रविवार, 23 सितंबर 2012

कुत्ता दिवस!

गिनेज बुक आफ रिकार्ड्स का नया संस्करण आ गया है. संयोग से मैंने आज ही टाईम पत्रिका में उसके नए विश्व रिकार्ड्स पर एक नज़र डाली तो एक विशालकाय कुत्ते को देखकर दंग रह गया ...कुत्तों के भी कद इतने बड़े होने लग गए ..पहले तो मुझे भी यह शक हुआ कि यह कोई और जनावर तो नहीं है? अब जैसे अपने बेचैन आत्मा वाले देवेन्द्र जी लिखते भये तो गधे  पर मगर फोटू  चेप दी खच्चर की....अब तो हम यह नहीं मान सकते कि उन्हें  गधे और खच्चर का फर्क नहीं पता .....मगर मैं अगर ऐसी गलती कर दूं तो उल्टा लटका दिया जाऊंगा क्योकि अपुन की पढ़ाई लिखाई और सोहबत भी इन्ही जानवरों और जानवर प्रेमियों की रही है और फिर कुत्ते की स्वामिभक्ति की दूसरी कोई सानी जानवर जगत में नहीं है. फोटो में कुत्ता और उसकी स्वामिनी का यह पारस्परिक सम्बन्ध दिख भी रहा है. 



कहते हैं कुत्ते दरअसल भेड़ियों के ही वंशधर हैं -दोनों एक ही  गण(जीनस) के हैं -कुत्ता दरअसल एक पालतू भेड़िया है. मनुष्य के साथ इसका बड़ा आदिम सम्बन्ध है -तभी से यह मनुष्य के साथ है जब  शिकार की ताक में मनुष्य दर  दर भटकता रहता था . उसे शिकार को घेरने के लिए एक तीव्रगामी अनुचर  चाहिए था और तत्कालीन कुत्ते के पुरखे को भोजन की एक निश्चित व्यवस्था -तो यह सम्बन्ध तभी से स्थाई बनता गया -दरअसल दोनों एक दूसरे के पूरक हैं.  एक दूजे के बिना अधूरे हैं. मगर आश्चर्य है कि फिर भी बहुत से लोग आज भी कुत्ता द्वेषी हैं ..न जाने क्यों? हो सकता है यह उनका कोई निजी मामला हो या फिर वे बचपन में कुत्ते के काट खाये लोग हों. बचपन का कुत्ता काटा आदमी जीवन भर इस जानवर से दहशत खाता है -बाद में काटे गए लोग इतना नहीं घबराते और इसलिए कई लोग बार बार काट खाए जाते हैं. वैसे अब कुत्ते से काट खाना उतना त्रासदपूर्ण नहीं है क्योकि अब पेट वाली चौदह सूईयों  का जमाना नहीं रहा! 
आज से आश्विन मॉस आरंभ  हो रहा है . यह कुत्तों का घोषित प्रणय काल है. इस समय कुत्ते बहुत कटखने और आक्रामक हो जाते हैं .इसलिए इनसे बच के रहना चाहिए ..दरअसल इसी अंदरुनी डर के चलते मैं  यह पोस्ट लगा रहा हूँ -इन दिनों रात बिरात सूदूर यात्राओं से जब लौटता हूँ अपनी गली में नए नए अजनबी कुत्तों को देखता हूँ...और वे भी मुझे संशय से देखते हैं और मैं नज़र बचा कर निकल आता हूँ -कौन फालतू में लफड़े में पड़े. उन्हें लगता होगा हम उनकी प्रेयसी के एक और दावेदार /प्रतिद्वंद्वी हैं ....उनकी टेरिटरी का दायरा अब और सीमित हो चला है ....और अब तो वे झुण्ड में भी हैं -एक से तो हम निबट भी लें मगर कुत्तों के पैक से बचना मुश्किल ही नहीं असंभव है . 
मैं उनकी गोल में शामिल होकर एक दब्बू कुत्ता सा बिहैव नहीं करना चाहता...मैं मनुष्य हूँ और मुझे अपनी अस्मिता अलग रखनी ही होगी....वे लाख मुझे अपना प्रतिद्वंद्वी माने मगर मैं मैं हूँ मनुष्य और वे कुत्ते....कुत्ते कहीं के .....मगर सावधान तो रहना ही है ..किसी ने कहा आपका  ये कुत्ता बहुत भौंकता है मुझे डर लगता है कहीं काट न ले ..कुत्ता स्वामी ने जवाब दिया कि बिलकुल मत डरिए जो कुत्ते भौंकते हैं काटते नहीं यह कहावत भी आप नहीं जानते? डर रहे सज्जन ने कहा मैं तो जानता हूँ मगर यह नामुराद कुत्ता तो यह कहावत नहीं जानता :-) 
मैं चाहता हूँ कि कुत्तों के सम्मान में कुत्ता दिवस घोषित किया जाय -अब इस प्रस्ताव से कम से कम वे कालोनी के नए कुत्ते तो मुझे बख्श देगें और यह मनुष्य और कुत्ते के प्रगाढ़ सम्बन्ध की एक कृतज्ञ भारतीय स्वीकृति भी होगी ...मुझे मालूम है श्वान प्रेमी मेरे इस प्रस्ताव पर खुश होंगें और मुझे बधाईयाँ देगें और श्वान विद्वेषी मुझ पर जल भुन जायेगें! ह्यूमर प्रेमी भी मुझे सारस्वत सम्मान अता करेगें! :-)
पुनश्च: फेसबुक पर चर्चा के दौरान कुत्ता दिवस (नामकरण ) की सूझ बैसवारी नरेश संतोष त्रिवेदी की थी तो यह आभार उनके प्रति बनता है ! 

33 टिप्‍पणियां:

  1. वफ़ादारी देखते हुए क्या कुत्ता-दिवस भी मनाना शुरू कर देना चाहिए इस पर वाकई गंभीर चिंतन की ज़रूरत है :-)

    .....अगर ऐसा हुआ तो कई समर्थ इस बहाने सम्मानित भी हो सकेंगे :-)

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    1. दावात्याग: यह पोस्ट पूरी तरह से जानवर प्रेम पर है इसके मानवी निहितार्थ कृपया न खोजे जायं !

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    2. गुरूजी,अब काहे को भोले बन रहे हैं ? फेसबुकीय-विमर्श में तो कुतियों की खौरही और कटही प्रजाति पर लंबा विमर्श किया था !

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    3. @Santosh,
      Here we are talking about dogs,not bitches! :-)

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  2. नई नई है पोस्टिंग, नई नई पहचान ।

    आश्विन का है मास ये, बढे ख़ास मेहमान ।

    बढे ख़ास मेहमान , बड़े मारक हो जाते ।

    अंग भंग नुक्सान, आजकल कम गुर्राते ।

    बैसवार की बात, दिवस क्या मास मनाएं ।

    दिखे गजब बारात, दर्जनों दूल्हे आये ।।

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  3. जिस कुत्ते की आपने फोटो लगाए है, वह सम्भवतः 'ग्रेट डेन' प्रजाति का है.
    मेरे ख्याल से जो लोग कुत्तों को प्यार करते हैं, कुत्ते उन्हें नहीं काटते. हाँ अगर कुत्ता काटने के लिए ट्रेंड हो या 'पागल' हो तो दूसरी बात है.

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    1. क्षमा कीजिये, ये धारणा सही नहीं है। जैसे काटने के ट्रेंड कुत्ते हो सकते हैं वैसे ही फ़ुली अनट्रेंड परंतु काटने में फ़ितरती कुत्ते भी खूब होते हैं। मुझे लगता है कि ऐसे अधिकांश कुत्तों के मालिकान भी कोई खास ट्रेंड (या सभ्य) नहीं होते।

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    2. अनुराग जी: आपसे सहमत,मेरे डेजी तो घर आये मेहमान को कभी नहीं भूकती !

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    3. इस बात के लिए तो डेजी की तारीफ मैं भी करूँगा...

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    4. 'काटने में फितरती कुत्ते' सही कहा आपने. कुछ कुत्ते सच में कुत्ते होते हैं :) वैसे कोई भी जानवर कितना भी ट्रेंड हो, 'एनीमल इंस्टिंक्ट' कभी जाग सकती है. इसलिए कहा नहीं जा सकता कि कौन सा कुत्ता कब काट ले.
      @अरविन्द जी, मेरी गोली भौंकती तो ज़रूर है किसी नवागंतुक को, लेकिन तुरंत दोस्ती कर लेती है.

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  4. 'लगाए' को 'लगाई' पढ़ा जाय, नहीं तो अभी आप फिर कहेंगे 'आप से ऐसी गलती?'

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    1. अब हम नहीं कहेगें! लिंक पर जाकर देख लीजिये यह किस प्रजाति का है!

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    2. क्या गेस किया है हमने. ग्रेट डेन ही तो है.

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  5. एक तो आप को यह धारणा त्याग देना चाहिए कि कुत्ते आप को अपनी प्रेयसी का दावेदार समझते हैं। किसी मनोचिकित्सक को तो ये बात बता न देना वर्ना वह अपना धंधा वहीं आरंभ कर देगा। हाँ वे प्रेयसी मिलन में आप को बाधा समझ सकते हैं। इस बात का ध्यान आप को जरूर रखना चाहिए।
    कुत्ते और मनुष्य का साथ सदियों से है। लेकिन मनुष्य बहुत स्वार्थी है वह मतलब से स्वार्थ रखता है। वर्ना आवारा कुत्ते, सांड और गाएँ सड़कों पर दिखाई नहीं देते। वस्तुतः नागरिक समाज में उन का स्थान घरों और पालना घरों तक ही है। पर अभी तो भारतीय समाज ठीक से नागरिक समाज भी नहीं बन सका है। इस लिए इन्हें झेलना पड़ेगा। जब झेलना है तो फिर उन्हें सुविधाएँ तो देनी होंगी।
    हाँ एक बात और चित्र में कुत्ते का आकार बड़ा होना जरूरी नहीं। लड़की छोटे कद की भी हो सकती है।

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  6. मज़ा आ गया सर पहले पैरा में ही हँसी आ गयी |आभार

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  7. यात्राओं से लौटने पर जब गली में आते हैं --- हा हा हा ! कुत्ते ऐसे भी सोच सकते हैं !! :)
    बहरहाल , हम तो कुत्ते काटे के रोगियों से परेशान हैं , जो करोड़ों खर्च करा रहे हैं सरकार का .

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  8. लो जी आज काम आ गया !उस रोज़ मैं उस गोरे के पीछे पीछे तेज़ तेज़ अपनी सामर्थ्य के अनुसार चलने लगा .कौतुक ओर औतुस्क्य दोनों शिखर पे थे ये जान लेने को कि इसके हाथ में ये जो स्वान बिष्टा उठाने की युक्ति है यह आखिर क्या कहलाती है .उनके पास पहुँचते हुए कहा -हाउ यू डू इन सर !गुड !एवरी थिंग इज गुड ,ज़वाब मिला ,मैं ने झट पूछ डाला "वाट इज दिस डिवाइस ,वाट डू यु काल इट"-पूपर स्कूपर -ज़वाब मिला ..

    बतला दें आपको -POOPER -SCOOPER is a small shovel used to clean up dog excrement , used specially by a dog owner whose dog defecates in a public place .

    बेलचे का सुधरा हुआ रूप है यह बिष्टा निपटाने उठाने वाला यंत्र .

    अब ये स्ट्रीट डॉग तो बेचारे बे -झोली के फ़कीर हैं(इनका बिष्टा कौन निपटाए ?) ,बिना हडताल किए अपनी ड्यूटी निभातें हैं .कोलोनी में दाखिल होने वाले हर नए शख्श को परखतें हैं .बौद्धिक कोशांक भी इनका बहुत ऊपर होता है .दिक्कत यही है इनके लिए एंटी -रेबीज़ के टीके लगाने का कोई इंतजाम नहीं है .रेबीज़ ग्रस्त कुत्ता काट ले तो लेने के देने पड़ जाएं .जल से डरके बिला वजह इधर से उधर भागते हैं ये कुत्ते या फिर एक दम से सुस्त पड़ जायेंगे जैसे बाई पोलर पेशेंट डिप्रेसिव फेज़ में होता है मुंह में थूक लिए बैठा रहता है न थूकेगा न निगलेगा .इनकी लार में होता है रेबीज़ का विषाणु .

    रहिमन ओछे नरन से बैर भली न प्रीत ,

    काटे चाटे स्वान (कुत्ता )के दुई भांति विपरीत .

    तो भाई साहब इन्हें तो नमस्ते करके बचके निकलना ही ठीक .बहुत बेहतरीन प्रस्तुति है आज की .ये इन दिनों वेलेंटाइन डे मनाए हैं इनसे बचके रहना भाई शिव सैनिक भी इनका कछु न बिगाड़ सकें .

    कुत्ता दिवस मनाओ ,ज़रूर मनाओ लेकिन दिल्ली हाट से तो स्ट्रीट डॉग हटाओ .इनका एक्स -क्रीटा(बिष्टा ) कौन उठाए भारत में कुत्ता शाह अपने डौगी को सैर कराते हैं माहौल को गंधातें हैं ,कुत्ता दिवस पर उन्हें पूपर स्कूपर खरीदने को कहो .

    भाई साहब !उन जुडवा आलेखों को जिनके शरीर आपस में जुड़े हुए थे ,सर्जरी करके अलग कर दिया गया है आइन्दा ध्यान रखा जाएगा "राम राम भाई "पर सियामीज़ ट्विन्स "पैदा न हों .शुक्रिया आपका .ब्लॉग टेम्पलेट भी सुधारा जाएगा .आप सभी दोस्तों मेहरबानों का शुक्रिया .

    नेहा एवं आदर से

    वीरू भाई .


    ram ram bhai
    रविवार, 23 सितम्बर 2012
    ब्लॉग जगत में शब्द कृपणता ठीक नहीं मेरे भैया ,

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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    1. क्या बात है! पोस्ट के टक्कर की टिप्पणी :)

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  9. स्वामिभक्त जीव के प्रति आपका उदार मन आपके विशाल ह्रदय का परिचायक है . फिर क्यों आपकी उदारता के प्रति संदेह मैं हैरान हूँ इस गलत फहमी को दूर होना ही चाहिए .
    सुन्दर लेखन के लिए सादर नमन

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  10. इस प्रपोजल से कुछ तो खुश होंगे ...

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  11. कुत्तों से हमारा प्रेम तो बस इतना ही है कि गेट पर आ जाए तो रोटी दे दूं , वैसे भी श्राद्ध पक्ष में रोज एक रोटी तो अनिवार्य है ना!

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  12. @कार्तिक का यह प्रथम दिन ??
    अभी तो आश्विन भी प्रारम्भ नहीं हुआ !!

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  13. कहना पड़ेगा - हाय ! राम कुत्तों का है ये मौसम सुहाना .. मजेदार कुत्ता-विमर्श.

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  14. Thanks Vani,you are right! Sorry for the goof up!
    Please take it as an advance entry!

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  15. हमारी मुलाक़ात अक्सर सोन कुत्ते से हो जाती है जंगल में| जंगल वाले कहते हैं कि इनकी एकता से बाघ भी डरता है| हम तो तुरत-फुरत गाडी पर सवार हो लेते हैं| पिछले महीने अचानकमार अभ्यारण्य में इनसे एक बार फिर मुलाक़ात हो गयी| देखिये ये लिंक

    http://www.youtube.com/watch?v=dYfPvZNdke8

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  16. श्वान मित्र का प्रथम पुरस्कार आपके नाम होना ही चाहिए

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  17. मुझे कुत्तों से बहुत डर लगता है, मैं "कुत्ता दिवस" का विरोध करता हूँ :) :)

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  18. Once bitten twice shy के चलते इस पोस्ट को पढ़कर हम पहले से ही पतली गली से निकल लिए थे लेकिन पिछले सप्ताह आफिस में व्यस्तता के चलते लगभग रोज ही देर रात घर लौटना हुआ और सडकों पर बढ़ी हुई श्वान सक्रियता देखते ही पहली याद आप ही की आई :)

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