शुक्रवार, 20 मार्च 2009

आईये एक लोकोत्सव में चलें !


आठो चैती समारोह
अभी उस दिन मनोज का सुबह सुबह फोन आया , "भैया इस बार आपको आठो चैती समारोह में आना है -पिछली बार आपके न आने से मजा नही आया " आप मनोज से मिले नही हैं उनकी पी आर क्षमता इतनी जबरदस्त है कि अपनी बात से सामने वाले को कब वशीभूत से कर लेते हैं उसे पता ही नही चलता ! अपनी इस नैसर्गिक अमोघ शक्ति का वे गाहे बगाहे अपने सगे सम्बन्धियों पर भी इस्तेमाल करने से नही चूकते और आप जरा भी असावधान हुए तो उनके मोहपाश में बधे ! वैसे तो मैं उनकी इस मारकता से सावधान हो चला हूँ मगर कभी कभी फँस ही जाता हूँ ! जैसा इस बार हुआ और जब तक संभल पाता उनके आत्मीयता से भरी मनुहार में मैंने हामी भर दी !

इन दिनों निर्वाचन की घोषणा के चलते मुख्यालय से बाहर बिना जिला निर्वाचन अधिकारी की अनुमति के प्रस्थान की सख्त मनाही है -बहरहाल आठो चैती का आह्वान और मनोज की मनुहार भारी पडी और मैं लोक परम्परा के इस महोत्सव में भाग लेने को देर शाम से ही आख़िर सपरिवार चल ही पडा .मगर इसके पहले मनोज को आने की हामी के फौरन बाद मैंने चिट्ठाजगत में कुछ लोक गीतों ( फाक सांग्स ) को ढूँढना चाहा तो एक जगह होली गीतों का एक पूरा जखीरा ही मिल गया -सौजन्य अनूप शुक्ल जी और मनीष कुमार जी ! और इसमें भी मैंने जो नायाब मोती चुना वह यह रहा -सौजन्य यूनुस जी !

मैंने इस गीत को मनोज को तुंरत भेजा और शाम तक यह गीत स्थानीय गायक श्री बजरंगी सिंह ने कंठस्थ ही नही किया औपचारिक रूप से गीत सगीत प्रेमियों के सम्मुख सुना भी दिया !और जबरदस्त वाहवाही बटोरी. यह भूत पिशाचों के मुखिया शंकर जी द्वारा एक अनूठे ढंग से होली खलने की अद्भुत संकल्पना है ! आप भी सुन सकते हैं -थोड़ा ध्यान देंगें तो समझ भी लेंगें और होठों पर मुस्कान भी तिर आयेगी ! शंकर जी बिचारे बिना रंगों के ही होली खेल रहे हैं -उनके पास चिता भस्म की झोली और विष पिचकारी से लैस सापों की फौज तो है ही ना और यह होली श्मशान मेंहों रही है -सावधान ,बस सुन भर लीजिये पास जाने की जुर्रत मत कीजियेगा ! अभी आप वहाँ जाने के लिए अर्ह ही कहाँ हुए ?

भाव विभोर श्रोता

बहरहाल आयोजन जबर्दस्त रहा -आठो चैती यानि फागुन के बीतने के बाद के नए माह चैत के आठ दिन भी होली की खुमारी छाई रहती है और इसी उपलक्ष में यह आयोजन पूर्वांचल में लोकप्रिय है और इसमें होली के कई लोक गीत -फगुआ , चौताल ,चहका ,उलारा ,बेलवैया आदि तो मनोयोग से गाये और सुने जाते हैं मगर चैता का भी स्वर भी अब इसमें आ मिलता है ।

यह कार्यक्रम मेरे पैत्रिक निवास पर कब से बिना किसी नागा के नियमित चला आ रहा है मुझेभी ठीक ठीक नही मालूम -मगर खुशी है कि जब अनेक सांस्कृतिक परम्पराएँ मिट रही हैं यह कार्यक्रम अभी भी कहीं जीवंत है -क्या ही अच्छा होता मैं आप को अगली बार बुलाता और आप सभी इस चिरन्तन लोक परम्परा के साक्षी बनते -देखिये अगली बार तक एक ब्लॉगर मीट वहाँ संयोजित हो ही न जाय ! कहते हैं सत संकल्प अवश्य पूरे होते हैं तो क्या आप आयेंगें अगली बार इस लोक परम्परा की रौनक बढानें ?

22 टिप्‍पणियां:

  1. आप से हर बार कोई नई पारम्परिक या वैज्ञानिक जानकारी मिलती है! इतना मज़ा आया समारोह में कि अभी से अगले साल का इंतज़ार?

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  2. आठो चैती समारोहयह नाम ही हमें अटपटा लगा. चैती चाँद सिंधियों का भी एक उत्सव होता है. खैर आपके बताये इस होली की परंपरा से अवगत हुए. आभार.

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  3. दिलचस्प जानकारी .गीत भी अनूठा है

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  4. मौका मिला तो जरुर आने की कोशिश रहेगी ... अच्छी सुन्दर परम्परा है यह ..कई नयी बातें आपके इस लेख के माध्यम से जानी ..शुक्रिया

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  5. अरे भइ, आप इतने प्‍यार से बुलाएंगे तो कौन मना कर पाएगा।

    इस लोकोत्‍सव की हार्दिक बधाई।

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  6. अपना घर याद आ गया / उन्नाव् में होली के दिन आस पास के गाँव से लोग फाग गाने आते है.दो ढोलक आमने सामने /जैसे जैसे उनकी लय बढ़ती सुनने वाले उसी तरंग में सुध बुध खोते जाते . rec मंगवायी है मिल जाए तो बल्ले बल्ले

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  7. अच्छी परम्पराओं को जीवित रखना हर पीढी का धर्म है। आप इसे निभा रहे हैं- बधाई।

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  8. लोक संगीत की मिठास अलग ही होती है. बनारस में कब से पारंपरिक लोक गीत का कलेक्शन ढूंढ़ रहा हूँ. हो सके तो इनकी रिकॉर्डिंग का संकलन कराएं.

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  9. ये होली गीत सुनते हुए तो लग रहा था मानो हम banaras मे ही हों ।
    आनंद आ गया ।
    शुक्रिया ।

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  10. अच्छा तो होली का रंग उतरा अभी नही.. हमे तो मनोज जी की खूबी पसंद आई..

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  11. अरे वाह । अदभुत । मजा आ गया । यू टयूब पर जाकर 'खेले मसाने में होली' का ये संस्‍करण सुना । वाह वाह हो गयी अपनी तो । अरविंद जी । पंडित छन्‍नूलाल मिश्रा आपके ही शहर में विराजते हैं । आपकी जिम्‍मेदारी है कि उनके कुछ और रंग हम तक पहुंचाएं । देवी फाउंडेशन ने उनके दो तीन अलबम निकाले हैं । दो तो मेरे पास हैं । पर उनकी ज्‍यादा रचनाएं मिलती नहीं हैं । ये रचना NDTV पर सुनी थी बरसों पहले । तब से पगलाए हुए ढूंढ रहे थे इसे । अब हमारे संग्रह की शान हैं पंडित जी के दोनों तीनों अलबम ।

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  12. -क्या ही अच्छा होता मैं आप को अगली बार बुलाता और आप सभी इस चिरन्तन लोक परम्परा के साक्षी बनते -देखिये अगली बार तक एक ब्लॉगर मीट वहाँ संयोजित हो ही न जाय ! कहते हैं सत संकल्प अवश्य पूरे होते हैं तो क्या आप आयेंगें अगली बार इस लोक परम्परा की रौनक बढानें ?

    बहुत शुभकामनाएं जी इस शुभ संकल्प के लिये आपको.

    रामराम.

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  13. मेरे विवाह में बड़हार के दिन एक चैता गायक आये थे। तब के बाद अब सुन रहा हूं चैता के बारे में।
    सुखद!

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  14. "उनकी पी आर क्षमता इतनी जबरदस्त है कि अपनी बात से सामने वाले को कब वशीभूत से कर लेते हैं उसे पता ही नही चलता ! अपनी इस नैसर्गिक अमोघ शक्ति का वे गाहे बगाहे अपने सगे सम्बन्धियों पर भी इस्तेमाल करने से नही चूकते और आप जरा भी असावधान हुए तो उनके मोहपाश में बधे ! वैसे तो मैं उनकी इस मारकता से सावधान हो चला हूँ मगर कभी कभी फँस ही जाता हूँ !'' मुझे लगता है कि यह अतिरंजित वर्णन है ,और यदि सही भी तो भी मैं इसे हजम नहीं कर पा रहा हूँ खैर ये आपका प्यार और अपनत्व है | लेकिन अगले साल ब्लॉग जगत के सभी शुभचिंतकों तथा मित्रों को इस लोकोत्सव के लिए अवश्य बुलाइए ये मेरा निवेदन है |

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  15. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  16. आठो चैती समारोह के बारे पढ कर ओर चित्र देख कर बहुत अच्छा लगा
    धन्यवाद
    पहली टिपण्णी पता नही कहां गई

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  17. चैता के बारे में सुना है. दूर से सुना भी है. कभी जाकर सामिल होकर सुनने का अवसर नहीं मिला. अगले सप्ताह घर जाने का प्लान है तो शायद सुन भी लें !

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  18. holi ke avsar par yah anutha parv pahli bar suna...bda vichitra aur romanchak lag raha hai....!!

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  19. hi...nice to go through your blog...well written...by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?


    recently i was searching for the user friendly Indian Language typing tool and found .." quillpad ". do u use the same...?

    heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration..!?

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    Jai...Ho....

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  20. एक नए तरह के उत्सव के बारे में जानकारी मिली.
    गीत सुना...लोक गीतों की अपनी अलग ही बात है.
    धन्यवाद.

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