दो तीन दिनों से तबीयत थोड़ी नासाज है .अब उर्दू जुबान और शिष्टाचार में कहें तो "मेरे दुश्मनों की तबीयत नासाज हुई है".. अब इसकी व्याख्या अपनी अपनी समझ से आप करते रहें मैं तो कहूँगा कि कितनी मीठी जुबान है उर्दू कि किसी जान पहचान के लोगों की तबीयत ख़राब होने की बात यहाँ जुबान पर नहीं आ सकती ....मरें भी तो आपके दुश्मन .....आप हर वक्त हर लम्हा सलामत रहें .मैंने फेसबुक पर लिखा "डाउन विथ एल बी पी" मतलब लोअर बैक पेन ...और मित्रों की शुभकामनाएं और चुहलबाजियाँ भी चालू हो गयीं .शेर वेर भी कहे गए .एक युवा मित्र ने चुटकी ली -सर आप तो बूढ़े हो गए -मैंने उसे छूटते ही जवाब पकड़ा दिया -वही जो अमिताभ बच्चन ने अपनी एक हालिया फिल्म में दिया था .अब यहाँ दुहराना नहीं चाहता .समझ लीजिये .
यह लोअर बैक पेन मुझे छ्ठे छमासे परेशान कर देता है।मुझे अच्छी तरह याद है इलाहाबाद में जब पहला ब्लॉगर सम्मलेन हुआ था तो भी मैं इसी नामुराद दर्द की वजह से दुहरा हो रहा था . जाना असंभव सा था मगर स्नेही सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी का ऐसा आग्रह हुआ कि मेरा इन्कार कर पाना संभव नहीं हो पाया -खीझा,चिल्लाया मगर गया और कमर में तीव्र दर्द के बावजूद भी अनूप शुक्ल जी से अंकवार भर मिला और यकीन कीजिये दर्द छू मन्तर हो गया -रहा सहा दर्द कविता वाचकनवी जी के विद्वता भरे व्याख्यान से दूर हो गया -सत्संग की और वह भी प्रयाग के सत्संग की महिमा तो वेद पुराणों तक ने गया है . अनूप जी अब दूर हैं नहीं तो जड़ तोड़ इलाज के लिए फिर फिर स्पर्श टोटका आजमाता -वो गाँव गिरांव में जब रीढ़ की हड्डी में हूक उठती है तो उस महिला के पैर से दर्द की जगहं का बार बार स्पर्श कराते हैं जिसका जन्म उलटी ओर से हुआ रहता है .
अब घर में ही लेटे बैठे कई पापी और विरिजिन विचार दिमाग में उमड़ घुमड़ रहे हैं . कई लोगों ने फेसबुक से लगाय फोन तक लगा के हाल चाल पूछा -तो वे भी हैं जो कभी दिन रात चौबीसों प्रहर समय असमय कुशल क्षेम पूछते थे अब बिल्कुल ही बेगाने हैं -दुनिया ऐसयिच ही है! कभी कभी टेम्पररी बीमारियों का कारण सायिकोलाजिकल भी हो सकता है-जैसे घनिष्ठता का अभाव या रिक्तता -कोई हालचाल तो पूछे? कोई अहसास तो दिलाये कि बीमार का भी वजूद है इस दुनिया में .......और जब यह भाव बड़ा प्रबल हो उठता है तो लोग बाग़ झट खटिया पकड़ लेते हैं -चाहने वालों से मिजाजपुरसी हुई नहीं कि ज़नाब फिर चंगे -व्यवहारविद कहते हैं कि बीमारियों का यह व्यवहार शास्त्र बीमारियों की जर्म थियरी से अलहदा है ........बेगम अख्तर ने एक वो बड़ी मशहूर ग़ज़ल गाई है न -
उल्टी पड़ गईं सब तदवीरें कुछ ना दवा ने काम किया
आखिर इस बीमारिए दिल ने मेरा काम तमाम किया :-).......और वो मशहूर कौवाली के बोल तो याद होगें न आपको?
...जो दवा के नाम पे जहर दे उस चारागार की तलाश है :-)
और यह भी -
उन्हें देख के आ जाती है चेहरे पे रौनक
वे समझते हैं बीमार का हाल अच्छा है।।
मित्रों ने फेसबुक पर और भी बहुत कुछ शेयर किया किया है - एक बानगी देखिये -
हम मरे जाते हैं हाल उन का पूछने को, वो हैं कि न पूछते हैं न बताते हैं।
तुम मेरे पास होते हो ,(गोया )जब कोई दूसरा नहीं होता .
ऐ दिल-ए-नादां, तुझे हुआ क्या है !!!
आख़िर इस मर्ज की दवा क्या है???
बहरहाल दर्द अब कुछ कम है :-)
अच्छे स्वास्थ्य की मंगल कामनाएं गुरु जी ||
जवाब देंहटाएंहड्डी की इस हूक का, कितना सरल इलाज |
स्नेहिल-जन छू ले अगर, छूमंतर हो आज |
छूमंतर हो आज, राज की बात बताते |
बुड्ढा तेरा बाप, इशारा कर ही जाते |
नुस्खा लें अजमाय, खेलते गुरू कबड्डी |
उलटा पैदा पूत, लात से छू ले हड्डी ||
आयु बढ़ने के साथ शरीर में लोच कम होती जाती है । कुछ दिनों के लिए किसी फिज़ियोथेरेपिस्ट की सेवाएं ले लीजिये ,शीघ्र ही आराम मिल जाएगा । वैसे स्पर्श-थेरेपी भी इसका कारगर इलाज है बशर्ते स्पर्श देने वाला मन माफिक हो ।
जवाब देंहटाएंआप तो अकसर बहुत मन की बात कह देते हैं अमित जी :-)
हटाएंयह दर्द तो चला जाएगा। बैठने का स्थान बदला है। उस में कारण खोजिए और दूर करने का प्रयास कीजिए। जिस से यह परेशानी फिर न खड़ी हो।
जवाब देंहटाएंउलटे जन्म लेने वाले महिला या पुरुष कोई भी हो सकता है . छोटे भाई को दूर दराज़ से पैर लगवाने बुलाया जाता है ...मगर यह टोटका चनक (नस पर नस चढ़ने ) आजमाया जाता है !
जवाब देंहटाएंदर्द कम है , जानकर अच्छा लगा !
शीघ्र स्वस्थ हो , बहुत शुभकामनाएं !
...उम्मीद है कि पीठ का दर्द अब राहत-मोड में होगा !
जवाब देंहटाएं.
.
आपके दर्द में हम भागीदार न हुए,
खुदा ,ये भी गुनाह मेरे सिर रहा !
बिलो द बेल्ट चोंट पहुँचाना अमानवीय है| :-)
जवाब देंहटाएंबेनामी साहब ,यहाँ सब बातें तो एबव द बेल्ट हो रही हैं -यह आपको क्योंकर लगा कि कहीं कुछ बेलो द बेल्ट हुआ है!
हटाएंहम आपके उत्तम स्वस्थ्य की मंगलकामना करते हैं।
जवाब देंहटाएंधारा ३७० है 'भारतीय एकता व अक्षुणता' को बनाये रखने की गारंटी और इसे हटाने की मांग है-साम्राज्यवादियों की गहरी साजिश
आप तो परिवार वाले हैं. कुछ नहीं तो घरवाले आस-पास रहते हैं. हमसे पूछिए. भयंकर बीमारी में अकेले पड़े रहते हैं, खुद ही खाना बनाते हैं, खुद ही डॉक्टर को दिखाने जाते हैं और खुद ही दवा भी लाते हैं. आदत हो गयी है अब तो...
जवाब देंहटाएंवैसे, चलिए अब तो आपके दुश्मनों की तबीयत ठीक हो गयी ना :)
दुनिया ऐसयिच ही है..............je baat........
जवाब देंहटाएंswasthya labh ke liye subhkamnayen
pranam
अनूप शुक्ल जी का चमत्कार लोगों को क्यों बता रहे हो ??
जवाब देंहटाएंभीड़ लग जायेगी दर पर उनके
लोग अब जायेंगे घर पर उनके
गुरु... से कहिये कि सप्ताह में एक दिन दर्द भागने के लिए, गले मिलने का कार्यक्रम आयोजित करें तो लोगों का बड़ा भला होगा !
शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें आप...शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआशा करता हूँ दर्द से पूरी मुक्ति मिल गयी होगी.
जवाब देंहटाएंग़ालिब का ये शेर हाज़िर करता हूँ :)
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
बहुत सुन्दर वहा वहा क्या बात है अद्भुत, सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
हमें भी होता था यह जालिम दर्द, परंतु हमने सरसों का तेल हल्का गर्म करके करीबन २ महीने लोअर बेक पर लगाया, यकीन मानिये पिछले ४-५ वर्ष से हम इस दर्द से दूर हैं ।
जवाब देंहटाएंआप स्वास्थ्यलाभ जल्दी करें..
जवाब देंहटाएंभाईजान मुकम्मिल इलाज़ फिजियो के पास है काइरोप्रेकटर के पास है .
जवाब देंहटाएंजाग दर्द इश्क जाग दिल को बेकरार कर ...
जल्द स्वास्थ्य लाभ करिए.शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंअधिक बैठे रहने का काम करने वालों को कमर का दर्द अक्सर परेशान किया करता है.
अपनी सीट भी देखीये जिसपर अधिक बैठा करते हैं ,क्या वह सही है?
वज़न कम करने की सलाह तो बहुतों ने दे ही दी होगी.
और भी कई 'आम' सलाह मिल चुकी होंगी .
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इस 'ख़ास' टिप्पणी -सलाह के लिए बहुत आभार अल्पना जी
हटाएंदोस्तों के इसकदर सदमें उठाने ही होंगे और शिकायत का गिला भी इसी अंदाज़ में चलता रहेगा..
जवाब देंहटाएंआपका दर्द जड़ से काफूर हो जाए यही कामना है.स्वस्थ रहे.
जवाब देंहटाएंस्वस्थ रहें, स्वास्थ्य बनाएं, स्वास्थ्यवर्द्धन करें हमेशा ....यही प्रार्थना है।
जवाब देंहटाएंलेकिन मुझे उर्दू जबान हिन्दी से बहुत नीचे लगती है। पता नहीं आप लोगों को क्यों......वो भी संस्कृत के विद्वान होकर भी!
शीघ्र स्वस्थ होने की मंगल कामनाए,,,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: गरीबी रेखा की खोज
जवाब देंहटाएंयह ज़नानी बीमारी कहाँ से पकड़ ली मिश्र जी। :)
थोडा वज़न कम कीजियेगा तो किसी टोटका की ज़रुरत नहीं पड़ेगी भाई।
एल बी पी का मतलब तो लो ब्लड प्रेशर भी हो सकता है अच्छा हुआ कि आपने स्पष्ट कर दिया ... शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो .... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसंगीता जी अब तो हम दोनों के शिकार है!
हटाएंget well soon sir
जवाब देंहटाएंअद्भुत निःशब्द करती
जवाब देंहटाएंsundar najariya,shighr swasthy hone ki mangal kamna
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई ...get well soon...take care..
जवाब देंहटाएंअनूपजी के साथ वर्चुअल अंकवारी ट्राई कर देखते अरविन्द जी, शायद रहा सहा दर्द भी दूर हो जाता :)
जवाब देंहटाएंस्वस्थ रहें, सानंद रहें।
आपकी टिपण्णी हमें प्रासंगिक बनाए रहती है ,ऊर्जित करती है
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जवाब देंहटाएंबीमार होने के बहुत फायदे है आदमी सहानुभूति प्राप्त हो जाता है ,विशेष हो जाता है मामूली से .कभी कभार बीमार पड़ता ही रहे ..
अब तो ठीक हो गया होगा सब दर्द-फ़र्द। न हुआ हो बताइये किसी लात-वात का इंतजाम किया जाये।
जवाब देंहटाएंसब दवा बंद कीजिये दर्द काफूर हो जायेगा
जवाब देंहटाएंक्यू कि,
दर्द बडता गया ज्यूं ज्यूं दवा की ।
स्वस्थ रहें ।
‘स्पर्श टोटका’ या ‘जादू की झप्पी’ भी।
जवाब देंहटाएंये भी कहा गया है कि “दर्द का बहाना बन गया अच्छा...”
बहरहाल आप सदा स्वस्थ और अपने रचनात्मक कार्यक्रमों में व्यस्त रहें, यही प्रार्थना है ।