सोमवार, 26 अगस्त 2013

गोरे रंग पर ना गुमान कर.…

इन दिनों एक अभियान गोरे रंग के बजाय सावलें रंग की महत्ता साबित करने को परवान पर है और इसे प्रचारित कर रही हैं अभिनेत्री नंदिता दास ... और यह अभियान आम भारतीयों की उस मानसिकता को लक्ष्य करके शुरू हुआ है जिसके चलते काली त्वचा को गोरा रंग देने के दावा करने वाली क्रीम का उद्योग यहाँ फल फूल रहा है .शाहरुख खान भी टी वी पर एक ऐसी ही  क्रीम का प्रचार करते दिखते हैं . श्याम रंग सुन्दर है ( डार्क इज ब्यूटीफुल ) नाम का यह अभियान 2009 में शुरू हुआ था।   इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है . नंदिता दस कटाक्ष करती हैं कि  भारत में सावलें लोगों को गोरे लोगों से कमतर समझने की प्रवृत्ति आखिर क्यों है।
मुझे इस अभियान ने सौन्दर्यानुभूति की कुछ प्राचीन भारतीय मान्यताओं/उपमाओं की ओर ध्यान दिलाया . यहाँ 'श्यामा' षोडशी नायिका की बड़ी चर्चा हुयी है-श्यामा सानन्दं न करोति किमि। मुझे तो लगता है यहाँ भी श्यामा में सांवला रंग ही अर्थ लिए है . मगर विद्वानों में इसे लेकर बहुत मतभेद रहा है . कई यह भी मानते है यहाँ श्यामा का अर्थ बस सुन्दर युवती है . यह श्यामा शब्द सौन्दर्य के चतुर चितेरे महाकवि कालिदास के इस प्रसिद्ध श्लोक से साहित्य में चर्चा में आया जो 'मेघदूत' में वर्णित है -
तन्वी श्यामा शिखरि दशना पक्व बिम्बाधरोष्ठी
मध्ये क्षामा चकित हरिणी प्रेक्षणा निम्ननाभि।
श्रोणीभारादलसगमना स्तोकनम्रा स्तनाभ्यां
या तत्रा स्याद्युवतिविषये सृष्टिराद्येव धातुः।
मुझे इस श्लोक का पूरा अर्थ खुद ठीक से समझने के लिए और पाठकों की सुविधा के लिए ब्लॉग जगत के संस्कृत के विद्वानों /विदुषियों के मदद की दरकार है . (अर्थ जानने को उत्सुक यहाँ जाएँ यद्यपि यहाँ श्यामा शब्द अनुवादक गोल कर कर गए हैं!)  जहाँ तक सहज बुद्धि की बात है यहाँ भी श्यामा का अर्थ पतली/छरहरी सावलीं सलोनी से है, मगर विद्वान असहमत हैं .जाने माने व्यंगकार और निबंधकार रवीन्द्रनाथ त्यागी ने अपनी एक कृति 'भाद्रपद की सांझ' में जो कुछ लिखा है आप खुद पढ़ लीजिये . ." मुझे मेघदूत की याद फिर सताने लगी जिसमें  रूप का वर्णन कालिदास ने ‘‘तन्वी, श्यामा, शिखरदशना, पक्वबिम्बाधरोष्ठी’’ कहकर शुरू किया। इस पंक्ति में जो ‘श्यामा’ शब्द है उसका सही अर्थ जानने में मेरी आधी उम्र निकल गई। ‘श्यामा’ का प्रत्यक्ष अर्थ ‘साँवली’ या ‘कृष्णवर्णा, हो सकता था पर कालिदास जैसा रससिद्ध कवि अपनी प्रिय नायिका को उस रूप में देख सकता था? उसे क्या गौरवर्णा रमणियों की कोई कमी थी? मैंने राजा लक्ष्मणसिंह से लेकर बाबू श्यामसुंदर दास (बी.ए.) तक जितने भी बड़े-बड़े विद्वानों के अनुवाद हैं, वे सब देखे। सबमें से ‘श्यामा’ शब्द का सही अर्थ कोई भी पंडित नहीं जानता था। कुछ ने तो ‘श्यामा’ का अनुवाद ‘श्यामा’ ही किया है और कुछ मतिमान् लोगों ने अपने अनुवाद में श्यामा’ का जिक्र ही नहीं किया है। बहुत दिनों बाद मैत्रेयी देवी की टैगोर बाई फ़ायरसाइड नामक श्रेष्ठ पोथी पढ़ने को प्राप्त हुई और उसमें रवींद्रनाथ ठाकुर की वाणी पढ़ने को मिली जिसमें यह बताया गया है कि संस्कृत में ‘श्यामा का अर्थ उस स्त्री से है जिसका कि रंग उस, स्वर्ण की भाँति दमकता है ..."
लीजिये फिर बात उसी गौर वर्ण पर आकर रुक गई . भारत में गोरे काले का विवाद बहुत पुराना है . बावजूद इसके कि हमारे कितने ही आराध्य सावलें/काले हैं -राम और कृष्ण को ही देख लीजिये ... दोनों अच्छे खासे काले हैं . आर्यों का रंग गोरा है . मगर यह चर्चा हम फिलहाल मुल्तवी करते हैं क्योकि यह विषय स्वयं में एक अलग विशद चर्चा की मांग करता है. मगर आपतो बतायें आपको सौन्दर्य का कौन सा रंग पसंद है?

36 टिप्‍पणियां:

  1. बादल देखें तो साँवला सा बादल ही भाता है, हमें तो श्याम का श्याम रंग अच्छा लगता है।

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  2. वैसे जितना मैंने पढ़ा है उस हिसाब से सफ़ेद स्किन , सांवले या काले रंग की अपेक्षा ज्यादा सेंसिटिव होती है और त्वचा रोग होने के ज्यादा चांस होते हैं | इसलिए अक्सर गोरी चमड़ी वाले टैनिंग का सहारा लेते हैं |

    हिन्दुस्तानियों में गोरी चमड़ी को लेकर सनक बहुत पुरानी है | इसी का फायदा ये उत्पाद बनाने वाली कम्पनियां उठा रही हैं | एड भी कैसे बनाते हैं, एक लडकी जिसका रंग गोरा नहीं है , उसे कोई जॉब नहीं मिलती, कोई शादी करने को तैयार नहीं होता | जैसे ही क्रीम लगाती है, रंग सफ़ेद हो जाता है | फिर तो लाइन लग जाती है |लड़कों के केस में "मर्दों वाली क्रीम" कहके कारोबार किया जा रहा है |सब धंधा है |
    अभिनेता अभय देओल ने किसी भी फेयरनेस क्रीम का एड करने से बहुत पहले मन कर दिया था | शाहरुख़ का हिसाब किताब अलग है |

    और हाँ, मुझे अमेरिका में कोई भी फेयरनेस क्रीम नहीं दिखी , जबकि वहां सिर्फ गोरी चमड़ी वाले ही नहीं रहते |

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  3. बड़ी पुरानी है ये रंग की जंग ..... विज्ञापनों की मानें तो गोरा रंग किस्मत की चाबी है.... :)

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  4. हमारा तो पहला और आखिरी क्रश था सांवला रंग.....पहला शेर !

    जब भी देखता हूँ,कोई सांवली-सी सूरत,
    तुम्हारा ही अक्स,उसमें नज़र आता है !

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  5. मेरे ख्याल से लिखने और सराहने लायक ही है श्याम रंग.. बाकी हिन्दुस्तान में गौरों का जादू कम नहीं हुआ.


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  6. गौरवर्ण के प्रति आसक्ति तभी तक रहती है जब तक सौंदर्य को समझने का ज्ञान मनुष्य को नहीं होता।

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  7. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर किसी भी प्रकार की चर्चा आमंत्रित है ये एक सामूहिक ब्लॉग है। कोई भी इनका चर्चाकार बन सकता है। हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल का उदेश्य कम फोलोवर्स से जूझ रहे ब्लॉग्स का प्रचार करना एवं उन पर चर्चा करना। यहॉ भी आमंत्रित हैं। आप @gmail.com पर मेल भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। प्रत्येक चर्चाकार का हृद्य से स्वागत है। सादर...ललित चाहार

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  8. हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं ..
    :)

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  9. बहुत ही सार्थक प्रश्न उठाया आपने सर । कमाल का मनोविज्ञान है मनुष्य का । सांवला गोरा होने के लिए क्रीम पाउडर थोपने को पगलाया रहता है जबकि सुना है गोरे समुंदर किनारे औंधे पड जाते हैं ताकि धूप ताप कर तनिक मैले हो सकें । अपन न गोरे में आते हैं न काले में । सांवलों की संख्या मीडियम क्लास की तरह ज्यादा ही होगी देश में तो :)

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  10. कवियों की नायिका की बात और है ,
    महिलाओं में असली वर्ण तो गौर है !

    हाँ , राम और श्याम तो सांवरे ही जंचते हैं. :)

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  11. " किमिव हि मधुराणाम् मण्ड्नम् नाकृतीनाम् " अपनी संस्कृति तो घन इव श्यामः की है ।

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    1. अर्थ बताईये और पोस्ट में संस्कृत श्लोक का अनुवाद करिए कृपया!

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    2. अभी वर्धा में बात हुई तो आपने बताया था कि आपने " मेघदूत " से श्लोक का अर्थ देख लिया है , अब "श्यामा " की बात -कालिदास बहुत ही चतुर हैं , वे भली-भॉति देख रहे हैं कि जिसे वे अपनी प्रेयसी का संदेश-वाहक बनाकर भेज रहे हैं उसका रंग सॉंवला है और यदि वे यह कहते कि मेरी प्रियतमा गोरी है तो कहीं बादल बुरा न मान जाए फिर मेरा सन्देश तो पूरी भावना और गरिमा के साथ , सम्यक एवम् सटीक शब्दों में पहुँच ही नहीं पाएगा, तो उन्होंने बडी ही चतुराई से अपनी नायिका के रंग को बादल के रंग से जोड दिया होगा , मुझे ऐसा लगता है अन्यथा कालिदास जैसा सौन्दर्य का मर्मज्ञ , अद्वितीय कोई और नहीं था, इसीलिए तो उनके विषय में कहा जाता है- " पुरा कवीनाम् गणना प्रसंगे कनिष्ठिकाधिष्ठित कालिदासः । अद्यापि त्ततुल्यकवयेरभावात् अनामिका सार्थवती बभूव ।"

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  12. इस मामले में हम एकदम उदारवादी हैं।

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  13. 'गौरी', नाम ही शायद पड़ा होगा गौर वर्ण के कारण, सीता भी गौर वर्ण की थीं। लक्ष्मी, सरस्वती इत्यादि जितनी भी देवियाँ हैं सबको गौर वर्ण ही दिखाया जाता है। जितनी भी राक्षसनियाँ या राक्षस थे सबको काला ही बताया गया है..
    हमारा रंग तो गोरा है, लेकिन हमरे पति उतने गोरे नहीं हैं, फिर भी उनका जो भी रंग है वो हमको सारा पसंद है, बाकि रहे बच्चे, तो कोई गोरा है, कोई साँवरा और कोई चितकबरा :):) लेकिन हमको सब बहुत पसंद हैं। बाकी दुनिया जाए चूल्हे में, का लेना देना है हमको :):)
    यहाँ सब इस बात की दलील दे रहे हैं कि पाश्चात्य गोरियाँ अपने रंग को साँवला करने में जुटी हुईं हैं। कुछ गोरियाँ ज़रूर जुटी हुईं हैं लेकिन ऐसा करना उनकी अपनी पसंद है.। सच्चाई तो ये है, आज भी हिन्दुस्तान की गलियों में एक पश्चिमी गोरी नज़र आ जाए तो ट्राफिक जाम हो जाता है :):)
    कहते हैं लैला कोयल सी काली थी फिर भी मजनूँ उसपर जान छिड़कता था, सवाल ये हैं क्या वो काली थी इसलिए मजनूँ उसपर वो जान छिड़कता था, या फिर वो लैला थी इसलिए।

    त्वचा जिस भी रंग की हो, मन का रंग गोरा ही होना चाहिए।

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    1. "त्वचा जिस भी रंग की हो, मन का रंग गोरा ही होना चाहिए। "
      वाह बात कह दी आपने

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  14. रंग प्रेम का हो तो ही सब रंग सच्चे , गौर हो या श्याम !

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  15. भैया वृन्दावन में किसी को जब यह कहना होता है दफा हो जा तो पता क्या कहमें हैं -कृष्ण मुख

    हो जा।

    उज्जवल बरन दियो बगुलन को ,

    कोयल कर दी कारी ,साधौ कर मन की गति न्यारी।

    गोरो रंग कियो क्रिमन से ,बारिश धौ गई सारी

    भैया क्रीमन की गति न्यारी।

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  16. श्याम रंग में रंगी चुनरिया ,अब रंग दूजो भावे न ,

    जिन नैनं में श्याम बसे हों और दूसरो आवे न।

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  17. श्याम रंग में रंगी चुनरिया ,अब रंग दूजो भावे न ,

    जिन नैनं में श्याम बसे हों और दूसरो आवे न।

    जो सब रंगों को रोक लेता है सोख लेता है अपने में समो लेता है हर तरंग चाहे किसी भी बरन की हो वह श्याम है।

    श्वेतन बगुलों की कौन कहे जो देश की सारी संपदा स्विस ले गए ,जो सब रंग लौटा देते हैं जीवन के स्पंदन के किसी भी पक्ष से जिन्हें प्रेम नहीं है वही बगुले छल कपट सु प्रजा तंत्र के पहरुवे बन गए हैं।

    छल कपट का प्रतीक है स्वेत बगुला भगत जो घात लगाए एक टांग पर त्रिभंगी लाल बना खड़ा रहता है और जनता रुपी मछली को खा जाता है।

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  18. अजी मिलेनीन की लोडिंग बाहुल्य है काला रंग और श्वेत उसकी कमी है। एल्बिनो रेट्स लेब में ही अच्छे लगें हैं शयन कक्ष में श्याम चाहिए ।

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  19. हम किस मुंह से गोरे रंग का समर्थन करें? हमारा मुंह तो खुद जन्मजात सांवरा भी नही बल्कि काला है.:)

    रामराम.

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  20. कुछ श्यामवर्ण में अच्छे लगते हैं तो कुछ श्वेतवर्ण में. क्योंकि मैं रंग से सौदर्य निर्धारित नहीं कर पाता हूँ अतः मेरा उत्तर होगा दोनों.

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  21. सीधी बात पसंद अपनी -अपनी .
    इसमें कोई शक नहीं कि हम भारतीय ही नहीं एशियन सभी गोरे रंग को श्याम से बेहतर मानते हैं.पुरुष साँवले और स्त्री गोरी ही अच्छी जोड़ी कही जाती है.
    मिल्स एंड बून की इंग्लिश किताबें पढ़ने वाली किशोरियाँ 'टोल,डार्क,हेंडसम 'पुरुष की चाहत मन में संजोती हैं,
    शादी के बाद 'मुंह दिखाई' में एक मेहमान महिला ने ससुराल में मेरे सामने ही कह दिया कि बहू तो बहुत अच्छी है पर रंग दबा हुआ है!:)
    ...तब से मन में बैठी उस बात से आज तक मैं भी गोरी होने की कोशिश कर रही हूँ !...!!!

    यहाँ अरब देशों में भी गोरे होने की चाहत स्त्रियों को रहती है और क्रीमों में सब से अधिक बिक्री गोरे होने की क्रीमों की होती है.

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  22. इस श्लोक में 'श्यामा' का अर्थ 'श्याम वर्ण' है या नहीं इस पर विवाद है. ऐसा 'श्यामा' शब्द के अलग-अलग टीकाकारों द्वारा भिन्न-भिन्न अर्थ किये जाने के कारण हुआ. जब विद्वानों में ही मतैक्य नहीं है तो हम क्या हैं?

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  23. आज से डेढ़ दशक पहले भारत में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता हुई थी। स्पांसर किया था अमिताभ बच्चन की एबीसीएल कंपनी ने, इसका लोगो अजंता की एक पेंटिंग थी। एक श्यामा नायिका.... मुझे आश्चर्य हुआ कि एबीसीएल ने इसे क्यों लिया? पता चला कि अप्सरा को चित्रित किया गया था लेकिन क्या परियों का रंग सांवला?

    पर भेद गहरा है.. जिन लोगों ने गौर वर्णा( सभी नहीं) ... की बेवकूफियाँ देख ली हैं वे शायद इस बात से जरूर सहमत होंगे कि कालिदास की नायिका श्यामा सांवली ही है.... आपने जो मेघदूत की लाइनें दी, वो इतनी खूबसूरत हैं कि क्या बताऊँ, सबसे पहले विजय बहादुर सिंह की एक कहानी में इन पंक्तियों को पढ़ा था तन्वी श्यामा शिखर दसना...

    बहुत अच्छी पोस्ट के लिए बधाई

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  24. DrArvind Mishra
    संस्कृत न पढ़ पाने की पीड़ा से ऐसे ही दो चार होना होता है किसी बहुश्रुत श्लोक का अर्थ जानने के लिए भी दर दर



    भटकना पड़ता है -कालिदास के इस श्लोक का पूरा अर्थ जानने में कृपया संस्कृत के विद्वान् यदि कोई मेरी मित्र

    सूची में हो तो कृपया मेरी मदद करें !


    तन्वी श्यामा शिखरि दशना पक्व बिम्बाधरोष्ठी


    मध्ये क्षामा चकित हरिणी प्रेक्षणा निम्ननाभि।


    श्रोणीभारादलसगमना स्तोकनम्रा स्तनाभ्यां


    या तत्रा स्याद्युवतिविषये सृष्टिराद्येव धातुः।


    तमाम कोशिशों के बाद तीन लाईनों का यह अर्थ बोध हो पाया है और इसमें भी कितनी शंकाएं हैं . संस्कृत की

    विदुषियाँ पला झाड रही हैं कह रही हैं किसी संस्कृत के पुरुष विद्वान् से मदद ली जाय-ऐसा किस तरह उचित है

    भला आखिर प्रोफेसनल दायित्व भी होता है कोई ? काश मैं खुद संस्कृत पढ़ा होता ! — Meghadūta


    इस श्लोक में शुद्ध श्रृंगारिक वर्रण है। कहीं कोई बिम्ब नहीं है। बिम्बात्मक वरर्ण नहीं है यहाँ । बादल यक्ष से कहता है ,वह सृष्टि की पहली आद्या सुंदरी ऐसी होगी _

    जिसका अधरोष्ठ बिम्बफल सरीखा लाल होगा जिसका कटि प्रदेश क्षीण होगा ,तथा जो बड़ी बड़ी आँखों वाली हरिणी सी चकित होकर इधर उधर देखती होगी जिसका कद भी आकार ,कदकाठी के अनुरूप लंबा होगा। नाभि अन्दर की तरफ बहुत गहरी होगी। जिसके स्तन भार की वजह से थोड़ा सा नीचे की और झुके होंगें।जो आँखें झुकाकर अलस भाव से आहिस्ता आहिस्ता चलती होगी। वह नितंभ भारणी (भारी नितम्बों वाली )चलते समय ऐसे लगेगी जैसे उसके नितम्ब भी उसके साथ साथ चल रहे हैं मचल मचल ,ठुमक ठुमक । जो वहां पर युवतियों के केलि कलापों में प्रवीण संभवतया ऐसी पहली युवती होगी जो तुम्हें सृष्टि की आदि(आद्य ) सुंदरी के रूप में दर्शित होगी।

    सन्दर्भ -सामिग्री :मेहता वागीश से दूरभाष पर संवाद

    प्रस्तुति :वीरुभाई

    शुद्ध श्रृंगारिक भाव लिए है यह श्लोक कालिदास का

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    1. बिल्कुल यही अर्थ है वीरुभाई -वागीश जी प्रणम्य हैं !

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    2. बस बिम्बाफल को और व्याख्यायित कर दें!

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    3. आपकी मित्र को पता ही नहीं होगा तो बेचारी क्या बताएगी ? इसलिए उसने कह दिया होगा कि " घोर श्रृगॉर है । " बिम्बाधरोष्ठी " में नायिका "पके हुए कुँदरु के समान अधर वाली" है।

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  25. अरे इतना हॉट टॉपिक हमसे कैसे चूक गया :-)
    इस मसले पर कोई "fair" comment नहीं करता....जिनने भी कहा हमें सांवला रंग पसंद है उन सबके पोलिग्राफ टेस्ट होने चाहिए :-)
    वैसे हम भी दिल को देखो चेहरा(रंग) न देखो... देखना है तो नैन नक्श देखो,की पालिसी पर यकी करती हूँ.....
    सादर
    अनु

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  26. इस खबर को अखबार में भी पढ़ा था .दरअसल तमाम एशियाई देश बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उत्पाद के बड़े बाजार हैं .इसलिये गोरेपन की क्रीम का बड़ा बाजार भी यही देश हैं.हकीकत तो यही है कि किसी भी तरह के क्रीम से त्वचा का रंग नहीं बदला जा सकता .इसलिये त्वचा के रंग को लेकर हीन भावना रखना सही नहीं है .
    http://dehatrkj.blogspot.com

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  27. एक सार्थक अभियान पर महत्वपूर्ण चर्चा छेडी है आपने.

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