शायद ही कोई गंभीर या अगम्भीर चिट्ठाकार हो जो कुश को न जानता हो ! कितनों को तो इन्होने पानी ...अर्रर काफी पिला डाला है ! और तभी से मैं भी इनसे एक कप काफी पीने को तरसता रहा हूँ ! और इस प्रतिभाशाली युवा ब्लॉगर के करतूतों की सूक्ष्म पड़ताल /या पर्यवेक्षण करता रहा हूँ -और पाया है कि इनकी (सु ) कृतियों का.....पुण्य का घडा तिल तिल कर भरता ही रहा है और आज वह मुचे मुच्च भर गया सा लगा -पाप का घडा तो फूट जाता है ,मगर पुण्य का घडा लबरेज होने पर हिरण्यगर्भ बन जाता है और दिग् दिगंत को अपनी आभा से आलोकित करता है ! तो कुश का पुण्य का घडा जब भर गया तो इन्द्र का सिंहासन भी डगमग डगमग होने लग गया ! और मेरी कहाँ बिसात कि इस प्रतापी ब्लॉगर की और उपेक्षा कर पाता ,लिहाजा आज वे चिट्ठाकार चर्चा में शामिल हो गए हैं ! उगते सूरज को कब तक अनदेखा किया जा सकता है ?
आईये कुश के पुण्य प्रताप सी जुडी बाद की बातों को पहले ले लेते हैं और पहले की बातों को बाद में ले ही लेंगें ! अभी उसी दिन ही तो एक ब्लॉग पर कुछ चित्र विकृतियों की पहेली के जरिये यह पूंछा जा रहा था कि वे किस ब्लॉगर से सम्बन्धित हैं या वह कौन सा ब्लागर है -यह एक मौलिक सूझ थी ,मगर माडर्न चित्रकला की तरह ही अस्पष्ट ,विषयनिष्ठ (सब्जेक्टिव ) और कुछ हद तक मेरे जैसे विज्ञान से जुड़े अकल्पनाशील व्यक्ति के लिए प्रथम दृष्टया वाहियात भी -मगर दाद देनी होगी बन्दे (कुश ) की कि उन्होंने उन अस्पष्ट रेखाओं और रंगों में भी सही ब्लागर का चेहरा पहचान लिया ! मैं इम्प्रेस हुआ ! यह एक विलक्षण क्षमता है जिसे पेरिडोलिया के नाम से जानते हैं -अस्पष्ट और बेतरतीब चित्र प्रारूपों में भी काम का पैटर्न ढूंढ निकालना ! यह वही क्षमता है जिससे घने जंगलों के वासी झाडियों में छिपे बाघ या अन्य हिंस्र पशुओं का आभास कर लेते हैं और उनकी जीवन रक्षा हो जाती है -ब्लागजगत के इस विस्तीर्ण वियाबान में कुश की यह अनुवांशिकीय क्षमता मुझे चमत्कृत कर गयी ! उनमें पेरिडोलिया के जीन अभी भी सक्रिय हैं जबकि शहरी जीवन में मनुष्य की कई अन्तर्निहित क्षमताएँ क्षीण होती जा रही हैं ! कुश एक आधुनिक आदिम जीव हैं -हा हा -दोनों दुनिया के मजे लूटते हुए ! बोले तो इन्ज्योइंग बेस्ट आफ द बोथ वर्ल्ड ! ईर्ष्या होती हैं ना ?
एक हालिया घटना तो पहली अप्रैल की भी है -कोई मुझे दिन भर नही बना पाया ! और मैं अति आत्मविश्वास से लबरेज निश्चिंत सा कि अब तो रात आयी बात गयी, लगा चिटठा चर्चा पढने -कुश की ही लिखी हुयी और ये लीजिये वाटर लू का अनुभव हो गया -मैं इत्मीनान से अप्रैल फूल बन चुका था ! कोई संख्या भी दिखी -अप्रैलफूल नम्बर ७८ शायद -मुझे काटो तो खून नही ! हतप्रभ रह गया ! वाह रे मछेरे कितनी फान्सें तूने लगाई थीं और कितने चारों में ! मैं सोलहो आने मूर्ख बन चुका था और बुडबक सा , भकुए सा सामने की अप्रैल फूल की उदघोषणा को देख रहा था ! एक बुद्धिबली ,प्रतापी ने परास्त कर दिया था ! पहले तो 'लानत है इस बुद्धि पर' जैसा आत्म प्रवंचना भाव मन में उठा- पर तुंरत ही कुश की बुद्धिमता पर उमड आए प्रशंसा भाव ने मेरे उस प्रवंचना भाव को तिरोहित कर दिया -कोई कुश सा मूर्ख बनाये तो ..हम बार बार मूर्ख बनने को तैयार हैं ! कोई सलीके और सम्मान से ...बनाये तो !
अब थोड़ा पीछे चलते हैं .कुश की नैसर्गिक प्रतिभा है स्क्रीन प्ले -पटकथाएं लिखने की ! जोरदार लिखते हैं कलम तोड़ ! और कई बार बिल्कुल प्रोफेसनल ! कुश हैं तो उम्र में छोटे मगर दिल के बड़े (बस शास्त्री जी से जुड़े एक मामले के अपवाद को छोड़कर जिसे सुधी जन जानते ही हैं ! ) -मैंने उनकी एक पटकथा पर खीझ कर टिप्पणी कर दी कि क्या ऐसे ही पिटी पिटाई पटकथा (क्लीश ) की उम्मीद आपसे है ? मेरी आशंका के विपरीत उन्होंने झट से मेरी आलोचना को सकारात्मक लहजे मे लिया और स्वीकार कर लिया किया कि हाँ वह पटकथा जरूर थोड़ी बासी स्टाईल की थी ! इस घटना ने भी मेरे मन में इस युवा ब्लागर की एक अच्छी छवि बनाई ! पर लगभग उन्ही दिनों के आस पास एक एंटी क्लाईमैक्स घटित हो गया !
अब जहाँ कुश हैं वहां "लव " को तो होना ही है -और इसकी जानकारी एक दिन मुझे अनायास ही हो गयी ! ऐसे ही एक दिन मैं अंतर्जाल पर था -एक खिड़की सहसा खुल आयी -अचानक कुछ रम पम पम सा और आती क्या खंडाला टाईप ध्वनियाँ (ओह उस दिन मेरा स्पीकर भी काफी लाउड था ) आने लगीं -देखा चैट की एक खडकी खुली है और कुश अपनी करामत पर हैं -मैं अकस्मात कुछ समझ नही पाया तो कुश को हेलो किया -कुछ क्षण अप्रत्याशित शान्ति छाई रही और फिर कुश ने एपोलोजायिज किया और अंतर्ध्यान हो गए ! तो यह क्रॉस चैटिंग का मामला था ! आज भी वह दस्तावेज मेरे पास अभिलेखित है निजी हैं इसलिए शेयर नही कर रहा हूँ -पर सच मानिये बहुत मजा आया -मगर फिर थोड़ी कोफ्त हुयी ख़ुद पर -इतना जल्दी रिएक्ट करने की क्या जरूरत थी ? कुछ वोयेरिज्म का आनंद मैं भी उठाता ! भला राग दरबारी के रंगनाथ सा तुंरत रिएक्ट कर जाने की क्या जरूरत थी जो मूर्खता उन्होंने उस समय की थी जब यह जानने के लिए कि उनके बड़े भाई पहलवान घर की छत पर कैसी दंड बैठकें करने जाते हैं की उत्कंठा लिए वे छत पर पहुंचे थे तो कोई और ही वहा प्रतीक्षारत रत थ (ई ) .और वे हडबडा कर वहाँ से चल दिए और शेष जीवन उस जल्दीबाजी के लिए ख़ुद को कोसते रहे ! पर मैंने तो जल्दी ही मन को मना लिया कि बच्चों की लीलाओं में हम बड़े बूढों को ज्यादा दिलचस्पी नही दिखानी चाहिए ! बहरहाल कुश इस मामले का विस्तार कर सकते हैं -आप उनसे ख़ुद ही क्यों नही पूंछ लेते ! हो सकता है मैं ही अनावश्यक कल्पनाशील हो रहा हूँ और वैसा कुछ भी कुश के साथ न हुआ हो !
थोड़ा और पहले चलते हैं .जिसने कुश की काफी पी है वह भी और जिसने नहीं भी पी उनका मुरीद हो गया है -उन्होंनेयह शर्त रख दी कि मैं उन्हें क्वचिदन्यतोअपि का मतलब बता दूँ और वह उनके समझ में भी आ जाय तो वे मुझे भी काफी पिला देंगें ! वह तो मैंने उन्हें कब का बता दिया पर अभी भी वे मुझे उसी तरह टरकाए चल रहे हैं जैसे डॉ अमरकुमार जैसे बुजुर्ग को ! अब उनकी उम्र का तकाजा भी ऐसा ही है कि उम्रदराज लोगों में उनकी स्थाई रूचि हो भी कैसे सकती है .डॉ साहब नाहक ही नारदमोह में पड़े हैं !
कुश की प्रेक्षण क्षमता भी सटीक है ,बोले तो पर्यवेक्षण क्षमता -वे पर्यवेक्षण से नाम तो मेरा जोड़ते हैं मगर इस कला में माहिर हैं ख़ुद ! वे ब्लागरों को उनके रंग ढंग से पहचानते हैं -उडती चिडिया के पर भी पहचान लेते हैं -उडी उडाई बात यह भी कि वे लोगों को फोन पर तंग भी करते हैं बिना यह जाने कि तंग होने पर कुछ तंगदिल लोग इसकी शिकायते दूसरों से कर देते हैं -अब दूसरे कैसे तंग होते हैं यह अहसास दिलाने के लिए मैंने एक दिन उन्हें ख़ुद फोन किया -दरअसल वे इन दिनों एक विज्ञान प्रेम कथा में मुब्तिला हैं -उस पर काम कर रहे हैं ! इसी बहाने से मैंने उन्हें फोन किया .बड़ी गर्मजोशी से मगर धीरे स्वरों में जैसे कि मीटिंग के दौरान लोगों की आवाज सुनाई देती है वे बोले , नाम के आगे जी मत लगाईये .अब कुश मैं आपको कैसे समझाऊँ के हम लोग एक जी कल्ट चला रहे हैं और विदेशी तक उसे स्वीकार कर चुके हैं , यहाँ तक कि विदेशी मुझे भी मेरे नाम के आगे जी जोड़कर ही संबोधित करने लगे हैं.ये बातें अभी कुछ ही आगे बढ़ी थी कि जल्दी ही कुश कह पड़े कि अभी मैं आफिस में हूँ -आफिस के बाद बात करता हूँ ! मैंने मुस्कराते हुए कनेक्शन आफ किया -उन्हें तंग करने का अहसास दिलाना भर था मुझे ! ओनली बियरर नोज व्हेयर शू पिंचेज !
उनके रिटर्न काल का मुझे अभी भी इन्तजार है !
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
-
Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
जवाब देंहटाएंबुज़ुर्ग़... मैं ? पँगा हो जायेगा , मिश्रा जी !
मेल-मीनोपाज़ पर लेख लिखने को कह कर,
मेरे ज़ोश-ए-निट्ठल्ले को पहले ही ललकार चुके हो,
मुझको बुज़ुर्ग कह कर नौज़वानों का अपमान मत करो, भाई !
बड़े ही विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं ये ब्लॉगर कुश जी। बहुत प्रभावशाली।
जवाब देंहटाएंआप सही है ,कुश जी निश्चित इस योग्य हैं .प्रतिभा के धनी
जवाब देंहटाएंये व्यक्ति जिसका नाम कुश बताया गया है, काफी होशियार बंदा लगता है मगर ये है कौन?? कोई फोटू तो लगाओ.
जवाब देंहटाएं:)
कुश इसके अलावा निर्भीक और स्पष्टवादी होने के साथ-साथ सच को सच कहने में संकोच नही करते।
जवाब देंहटाएं"कुश एक आधुनिक आदिम जीव हैं -हा हा -दोनों दुनिया के मजे लूटते हुए !"
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने, मतलब कुश विश्लेषण और विभूषण दोनों काम करते हैं एक साथ -
"बिन्दु (नहीं कुश) दोनों तरफ ले रहा है मजा
कुछ इधर भी रहा, कुछ उधर भी रहा ।"
सच में ईर्ष्या तो होती ही है । अपनी चिट्ठाकार चर्चा में कुश की चर्चा जमा दी आपने ।
वाह! इतना जानने के बाद तो मैं भी कुश का मुरीद हो गया.
जवाब देंहटाएंपेरिडोलिया की जानकारी के लिए धन्यवाद. अब समझ में आया की कुछ लोगों को बादलों में इसा मसीह, आलू में गणेश जी और बकरे की पीठ पर "अल्लाह" लिखा हुआ कैसे दिख जाता है
जवाब देंहटाएंकुछ ही ऐसे ब्लोगर हैं जिन्हें पहली बार पढ़ के मैंने ब्लॉग लिस्ट में शामिल किया हो ..कुश ऐसे ही ब्लागरों में से एक थे. संवाद लिखने की उनकी कला का जवाब नही है
जवाब देंहटाएंकुश का जवाब नहीं।
जवाब देंहटाएंकुश मे दम है।
जवाब देंहटाएंडा० अमर कुमार तो हमारे बुजुर्ग निकले, धन्यवाद बताने के लिये , लेकिन फ़ोटू मै तो बहुत जवान लगते है २३, २४ साल के, शायद पुरानी फ़ोटू चिपका दी होगी, कुश जी के बारे आप ने बहुत अच्छा लिखा.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
कुश की मीठी आवाज के हम भी मुरीद हैं ! बोलते हैं तो चीनी टपकती रहती है !
जवाब देंहटाएंkush aachhe blogger hi nahi achhe insaan bhi hain, ye unki tippani se pata chalta hai
जवाब देंहटाएंकुश की नैसर्गिक प्रतिभा है स्क्रीन प्ले -पटकथाएं लिखने की ! जोरदार लिखते हैं कलम तोड़ !.....पाया है कि इनकी (सु ) कृतियों का.....पुण्य का घडा तिल तिल कर भरता ही रहा है और आज वह मुचे मुच्च भर गया सा लगा -पाप का घडा तो फूट जाता है ,मगर पुण्य का घडा लबरेज होने पर हिरण्यगर्भ बन जाता है....
जवाब देंहटाएं--खूब लिखा है.आप की ओब्सेर्वेशन भी खूब है.
तभी तो हम उन्हें फोन वाले कुश कहते है जी.....मैंने अपने तीन साल के परिचय में उन्हें परिपक्व होते देखा है ...एक अच्छा इंसान होना सबसे बड़ी शर्त होती है बाकी चीजे बाद में आती है....ओर प्रतिभा से अलग वे एक अच्छे इन्सान है ..सबसे महत्वपूर्ण मेरे लिए वही है...
जवाब देंहटाएंnice post...
जवाब देंहटाएंBlogger Smart Indian - स्मार्ट इंडियन said...
जवाब देंहटाएंपेरिडोलिया की जानकारी के लिए धन्यवाद. अब समझ में आया की कुछ लोगों को बादलों में इसा मसीह, आलू में गणेश जी और बकरे की पीठ पर "अल्लाह" लिखा हुआ कैसे दिख जाता है
Quite right !
उनकी प्रतिभा के कायल तो हम भी हैं.
जवाब देंहटाएंकुश बोले तो कौन?
जवाब देंहटाएंअच्छा मेरे लिये भाईकुश..एक बेमिसाल और लाजवाब सखशियत का मालिक ..जिससे अक्सर ही बाते होती हैं. और वो ब्लागीवुड का शोमैन राजकपूर है.
रामराम.
कुश एक बेहतरीन इंसान, नित नये अंदाज में प्रस्तुति के लिये प्रयास करने वाले लोकप्रिय ब्लागर हैं। मुंह देखी बात न करने के बावजूद उनसे किसी का मनमुटाव नहीं है। अजातशत्रु टाइप का बच्चा है कुश। शोमैन को अपनी शोले अभी पूरी करनी है!
जवाब देंहटाएं@सहमत अनूप जी ,शोले तो कब की बन गयी होती बस बसंतियों की छटाई चल रही है !
जवाब देंहटाएं@"कुश ऐसे ही ब्लागरों में से एक थे'-लवली व्याकरण सुधारें !
गलती बताने का धन्यवाद अरविन्द जी ..मैं एक अनुरोध करने आई थी चिठ्ठाकार चर्चा में आप जिन चिठ्ठाकारों को स्थान देते हैं उनकी तस्वीर भी लगाया करें.
जवाब देंहटाएंकुश वाकई में एक बेहतर इंसान और बहुत अच्छा लिखने वाले हैं ..आइडिया नए नए जो इनको सूझते हैं लिखने के बारे मे वह लाजवाब और बेहद नए होते हैं ...इनसे बात करना और इनका लिखा पढना हमेशा ही मेरे लिए एक सुखद अनुभव रहा है ..आपने बहुत अच्छे तरीके से कुश के बारे मे लिखा है अरविन्द जी ..बहुत बारीकी से आप हर ब्लॉगर पर नजर रखते हैं :)
जवाब देंहटाएंसमझ में नहीं आ रहा है कि इस पर कैसे अपनी प्रतिक्रिया दू.. सुधि ब्लोगरो की ऐसी टिप्पणिया कही अंहकार न पैदा करा दे मुझमे.. इसलिए इसमें से प्रसाद की तरह थोडा सा अपने लिए रख रहा हु..
जवाब देंहटाएंपेरिडोलिया के बारे में जानना सुखद रहा.. और अनायास ही मानव की एक और विशेषता के बारे में जानकार अच्छा लगा..
अमर कुमार जी को तो बुजुर्ग कहने का दुस्साहस मैं नहीं कर सकता :) कारण ये है कि मैंने कई बार मेरी सोच को बिलकुल उनके समान पाया है..
शास्त्री जी के ब्लॉग वाला इन्सिडेंट तो मैं कब का भूल चूका हु.. मेरी असहमति एक विचार को लेकर थी शास्त्री जी से मेरी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं.. कई बार मेरे कई करीबी लोगो कि सोच मुझसे नहीं मिल पाती.. पर मैं हमेशा कहता हु कि वैचारिक मतभेद होना स्वाभाविक है..
क्वचिदन्यतोअपि के बारे में तो आपने बता ही दिया पर व्यवसयिक व्यस्तता के चलते कॉफी के लिए समय नहीं दे प् रहा हु.. आपके साथ कॉफी पीकर तो निश्चित ही मुझे लाभ मिलने वाला है..
फोन पर तंग करने वाली बात जिसे आपने उडी उडाई बात भी कहा है वो वाकई में उडी उडाई बात ही प्रतीत होती है.. क्योंकि जहा तक मेरा ख्याल है कुछ चुनिन्दा लोग ही है जिनसे मेरी निरंतर बात होती है.. :)
आपसे बात करके वाकई मुझे बहुत ख़ुशी हुई थी.. किन्तु ऑफिस में होने की वजह से मैं ठीक से बात कर पाया.. फिर भी आपको ज्यादा इन्तेज़ार नहीं करूँगा.. मेरा रिटर्न कॉल तो जरुर आएगा..
और अंत में क्रोस चैट के लिए एक और बार फिर एपोलोजायिज करता हु.. और जरुर सबके साथ शेयर करना चाहूँगा.. दरअसल मेरी एक मित्र ऑनलाइन थी और मैंने उसे छेड़ने के लिए शान फिल्म का गाना लिखा था पर गलती से मैंने अरविन्द जी की विण्डो पर क्लिक कर दिया और वहा सब कुछ लिखता गया.. बाद में जब उन्होंने हैल्लो कहा तो मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ.. ये मेरे लिए बहुत एम्बेरेस्सिंग था.. पर कभी कभी ऐसा हो भी जाता है.. वो चैट मैं आप लोगो के साथ बाँट लेता हु..
2:55 PM me: jaaaaaaaaaaaaaa
nuuuuuuuuuuuuuuuuuuuu
meri jaan
main tujhpe qurbaan
main tera tu meri
jane sara hindustan
aur pakistan
aur afganistan
aur kajakistan
aur englistaan
aur turkistan
2:56 PM Arvind: hello kush !
me: oops!!
i m really sorry
Arvind: for what?
me: jo maine uper type kiya
2:57 PMactually ek friend ko kar raha tha
Arvind: maine notice nheee liyaa
me: thats good
but i m sorry
फिर से एक बार अरविन्द जी का धन्यवाद्.. उन्होंने अपने इस अनूठे प्रयास में मुझे स्थान दिया ऑर मेरा सम्मान बढाया.. और सभी टिप्पणीकारो का बहुत बहुत धन्यवाद्.. आप सभी का प्यार और आशीर्वाद ही है जो मैं बढ़ते रहने की कोशिश कर पा रहा हु..
कुश जी की विलक्षण प्रतिभा और इतनी योग्यता की जानकारी और इस अर्थपूर्ण लेख के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंRegards
कुश.. कर देते है खुश.. अच्छा लगा उनके बारे में विस्तृत रुप से पढ़...
जवाब देंहटाएंbehad rochak.
जवाब देंहटाएंकुश का यह परिचय जानकर प्रसन्नता हुई।
जवाब देंहटाएं-----------
तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
कुश सचमुच विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं....
जवाब देंहटाएंआपका पर्यवेक्षण बहुत सही है....सुन्दर आलेख हेतु साधुवाद.
जवाब देंहटाएंयदि यह अंतिम टिप्पणी नहीं है, तो ...
jaaaaaaaaaaaaaa
nuuuuuuuuuuuuuuuuuuuu
meri jaan
main tujhpe qurbaan
खुश न हों मिश्रा जी,
यह आप पर नहीं बल्कि कुश की टिप्पणी पर निकल पड़ी है..
ऒऎ कुश, छ्ड्ड यार.. दिल वाले ही दुल्हनिया ले जाँदें हण !
अरे वाह ! आज आपने प्रतिभावान युवा कुश भाई पर सर्च लाईट फुल फोर्स मेँ डाली हुई है :)
जवाब देंहटाएंहमने कुश की कोफी पी है और उनकी नित नयी शैली के हम भी फैन हैँ ..बहुत सही लिखा
हिरण्यगर्भ का सर्वत्र विस्तार हो
- लावण्या
बहुत शानदार परिचय कराया जी आपने! तबियत मस्त हुई जा रही है...।
जवाब देंहटाएं...कुश का नम्बर जरा इधर सरकाते।
कुश के साथ अपने अनुभवों को बाँटते हुए आपने उनका अच्छा परिचय दिया। वास्तव में मस्त आदमी हैं कुश। आपको शुक्रिया इस अनूठी चर्चा के लिए।
जवाब देंहटाएंअभी हाल में मुझे भी उनसे बात करने की इच्छा हुई। शिव भइया से नम्बर लेकर ऑफिस से ही रिंग कर दिया था। शायद किसी क्लाइण्ट से बातचीत में व्यस्त थे फिर भी संकोच वश कुछ देरतक परिचय-और प्रसन्नता की बातें करते रहे। लेकिन जब स्थिति उधर असहज हो गयी तो बोले मैं ऑफिस में हूँ। घर से आपको काल-बैक करता हूँ। अपना मोबाइल नं. मैने दिया नहीं था इसलिए गेंद मेरे पाले में ही रह गयी।
आज आपकी पोस्ट पढ़कर मुझे सबसे पहले उन्हें नम्बर भेजने की याद आयी। अब तो उनसे तंग होने के लिए मन मचल रहा है। लेकिन मुश्किल ये है कि वे यह खुशी कुछ गिनती के लोगों को ही अता फरमाते हैं। :)
पुनः क्वचिदन्यतोऽपि... (अर्थ तो बता देते!)
कुश को इतना छेड़ने की क्या जरुरत थी कि बेचारे को क्रॉस चैट सार्वजनिक करना पड़ गया .
जवाब देंहटाएंबाकी के ब्लोगरों सावधान हो जाओ
कुश के बारे में विस्तृत जानकारी मिली इस पोस्ट से. आपकी chatting के खुलासे ने चर्चा को और भी रोचक बना दिया.
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली व्यक्तित्त्व के धनी कुश से जयपुर मे मिल चुके हैं..उनकी प्रतिभा को देखकर हमेशा दुआ करते है कि अपने लक्ष्य को पाने मे सफल हों.
जवाब देंहटाएंकुश के बारे में थोड़ा थोड़ा तो जानते थे लेकिन आज आप ने यहां उसका विस्तृत परिचय दिया तो इस शख्सियत का असली तारुफ़ पाया। मुझे तो टिप्पणियां देख कर लगता है कि इनका नाम कुश न हो कर कृष्ण होना चाहिए था, छोटे बड़े , नारी पुरुष सभी ब्लोगर इनसे मिलने को, बतियाने को ललायित लगते हैं। लेकिन इनकी कृपा द्र्ष्टी सिर्फ़ कुछ भाग्यवान लोगों के लिए…।वाह, हम तो भीड़ से अलग ही खड़े हो जाते हैं इत्ते लोगों में वैसे भी नंबर आने वाला नहीं।
जवाब देंहटाएंसिर्फ़ एक बात, क्रॉस चैट सार्वजनिक करना ठीक नहीं था। अब उस बच्चे की उम्र है, वो ऐसी चैट नहीं करेगा तो कौन करेगा। हमारी तरफ़ से कुश को सुन्दर भविष्य के लिए शुभकामनाएं
कुश की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। इतनी विलक्षण रचनात्मक प्रतिभा विरले ही लोगों में होती है। अपने हर काम, हर सोच को वे अनूठी सृजनात्मकता से एक नया आयाम दे देते हैं।
जवाब देंहटाएंसही लिखा...अब हम क्या लिखें...
जवाब देंहटाएंबढ़िया चल रही है श्रंखला डाक्टसाब...
को नहीं जानत है (ब्लॉग) जग में !
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