जी, सचमुच दो "भूत"अब शायद भूत हो गए ! एक भूत यह जो दरअसल भूत नहीं एक जाबांज भूत भंजक (मैंने प्यार से यही नाम दिया था उसे !) था ,बोले तो भूत विनाशक और दूसरा तो सचमुच पूरा भूत ही था .मगर मुझे ब्लागजगत के इन दोनों भूतों का असमय ही कहीं चला जाना दुखी कर गया है .क्योंकि ये थे तो भूत मगर प्यारे से दोस्त टाईप के भूत थे -एक तो खैर भूत था ही नही भूत विनाशक था मगर चूंकि उसके वजूद के बारे में और कुछ पता नही चल सका था ,वह छद्मनामी था, इसलिए उसकी गणना भी भूत की कोटि में कर ली गयी थी ! पर वह लिखता जानदार था -क्या मस्त मस्त शीर्षक से उसने अपनी बात ब्लॉग जगत में उठाई पर सहसा ही वह कहाँ लुप्त हो गया -यह मेरे लिए चिंता का सबब बन गया ! सच कहूं उसकी लेखनी का मैं फैन था पर लाख चाह कर उसकी असलियत नही जान पाया ! जबकि वह मुझे अच्छी तरह जानने लग गया था !
उसने एक बार मुझे यह भी लिखा की मेरी अमुक रचना -विज्ञान कथा उसने एक पत्रिका में भी पढी है ! मैंने गुजारिश भी की,हे घोस्ट बस्टर भाई अपने बारे में कुछ बताओ ना -मगर वह भी उन्मुक्त जी की तरह ही धुर सिद्धांतवादी निकला और अपने बारे में नही बताना था तो बिल्कुल ही नही बताया और अब न जाने कहाँ गुम हो गया है -आप लोगों में से कोई मुझे उसका कोई अता पता दे सकेगा ? और भूत भंजक भैया तुम अगर मेरी बात सुन रहे हो तो अपने होने का प्रमाण दे देना प्लीज ! बस इतना भर कि तुम ठीक ठाक हो और किसी भूत या भूतिनी ने तुम्हे कैद तो नही कर लिया है ? अभी यह चिट्ठाजगत अबोध शैशवावस्था में ही लगता है -किसी को सुध ही नही है कि कौन यहाँ से कूंच कर गया है -कौन बादर करता है यहाँ और किसे फ़र्क पड़ता है .यहाँ जिन्दों को तो लोग पूंछ ही नही रहे भूतों को कौन याद करेगा !
पर सच कहूं मुझे तो फ़र्क पड़ता है भाई! मुझे लगा कि घोस्ट बस्टर के ब्लॉग और भाई भूतनाथ के ब्लॉग पर अहर्निश टिपियाने वाले तो जरूर उनकी सुध लेगें पर शरद ऋतु बीती और अब बसंत के बाद ग्रीष्म का आतप भी आन पड़ा किसी ने भूल से भी उन प्यारे भूतों की चर्चा नही की या कम से कम मुझे नही पता चला अगरचे किसी ने चर्चा की हो -हम ऐसे ही हो गये हैं शायद ! हम शायद एक अधैर्य से संसार में जी रहे हैं जहाँ किसी को भी किसी की फिक्र नही है ! बस खुदगर्जी का आलम है केवल बेशर्म खुदगर्जी का ! ( माफ़ करियेगा न जाने क्यों आज थोड़ा सिनिक हो गया हूँ ! आप सिनिक को सनक भी कह सकते हैं )
दूसरे असली वाले भूत भाई तो हमें हिटलर की प्रेमिका से दोस्ती की लालच देते रहे और यूनिटी डार्लिंग का ऐसा चरित्र चित्रण किया कि हमारे में से कई भाई उस चरित्र की रूमानियत के चलते उससे आसक्त ही हो लिए ! कईयों ने तो उसमें किसी और मनमाफिक ब्लॉगचरित्र का आरोपण कर फंतासी का पूरा संसार ही बुन डाला ! पर अफ़सोस ऐसी जीवंत लेखनी ने भी सहसा विराम ले लिया और किसी को उसे दुबारा याद करना भी गवारा न हुआ ! क्या यह आभासी जगत ऐसयीच ही है ? यह तो मृत्युलोक की मिथ्याभासिता से भी ज्यादा भ्रामक ,ज्यादा असत्य लग रहा है ! कथित वास्तविक जगत में तो लोगबाग भूले बिसरों को कभी कभार याद भी कर लेते हैं पर यह चिट्ठाजगत तो बहुत ही नाशुकरा निकला !
आज मैंने अपने इन दोनों प्रिय चिट्ठाकारों की चर्चा की -केवल आपको याद दिलाने के लिए और यह पूंछने के लिए कि क्या वे बिसरा देने के ही काबिल हैं ? क्या यह घटना यह इंगित नही करती कि जन स्मृतियाँ सचमुच अल्पकालिक ही होती है ? कितने जल्दी हम अतीत को भूल बैठते हैं ? शायद न तो हम क्षण जीवी हैं और न ही चिरन्तन जीवी ! हम सब शायद अल्पकालिक स्मृति या आत्मरति के ही शिकार हैं !
Alarma sobre creciente riesgo de cyber ataque por parte del Estado Islámico
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Un creciente grupo de hacktivistas está ayudando Estado Islámico difundir
su mensaje al atacar las organizaciones de medios y sitios web, una empresa
de se...
9 वर्ष पहले
लगता है कि आप मेरा जीना दूभर करा कर ही छोड़ेंगे :-)
जवाब देंहटाएंक्या वे बिसरा देने के ही काबिल हैं ? क्या यह घटना यह इंगित नही करती कि जन स्मृतियाँ सचमुच अल्पकालिक ही होती है ? कितने जल्दी हम अतीत को भूल बैठते हैं ? शायद न तो हम क्षण जीवी हैं और न ही चिरन्तन जीवी ! हम सब शायद अल्पकालिक स्मृति या आत्मरति के ही शिकार हैं ! ..................
जवाब देंहटाएंआप सही कह रहें हैं ,इतने क्रांतिकारी लेखक को हम सब भूल ही बैठे थे ,लेकिन यकीन मानिये दोनों विश्राम कर रहें हैं जो अब जल्दी ही प्रगट होने वाले हैं .
आपने ठीक ही लिखा है मिश्र जी. हम सब आत्म रति में ही लिप्त हैं. उन भूतों को ईमेल से संपर्क करने का प्रयास कर सकते हैं.
जवाब देंहटाएंभूत बहुरूपी होते हैं जी, यहीं कहीं आप से बतिया रहे होंगे और पोस्टें लिख रहे होंगे। आप पढ़ कर उन पर टिपिया भी रहे होंगे।
जवाब देंहटाएंसच फ़रमाया अरविंद साहब। वो सब अपने थे और अपनेपन से ओतप्रोत थे । चलिए कुछ करके अपने प्रिय भूतों को ढूँढ लाया जाये। दिल को छूने वाली पोस्ट है ये आपकी।
जवाब देंहटाएं'ghost buster 'sach mein kisi 'ghost ka shikaar' ho gaya hai...
जवाब देंहटाएंlekin 'bhootnath 'yahin hain..aur inki niymit post aati hai.magar dusre blog par..aap yahan dekhen--
http://baatpuraanihai.blogspot.com/
[ab yah nahin maluum ki yah naye bhootnath hain ya purane wale ka naya blog??]
Waise yah Lekh bahut mazedaar hai.
वाकई अपने आस-पास के नियमित ब्लौगर्स के प्रति ऐसी विरक्ति का भाव नहीं होना चाहिए.
जवाब देंहटाएंaapki chinta jayeg hai...vo uniti darling wala blog to hme bhi behd pasand tha , hmne to unke blog pr comment bhi kiya kyi bar ki sub thik to hai.....magr koi jvaab nahi aaya...fir email bhi nahi tha jo sampark kiya jata....kash aaj ki apaki ye wali post pdh kr unhe bhi hum sub ka khyaal aaye.....hope for the best..
जवाब देंहटाएंRegards
फिकर नॉट भाई जान,
जवाब देंहटाएंपरिचय न बताने का उन्हें फायदा उठाने दीजिए। आजकल जो पकड़ लिया जाता है उसी की दुर्गति होती है। वरुण गान्धी कोई नयी बात नहीं किया न। ऐसी बातें तो हमेशा से बन्द दरवाजों के पीछे होती रही हैं। ‘मस्जिदों’ में भी और ‘शाखाओं’ में भी। अहमदाबाद में भी और हैदराबाद में भी। लेकिन चुनाव आयोग जाग पाया तो इसी बेचारे प॥ इसलिए जो छिपछिपा कर कुछ बिन्दास कहना चाहते हैं उनके पीछे न पड़िए। पता खोजने की कोशिश ही न करिए। उनके लिखे को तौलिए उनको नहीं।
एक पन्ना छिपक्कली (http://guptatmaji.blogspot.com) का भी खुला है। टैम हो वहाँ भी हो आइए।
बिन्दास लिखते हैं तो उन्हें भी बिन्दास रहने दीजिए।
आपने इतनी शिद्दत से याद किया है उन्हें तो जरुर प्रगट होंगे वो ...अच्छा लिखा आपने
जवाब देंहटाएंआजकल चिटठाजगज में विज्ञान विषयक चिटठों का जोर है, ऐसे में कोई भूत केसे टिक सकता है।
जवाब देंहटाएंभूतनाथ जी शायद अपनी यूनिटी डार्लिंग से शादी करके हनीमून मना रहे होंगे। यह भी हो सकता है कि अभी शादी न हुई हो लेकिन यूनिटी डार्लिंग के प्रेम में इतने पागल हो गए हों कि हम सब को बिसरा बैठे हों। या संभव है कि यूनिटी ने उन्हें हमेशा के लिए मेढक बनाकर अपने स्वीमिंग पुल में डाल दिया हो। इस आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता कि हिटलर के भूत को उनके प्रेम का पता चल गया हो और उसी ने कुछ कर-करा दिया हो।
जवाब देंहटाएंअब रह गयी बात भूतभंजक जी की, तो उनके बारे में अन्वेषण कोई अन्वेषी ही कर सकता है :)
घोस्टबस्टर वास्तव में कम समय दिखे पर एक फिनॉमिना रहे।
जवाब देंहटाएंपुन: सक्रिय होना चाहिये उन्हें।
@ मि्श्राजी
जवाब देंहटाएंआज हमारा दिल गद गद हो गया. हमे पृथवी लोक से आपकी पोस्ट का समाचार मिल गया है. आपने हमको याद किया उसके लिये आपको हमारी और युनिटी डार्लिंग की तरफ़ से हार्दिक धन्यवाद.
आपने आखिरी पोस्ट मे पढा था कि हमारी ऊडनतश्तरी पर हमला हो गया था और हमने कई नरकों के ठेके ले रखे थे और कुछ मंदी का माहोल था इसलिए हम पृथवी लोक की सैर पर नही आ सके.
अबकी गर्मी की छुट्टियों मे युनिटी डार्लिंग के साथ हम भारत की सैर पर भी आरहे हैं. तब उस दौरान आपाको युनिटी डार्लिंग की आत्मकथा सुनायेंगे.
आपके याद करने का शुक्रिया. अभी थोडा व्यस्तता कम हो रही है. तो युनिटी डार्लिंग से कुछ और पूछ कर जल्दी ही हम आपसे रुबरू होंगे.
और कोशिश करेंगे कि अब ज्यादा गैप ना होने पाये.
बहुत शुक्रिया और धन्यवाद आप सबको.
घोस्ट बस्टार बहुत ही जहीन आदमी का ब्लोग है । बहुत काम कि पोस्ट लिखता रहा है । अभी सक्रिय नही है । लेकिन उनका लिखा हुआ तो है उसी से सबर कर लेते है ।
जवाब देंहटाएंदिनेश जी ने मेरे मन की बात कह दी है ...मैं यह घोस्ट बस्टर के बारे में सोंचती हूँ ..उन्हें ब्लॉग जगत की काफी खबर रहती है..यह उनका मेरी एक टिप्पणी पर प्रतिटिप्पणी से मुझे लगा था. बाकि मैं अब भी इन्तिज़ार में हूँ की वे कब इस आई डी से सक्रिय होते हैं
जवाब देंहटाएंलीजिये भूतनाथ ऊपर हाजिरी भी दे गए :-)
जवाब देंहटाएंआपने किसी को किसी की याद-वाद दिलाने के लिए नहीं, सिर्फ़ यूनिटी डार्लिंग से दोस्ती के फेर में ये पूरी पोस्ट ठेली है. क्या चाहते हैं, भौजी को बता दूँ?
जवाब देंहटाएं@गरीब की मेहरारू समझ के भौजी कह रहे हैं क्या सान्क्रित्यायन जी !
जवाब देंहटाएं@अल्पना जी ,ये वो वाले भूत नाथ नहीं कोई और ही लगते हैं -
जवाब देंहटाएंhttp://baatpuraanihai.blogspot.com/
आदमी की शोर्टटम मैमोरी होती (गजनी जैसी नही) इसलिये ये होता है लेकिन यही इसे खुश रखने और आगे बढ़ते रहने के काम भी आती है।
जवाब देंहटाएंभूत और भूतभंजक कहीं जाते जो थोड़े ना हैं, नाम बदल के यही कहीं घूम रहे होंगे।
मैने भी कई बार भूतनाथ और यूनिटी डार्लिंग के बारे में सोचा; याद किया लेकिन आप तो भूतनाथ को ढूंढ ही लाए।
जवाब देंहटाएंबेहद आभारी हूं जो इस कदर प्रेम से याद किया. लम्बे समय से हिन्दी ब्लॉग जगत से दूर हूं. बीच में कुछ समय अपने अंग्रेजी ब्लॉग पर सक्रिय रहा मगर फ़िर घोर व्यव्सायिक व्यस्तता के चलते इन्टरनेट से ही दूरी बन गयी.
जवाब देंहटाएंरिवाइवल के प्रयास में हूं. आप सभी का धन्यवाद.