बुधवार, 15 जून 2011

धर्मपत्नी,अर्द्धांगिनी ,उत्तमार्ध में किसे पसंद करेगें आप? (एक शब्द चर्चा )

विगत दिनों दिनेश राय द्विवेदी जी ने  धर्मपत्नी को जन्मदिन की बधाईयाँ दीं और उन्हें उत्तमार्ध कहा ..मैं भी कितना कुंद बुद्धि कि तत्क्षण उत्तमार्ध का अर्थ समझ नहीं सका तो द्विवेदी जी से ही तुरत पूछ बैठा था इसका अर्थ ..उनका जवाब जबकि अभी भी प्रतीक्षित है मैंने उसी दिन कुछ पलों के बाद ही व्यग्रता से गिरिजेश जी से जैसे ही इसका जिक्र किया हंस कर बोले -यह बेटर हाफ का हिन्दीकरण ही तो है ..सच में मैं भी कैसा बुद्धू हूँ कि यह बात मुझे सहसा समझ नहीं आयी ...मगर फिर एक उलझन जो अभी तक नहीं सुलझी वह आपके सामने लाया हूँ ....पत्नी के लिए हमारे यहाँ पहले से ही प्रचलित कई संबोधन हैं -श्रीमती ,मेहरारू ,अर्द्धांगिनी ,धर्मपत्नी ..दुलहिन...और सभी अवसर /संदर्भ विशेष में आज भी प्रासंगिक हैं ...

मगर मैंने उत्तमार्ध पहली बार सुना -किसी शब्द क्रीडा प्रेमी   द्वारा यह एक नयी ईजाद है ....मगर शब्द अपने साथ परिवेश और संस्कृति से जुड़े भावों को भी लाते हैं -अंग्रेज पत्नी को बेटर हाफ क्यों कहते हैं? यह तहजीब  /शिष्टाचार का वह रूप इंगित करता  है जहाँ लोग मिथ्याचारिता (सोफिस्टीकेशन ) तक जा पहुंचते हैं ....मन में भले ही कुछ हो मगर शब्दाडम्बर में पीछे नहीं ...वैसे भी बेटर हाफ का संबोधन तो मुझे यहाँ के  पुरुष प्रधान समाज में  व्यंगात्मक सा लगता है -व्यंजनात्मक लगता है .....उसे वह दर्जा देने की कटोक्ति जो वह वस्तुतः रही नहीं ...अंग्रेजों की तो छोडिये वहां नारी  बेटर हाफ से भी अधिक सशक्त हो चुकी  है ... मगर शायद दिनेश जी के सामने कोई और धर्मसंकट रहा हो ...उन्हें पत्नी के लिए अपने यहाँ प्रचलित शब्दों में त्रुटियाँ नजर आयीं हों -अब धर्मपत्नी शब्द में ही देखें तो खामी है ...धर्मपुत्र तो अपना होता नहीं ..दत्तक पुत्र होता है ,दूसरे का होता है ....धर्मपत्नी शब्द में भी यही अड़ंगा कुछ लोग मानते हैं कि कहीं लोग खुद की पत्नी को भी अर्द्धांगिनी कहने पर पराये की पत्नी न मान लें..... :) 
 भैया ,पत्नी भी अपनी होती कहाँ है ? एक लम्बे कष्टप्रद धार्मिक अनुष्ठान के बाद उसे जबरदस्ती गले में बाँध दिया जाता है ...और धर्मपत्नी कह दिया जाता है ताकि बंदा उससे कोल्हू के बैल की तरह ताजिंदगी बंधा रहे ..उसे छोड़े तो धर्मच्युत हो ..अब एक आम धर्मभीरु भारतीय इस धार्मिक रिश्ते को मरते दम तक निभाने को अभिमंत्रित(मेरी जुर्रत, अभिशप्त कह दूं ? )   हो रहता है .... :) 

अर्द्धांगिनी बोले तो अपना ही एक बराबर का हिस्सा -जैसे पार्वती और शिव ....भोले बाबा बिना पार्वती के पूर्ण नहीं हैं -वे अर्द्धनारीश्वर हैं तो बस इसी अर्थ में हैं ...नर नारी का यह सायुज्य, यह अन्योनाश्रित सम्बन्ध शिव के इसी अर्द्धनारीश्वर रूप से ही अनुप्राणित होता रहता है ...तो पत्नी को अर्द्धांगिनी का संबोधन उसे बराबरी का दर्जा देने,बराबर का सम्मान देने की नीयत रखता है. दिनेश जी को शायद इसमें भी  कोई खामी दिखी ...श्रीमती पर संकट यूं भी है कि अब सुश्री(Ms .=मिज )  कहलाने का फैशन है जिसमें यह पता ही नहीं चलता कि देवि का मैरिटल स्टेटस क्या है? पता नहीं ये कुछ पुरुष और नारियां अपने वैवाहिक स्तर को छुपा कर क्या हासिल करना चाहते हैं? 

 मेहरारू में अतिशय नारीत्व का बोध है ....संभवतः यह मेहरा शब्द से बना हो ..मेहरा का मतलब है स्त्री सरीखे हाव भाव वाला पुरुष (effeminate personality  ) ....इससे कहीं यह तो ध्वनित नहीं होता कि मेहरारू किसी ऐसे शख्स की तो पत्नी नहीं जो खुद  मेहरा हो ....मुझे लगता है इन देशी शब्दों के इन्ही झंझटों को देख दिनेश जी ने एक विदेशी संबोधन के हिन्दीकरण की जहमत उठाई हो -भले ही वह अतिशय औपचारिक है मगर है तो दुराग्रह मुक्त ...एक नया शब्द ...एक नव बोध! 

48 टिप्‍पणियां:

  1. धर्मपत्नी,अर्द्धांगिनी ,उत्तमार्ध में किसे पसंद करेगें आप?

    हमें तो सब पसंद हैं। घरैतिन को कहां छोड़ दिया जी?

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  2. घरवाली के होते हुए कुछ छोड़ नहीं सकते, सभी पसंद हैं, ज्यादा संबोधन जो मिल रहे हैं।

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  3. उत्तमार्ध!आपको मनोनुकूल एक बढ़िया शब्द मिला इसके लिए बधाई।

    अर्ध की अनुभूति ही बड़ी बात है। दोनो खुद को एक दूजे के बगैर आधे या अधूरे महसूस करें तो यही प्रेम का प्रतीक है। शिष्टाचार के लिए इसका प्रयोग करना और बात है लेकिन मन से उत्तम या उत्तमा का भाव दूजे के प्रति हो न कि खुद के प्रति ।
    हम भारतीय इस रिश्ते में शिष्टाचार नहीं अपितु अहंकार की चरम कुरूपता या प्रेम की अनंत गहराई से जुड़े होते हैं। इस रिश्ते में शिष्टाचार निभाना आधुनिक परंपरा बन गई है, ऐसा लगता है।
    उत्तमार्ध का प्रयोग महिला भी पुरूष के लिए कर सकती है। better half कोई भी हो सकता है। शिष्टाचार वश कहना हो तो स्वाभाविक है कि इसका प्रयोग दूजे के लिए ही होगा लेकिन प्रेम के रिश्ते में शिष्टाचार पीछे छूट जाता है। प्रेम न हो तो हम ही उत्तम हैं, अर्ध निकृष्ट।

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  4. भाषा में जितने शब्द पहले से मौजूद हैं, वही नहीं सम्भाले जा रहे हैं। उत्तमार्ध शब्द का अर्थ तो वैसे भी बहुत सीमित हुआ - उदाहरण के लिये करुणानिधि अपनी तीन पत्नियों में से किसी एक को उत्तमार्ध कहेगा तो बाकी क्या मध्यमार्ध, ... आदि होंगी? चार बीवी वाला शेख क्या-क्या कहेगा? सीधा- सरल शब्द है पत्नी, मुझे उसमें कोई समस्या नहीं दिखती।

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  5. हिन्दू धर्म में विवाह एक धार्मिक प्रक्रिया/संस्कार है इसलिए ही पत्नी को धर्मपत्नी कहा जाता होगा ...तर्क शास्त्री कह सकते हैं कि पति को भी धर्मपति कहना चाहिए था , मगर पति को आम इंसान माना ही नहीं गया , पति की पदवी प्राप्त होते ही पति परमेश्वर हो जाता है ...

    वैसे शेक्सपियर ने कहा था नाम में क्या रखा है . गुलाब को चाहे जिस नाम से पुकारो गुलाब ही रहेगा ...

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  6. दरअसल हमारी ज़मीन से जुड़ा शब्द अर्द्धांगनी ही है न कि उत्तमार्द्ध .वैसे भी पुरुष में स्त्रियोचित गुण भी होतें हैं और नारी में पुरुषोचित भी .हारमोन भी दोनों में दोनों तरह के होतें हैं पुरुष हारमोन (एंड्रोजन ,टेस्ता -स्टेराओंन ,)भी स्त्री हारमोन भी यथा इस्ट्रोजन .दोनों में एक संतुलन ज़रूरी है ।
    वैसे पत्नी दीर्घ होती है पूर्ण अंग की स्वामिनी होती है .पति ह्रस्व .वर्तनी देख लो .पूर्ण -अंगनी(पूर्नान्गनी)होती है ।
    यूं उसे मारू (ढोला -मारुरा )भी बोलतें हैं .होम मिनिस्टर भी .अन्नपूर्णा भी ,गृहस्वामिनी भी .गृह -लक्ष्मी भी .कुछ लोग महा -लक्ष्मी भी बोलतें हैं .इति .

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  7. अर्द्धांगिनी, आधा समय उन्हीं की सेवा में जाता है।

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  8. उत्तमार्ध शब्द की स्वीकार्यता किन सन्दर्भों में होती है या होगी पता नहीं पर मेरी निजी सोच अर्ध को स्वीकार करने से संकोच करती है. शब्द अंग्रेजी का हो या हिन्दी का पर जो अर्ध (आधा) का बोध कराये और वह भी आज के सन्दर्भ में (भले ही बेटर हाफ हो) तो कहाँ तक उचित है.

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  9. .
    .
    .
    मैं जिस तरह से स्वयं के लिये धर्मपति, अर्धांग या उत्तमार्ध जैसे संबोधन सहन नहीं कर पाता और चाहता हूँ कि मुझे प्रवीण ही पुकारा जाये ठीक उसी तरह यही चाहूँगा कि उसे भी मिनी ही बोला जाये सभी के द्वारा...



    ...

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  10. .
    यह वक्त और ज़रूरत पर निर्भर करता है ।
    धर्मपत्नी... सामाजिक परिचय के लिये उपयुक्त है । ( इससे अधर्म के रास्ते स्वतः दृष्टिगोचर हो जाते हैं )
    अर्धाँगिनी.. मित्रों में पत्नी को उपलब्धि स्वरूप परिचित कराने के लिये माकूल लगता है । ( आप प्रमाणित करते हैं कि इनकी जूतियों से महफ़ूज़ हैं )
    उत्तमार्ध.. उन्हें बहला कर अपना मतलब सिद्ध करने का सर्वोत्तम साँत्वना है ( जबकि आप मानते हैं कि स्वयँ आपसे बेहतर अन्य कोई नहीं )
    फुरसतिया की घरैतिन .. घर के काम काज में उलझी पत्नी को सम्मान देने वाला शब्द है ! ( जबकि आप समझते हैं कि वह कोई काम ही नहीं करती )

    प्रवीण जी की समस्या पूर्ति सर्वोत्तम है ।

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  11. उत्तमार्ध शब्द तो अच्छा लगा मगर इमानदारी से शायद ही कोई कहता होगा ! चमचा गिरी अधिक लगता है जिसे करवाचौथ जैसे मौकों के लिए रखना चाहिए !
    आपका स्पष्ट स्वभाव पसंद आता है दोस्त !
    शुभकामनायें आपको !

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  12. अर्द्धांगिनी..... यानि जिसके बिना सब अधूरा लगे....... पोस्ट बड़ी अच्छी सरल है पर विवेचन बहुत सार्थक ....

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  13. ताजा समाचार कहते है की भारत , चौथे स्थान पर हैं विश्व के समस्त देशो मे जो "महिला के लिये खतरनाक " हैं यानी daengerous . इस अवस्था मे इन सब बातो का क्या कोई औचित्य रह जाता हैं ?? महज शब्दों की कलाकारी से क्या हासिल होगा जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी . कह आप सब कुछ भी ले लेकिन मानते क्या हैं बात तो वही आकर ख़तम होती हैं .

    समाचार जो पढना चाहे , यहाँ जाए




    http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2011/06/its-merely-piece-of-news.html

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  14. धर्मपत्नी,अर्द्धांगिनी ,उत्तमार्ध यह तो किसी और कि पत्निओं के नाम लगते हैं. ,मुझे तो भाई केवल अपनी पत्नी पसंद है.

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  15. पत्नी इस रिश्ते का आम नाम है लेकिन सम्बोधन के लिए कुछ खास नाम चुन लिया जाय तो बात बेहतर हो जाती है। यह सबके लिए अलग-अलग हो सकता है। अपनी पसन्द से चुन लीजिए और बिन्दास बोलिए।

    एक तरीका तो बड़ी संतान का नाम लेकर उसकी मम्मी या उसके पापा के रूप में ही संबोधित करने का होता है जो बहुत प्रचलन में दिखायी देता है।

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  16. उत्तमार्ध शब्द इन पौरुषहीन को समझ नहीं आयेगा। पत्नी धर्म निभाते हुए भी वह अपनें जायज हक की लड़ाई लड़ते हुए आलसी पति से विपरीत रति करती है, उस आधार पर रखा गया है।

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  17. किसी भी नाम से पुकार सकते है मुझे तो बीबी ही अच्छा लगता है

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  18. नाम में क्या रखा है.पत्नी को भी इंसान समझ लें बस काफी है :)

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  19. गौतम राजरिशी ने बहुत पहले अपनी पोस्ट में इस 'उत्तमार्द्ध' शब्द का जिक्र किया था....मैने इस शब्द को उद्धृत करते हुए अपनी टिप्पणी भी की थी { अब कौन सी पोस्ट थी..एकदम से याद नहीं आ रही और उनके ब्लॉग खंगालने का ना तो पेशेंस है ना वक़्त :)}

    वैसे पति के लिए बस एक ही शब्द है.."पति पमेश्वर "??...या शायद मुझे ही नहीं पता :)

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  20. @ स्मार्ट इन्डियन ,
    वास्ते करूणानिधि ,
    यूरोपियन इतिहास की तर्ज़ पर करूणानिधि इसका हल खोज सकते हैं उत्तमार्ध प्रथम , उत्तमार्ध द्वितीय , उत्तमार्ध तृतीय इसके आगे भी गुंजायश है :)

    @ प्रवीण शाह ,
    मुझे भी नाम लेना ही बेहतर लगता है पर नए मित्रों से परिचय के समय बेगम साहिबा कह लेता हूं :)

    @ अरविन्द जी ,
    सूझता ये है कि अगर वे उत्तमार्ध उच्चारित हों तो कहने वाला अधमार्ध , निम्न उत्तमार्ध ,मध्य उत्तमार्ध जैसा कुछ समझा जायेगा :)

    वैसे कोई और विकल्प भी हों तो पता नहीं :)

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  21. उत्तमार्ध का प्रयोग मुझ से पहले आम तौर पर श्री विष्णु बैरागी नियमित रूप से करते रहे हैं। हो सकता है उन के दद्दा, कवि बालकवि बैरागी ने इस शब्द का सब से पहले प्रयोग किया हो। मुझे यह शब्द उसी तरह रुचिकर लगा जैसे आप को और मैं ने उस का प्रयोग किया।
    यह कहना सर्वथा गलत है कि यह शब्द अंग्रेजी के बैटर हाफ का अनुवाद है। यह शब्द आप्टे के संस्कृत शब्दकोष में मौजूद है। हालांकि वहाँ भी इस का अर्थ बढ़िया आधा और अंतिम आधा किया गया है।
    लेकिन इस शब्द में एक विशेषता है कि यह पति पत्नी के लिए और पत्नी पति के लिए उपयोग कर सकते हैं। जब कि पति/पत्नी बीबी और खाविंद, शब्द लिंग का अहसास कराते हैं। धर्मपत्नी तो अकेला शब्द है ही नहीं। वह यह भी अहसास कराता है कि पुरुष के धर्मपत्नी के अलावा और भांति की पत्नियाँ भी हो सकती हैं। अर्धांगिनी का भी कोई पुर्लिंग नहीं है।
    हाँ, इसे मस्का लगाने के लिए नहीं प्रयोग किया गया है। कम से कम मेरी उत्तमार्ध के लिए कह सकता हूँ कि वह उत्तमार्ध है। यदि न होती तो यह ब्लागरी दो दिन भी न चल पाती। वकालत का काम, कुछ पंचायती और दरियाँ बिछाने उठाने का शौक, ऊपर से ये ब्लागरी। संभव ही नहीं थी। सारा घर उसी ने संभाला हुआ है।

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  22. सन १९८४ में एक बुजुर्ग से उनकी धर्मपत्नी के स्वास्थ्य के बारे में पूछ बैठा था. वे बड़े नाराज़ हुए और कहा वह धरम की पत्नी नहीं है. वह मेरा हिस्सा है!

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  23. 'उत्तमार्द्ध ' शब्द को लेकर एक जानकारी और पता चली है तो यहाँ शेयर कर ही लूँ....

    'धर्मवीर भारती' अपने पत्रों में 'पुष्पा भारती' के लिए 'उत्तमार्द्ध' शब्द का प्रयोग किया करते थे ...उनके लिखे कई पत्र प्रकाशित हुए हैं और काफी चर्चित भी रहे हैं...

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  24. @आप सभी मित्रों का आभार -शब्द चर्चा अच्छी चल रही है -रश्मि रविजा जी द्वारा दी गयी जानकारी से यह स्पष्ट हो गया है कि साहित्य में इस शब्द का प्रचलन लम्बे समय से रहा है ....मगर है तो यह बेटर हाफ की ही अनुकृति!

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  25. @रश्मि रविजा जी ,
    धर्म जी प्रकारांतर से किसी को अधमार्ध (अधमरा ) भी किये हुए थे!

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  26. @।डॉ. धर्मवीर भारती की पहली पत्नी सुश्री कांता भारती ने तलाक के बाद वैवाहिक जीवन की मुश्किलों पर एक उपन्यास 'रेत की मछली' भी लिखा है। माना जाता है कि यह उनकी पीडाओं और अनुभूतियों की प्रस्तुति है।

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  27. तमाम वामा ,वामान्गियों और दक्षिण -अन्गियों,कामनियों को लेकर फिर लौट आया हूँ यह बतलाने -हर पुरुष में एक नारि और नारी में एक पुरुष होता है .सवाल संतुलन और प्रतिशत का है .६०/४० ।
    जब ये गुण सम पर आजातें हैं व्यक्ति -किम -पुरुष /शिखंडी /दिग्विजय सिंह हो जाता है .तब वह न नारी रह जाता है न पुरुष .
    शोषण -वादी पूँजी -पतियों वाली भाषा उत्तमांगी के लिए प्रयुक्त की जाए .जो कुछ कहा जाए अन्दर से कहा जाए ,दिखाऊ नहीं .ये काम- काजी महिला प्रयोग भी हमें बड़ा अटपटा लगता है .घरेलू महिला क्या भाड़ झोंकती है ?और जो कामकाजी होती है वह क्या घर के किसी काम की नहीं रहती ,गैर -घरेलू हो जाती है ?कृपया प्रकाश डालें .

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  28. शैल चतुर्वेदी जी कवि सम्‍मेलन में मौज में आते तो कहा करते जैसे धर्मपिता, पिता नहीं होता, धर्मभाई भाई नहीं होता, वैसे ही धर्मपत्‍नी, अपनी पत्‍नी नहीं होती.

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  29. @अरविन्द जी,

    मैने कांता भारती की 'रेत की मछली' पढ़ी है...और तभी से सोचने लगी....कि कवि, कथाकार या विचारक होने से पहले, एक अच्छा इंसान होना ज्यादा जरूरी है...पुस्तक में वर्णित तथ्य पढ़ने में थोड़े exaggerated तो लगते हैं...पर उनका आधार सत्य ही होगा.

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  30. @रश्मि जी ,
    अतिरंजना तो साहित्य का एक प्रमुख कंपोनेंट ही है ,मगर उसके पीछे छुपे मर्म को समझना मुश्किल नहीं है !सहमत!

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  31. शब्दार्थ के लिए शास्त्रार्थ बढिया रहा, ज्ञानरंजन हुआ, वैसे हमारे यहां गोसैइनिन (मालकिन) भी कहते है।
    ब्लॉग4वार्ता-नए कलेवर में स्वागत है।

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  32. गिरिजेश राव ने कहा :

    यह कहना कि "यह कहना सर्वथा गलत है कि यह शब्द अंग्रेजी के बैटर हाफ का अनुवाद है।" भ्रामक है। यहाँ शब्द नहीं उसके निहितार्थ की बात हो रही है जो कि पत्नी से सम्बन्धित है। आप्टे के कोष में उत्तम और अर्ध अलग अलग दिये गये हैं (शब्दकोषों की परिपाटी संयुक्त शब्दों को ऐसे ही दिखाती है) और अर्थ में क्रमश: best, excellent, foremost, uppermost, highest, first, principal एवं the best half, the last half or part आदि दिये हैं। उत्तमार्ध जैसा प्रयोग संस्कृत क्लासिकी या वैदिक वांगमय में नहीं रहा, यदि होता तो उदाहरण/सन्दर्भ इतने महत्त्वपूर्ण प्रयोग के अवश्य दिये रहते।

    रही बात अर्धांगिनी की तो इसका पुलिंग अर्धांग प्रयोग मैंने कहीं देखा है - पुरानी संस्कृत में ही पति के अर्थ में। याद नहीं आ रहा। अस्तु!
    अर्धांग/गिनी का प्रयोग बराबरी दर्शाता है, उत्तमार्ध की तरह पुरुषप्रभुत्त्व वाले समाज के अपराधबोध या सामंती सम्मान/चित्तानुरंजन को नहीं। मुझे लगता है कि better half प्रयोग पुराने यूरोपीय सामन्ती समाज की बोली का अवशेष है। हाँ, यदि कोई वास्तव में इसका अभिधात्मक अर्थ में पत्नी के प्रति सम्मान के लिये करता है तो वह व्यक्तिगत होगा और दोनों ओर लग सकता है। सामान्य अर्थ में केवल पत्नी के लिये इसका प्रयोग तो ऐसा होगा कि पुरुष हमेशा inferior है। यह समानता की भावना के विरुद्ध होगा और असत्य/भ्रामक भी।

    बाकी जब तक रोटी दे रही है और घर सँभाल रही है तब तक लाड़ो, घरभरन, सिरमती आदि आदि नामों से पत्नियों को पुकारे जाते सुना है और थोड़ी सी गलती होते ही _षड़ो नाम से भी। इस सन्दर्भ में रचना की टिप्पणी महत्त्वपूर्ण है। ...वैसे गुस्साने पर घरैतिनों को मोछिउखरना और मुतपियना आदि उपाधियों से पति को सँवारते भी सुना है। सारी समस्या मिडिल क्लास में ही है। लोअर और अपर क्लास में कहने कहाने से कुछ खास फरक नहीं पड़ता।

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  33. My better half
    Meaning

    My husband or my wife.
    Origin

    This term wasn't originally restricted to referring to one's spouse as we use it now, but to a dear friend. It was used that way by the Roman poet Horace and later by Statius. The allusion then was to a friend so dear that he/she was more than half of a person's being. That meaning persists, although these days, if the term is used seriously rather than sarcastically, it is generally considered to mean 'the superior half of a married couple'. That is, better in quality rather than in quantity.

    Sir Philip Sidney was the first to put into print the use of this phrase to mean spouse, in The Countesse of Pembrokes Arcadia, 1580:

    "My deare, my better halfe (sayd hee) I find I must now leaue thee."


    http://www.phrases.org.uk/meanings/my-better-half.html

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  34. http://www.learnersdictionary.com/search/better%20half

    better half noun
    plural ∼ halfs
    [count] old-fashioned + humorous : someone's wife or husband


    better half was never used for wife when the use started

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  35. धर्मपत्नी तो हुई धर्म से पत्नी माने जाने वाली महिला जिसका पाणिग्रहण समाज के सामने हुआ है और उत्तमार्ध वह महिला जो आपके आधे जीवन के बाद उत्तम सहयोग देने आती है ... अब वो महिला ग्रहणी है, आफ़िसणी है या कचहरिणी है, यह तो समय-समय और समझ-समझ की बात है :)

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  36. यह अर्ध तो मुझे अधूरियापन मानसिकता का द्योतक लगता है। हर व्यक्ति अपने आपमें पूर्ण है। एम वर्मा जी से सहमत।

    धर्मपत्नी शब्द मात्र धार्मिक विधि से विवाह होने के कारण ही नहीं, बल्कि दामपत्य धर्म को निबाहनें का दारोमदार उस पर अधिकांश रहता है इसलिए धर्मपत्नी।

    बाकी जिसमें समान साथी का भाव आए वही उत्तम है बिना अर्ध के।

    सहचर्या, सहचारिणी, जीवन-संगीनी, धर्म सहायिका।

    बाकी गिरिजेश जी ने बहुत ही सार्थक कहा।"बाकी जब तक रोटी दे रही है और घर सँभाल रही है तब तक लाड़ो, घरभरन, सिरमती आदि आदि नामों से पत्नियों को पुकारे जाते सुना है और थोड़ी सी गलती होते ही _षड़ो नाम से भी।"
    यानि पर्याय विशेष के अनुरूप सम्बोधन करना। यह सही भी है। जिस समय व जिस आशय से पुछा गया है उसी संदर्भ का विशेषण युक्त सम्बोधन देना। जैसे जब वह घर सम्हाल रही हो तन गृहणी या घरवाली, बाकी डॉ अमर कुमार जी नें भी पर्यायो को वर्गीकृत किया ही है।

    बाकी उत्तमार्ध में उत्तमता तो अर्ध शब्द से अधूरी ही हो जाती है।

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  37. @रचना ,
    बहुमूल्य जानकारी,आभार
    मित्रों,
    आप सभी के सहयोग से यह एक संग्रहणीय/संदर्भणीय पोस्ट बन गयी है ...
    मुझे कई नयी जानकारियाँ हुईं -पत्नी के लिए कितने ही संबोधन संकलित हुए ..
    इस ज्ञानवर्धक चर्चा के लिए आप सभी का आभार !

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  38. इस पोस्ट के बाद से 'धर्मपत्नी' शब्द का प्रयोग तो सोच-समझ कर ही करूँगा. और उपयुक्त नामकरण तो होने वाली पत्नी के 'charecteristic' के अध्ययन के बाद ही करना मुनासिब है. पता नहीं 'भाग्यवान' हो या 'हे भगवान'.


    वैसे कुवारों के लिए डरावनी परिकल्पना है. :-)

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  39. इस चर्चा का एपिलोग करते समय आप को ये भी लिखना चाहिये था जेंडर न्यूट्रल शब्दों का स्त्रीलिंग नहीं बनाया जा सकता हैं . मजाक में भी नहीं .



    शब्द की उत्पत्ति जिस भाषा में हुई हैं उसका सही अर्थ उसी भाषा से मिलेगा .


    एक शब्द हैं पतलून

    क्या pantaloon का हिंदी हैं ये

    या pantaloon पतलून की इंग्लिश हैं .


    कौन सा पहले आया हैं और कब .

    ज़रा गिरिजेश जी से संवाद हो तो मेरी ये बात उन तक पहुचा दे .


    अगली पोस्ट का टोपिक ये भी हो तो बढ़िया रहेगा कम से कम "पत्नी " को पता तो होगा की अपने
    उत्तमार्ध! की वो पतलून धो रही हैं या pantaloon

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  40. @रचना ,
    जो बीत गयी सो बात गयी ..
    बीती ताहि बिसारि दे...
    पतलून अंगरेजी से ही आया लगता है ..
    गिरिजेश जी तो स्वयं अर्धनारीश्वर , सर्वव्यापी हैं -
    उन्हें कोई बात क्या पहुँचाना ?

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  41. अंग्रेजी के बेटर हाफ का अनुवाद --उत्तमार्ध ! बहुत खूब । सतीश जी की बात से सहमत हूँ ।

    अब ज़रा सोचिये --पत्नी को अंग्रेजी में वाइफ कहते हैं --तो धर्मपत्नी को क्या कहेंगे ? सोचिये , सोचिये ।
    अज़ी सोचते रह जायेंगे --अंग्रेजों में धर्मपत्नी होती ही नहीं !!!

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  42. ओह! पुनः रोचक पोस्ट के साथ-साथ ज्ञानवर्धक टिप्पणियां पढ़कर मन आनंद से भर गया.सबसे पीछे आने का कुछ तो फायदा मिल ही जाता है

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  43. परंपरागत धर्मानुसार विवाह होने के उपरांत पत्नी-धर्म पत्नी कहलाती है,परंतु क्या पति,पत्नी के लिए,धर्म पति है ?
    अर्धनारीश्वर- ईश्वर ने स्वयं प्रतिभाषित किया है,की ईश में अर्ध नारी समाई है,यह स्पष्ट होता है,ईश का स्वरुप पुरुष है। पश्चायत सभ्यता ने इसी अर्धनारीश्वर को ही बेट्टर हाफ बना दिया। पत्नी स्वरूप स्त्री,जननी जब माँ बनती है,तो वह पूर्ण नारी कहलाती है। विज्ञानं के अनुसार प्रजनन स्त्री-पुरुष के सम्भोग द्वारा ही संभव है,जिसमे X & XY chromosome,सम्मलित है।
    स्त्री के चरोमोसोन ही पुरुष को जन्म देती है।

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  44. परंपरागत धर्मानुसार विवाह होने के उपरांत पत्नी-धर्म पत्नी कहलाती है,परंतु क्या पति,पत्नी के लिए,धर्म पति है ?
    अर्धनारीश्वर- ईश्वर ने स्वयं प्रतिभाषित किया है,की ईश में अर्ध नारी समाई है,यह स्पष्ट होता है,ईश का स्वरुप पुरुष है। पश्चायत सभ्यता ने इसी अर्धनारीश्वर को ही बेट्टर हाफ बना दिया। पत्नी स्वरूप स्त्री,जननी जब माँ बनती है,तो वह पूर्ण नारी कहलाती है। विज्ञानं के अनुसार प्रजनन स्त्री-पुरुष के सम्भोग द्वारा ही संभव है,जिसमे X & XY chromosome,सम्मलित है।
    स्त्री के चरोमोसोन ही पुरुष को जन्म देती है।

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