गुरुवार, 27 मई 2010

नेहरू को नमन!


कृतज्ञ राष्ट्र किंवा विश्व आज नेहरू को याद कर रहा है .मुझे कहने में कोई हिचक नहीं है कि आधुनिक  भारत के किसी भी लाल ने मुझे इतना प्रभावित नहीं किया है जितना कि जवाहरलाल ने ,दूसरे नंबर पर हैं एक दूसरे लाल ,लाल बहादुर शास्त्री जी ....यह आवश्यक नहीं कि मेरा यह निजी मत  जन गण मन का प्रतिनिधित्व करता हो .नेहरू को मैं निर्विवाद एक युग पुरुष, एक विश्व -पुरुष मानता हूँ ! उनकी शिक्षा और सोच पश्चिमी मूल्यों से प्रभावित है मगर विद्वता पर प्राच्य ज्ञान पिपासा और दार्शनिकता ही प्रभावी दिखती है .


पूरी दुनिया को उन्होंने "वैज्ञानिक नजरिये" यानि सायिनटिफिक टेम्पर (यह शब्द भी उन्ही का दिया हुआ है ) जैसी सोच का तोहफा दिया और प्रधान मंत्री बनते ही भारत को तो उन्होंने वैज्ञानिक और प्रौद्योगिक साज सज्जा का तोहफा देने में तनिक भी विलम्ब नहीं किया .आज भारत की आधुनिक प्रौद्योगिकी में जो भी दखल है नेहरू जी की प्रेरणा का प्रतिफल है ,उन्होंने देश में ज्ञान विज्ञान के नए मंदिरों के रूप में कितने ही वैज्ञानिक संस्थानों की नीव रखी .वे पोंगा पंथी के सख्त खिलाफ थे...उस समय भी जब देश गरीबी के कठिन दौर से गुजर रहा था यज्ञों और कर्मकांडों में हजारो मन(वजन की पुरानी इकाई )  खाद्यान्न और सैकड़ों मन  देशी घी का हवन   उनके अंतर्मन को व्यथित कर देता था -उन्होंने इसकी अनेक बार कड़े शब्दों में भर्त्सना की ..
उन्हें हमेशा लगता था कि मानवता का भला और सारी समस्यायों का समाधान  वैज्ञानिक नजरिये से ही संभव है ,

इसका यह तात्पर्य नहीं है कि उन्हें भारतीय मूल्यों के प्रति कोई लगाव नहीं था ,अपनी आत्मकथा में उन्होंने उपनिषदीय चिंतन की विराटता की सराहाना की है और ज्ञान के प्रति भारतीय मनीषा के आग्रहों के आगे नतमस्तक हुए हैं .उन्होंने स्वीकार किया है यह भरतीय सोच ही थी जिसके चलते डार्विन का विकासवाद भी यहाँ वह वितंडावाद नहीं उत्पन्न कर पाया जिसने चर्चों की चूले हिलाकर रख दीं थी ..अवतारवाद और काल विभाजन के आदि चिंतन में हमारे यहाँ विकासवाद के प्रति एक सहिष्णुता पहले से ही थी ..नेहरू जी ने आदि शंकराचार्य के ज्ञान  विज्ञान के संचार के प्रयासों और उनके ज्ञान पीठों के गठन की भूरि भूरि प्रशंसा की है .

यह बहुत संभव है कि नेहरू जी के प्रभाव में भारत ने विकास का एक पश्चिमी माडल अपनाने में जल्दी दिखायी और गांधी जी के कुटीर उद्योगों की उपेक्षा हुई हो मगर नेहरू जी ने जानबूझ कर ऐसा किया हुआ होगा मुझे नहीं लगता -वे ह्रदय के साफ़ व्यक्ति थे ,उदार थे और जनकल्याण की भावनाओं से आप्लावित थे..चीन ने उनकी इसी सहज उदारता का बेजा फायदा उठाया ...
आज बुद्ध पूर्णिमा है -बुद्ध करुणा के सागर तो थे ही वैज्ञानिक सोच की उन्ही की परम्परा में नेहरू का अवतरण हुआ लगता है .क्योंकि बुद्ध ने ही यह कहा  था कि कि तुम किसी भी बात को इसलिए ही मत मान लो कि तुम्हारे शिक्षक ने ऐसा कहा है बल्कि जब तक तुम खुद ही प्रयोग परीक्षण कर उस तथ्य तक न पहुँच जाओ .
..
कैसा संयोग है कि विश्व आज बुद्ध का अवतरण और नेहरू का निर्वाण एक साथ मना  रहा है ...
दोनों महान विभूतियों को मेरा नमन !

19 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर पोस्ट!

    नेहरु जी का ब्लॉग होता तो वे ब्लॉग पर ही डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया लिखते....:-)

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  2. नेहरू जी के बारे में पढना और उन्हें याद करना अच्छा लगा. उन्हें याद करने में हम भी आपके साथ हैं.
    regards

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  3. देश के प्रथम प्रधान मंत्री को श्रद्धांजली....अच्छी पोस्ट

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  4. एक बार फिर से तत्कालीन परिस्थितियों पर नजर दौड़ाइये, सुभाष बाबू के साथ हुई दुरभिसंधियों को ध्यान में रखिये, भारत के आजाद होने के बाद देशवासियों के साथ क्या किया गया और क्या किया जाना चाहिये था, उस पर भी एक विहंगम दृष्टि दौड़ाइये, शायद कहीं कोई मूर्ति खंडित हो जायेगी.

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  5. आपके साथ हम भी सामिल हैं नेहरू जी की श्रद्धांजलि में... आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में राष्ट्र उनको नमन करता है… उनकी डिस्कवरी ऑफ इण्डिया पढकर आज भी एक उपन्यास पढने सा आनंद आता है, लगता ही नहीं कि कोई ऐतिहासिक दस्तावेज़ है...

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  6. भारत वैसे भी नेहरू को नहीं भूल सकता. ऐसे नासुर दिये है कि दर्द मिटता ही नहीं.

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  7. नेहरु जी का ब्लॉग होता तो वे ब्लॉग पर ही डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया लिखते....

    क्या लिखते पता नहीं मगर सर्वाधिक टिप्पणी पाने में समीरलालजी से आगे होते... :)

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  8. भारतीय राजपरिवार के आदीपुरूष को श्रद्धांजली

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  9. दोनों महान विभूतियों को नमन.

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  10. यह काश्मीर का पंगा,यह जात पात की लडाई ओर भी बहुत से जख्म दिये ही इस भारतिया अग्रेज ने,आज तक सिर्फ़ एक ही प्रधान मत्री हुआ है लाल बहादुर शास्त्री जिसे बार बार नमन करने को दिल करता है,

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  11. नेहरु को नमन!
    बुद्ध को प्रणाम!!
    बुद्ध मूर्ति-भंजक थे और सब से अधिक मूर्तीयां भी दुनिया ने उनकी ही बनीं! ऐसे ही विरोधाभासों से भरी पडी है दुनिया.
    नेहरु हों या गाधीं..हम बस पूजते क्यों हैं ? ये "देश आखिर कब स्वस्थ चिंतन फिर से कर सकेगा ? ये वैज्ञानिक बुद्धि नेहरु के विचारों और उनकी असफलताओं का भी नीर-क्षीर विवेक से परीक्षण करनें मे क्यो सक्षम नही लगती? Nehru ki "mixed economy" kab aur kaise "mixed-up economy" ho gaye? कौन विचारेगा ?

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  12. देश के प्रथम प्रधान मंत्री को श्रद्धांजली....अच्छी पोस्ट

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  13. नेहरु जी को श्रद्धांजली

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  14. निश्चित रूप से नेहरू ने इस देश को जो कुछ दिया उसी के आधार पर यह आज दुनिया में कोई स्थान बना पाया है। वैज्ञानिक विचारधारा के होते हुए भी उन्होंने शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान दिया होता और युद्ध स्तर पर देश को शिक्षित बनाने की योजना बनाई होती तो देश की स्थिति कुछ और ही होती।

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  15. हैदराबाद, कश्मीर का विलय, खूनी चीनी हाथों से तिब्बत के दलाई लामा का बचाव, नेपाल की राणा तानाशाही का अंत, निर्गुट आन्दोलन, उच्च शिक्षा और पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा राष्ट्र निर्माण की नींव जैसे बहुत से कामों के लिए नेहरू जी को याद किया जाता रहेगा. कम लोग जानते हैं की चीन के हमले के बाद नेहरू जी ने कम्प्यूटर आधारित चौकसी व्यवस्था की ज़रुरत को समझा था जो भारत के कम्प्युटर युग में प्रवेश का बीज था.

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  16. कम्प्यूटर आधारित चौकसी व्यवस्था?

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  17. बेशक , नेहरु जी को नमन करने का दिल करता है ।
    इस सामयिक पोस्ट पोस्ट के लिए आपका भी आभार ।

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  18. शायद कहीं कोई मूर्ति खंडित हो जायेगी.

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