गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

किसी दिन कुछ ख़ास हो जाता है ....कुछ परोपकार कर ले मनुआ !

जब ऐसे ही हम रोज रोज की सुबह शामों में जिन्दगी  को तमाम  करते होते हैं  किसी दिन कुछ ख़ास हो जाता  है -कुछ यादगार सा! अभी उसी दिन ही तो मुझे एक एस एम् एस मिला और पहली नजर में मैंने उस पर रोजमर्रा की ही तरह सरसरी निगाह डाल कर दीगर दुनियावी कामों में लग गया ...मगर कहीं कुछ खटक सा रहा था ...मेरे पास विज्ञान प्रगति और साईंस रिपोर्टर पत्रिकाओं में छपने वाले  लोकप्रिय विज्ञान के लेखों पर अक्सर फोन काल और एस एम् एस के जरिये प्रतिक्रियाएं और जिज्ञासाएं ज्यादातर  बिहार ,मध्य प्रदेश ,उत्तरांचल ,राजस्थान और अपने उलटे... ओह सारी..उत्तर प्रदेश  -यानि पूरे हिन्दी बेल्ट से आती रहती हैं .और इनके प्रति मेरी  अब उतनी  सक्रियता/रूचि  भी  नहीं रह गयी है  ,यद्यपि इनसे स्व -अस्तित्व  को लेकर तनिक भर ही सही यह सार्थकता बोध तो बना रहता  है कि यह जीवन शायद  उतना व्यर्थ नहीं गया जितना मौजूदा देश दुनिया के हालातों में सहज संभाव्य था! बहरहाल  एक बार मैंने अपना  एस एम् एस बाक्स फिर खोला और चैक किया ...सन्देश अंगरेजी में था -आप उसका हिन्दी अनुवाद पढ़ें -
प्रिय अरविन्द जी ,
नमस्ते ,
आपका एक 'फैन'  होने के नाते मेरी  सदैव आपसे मिलने की इच्छा रही  है ...और मेरे लिए यह किसी बड़े सुखद आश्चर्य से कम नहीं है कि आज मुझे आपका नंबर मिल गया .अभी जल्दी ही मैंने एक साईट जारी की है उसका नाम है , www.suicidesaver.com यह युवाओं को अवसाद और आत्महत्या से बचाने का एक प्रयास भर है ,अगर आपको मेरा यह प्रयास उचित लगे तो कृपा कर दूसरों से भी साझा करिएगा . वहीं पर मेरी एक विज्ञान कथा(साईंस फिक्शन ) भी आपको पढने को  मिल जायेगी जिसे मैंने २५ वर्षों पहले लिखी थी -इस पर भी आपका ध्यान चाहूँगा -शुभ कामनाओं के साथ -प्रकाश गोविन्दवर नागपुर ..

यह कहने भर का ही एस एम एस सन्देश था ...मगर अब तक इतना भान  हो गया था कि इस सन्देश में कुछ गंभीरता थी ...मैंने सोचा कि बताई साईट  देख लूँगा ...मगर व्यस्तता,ब्लागिंग  और चैटिंग के चलते साईट जल्दी चैक नहीं कर सका और तब तक प्रकाश जी का फोन भी आ गया -फैन और आईडल -फिगर (हा हा ) के बीच औपचारिकताओं का आदान प्रदान हुआ मगर चूंकि ये फैन नुमा प्राणी बड़े वो होते हैं जैसा  आप जानते ही हैं और उस समय मैं मंडलायुक्त के प्रतीक्षाकक्ष में बैठा किसी भी पल आयुक्त महोदय के उपस्थित होने से आशंकित था मैंने हठात उनसे विनयपूर्वक शाम को खुद फोन कर बात करने का अनुरोध कर फोन काट दिया ...शाम को साईट चैक की ...और प्रकाश जी के ईमानदार काम से प्रभावित हुआ . ..

आप भी ऊपर के लिंक पर जाकर अवश्य देखें ....एक प्रयास ही सही ..हम समाज के लिए कब और कितना कुछ करते हैं ? क्या हम सामाजिक सरोकार से बिलकुल रहित हो सकते हैं ? पर क्या हम कभी यह भी देखते हैं कि अपने खुद और बीबी/हब्बी , बाल बच्चों की सुख सुविधा में  जीवन भर कोल्हू के बैल के तरह लगे रहने के सिवा हम समाज के लिए क्या करते हैं ? उत्तर निराशाजनक ही है .मगर दूसरा क्या कर रहा है इसके बजाय हमें खुद अपना गरेबान झाकते रहना  चाहिए कि हम  अपने से दीगर दूसरों के लिए क्या कर रहे हैं ...कहते भी हैं न -चैरिटी बिगिन्स एट होम!

मैंने गोविन्द जी को फोन लगाया -उनसे लम्बी बात चीत की ..वे किसी अकादमीय संस्थान मे नहीं हैं आश्चर्य हुआ जानकर कि वे एक हैंडलूम व्यवसायी है और  मुश्किल से समय निकाल कर सामाजिक सेवा के अपने सरोकार में लग जाते हैं और अपनी साईंस फिक्शन और विज्ञान के प्रचार प्रसार के शौक को पूरा करते हैं ...उनकी नभ भौतिकी में बहुत रूचि है और सौर धब्बों , ब्लैक होल्स,डार्क मैटर  तथा ब्रह्माण्ड के जन्म पर उनका अपना मौलिक चिंतन है -संक्षेप में कहें तो गजब या कमाल के आदमी हैं गोविन्द जी ...आप भी उनके अभियान से जुड़ें इस लिए इस पोस्ट को लिख रहा हूँ -उनकी किताबें  हिन्दी अंगरेजी और मराठी में हैं और उक्त लिंकित साईट से डाऊनलोड की जा सकती हैं ...आप भी देखिये न उनका रचना संसार ! मुझे उनकी विज्ञान कथा महा प्रलय की प्रतीक्षा में भी पढनी है अभी ....यह हुई एक अगली नई किताब पढने को ललचाती हुई! जिन्दगी से  फासला थोडा और बढ़ा ...कुछ परोपकार कर ले मनुआ !

21 टिप्‍पणियां:

  1. आत्महत्या से लोगों को उबारना पुनीत कर्तव्य है । जीवन इतना सस्ता नहीं कि यूँ ही गँवा दिया जाये ।

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  2. हैंडलूम व्यवसाई गोविन्द जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा.... उन्हें नमन.... सार्थक शीर्षक के साथ यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी.....

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  3. अच्छी सूचनाएँ हैं। मौका मिलते ही पढ़ते हैं पुस्तकें।

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  4. ऐसे लोग ही unsung heores हैं..जो प्रचार-प्रसार से दूर परोपकार में स्वेच्छा से बिना किसी लाभ की आशा के लगे हुए हैं

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  5. सरकार जिन्‍हे तनख्‍वाह देती है .. वो भले ही अपने कर्तब्‍यों का पालन पूरी ईमानदारी से न कर पाते हों .. पर दुनिया में परोपकारियों की कमी नहीं .. महत्‍वाकांक्षियों की कमी नहीं .. वैसे में कुछ खास तो होना ही है !!

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  6. अच्छा लगा .. प्रकाश साहब के बारे में जानकार .. हुजूर की लगनशीलता
    काबिले-तारीफ़ है ..
    आपको इतना मानते हैं , इससे आपको खूब प्रसन्न होना चाहिए .. वैज्ञानिक-सुहृद
    बहुत कम मिलते हैं .. आपको मिले मानों लाखों पाए ..!!
    और ,,,
    पिछली एक पोस्ट में व्यक्त आपका क्षोभ '' ... मगर आज उन्हें मेरे अवदान को स्वीकार
    करने में शर्म आती है -मैं भी चुप रहता हूँ -नेकी कर दरिया में डाल .. '' , भी न्यून हुआ
    होगा .. आपके लेखन के प्रभाव ने उन्हें खींचा , दीवाना सा बना दिया .. अब तो खुश हो जाइए ..
    नेकी को आपने जिस दरिया में डाला था वहीं से कृतज्ञता का शंख मिल गया आपको ..
    और क्या खूब आपने शंखनाद किया है !!!!!!!!!!!! वल्लाह !!!!!!!!!!!!

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  7. युवाओं को आत्महत्या से बचाने के प्रयास में लगे गोविन्दजी का कार्य प्रशंसनीय है ...इनका परिचय और लिंक दिने के लिए आभार ...

    विज्ञान प्रगति में छपे आपके लेख पढ़े हुए हैं .. लेखों के माध्यम आपसे परिचय तब से ही था ..इसलिए ही ब्लॉग भी पढना शुरू किया था ..

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  8. @ Arvind ji-

    After reading your post i visited the link provided. Govind ji's persona is indeed mesmerizing. His writings are inspiring and motivating. Many of my unanswered questions came to an end after reading him. Two three links are yet to be read, which i will soon finish. Just came here to convey my gratitude to him through you.If you happen to talk to him again on phone or in person, then kindly convey him that i am very much impressed by his writings and his work towards society.

    Thanks to you too for bringing this stuff in our reach.

    Well done !

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  9. कभी कभी आप सोद्देश्य भटकते जोगी लगते हैं। ....
    साइट देखा और बड़ी शांति मिली। तनिक सी उपलब्धि पर शोर मचाने और नंगे हो घूमने वालों की भीड़ से पर इस तरह के लोग दूसरों के मन को भी शक्ति देते हैं।
    आभार।

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  10. एक बढ़िया व्यक्तित्व से रूबरू करवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ऐसे लोगों की बहुत ज़रूरत है समाज को..आज तो लोग परोपकार भी नाम के लिए करते है..बढ़िया चर्चा..धन्यवाद अरविंद जी

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  11. @अमरेन्द्र ,
    भैया इतनी किरपा का कम है की ढपोरशंख नहीं कहे -यी युवा तुर्कों से बहुतै डर लागै !

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  12. कोशिश तो यही है कि अधिक से अधिक समाज के लिए जीया जाए। अच्‍छी जानकारी।

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  13. साईट की जानकारी के लिए आभार, अभी देखते हैं....
    regards

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  14. एक सद्प्रयास की जानकारी दी आपने।

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  15. सही है,परहित सरिस धर्म नहिं भाई.....

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  16. अच्छी जानकारी दी आपने. प्रकाश जी एक सराहनीय कार्य कर रहे हैं और साधुवाद के पात्र हैं...आपने उनसे परिचय कराया, सो आप भी प्रशंसा के पात्र हैं. ये लिंक मैंने भी देखा, पर अभी पढ़ा नहीं है. इसे मैं अपने कुछ मित्रों को भेज रही हूँ...आपलोग भी इसका प्रचार करें. कोई अच्छा काम करता है, तो हम उसकी इसी प्रकार सही, मदद कर सकते हैं और उनलोगों की भी...जो अपने जीवन में कई समस्याओं से जूझ रहे हैं.

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  17. थोडे बहुत तो गोविन्द जी से पूर्व परिचित थे ही...आपके माध्यम से उनके बारे में ओर भी बहुत कुछ जानने को मिला...वाकई गोविन्द जी बहुत ही नेक कार्य कर रहे हैं.....

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  18. अपनी सामर्थ्य भर समाज के लिए जीना/करना महत्वपूर्ण है ! गोविन्द जी का कृतित्व दिख रहा है उनकी साइट पर !
    बेहद खूबसूरत लिंक दिया है आपने !
    आभार ।

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  19. गोविन्द जी का काम तो अच्छा है ही, आप ने भी बहुत बढ़िया किया जो इसे मुक्तहस्त बाँटा। आप भी इस मिशन में सहयोगी बने, औरों का आह्वान किया, अत: आपको सम्मान सहित अभिवादन!

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  20. this is very good effort to save lives...........I am always ready govind ji to help you in this project
    sachin narwadiya from vaishali nagar nagpur

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