान मिला. २. सुदामा के चावल खाए बगैर तो उसे भी कुछ नहीं दिया. ३. एक फल वाली बुढिया से फल खाए बाद में उसे पता चला की उसके मोल में जो धन उस औरत को मिले वो हीरे थे.

    ऐसा कहने के पीछे मेरा अल्प-ज्ञान हो सकता है वर्ना मर्यादा-पुरुषोत्तम और लीला-पुरुषोत्तम की भला क्या तुलना. मुझे तो उनके सारे ही रूप पसंद हैं. मैं इस बात से सहमत हूँ की सखा भाव दिखाने में कृष्ण का रूप बहुत आसान लगता है...
    प्रणाम.
    राजेश

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  4. राम और कृष्ण के बारे में आपके अध्ययन से कुछ नई जानकारियाँ मिलीं.राम और शिव की महत्ता के द्वंद्व पर तुलसी ने गज़ब का प्रयास किया.उनके अनुसार राम ने कहा,
    "शंकर-प्रिय मम द्रोही,शिव-द्रोही मम दास,
    ते नर करहिं कलप भर,घोर नरक महुँ बास"
    रही बात राम और कृष्ण की तुलना की,तो दोनों का चरित्र और भूमिका बिलकुल ज़ुदा है .राम हमारे आदर्श हैं,कृष्ण सखा.एक मर्यादा पुरुषोत्तम है तो दूसरा आम आदमी की तरह आचरण करने वाला.
    राम के तुलसी में दास्य-भाव है तो सूर के कृष्ण में सखा.
    फिर भी,दोनों की अहमियत हमारे जीवन में अलग -अलग है.पहला जीवन के आदर्श सिखाता है तो दूसरा रंजक है,जीवन में विविध रंग भरता है !
    जन्माष्टमी पर हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  5. ईश्वर एक ही है , किसी भी नाम से जाना जाये ...
    इन दोनों ही रूपों में पूज्यनीय हैं , तुलना इंसान में भी नहीं होनी चाहिए तो भगवान के रूपों में भी नहीं !

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  6. काश बाबा तुलसीदास जैसा कोई महापुरुष दक्षिण में भी अवतरित हो जाता!. वैष्णवों को शिव अब भी नहीं सुहाते जबकि शैव बहु आयामी हैं. जन्माष्टमी के लिए अग्रिम शुभकामनाएं.

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  7. उत्तर भारत में शैव और वैष्णव का कॉन्सेप्ट ही अब धूमिल हो गया लगता है क्योंकि वर्तमान समय में सभी एकाकार हो गये हैं। हां, दक्षिण में परिस्थितियां थोड़ी अलग जरूर हैं जिसका संकेत सुब्रमण्यन जी ने दिया है।

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  8. आपको भी बहुत बहुत बधाई, तब तो वैकुण्ठ ही खाली हो गया था, सभी यहीं उतर आये थे।

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  9. छलिया .... या ..नटखट कान्हा ...
    बहुत अपना सा लगता है कन्हैया का चरित्र .......शुभकामनायें आपको भी

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  10. कृष्ण से एक अपनापन लगता है ...जैसे वह सब से अच्छे दोस्त हों ...और जन्माष्टमी पर तो विशेष स्नेह जाग उठता है

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  11. happy krishna janmashtami :)
    yeah u r right the whole env is krishnamaya !!!

    Characterization of Krishna is much closer to reality, people can relate to him in some way may be thtz the reason why he is more popular than any other incarnation of lord Vishnu !!

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  12. उत्तर-भारत में घर-घर में सजाई जानेवाली जन्माष्टमी की झांकियां बहुत याद आती हैं...यहाँ तो 'दही-हांडी' का शोर रहता है.

    जन्माष्टमी की शुभकामनाएं....

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  13. BHADHIYA POST KE LIYE ABHAR BHAIJEE

    EVAM, JANMASHTMI KI SUBHKAMNAYEN....


    PRANAM.

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  14. सच कहा आपने कृष्ण कि लीला का कोई जवाब नहीं ......वो कान्हा एक बांसुरी वाला सुध बिसरा गया मोरी ...आपको जन्माष्टमी कि हार्दिक बधाई दोस्त |
    बहुत सुन्दर पोस्ट |

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  15. राम ने हमे समाज शास्त्र दिया तो कृष्ण ने नीतिशास्त्र। कितना अंतर है दोनों में। एक स्वच्छ जीवन देता है समाज को तो दूसरा कहता है EVERY THING IS FAIR IN LOVE AND WAR :)

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  16. शायद लोहिया जी ने लिखा था- राम मानव की तरह पैदा हुए और ईश्‍वर की तरह जिए, लेकिल कृष्‍ण ईश्‍वर की तरह पैदा हुए और मानव की तरह जिए.

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  17. काशी, विष्‍णु का आनंद कानन वन भी तो है.

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  18. बढ़िया प्रस्तुति,पूरा माहौल जय श्री कृष्ण है.

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  19. आपको भी कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं !

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  20. मैं बालक बैयंन को छोटो ,छींका केहि बिधि पायो ,ग्वाल बाल सब बैर पड़ें हैं ,बरबस मुख लिप्तायो ....मैया मोरी कसम तोरी मैं नहीं माखन खायो ....इस रास रचैया ने अभिसारिकाओं को ,अभिसार को लोक जीवन में प्रतिष्ठा दिलवाई ,"दूसरी औरत "राधा को पद प्रतिष्ठा ,पूजा अर्चना की पात्रता दिलवाई ",इससे आगे "सह -जीवन "सिम्बियोतिक लिविंग "और क्या होगी ....आज तो चारों और शकुनी ही शकुनी हैं ,दुर्योधन के सेना पतियों में तो एक भीष्म पितामह भी थे ,कृपाचार्य,इतर आचार्य गण थे,इधर मनमोहनी सेना में सब शकुनी ही शकुनी हैं ,सूपर्ण- खा हैं . .बधाई कृष्णा ,जन्म दिवस मुबारक कृष्णा ...... ram ram bhai

    शनिवार, २० अगस्त २०११
    कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
    स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
    क्योंकि इन दिनों -
    "राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
    मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    Saturday, August 20, 2011
    प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

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  21. श्रीराम जहाँ त्रेता युग में हुए । वहीँ श्री कृष्ण द्वापर के अंत में हुए । यानि श्री कृष्ण वर्तमान के ज्यादा करीब हैं । शायद इसीलिए श्रीराम एक आदर्श विचारधारा के प्रतीक के रूप में माने जाते हैं । जबकि कृष्ण जी को वैज्ञानिक रूप में भी समझा गया है ।

    उनके जीवन के चारों आश्रम जन सामान्य के लिए प्रेरणा के श्रोत हैं । जय श्री कृष्ण ।

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  22. आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएं !

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  23. राम ही गोपाल थे और गोपाल ही राम
    हर युग मे जैसी स्क्रिप्ट लिखी गयी.
    वैसा वैसा रोल निभाया.
    जय कन्हैया लाल की.

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  24. कृष्ण जमाष्ट्मी की हार्दिक शुभकामनाएं |

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  25. "राम को समझो, कृष्ण को जानो;
    नींद से जागो, ओ दिवानों."

    जन्माष्टमी पर महत्वपूर्ण चर्चा की है आपने.

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  26. बहुत सुन्दर पोस्ट. सही है, कृष्ण असल में देवता कभी लगे ही नहीं. वे तो हमेशा अपने बहुत करीब के प्रियजन ही लगते हैं.
    जन्माष्टमी पर हार्दिक शुभकामनाएं.

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  27. डॉ .अरविन्द भाईसाहब ,इस दौर में आपका संग साथ ही अन्ना जी की ताकत है .ऊर्जा और आंच दीजिए इस मूक क्रान्ति को .बेहतरीन जानकारी दी है आपने बहुत अच्छी पोस्ट .लगाईं है कृष्णा के बाबत जय कृष्णा ,जय अन्ना जी ,जय भारत .
    ram ram bhai

    सोमवार, २२ अगस्त २०११
    अन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है . /
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    .
    .आभार .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com
    Tuesday, August 23, 2011
    इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
    जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
    अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं .

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com//......
    गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
    Posted by veerubhai on Sunday, August 21

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