सोमवार, 24 मई 2010

जिन्न बोतल के बाहर ,वैज्ञानिक भीतर :मेरी फरमाईश पर काजल कुमार ने बनाया यह कार्टून

प्रयोगशाला में जीवाणुओं की ऐसी फ़ौज बना ली गयी है जो कुदरत में कभी मौजूद न थी ...क्रैग वेंटर एक ऐसे  वैज्ञानिक है जिन्होंने विधाता के कामों में  दखलंदाजी कर डाली है -इसे लेकर तरह तरह की आशंकाएं व्यक्त हो रही हैं .अगर ये जीवाणु रोगाणु बन गए तो ? मानवता  पहले से ही एड्स और स्वायिन फ़्लू ,बर्ड फ़्लू और न जाने कितने विषाणु -जीवाणु जनित बीमारियों की चपेट में कराह रही है! किसी आतंकवादी संगठन को अगर ये मानव निर्मित जीवाणु भा गए तो ? और बोतल /प्रयोगशाला में बंद जीवाणु बाहर निकलकर रोगाणु /विलेन टाईप के जिन्न बन गए तो ?

एक चित्रकार /कार्टूनिस्ट भी इन विचारों से दो चार होता है  और अपनी दैव प्रदत्त प्रतिभा की मदद से लम्बी चौड़ी बातों को महज कुछ लकीरों और आड़ी तिरछी रेखाओं में व्यक्त करता है ...आखिर इस वैश्विक हलचल समाचार से अपने प्रिय ब्लॉग कार्टूनिस्ट काजल कुमार भी प्रेरित हुए और मेरे अनुरोध पर यह कार्टून उन्होंने मुझे भेजा है-
 

उन्होंने कार्टून का न तो कोई कैप्शन ही दिया है और न ही लीजेंड! कार्टूनिस्ट ऐसे ही मनमौजी होते हैं ..यह काम उन्होंने हमारे ऊपर छोड़ दिया है ..क्या आप इस कार्टून का मजमून लिखने में चित्रकार और मेरी मदद करेगें ? सबसे उपयुक्त मजमून यहाँ  क्रेडिट के साथ चस्पा हो जाएगा! तनिक प्रयास कीजिये न !

27 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ भी नाम नहीं दे पा रहा हु वैसे कार्टून मस्त है !

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  2. मुझे तो किशोर कुमार का गाया वह गीत याद आ रहा है कि -

    अरे भई निकल के आ घर से
    आ घर से
    दुनिया की रौनक देख फिर से
    अरे देख फिर से
    :)

    वैसे कैप्शन देना हो तो कह सकते हैं -

    एक फूल दो माली

    फूल बोले तो अंग्रेजी वाला Fool :)

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  3. अधिक दिन नहीं बीते एक ने दो की आपस में तुलना की थी।
    दुनूँ भनभनाते हुए भी(?) मैच्योरिटी का मान रखते हुए ऐसा वैसा कुछ नहीं कहे (हालाँकि चेले चपाटियों ने कोई कसर उठा नहीं रखी)
    काजल कुमार ने उन दोनों की दबी इच्छा को अभिव्यक्ति दी है। ... हमको कोई कुछ कहेगा तो उसके लिए एडवान्स में ये शेर:
    वो: बात जिसका ज़िक्र सारे फसाने में न था
    वो: बात उन्हें बहुत नाग़वार गुजरी है।
    डिस्क्लेमर: :):) (नया विवाद शुरू करने की कोई मंशा नहीं है, साम्यता दिखी सो कह दिए।)

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  4. गिरिजेश,

    बहुत धाकड़ सोचs भाय।

    जड़ तक पहुंच गए गुरू...जड तक.....एकदम नंगई वाली बात पर कार्टून सटीक बैठ रहा है :)

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  5. बोतल में बंद वैज्ञानिक के सर पर बाल नहीं है ...वरना ....शक आप पर भी जा सकता था ...:):)

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  6. गिरिजेश जी मैं कहाँ खीच के लाना चाहता था ..औए फिर आप वापस वहीं खीच के ले गए हैं -लगता है अब एक फूल दो माली से ही काम चलाना पडेगा !
    वैसे इस अर्थ में भी एक जिन तो पूरा जल्लाद लगता है -
    पहला जिन :आखिर नहीं माने अपनी आदत से ..इसे काहें बोतल में बंद कर दिए !
    दूसरा :बड़ा ज्ञान बघारता था -अब हम बोतल के बाहर हैं देखते हैं बच्चू को ....तुम्हे ठीक न लगे तो दफा हो जाओ ..अभी तो
    बोतल में ढक्कन भी लगाना है !

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  7. उस समय एकदम से क्रिसमस माफिक चकाचक चलती दुकान अब बन्द होने से दु:खी एक बेनामी ने अर्ज किया है:
    "मोरे मन काटत यह कीरा
    ज्ञान धरेंगे सुकुल समीरा"

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  8. चेतावनी:
    मेरे नाम से आती टिप्पणियों की जाँच पड़ताल कर लें । हो सकता है कि किसी ने मंगोलिया में बैठे बैठे ... समझ रहे हैं न? हाँ...

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  10. हा हा कर देते हैं भीड़ में..मजा तो आता ही है!!

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  11. कार्टून वाकई में जबरदस्त है.....
    regards

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  12. वेंटर जी कैद हो गये । जिन्नात्मक प्रयोग था क्या ?

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  13. तो ये शरारत काजल भाई सह मिश्र जी के संयुक्त तत्वावधान में हुई कि कल्पनाओं के घोड़े खुल्लम खुल्ला दौड़ाते रहिये वाले भाव से पाठकों को छूट दे दी गई है - चलिये फिर हम भी हिस्सा लेते हैं ... सही विकल्प आप दोनों खुदै चुन लीजियेगा ...

    (१) प्रस्तुत चित्र से आप द्वय का आशय ये है कि जिन्नों में लिंग भेद नहीं होता ये केवल इंसानों का दस्तूर / शौक है :)

    (२) वैज्ञानिक एक माफिया सरीखा पावरफुल बन्दा होता है उसे कब्जे हटाने के काम / बेदखली की सुपारी वगैरह सौंपे जा सकते हैं , का विज्ञापन है :)

    (३) जिन्न गण विज्ञान को आसन्न खतरे के रूप में देख रहे हैं :)

    (४) पिछले दिनों दो ब्लागरों की ( जिन्न सरीखी आभासी ) श्रेष्ठता को निर्धारित करने की जंग / विवाद के समय मिश्र जी अपने खोल में चले गए थे...सनद रहे कि वे निर्विवादित ब्लागर हैं सो चित्र बनाने में व्यस्त रहने के कारण काजल जी भी :)

    (५) ब्लागिंग आभासी ( यहां जिन्न प्रतीक हैं ) दुनिया है जिसने वैज्ञानिकों तक को शीशे में ढाल तो लिया है पर अब दोनों एक दूसरे से परेशान है ! कृपया चित्र में प्रदर्शित चेहरों में चिंता / परेशानी आप खुदै देख लीजिये :)

    (६) एक ब्लागर अपनी किलेबंदी में भी सुरक्षित नहीं है ... आस पास हैकर्स घूम रहे हैं ... सारे ब्लागर्स के लिए आप द्वय का चेतावनी सन्देश :)

    (७) अकेला ब्लागर भी ब्लॉगर मीट के बारे में सोच सकता है :)

    (८) हर ब्लागर यही सोचता है कि केवल वो ही वास्तविकता / सत्य के पथ पर / महिमा मंडित है ! शेष सारे ब्लागर आभासी हैं ... माया / मिथ्या / कल्पना मात्र हैं ! यहां पर एक ब्लागर का वैज्ञानिक होना 'सत्य' तथा शीशी उसके महिमामंडन की प्रतीक है ! शेष ब्लागर्स के लिये जिन्नों का प्रतीक प्रयुक्त हुआ है :)

    (9) हर ब्लागर अपने लिये एक सच्चा और कई घोस्ट ब्लाग बनाता है :)

    (१०) वैज्ञानिक चिंतन बोतल में बंद हुआ 'सा' हो चला है जबकि प्रेत आत्मायें ( ढोर चिंतन ) स्वतंत्र विचरण कर रही हैं ...आप द्वय का गूढ़ दार्शनिकता भरा सन्देश :)

    (११) कुछ ब्लागर्स ने एक ब्लागर का सम्मान किया है ( यहां पर शीशी कांच का फ्रेम मानी जाये ) सम्मान का मूल भाव यह है कि 'अमुक' अब से केवल हमारी 'दीवाल' पर सजेगा :)

    (१२) एक ब्लागरीय गुट भी हो सकता है गुट के लिये दो या अधिक की जरुरत नहीं :)

    नोट : अब सब सुझाव मैं ही देता रहूंगा तो गिरिजेश जी / सिद्धार्थ जी / जाकिर भाई एंड कम्पनी वगैरह मतलब ये गुट क्या करेंगे :)

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  14. ऊपर वाला कमेन्ट मेरा है कि हैकर का ...ये आपकी प्रतिक्रियाओं के बाद ही पता चल पायेगा :)

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  15. दोनों जिन्नों में हैकर कौन है?

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  16. कार्टून बहुत बढ़िया है और आने वाली टिप्पणियाँ भी...मुझे तो कुछ नहीं सूझा

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  17. अली सा ने इतने कल्पनाशील विकल्प दे दिए की दिमगवै चकरा गया -कुछ प्रकाश शायद अब च्त्र्कार महोदय ही डाल सकें !

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  18. अली साहब उर्फ उनके हैकर ने बढिया सुझाव दिये हैं। यद्यपि मैं उसके जैसी योग्यता तो नहीं रखता, फिरभी उसकी बातों से इंस्पायर होने का दिल चाहता है।

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  19. बहुत ही सुन्दर और मस्त लगा कार्टून ! बढ़िया प्रस्तुती!

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  20. " Botal mein Manmohan Singh, Kasaab aur Afjal neer bahaye "

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  21. एक जिन दूसरे से ....आखिर हमने इसे बना ही लिया. अब बाहर निकालूँ क्या ?

    दूसरा :अरे बिलकुल नहीं ये बहुत खतरनाक जीव है
    पूरी दुनिया में फ़ैल जायेगा ....
    लगता है एक जिन ने दूसरे की बात आखिर नहीं मानी .....

    कोई बता सकता है कि अब तक असली आई डी और नकली आई डी से कितने कमेन्ट हुए हैं ?

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  22. साथी हाथ बढाना साथी रे!! कैसा रहेगा?

    वैसे अली भाई की टिप्पणि ने तो हमारा दिमाग भी सटका दिया है.:)

    रामराम.

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  23. अली साहब ने तो सब उड़ेल दिया..एक ही चित्र में बारह के मज़े :-)

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  24. "कैसा बना है भाई?"
    "मस्त! नंगई हमसे ज़्यादा, कपड़े भी हमसे ज़्यादा"

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  25. मेरे ख्याल से इस बोतल में आप ही बंद हैं....

    --साभार अली जी --:(६) एक ब्लागर अपनी किलेबंदी में भी सुरक्षित नहीं है ... आस पास हैकर्स घूम रहे हैं ... सारे ब्लागर्स के लिए आप द्वय का चेतावनी सन्देश :)

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