शनिवार, 25 अक्तूबर 2008

आईये दीपावली पर हम करें उल्लू स्तवन !


दीपावली पर हम मैया लक्ष्मी की पूजा की तैयारियां कर रहे हैं तो लगे हाथ लक्ष्मी मैया के वाहन का भी पूजन- स्तवन हो जाय !
पर क्या कभी आपने विचार किया कि लक्ष्मी वाहन उल्लू ही क्यों ? सरस्वती का वाहन हंस है -फिर लक्ष्मी का वाहन उल्लू क्यों ? उल्लू जिसे मूर्खता के अर्थ में रूढ़ मान लिया गया है .पर क्या उल्लू सचमुच मूर्ख है ?
वैज्ञानिक राय बिल्कुल भिन्न है -वे उल्लू को एक बेहद सजग रात्रिचर प्राणी मानते हैं -उसका मुंह तो देखिये दीगर परिंदों से बिल्कुल अलग उसके "धीर गंभीर " से चेहरे पर आंखे बिल्कुल सामने हैं .वह हल्की सी आहट पर चौकन्ना हो जाता है .शायद इन्ही खूबियों के चलते हमारे आदि कवि मनीषियों ने लक्ष्मी को वाहन के रूप में उल्लू का तोहफा दिया होगा ? पर एक अच्छे खासे से पक्षी को भारतीय सन्दर्भ में उल्लू क्यों मान लिया गया ? जीहाँ यूनान में उल्लू बुद्धि का प्रतीक माना गया है -अंगेरजी में ऐन आवलिश अपियर्रेंस का मतलब ही है विद्वता पूर्ण चेहरा और अक्सर न्यायधीशों के लिए 'ऐन आवलिश अपीयरेंस ' का जुमला इस्तेमाल होता है .वह कविता भी आपने शायद सुनी पढी हो -एक विग्य उल्लू बैठा था ओक की डाल पर ......
फिर ये माजरा है क्या -उल्लू यहाँ भारत में ही उल्लू क्यों है ? यह मामला है सदियों से विपन्नता का दंश झेल रहे भारतीय कवि मनीषियों का जिन पर लक्ष्मी कभी भी कृपालु नहीं रहीं -तो यह एक खीझ है जो कभी हजारो साल पहले हमारे पूरवज मनीषियों ने लक्ष्मी पर उतारी थी, उन्हें वाहन के तौर पर उल्लू अलाट कर और उसे मूर्खता का जामा पहना कर ।
किसी भी विद्वान को लें लक्ष्मी न जाने क्यों उससे रूठी हुयी हैं -अब अपवाद के तौर पर ऐसे लोग भी दिख जाते eहै जिन पर सरस्वती और लक्ष्मी दोनों की कृपा होती है मगर पुराण -इतिहास गवाह है विद्वान् ज्यादातर पैसे कौडी के मामले में 'दरिद्र' ही रहे हैं -उन पर लक्ष्मी कभी भी कृपालु नही रही हैं -इसलिए ही विद्वानों को ख़ुद को सरस्वती पुत्र eकहलाने में ज्यादा गौरव की अनुभूति होती है .और उहोने भी सदियों से ही लक्ष्मी की घोर उपेक्षा से खिन्न होकर उनके साथ सरस्वती की तुलना में काफी भेदभाव किया है और अपनी खीझ मिटाई है ।
अब यही देखिये सरस्वती को उन्होंने वाहन के रूप में हंस अलाट किया -कितना सुन्दर है हंस -यही नही उसमें नीर क्षीर विवेक की भी क्षमता डाली -वह केवल मानसरोवर का मोती चुगता है .जब लक्ष्मी जी को वाहन अलाट करने की बात आयी तो उनके लिए ऐसे वाहन की तलाश शुरू हुई जो रात्रि चर हो क्योंकि धन /कालाधन कमाने के सारे कामधाम रात के अंधेरे में ही संपन्न होते हई ,वह वाहन मांसाहारी हो यानी वैष्णवी वृत्ति से दूर ! मजेदार तो यह कि विष्णु को भी धता बता कर एक घोर अवैष्णवी वाहन लक्ष्मी को दिया गया .यह घोर मांसाहारी है -क्रूरकर्मा है .आदि आदि और लगता है इससे भी कविजनों को संतुष्टि नही हुई तो उसे मूर्खता के अर्थ मे भी रूढ़ कर प्रकारांतर से मानो यह कहा गया कि लक्ष्मी केवल उल्लुओं पर ही मेहरबान होती हैं - लक्ष्मी द्बारा की जा रही उनकी घोर और निरंतर उपेक्षा से ऊब कर उनके प्रति अपना आक्रोश यूँ जाहिर कर दिया और वृथा न जाई देव ऋषि वाणी के अनुसार वह व्यवस्था कालजयी बन गयी है ।उल्लू उल्लू न होने के बावजूद भारतीय मनीषा में मूर्खता का पर्याय बना है .
अब ज्ञानी जन भी यह मानते भये हैं कि बदलते परिदृष्य में वित्त का जुगाड़ ज्यादा जरूरी है .अतः हे माँ लक्ष्मी के वाहन मैं तुमसे अपने पुरनियों के किए धरे की माफी माँगता हूँ -तू तो मेरे घर का द्वार लक्ष्मी मैया को दिखा और इस नयी नयी हिन्दी ब्लॉगर बिरादरी के यहाँ भी उनका कम से कम एक विजिट करा दे .....हम तुम्हे ज्ञानी मानते हैं -हम नए युग के लोग है अर्थ की महिमा को बखूबी मानते हैं -अतः हे निशाचर मुझ अकिंचन पर भी रहम कर -हमारे पूर्वजों के किए धरे की खामियाजा हमसे मत वसूल -हम हंस को नही अब तुम्ही को पूजने को तैयार है - अभी से इसी दीपावली से ! जय उल्लू भ्राता की ! जय लक्ष्मी मैया की !
मित्रों आप सभी को दीपावली पर्व पर सुख -समृद्धि की हार्दिक शुभकामनाएं !

20 टिप्‍पणियां:

  1. जी, भारत में उल्लू इस लिए उल्लू है कि उसे लक्ष्मी जी ने उसे सवारी बना लिया।

    जवाब देंहटाएं
  2. मिश्रा जी नमस्कार ! देखो ताऊ ने क्या कर दिया ! ताऊ ने उल्लुओ को पिंजरे में बंद कर दिया है और लक्ष्मी जी को ब्ल्र्क्मेलिंग कर रहे है ! कहीं आप दोनों की मिलीभगत तो नही है ? ताऊ ने और आपने जरुर लक्ष्मी जी के साथ कोई घोटाला कर दिया है ! :) दीपावली पर्व की हार्दिक बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  3. दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ और शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  4. दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ और शुभकामनाये !

    जवाब देंहटाएं
  5. आभार इस जानकारी के लिए..उधर ताऊ को देखो क्या किए बैठे हैं.

    आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर लिखा है. दीपावली की शुभ कामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी जानकारी .दीपवाली की बहुत बहुत बधाई आपको

    जवाब देंहटाएं
  8. सर जी राम राम ! आज कल सीधी उंगली से घी नही निकलता और अब तो सीधी क्या बिना मशीन के नही निकलता ! हमारे यहाँ गाँव में कहावत है की चोर को नही चोर की माँ को मारो ! सो हम तो कल रात भर उल्लुओ की तरह जागे ! अब उल्लुओ को पकड़ना है तो रात भर जागना ही पडेगा ! मालुम था भगवान् धन्वन्तरी के आगमन के दिन ही लक्ष्मी जी धरा पर विचरण करने उतरती हैं ! और जैसे अमीर लोगो के पास वाहनों का काफिला होता है वैसे ही मैया के पास भी है ! अब उनका भागने का रास्ता भी बंद है इन उल्लुओ ने बताया की हमारे क्षेत्र के ये तीन ही थे चौथा जो पकडा वो बनारस क्षेत्र के लिए था रात को ड्यूटी पर जाते इनको देख कर रुक गया था ! और हमारे हत्थे चढ़ गया ! बनारस के वाहन को आपके पास भिजवा रहे हैं ! हमने उसको आपके पास भेज दिया है ! एक घंटे बाद आपके बक्से में मिलेगा ! उसको आज ब्लॉग पर लगा लेना ! असली लक्ष्मी पाने का बस एक यही तरिका समझ में आया सो ताऊ ने आजमा डाला ! सो लक्ष्मी जी ने कभी यहाँ से भागने की कोशीश भी की तो सीधे आपके पास उनका वाहन ढुन्ढने आयेंगी ! :) इब आप चिंता ही मत करो और दीपावली आनंद पूर्वक मनाओ !

    आपको परिवार व इष्ट मित्रो सहित दीपावली की हार्दिक बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  9. भ्राता से मिलने की बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  10. अरे भाई ताऊ ,पहले तो मेरी भी शुभकामनाएं इस प्रकाश पर्व के लिए स्वीकार करें !
    फिर काहें को यह जहमत उठायी -यहाँ बनारस में उल्लुओं की कमी थोड़े ही है -एक ढूंढों तो हजार मिलते है -हर शाख पर उल्लू बैठे हैं ! अपना पास पड़ोस तो ऊल्लूओं के डेरे के नाम से कुख्यात ही है -चिट्ठजगत में तो नए पुराने उल्लू अर्थात उल्लू और उल्लू के पट्ठे भरे पड़े हैं -तुम्हारे ब्लॉग पर तो सचमुच वे सुशोभित हो रहे हैं और तुम्हारे शौर्य की श्री वृद्धि कर रहे हैं .
    मेरी तो हालत इन पंक्तियों में बयां है -
    कद्रदानों की तबीयत का अजब हाल है आज
    बुलबुलों की ये हसरत कि वे उल्लू ना हुए
    मैं एक उल्लू हूँ भाई !

    जवाब देंहटाएं
  11. चुगदाचार्य की जय!
    दीपावली मुबारक।

    जवाब देंहटाएं
  12. मिश्रा जी ने है कही, बहुत पते की बात
    उल्लू उल्लू है नहीं,जो जागे है रात
    जो जागे है रात, राज है इसमें गहरा
    मंगलमय हो बंधु, दीप का पर्व सुनहरा

    जवाब देंहटाएं
  13. / यह भी कहते हैं की उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता है -ऐसी बात नहीं है दिन में वह स्वयम नहीं देखना चाहता /जो काम रात के अंधेरे में हो सकते हैं चोरी -डकेती-अपहरण -अन्याय -अत्याचार -बलात्कार -वे दिन के उजाले में हो रहे है -डंके की चोट हो रहे है मूँछो पर ताव दे कर हो रहे है /ऐसे में तटस्थ भाव से देखते रहने और कुछ न कर पाने या कुछ न कर सकने से वह यही उचित समझता है की दिन में देखा ही न जाए और हम यह समझते हैं की उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता है

    जवाब देंहटाएं
  14. दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  15. दीपावली में तांत्रिक लोग उल्लू की बलि भी देते हैं, ऐसा सामाचार पत्र में पढने में आया। इसपर भी कुछ रौशनी डालेंगे, यह निवेदन है।
    दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  16. परिवार व इष्ट मित्रो सहित आपको दीपावली की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !
    पिछले समय जाने अनजाने आपको कोई कष्ट पहुंचाया हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  17. आपकी सुख समृद्धि और उन्नति में निरंतर वृद्धि होती रहे !
    दीप पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  18. जानकारी देने का शुक्रिया ।

    आपको और आपके परिवार को दिवाली की बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

यदि आपको लगता है कि आपको इस पोस्ट पर कुछ कहना है तो बहुमूल्य विचारों से अवश्य अवगत कराएं-आपकी प्रतिक्रिया का सदैव स्वागत है !

मेरी ब्लॉग सूची

ब्लॉग आर्काइव