मंगलवार, 14 सितंबर 2010

प्रति टिप्पणी रूपये दस दान !

मेरे लिए तो हर दिन हर रात 'हिदी दिवस ' होता है और इसलिए मैं इस पर कोई न तो कर्मकांड आयोजित करता हूँ और न ही ऐसे किसी अनुष्ठान में भाग लेता हूँ -हाँ ,आज हा हिन्दी हा  हिन्दी हहाती  अनेक पोस्ट पढ़  ली हैं और कुछ उम्दा कवितायेँ भी ...लेकिन इस बीच सतीश पंचम जी के सत्याग्रह ने बहुत विचलित कर रखा है -उन्होंने टिप्पणी बाक्स न खोलने की कसम खा ली है और आज यह ताना भी दिया है कि उन्हें प्रति टिप्पणी रूपये सात की दरकार है -उनके इस आग्रह पर कसके  चुटकीबाजी भी हो रही है ....लेकिन इस पूरे मसले ने एक बहुत जरुरी बहस का आमंत्रण दे दिया है ....मुझे याद है कि  कई नामी गिरामी ब्लॉगर भी अंतर्जाल या ब्लागिंग से कैसे कमाया जाय इसकी जोड तोड़ करते रहते थे/हैं -वे भी जिन्हें गुरुकुल के हिसाब से तो वानप्रस्थ आश्रम में चला जाना चहिए था/है -
हम लोगों में से अधिकाँश उम्रदराज लोग जिन्हें इस गरीब देश के लिहाज से एक अच्छी जिन्दगी की सहूलियतें मिल चुकी हैं जब खुद का अच्छा ख़ासा बैंक बलेंस हो चुकने के बाद भी पैसे के पीछे जीभ  लपलपाते देखे जाते हैं तो मुझे बहुत नागवार लगता है .मैं यह सतीश पंचम जी के लिए नहीं कह रहा हूँ -मैं अमिताभ बच्चन के लिए कह रहा हूँ -एक उस शख्स  जिसके पास आज क्या नहीं है -बंगला गाडी मोटर सब मगर खेती किसानी के लिए उत्तर प्रदेश में गरीब किसानों की जमीन अपने नाम लिखवा रहा है -अभिनय बेचने ,आवाज बेचने और माडलों में अपनी अदायें  बेचने और क्या क्या और बेचने  से भी इस मानुष का मन  नहीं भरा तो अब यह आनाज बेचने पर भी उतारू है ..मुझे आश्चर्य होता है कि ऐसे करोडपति को भी आर्थिक सुरक्षा का भय सताए रहता है ....ऐसे ही अंतर्जाल में कई महानुभाव हैं!  मेरा इशारा  केवल ४०- ५० के ऊपर के लोगों पर है -जो अब सब कुछ किरिया करम करने के बाद अंतर्जाल को अगोर कर बैठ रहे हैं कि ईहाँ से भी पैसे का जुगाड़ हो सकता है .

अब सतीश पंचम जी की तरह   वो युवा तबका जो ब्लॉग जगत में है और उसे जीवन यापन का कोई स्थाई आधार नहीं मिला है ऐसे शगल अपनाता है तो कोई  बात नहीं -उन्हें पैसे की जरूरत भी है और अपनी अर्थकरी बुद्धि को वे निखारना चाहते हैं या ब्लागिंग में अधिक समय न देकर वे अपनी आर्थिक स्वछंदता का उपाय  कर लेना चाहते हैं  तो ठीक बात है -मगर  सतीश जी की आज की पोस्ट जिसमें वे वे प्रति टिप्पणी सात रूपये मांग कर एक इशारा कर रहे हैं कुछ और भी सोचने पर विवश करती है मगर उनसे और उन जैसे अनेक युवा और नव युवा ब्लॉगर (इनर्ट जेंडर ) से मैं बार बार  एक अपील करना चाहता हूँ -हम जानवर नहीं हैं जो धरा पर केवल पेट पूजा और प्रजनन के लिए आये हैं -हम एक सामाजिक प्राणी हैं ,हमारे समाज के प्रति भी उत्तरदायित्व हैं -कुछ काम हमें निस्वार्थ भाव से करने चहिए -अपनी मानसिक संतुष्टि और समाज को कुछ देते रहने की नीयत से भी -ब्लागिंग भी एक ऐसा ही क्षेत्र हो सकता है और हम और आप में से बहुतों के लिए यह है भी .....कम से कम यहाँ से तो उम्र दराज लोग कुछ खाने  कमाने की बगुल दृष्टि से बाज आयें ...

एक उम्रदराज मित्र ने मुझसे कहा कि यार भागते भूत की लंगोटी ही सही -जो कुछ भी झटक उठेगा तो इसमें हर्ज ही क्या है ? मैंने पूछा ..... तो क्या आप इसलिए ही ब्लागिंग में हैं ? -उन्होंने ईमानदारी से कहा कि और क्या ,यहाँ हरिभजन के लिए तो आये नहीं..इसलिए आपने देखा कि मैं किसी भी विवाद में नहीं पड़ता -मेरा लक्ष्य बस अर्जुन  की चिड़िया की आँख हैं -मैंने कपार पीट लिया ...अब ऐसे लोगों के लिए क्या किया जाय -धरती माँ इनके बोझ से चीत्कार तो कर ही रही है -मेरे जैसा अदना आदमी भी ऐसे लोग और नीयत देखकर व्यथित मन  हो उठता है ..

क्या हम ब्लागिंग को केवल ब्लागिंग के मकसद से नहीं कर सकते -ब्लागिंग फार ब्लागिंग सेक ....अब इससे क्या पैसा कमाने की नीयत रखना ...क्या पैसा बनाने के दूसरे वैध अवैध तरीके खारिज हो चुके ...? शेयर ,स्मगलिंग ,वैश्यावृत्ति ,आदि अनादि ..
..मैं अब अगर यह लिख दूं कि मैं आज की पोस्ट पर प्रति टिप्पणी रूपये दस दान  दूंगा तो क्या ऐसे भलमानस यहाँ   टिप्पणियों को संख्या बढ़ा  देगें ? आईये आज यही देखते हैं ? अपनी टिप्पणी में यह जरूर जिक्र कर दें कि आप इस टिप्पणी दान आह्वान से प्रेरित हैं ....मैं पैसे की जुगाड़ करता हूँ -हाँ बिना इस आह्वान का हिस्सा बने भी आपकी टिप्पणियों का स्वागत है ....उन पर टिप्पणी दान शब्द न लिखें :)

71 टिप्‍पणियां:

  1. यह मेरी टिप्पणी ...दस रुपया निकले विप्र वर , जुगाड़ कर के लाओ या दोस्तों से मांग कर ...हा ...हा.. हा...हा...जब भी दिल्ली आओगे मय ब्याज के दे देना !
    लगता है सतीश पंचम को ७ रुपया प्रति टिप्पणी पर सफाई देनी पड़ेगी...

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  2. सुन्दर प्रस्तुति. हम तो भिक्षा के रूप में टिपण्णी प्राप्त करने के पक्षधर हैं. जो दे उसका भला जो न दे उसका भी भला.

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  3. अर्विंद जी हेरान तो मै भी होता हुं कई बार कि लोगो को सवर क्यो नही...क्यो हर समय पेसा पैसा ही करते है यह लोग, मैने अपना अच्छा चलता काम छोड कर नोकरी शुरु कर दी, लोगो ने बहुत नसीयहते दी की तुम्हे इतनी आमदन हो रही है, तुम्हारे खर्च बहुत है केसे करोगे गुजारा उस नोकरी से? तो मेरा ओर मेरी बीबी का यही कहना था कि हम अपने खर्चो मे कटॊती कर के गुजारा करेगे, उस समय पैसा बहुत था, लेकिन समय ओर शांति नही थी, आज पैसा कम है, लेकिन परिवार के लिये भरपुर समय ओर शांति है, ओर जिन्दगी पहले से ज्यादा मजे मै बीत रही है... मै तो यही कहुंगां कि धन के पीछे ज्यादा ना भागे तो सुखी रहोगे.... आगे सब की अपनी अपनी सोच है.
    आप के लेख से सहमत हुं. धन्यवाद

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  4. हा-हा-हा... कान खींचना तो कोई मिश्र जी से सीखे !पूरे घर के धो डालते है :)

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  5. मेरी तरफ से १० कमेन्ट ले ले और प्रति कमेन्ट १० रूपए के हिसाब से १०० रूपए किसी भी अनाथ बच्चे को दे दे कर सकेगे इतना । मेरे १० कमेन्ट से आप की पोस्ट ऊपर आजायेगी । चलिये २० करदिये २ बच्चो को २०० दीजिये

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  21. बचपन से एक निबंध पढता आया हूँ- विज्ञान वरदान या अभिशाप। आज भी कुछ लोग हैं जो विज्ञान को पानी पी पी कर कोसते हुए नहीं अघाते। इसके लिए ब्लॉगिंग का भी सहारा लिया जाता है। पर ऐसे लोगों को इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि भइया जिस माध्यम से तुम विज्ञान को गरिया रहे हो, वह भी तुम्हें विज्ञान ने ही दिया है।

    तो मतलब यह कि जिस व्यक्ति की जैसी मानसिकता होगी, वह कहीं भी जाएगा, अपनी मानसिकता के अनुसार ही काम करेगा। उदाहरण के रूप में आपने लहरें गिन कर पैसे कमाने वाली कहावत सुनी होगी।

    अब आया जाए ब्लॉगिंग से कमाने की। मेरी समझ से हिन्दी ब्लॉगिंग से यह फिलहाल नहीं होने वाला। हाँ, तरह-तरह के शगल करके मजमा जरूर लगाया जा सकता है। चाहे कमेंट डिलीट करना, चाहे उनपर रोक लगाना हो और चाहे उनके बदले रूपयों की फरमाइश करना, मेरी समझ से ये सब चर्चा में रहने के नए नए तरीके हैं।

    और हाँ, टिप्पणी दान से सावधान हो जाइए, कहीं ऐसा न हो कि इसके चक्कर में काई लोन वोल न लेना पड़ जाए?
    क्या आपको पता नहीं लोग पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं?

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  22. मेरी तरफ से १० कमेन्ट ले ले और प्रति कमेन्ट १० रूपए के हिसाब से १०० रूपए किसी भी अनाथ बच्चे को दे दे कर सकेगे इतना । मेरे १० कमेन्ट से आप की पोस्ट ऊपर आजायेगी । चलिये २० करदिये २ बच्चो को २०० दीजिये

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  23. मेरी तरफ से १० कमेन्ट ले ले और प्रति कमेन्ट १० रूपए के हिसाब से १०० रूपए किसी भी अनाथ बच्चे को दे दे कर सकेगे इतना । मेरे १० कमेन्ट से आप की पोस्ट ऊपर आजायेगी । चलिये २० करदिये २ बच्चो को २०० दीजिये

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  24. मेरी तरफ से १० कमेन्ट ले ले और प्रति कमेन्ट १० रूपए के हिसाब से १०० रूपए किसी भी अनाथ बच्चे को दे दे कर सकेगे इतना । मेरे १० कमेन्ट से आप की पोस्ट ऊपर आजायेगी । चलिये २० करदिये २ बच्चो को २०० दीजिये

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  25. मेरी तरफ से १० कमेन्ट ले ले और प्रति कमेन्ट १० रूपए के हिसाब से १०० रूपए किसी भी अनाथ बच्चे को दे दे कर सकेगे इतना । मेरे १० कमेन्ट से आप की पोस्ट ऊपर आजायेगी । चलिये २० करदिये २ बच्चो को २०० दीजिये

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  26. बढ़िया प्रस्तुति ..१० रुपये हमारे भी पक्के.:)

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  27. ab main kya kahun paisa to hath ka mail hai jyada lalch bhi bura hai isliye meri tippani to aapke lekhan ko hi samrpit hove maya to aani jani hai :)

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  28. डन ,अनाम भाई ! दो गरीब बच्चों को १०० -१०० जरूर दे दूंगा वादा ,मगर आप फिर नहीं करेगें प्लीज !

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  29. ब्लॉगजगत की एक और नयी चाल का पता चला ...
    रुपयों से टिप्पणी ...अब बस यह सुनना बाकी रह गया है कि रुपयों से पोस्ट भी खरीदी जा सकती है ..
    हम दान ना लेते हैं , ना देते हैं ...इसलिए क्षमा ..!

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  30. सतीश जी ,इंटरेस्ट रेट भी बताईये !

    शिखा जी ,दस रूपये आपके नाम से बनारस में किसी महापात्र को दान में दे दूंगा -पक्का !

    रंजना जी ,दस में तो एक कसाटा भी ना मिलेगी -एकाध और करिए ना !

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  31. अनाम की टिप्पणी से अच्छा है.. टिप्पणी बोक्स बंद रहे..

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  32. हम तो समझते थे कि टिप्पणियां अनमोल होती हैं पर ...

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  33. ब्‍लाग पर लिखना ज्ञान और विचारों का आदान-प्रदान है, इसमें समझदार टिप्‍पणी का ही महत्‍व होता है यदि किसी विद्वान व्‍यक्ति ने पोस्‍ट को पढ लिया है और अपने विचार से उसे दिशा दी है तब वह पोस्‍ट सार्थक हो जाती है। ब्‍लाग पैसे कमाने का क्षेत्र है इस बात की तो हमने कभी कल्‍पना भी नहीं की।

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  34. १० रुपये???

    पिछली टिप्पणियों का हिसाब भी करना है क्या?

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  35. मेरी टिप्पणी मेरी साहित्य साधना है। पोस्ट का उपकार यह होता है कि उस कारण मेरी साहित्य साधना को उत्प्रेरण मिलता है। उस उत्प्रेरक का मूल्य निर्धारित कर दिया जाये, मैं देने को तैयार हूँ।

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  36. अब ब्राह्मण हैं तो दान लेना तो अपना कर्म ही है.....सो, देंगें तो खुशी से रख लेंगें और नहीं देंगें तो भी कोई बात नहीं.
    अगर सच्ची मुच्ची देने का मन हो तो हम अपनी ओर से संकल्प किए दे रहे हैं, आप एक अंजुली भर जल छोड दीजिएगा....
    ॐ विष्णु: विष्णु: विष्णु:! नम: परमात्ने पुरूषोतमाय अत्र पृ्थ्वियां जम्बू द्वीपे भरतखंडे आर्यावर्ते पुण्यक्षेत्रे ब्लाग नगरे विष्णु प्रजापति क्षेत्रे ब्राह्मणो द्वितीय परार्द्धे श्री श्वेतवाराह कल्पे वैवस्वत नाम मन्वन्तरे अष्टाविशंतितमे कलियुगे कलियुगस्य प्रथम चरणे विक्रम संवत 2067 शरद ऋतु भाद्रपद शुक्ल पक्षे भौमवासरे सप्तमि तिथौ वत्स गोत्रोत्पन अहम डी.के.शर्मा अस्य ब्लागर बन्धु श्री अरविन्द मिश्रस्य चिट्ठा टिप्पणी प्रतिफलम दानं ग्रहणामि......
    अब जल छोड दें और दान के 10 रूपए निकाल कर अलग रख दीजिएगा...आप पर उधार रहें,फिर कभी ले लेंगें :)

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  37. @ टिप्पणी में सम्भवत: ये संशोधन अपेक्षित हैं:
    परमात्ने - परमात्मने
    पुरूषोतमाय - पुरुषोत्तमाय
    पृ्थ्वियां - पृथिव्यां
    गोत्रोत्पन अहम - गोत्रोत्पन्नोहम्

    आया था कुछ विस्तार से कहने लेकिन गजेन्द्र जी की दी हुई लिंक ने दु:खी कर दिया। खैर!

    सतीश पंचम द्वारा टिप्पणी का विकल्प बन्द करना उनका व्यक्तिगत निर्णय है और मेरी समझ से उसका सम्मान होना चाहिए। एक जन द्वारा विकल्प बन्द करने से कोई हानि नहीं होने वाली। मुझे उनकी ताज़ी पोस्ट हास्यपरक लगी है। धनार्जन को लेकर कोई आग्रह नहीं दिखता है।

    टिप्पणी दान देने लेने में मेरी कोई रुचि नहीं। :) आवश्यक लगने पर टिप्पणी करता रहूँगा।

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  38. १० रुपये में टी डी एस काट ले . बाद क लफ़डा नही चाहिये

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  39. १० रुपये में टी डी एस काट ले . बाद क लफ़डा नही चाहिये

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  40. आपके यहाँ आये तो खायेंगे पीयेंगे घूमेंगे फिरेंगे और पैसे आपसे दिलवाएंगे. लेकिन क्या वो टिपण्णी के बदले होगा? १० से तो ज्यादा ही खर्चायेंगे... १० में क्या होगा ! इतने सस्ते में ना छोड़ने वाले :)
    अरे महाराज हम टिपण्णी ना करें तो क्या आप ये सब नहीं करेंगे? आपने गौर किया होगा कुछ पोस्ट पर मैं टिपण्णी नहीं करता. इसका मतलब ये नहीं कि नहीं पढता. टिपण्णी करना न करना अपनी ख़ुशी है. लेना ना लेना भी अपनी मर्जी ! वैसे सतिशजी मुझे मस्ती करते दिख रहे हैं. मैं सीरियसली तो नहीं ले रहा उन्हें.

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  41. भैया हम भी कुछ कहना चाहते हैं.........

    हालाँकि हम बक बक करते हैं ....... पर कुछ तो बोलते हैं......... अत कुछ बकना चाहते हैं.........


    हमे टिपण्णी भिक्षा स्वरुप दो......... आपके धन-भण्डार भरे रहेंगे.......
    आपकी कारखाने-दुकाने चलती रहेंगी (साहित्य कि)
    गूगल बाबा आपको adsense में दाखिला दें.
    आपके ब्लॉग कि हिट ज्यादा से ज्यादा से हो.

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  42. मित्रों,

    मैने अपनी पोस्ट में जो टिप्पणी के बदले पैसे की मांग की है तो वह एक तरह से वर्तमान परिस्थितियों पर व्यंग्य कसा है.... न कि सचमुच पैसे की मांग की है।

    जरा आप लोग ही सोचिए कि क्या किसी को पगलई छाई है जो टिप्पणी भी करे और उसके पैसे भी दे ?

    मैने हास्य व्यंग्य शैली में अपनी बात कही....किसी को समझ में आया किसी को नहीं आया।

    अब आप लोग ये न कहें कि तुम्हें कैसे पता कि तुम्हारी पोस्ट का आशय समझने में हमने भूल की है तो इतना जरूर कहूंगा कि .....पता चलता है, टिप्पणियों को पढ़ने और उनसे उपजे भावों को समझने से पता चलता है कि लोगों ने मेरी बात को अब भी नहीं समझा है। वर्ना 'कौआ कान ले उडा' की तर्ज पर अपने अपने ढंग से उसका मतलब न निकालते।

    इस और अरविंद जी की पिछली पोस्ट में चले विमर्श के दौरान कई जगह गलतफहमी खुल कर दिखाई भी पड़ी। कईयों ने तो मेरी स्पष्टीकरण वाली पोस्ट भी नहीं पढ़ी और बस बक दिया जो मन में आया।

    खैर, अपनी अपनी सोच- अपने अपने विचार....क्या कहा जाय :)

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  43. @@@
    पंडित वत्स जी ,
    संकल्प तो करा दिए और मैंने कर भी लिया -अब इन दस रुपयों के लिए क्या करूँ,यह तो अन्गऊँ निकाल लिया .बरहमन का पैसा है अब टेंट में रख भी नहीं सकता -ब्रह्म दोष लग जाएगा .
    सतीश पंचम जी ,
    होता है ,संवाद में रुकावट से ऐसी गलतफहमियाँ होती ही हैं -ब्लागिंग को कैरियर से होने वाले नफे नुकसान से न जोड़ा जाय ,इसे भी एक जिम्मेदारी के नजरिये से देखा जाय -बात का निचोड़ यही है ...

    गिरिजेश जी ,व्यक्तिगत निर्णय से अगर व्यापक जनहित प्रभावित हों तो मामला गंभीर हो उठता है -मुझे लगा की सतीश जी का यह निर्णय कहीं संक्रामक न हो जाय ....मैं व्यक्तिगत रिक्तता तो महसूस कर ही रहा हूँ ....

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  44. आखिरकार सतीश पंचम को आकर अपनी सफाई देनी ही पड़ी ...बहुत अच्छा हुआ जो सतीश पंचम ने अपनी टिप्पड़ी बक्सा बंद कर दिया ! दयनीय हालत है ब्लाग जगत की, जिसको साधारण व्यंग्य समझ नहीं आता जबकि सतीश जी ने साफ़ साफ़ अपनी पोस्ट में लिखा है की इसे व्यंग्य ही समझें ! सतीश जी जिस वर्ग के लेखक हैं उस वर्ग को समझने वाले यहाँ बहुत कम हैं और ब्लाग जगत में बिना पढ़े टिप्पणी दी जाती है शायाद सतीश जी ने देर में यह महसूस किया होगा और यह कदम उठाने को विवश होना पड़ा !
    यह एक तकलीफदेह कदम है कोई नहीं चाहता कि उसकी रचना पर कोई प्रतिक्रिया न मिले! कई बार लेख से अच्छे कमेन्ट होते हैं जिससे उस लेख या रचना कि खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है मगर इसे महसूस करने वाले कितने हैं यहाँ ! अच्छी प्रतिक्रिया के अभाव में बहुत अच्छे लेख दम तोड़ते देखे जा सकते हैं ! इस अफ़सोस जनक स्थिति में एक संवेदनशील लेखक को और क्या करना चाहिए !
    काश मैं अगला सतीश पंचम बन सकूं ! शुभकामनायें उनको !

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  45. शेयर ,स्मगलिंग ,वैश्यावृत्ति ,आदि अनादि .. . अवैध तरीक़े हैं !!! ...ओह ! हे भगवान !

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  46. आप की बात पसंद आई। टिप्पणी दिए दे रहे हैं। दस रुपए उधार रहे। जब बनारस आएँगे तो ब्याज समेत वसूल कर लेंगे।

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  47. सतीश सक्सेना जी ,
    यही तो है वह असली कारण,मगर क्या इत्ती सी बात कहने के लिए व्यंग का सहारा लेना खुद में एक व्यंग नहीं है :)
    आप कभी सतीश पंचम नहीं बन सकते क्योंकि आप सतीश सक्सेना हैं :)
    और हाँ कहीं बात सतीश पंचम के लिए कही गयी है तो आपको बीच में क्यों घसीट लिया गया है -शिव भाई ने अन्यत्र प्रश्न पूछा है

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  48. समीर जी यह आफर बस इसी पोस्ट भर के लिए और चिट्ठाजगत में दीखते भर रहने की अवधि तक है ! :)
    दिनेश जी आप लोग इंटेरेस्ट रेट बता दीजिये ..कहीं दिवालिया न बन जाऊं ?

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  49. .
    .
    .

    "हम जानवर नहीं हैं जो धरा पर केवल पेट पूजा और प्रजनन के लिए आये हैं -हम एक सामाजिक प्राणी हैं ,हमारे समाज के प्रति भी उत्तरदायित्व हैं -कुछ काम हमें निस्वार्थ भाव से करने चहिए -अपनी मानसिक संतुष्टि और समाज को कुछ देते रहने की नीयत से भी -ब्लागिंग भी एक ऐसा ही क्षेत्र हो सकता है और हम और आप में से बहुतों के लिए यह है भी .....कम से कम यहाँ से तो उम्र दराज लोग कुछ खाने कमाने की बगुल दृष्टि से बाज आयें ..."

    उपरोक्त से पूर्ण सहमत हूँ सिवाय एक बात छोड़कर... हम भले ही सामाजिक हो गये हों... पर हैं 'जानवर' ही...और रहेंगे भी...मनुष्य मानसिक दॄष्टि से सर्वाधिक विकसित जानवर है!


    ...

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  50. Satish Pancham said : .....पता चलता है, टिप्पणियों को पढ़ने और उनसे उपजे भावों को समझने से पता चलता है कि लोगों ने मेरी बात को अब भी नहीं समझा है। वर्ना 'कौआ कान ले उडा' की तर्ज पर अपने अपने ढंग से उसका मतलब न निकालते।

    Hmmm... well said.

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  51. यह बहुत मनोरंजक विषय है जिसमे ब्लाग जगत की दयनीयता झलकती है इस पर एक लेख लिखने की सोच रहा हूँ शायद आपको पसंद आये ! अनूप जी के बारे में कुछ कहना बेकार है वे ऐसे ही ठीक हैं :-)
    सादर !

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  52. अर्विंद जी मैने भी लगभग आप्की हर पोस्ट पर टिपण्णी दी है, अब पैसे तो बहुत हो गये होंगे, नगद की जगह आप मुझे हवाई टिकट ही भेज दे आने जाने की, पेसे कम बढती हो गये तो अगली टिपणियों मै हिसाब कलीयर कर लेगे:)

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  53. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  54. अरविन्द भाई !
    राज भाटिया जी की ही कसर रह गयी थी अभी समीर लाल भी आ रहे हैं, मेरी हार्दिक शुभकामनायें :-)

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  55. ब्लॉगिंग मे कमाई का एक नया ज़रिया बन गया....खाली लोगों के तो मौज हो गये..अरविंद जी चुटकी लेना कोई आपसे सीखे...बहुत बढ़िया..

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  56. इस कमेन्ट के साथ ही मेरे दस रुपये लाइए...

    बताइए कब दे रहे हैं?

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  57. मेरे लिए भी रोज ही हिंदी दिवस होता है. इसलिए इसे मनाने की ज़रूरत नहीं पड़ती है. सतीश जी ने व्यंग्य ही किया था पैसे की बात करके... और कोई बात नहीं थी. इससे चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है. इसे सतीश जी की इच्छा मानकर बात खत्म की जाए.

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  58. पैसा मन का शांति दे पाता तो इस मामले में आज पश्चिम बहुत अमीर होता. मैं तो राज भाटिया जी का मुरीद हो गया आज से.

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  59. भाटिया जी ,
    हो सकता है ऐसा कोई सुयोग बन ही जाय जब हम भारत में अंतर्राष्ट्रीय ब्लागिंग पर सेमीनार करें और आयोजक की और से आपकी यात्रा प्रायोजित हो जाय -मुझे शुभकामना दीजिये की ऐसा आयोजन हम कर सकें ...बात मन में आयी तो एक दिन साकार हो उठेगी !

    महफूज मियाँ ,
    दस की बात मत करो बस ,तुम पर तो बहुत कुछ निसार -ब्लॉग जगत के अप्रूव्ड कैसानोवा हो यार तुम !(सड़कछाप मजनू नहीं !)

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  60. बढ़िया पोस्ट! वैसे टिप्पणियां हमेशा अनमोल होनी चाहिए! उसका कोई मोल नहीं होता वो चाहे दस हो या सौ या हज़ार जितने भी पैसे दिए जाएँ कम हैं!

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  61. सरकार को कुछ नए क्षेत्र दिखाई पड़ने लगे हैं -- टैक्स लगाने के लिए!

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  62. आपकी पोस्ट कल ही पढ़ ली थी ...पर टिप्पणी नहीं कि ..यही सोच कर कि यह शायद आपस का कोई मसला है ...
    सतीश पंचम जी ने टिप्पणी बक्सा बंद किया ...यह उनकी सोच है ...पर जो लेख को पूरा पढ़ कर और सोच कर टिप्पणी करते हैं उनके लिए थोड़ा कष्टकारक हो जाता है जब वो लेख पर आपने विचार नहीं रख पाते ...
    सतीश सक्सेना जी ने कहा कि लोंग बिना पढ़े टिप्पणी देते हैं ....हो सकता है यह बात बहुतों के लिए सही हो ...पर कुछ लोंग तो गंभीर हो कर पढते हैं और अपनी टिप्पणी देते हैं ...उनके साथ तिप्प्निबंद करना उचित नहीं लगता ...
    लेख पढने के बाद जब कुछ कह नहीं पाते तो कुछ अपमानित स महसूस करते हैं ...

    बाकी सब स्वतंत्र हैं अपने ब्लॉग पर कुछ भी चाहे लिखें और करें ...अपनी अपनी पसंद ..

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  63. 65 x 10 = 650
    650/10 = 65

    upar ek accountant ki hasiyat se comment kiya hai.

    ab ek pathak ke tarf se main satish
    bhaijee se sahmat hoon......sivay..
    antim lien ke ....

    pranam

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  64. इस पोस्ट की टिप्पणियों में सतीश पंचम जी नहीं हैं!

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  65. संगीता स्वरुप जी की टिपण्णी बहुत अच्छी और वजनदार लगी उनको मेरा प्रणाम !

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  66. सतीश जी मैं स्वयं संगीता जी की टिप्पणी को इस पोस्ट का उपसंहार मान रहा था -बस आपने इसी बात को कहकर एक बार मेरे इस विचार को दृढ कर दिया की कहीं कहीं हम बिलकुल एक ही जैसे निर्णय पर पहुँचते हैं !थामस अप !थ्री चीयर्स !!

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  67. अथ श्री महाभारत कथा........

    अजब गजब
    किंतु चिंतनीय

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  68. मेरे हिसाब से ब्लोग्गिंग अपने शौक पूरा करने का एक तरीका है ...ओर आप जैसे मित्र भी तो मिलते है फिर - सबसे अनमोल !!

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  69. डन ,अनाम भाई ! दो गरीब बच्चों को १०० -१०० जरूर दे दूंगा वादा ,मगर आप फिर नहीं करेगें प्लीज !

    अनाम भाई !??????? how do you know the gender

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यदि आपको लगता है कि आपको इस पोस्ट पर कुछ कहना है तो बहुमूल्य विचारों से अवश्य अवगत कराएं-आपकी प्रतिक्रिया का सदैव स्वागत है !

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