अभी अभी लावण्या शाह (लावण्या दीपक शाह ) के कहानी संग्रह अधूरे अफसाने को पूरा किया है। चार बाल कहानियों को समेटे कुल ग्यारह कहानियों के इस गुलदस्ते को लावण्या जी ने अपने सुदीर्घ सामाजिक जीवन के अनुभवों अॉर कुशल लेखनी से अलंकृत किया है। कहानियों मे जीवन संघर्ष, मानवीय संवेदनाओं को लेखिका ने बखूबी अभिव्यक्ति दी है। कई कहानियों मे वतन अॉर अपनों से विछोह की जो पीड़ा अभिव्यक्त होती है वह लेखिका के खुद के प्रवासी जीवन का और अपने सहधर्मियों के भोगे यथार्थ से अनुप्राणित होने की प्रतीति कराता एक यथार्थ दस्तावेज बन गया है। ज़िंदगी ख्वाब है मे जहां महत्वाकांक्षी पति अॉर अभिमानी पत्नी की दुखांतिका है ,मऩ मीत पुरुष स्त्री के अादिम अाकर्षण की कथा है जो एक रहस्यपूर्ण परिवेश मे परवान चढ़ती है किंतु यह भी एक दुखांत गाथा है।
जनम जनम के फेरे अपनों और अपनी माटी से विछोह की पीडाभरी दास्ताँ है। कादंबरी एक नृत्यांगना की संघर्ष गाथा है जिसमें उसके पुरुष कामुकता से उत्पीड़ित होते रहते की व्यथा कथा है। नारी के शोषण को पुरुष कैसी कैसी रणनीतियां को अंजाम देता है यह कथा उससे खबरदार करती है। समदर देवा भी नारी के पुरुष द्वारा शोषण की एक मानो एक चिरंतन गाथा है किन्तु अपने कथानक में उदात्त प्रेम की भी सुगंध लिए है, मुंबई के सागर तट पर पनपती एक सात्विक प्रेम कथा मन को अंत तक बांधे रखती है। यहाँ उदात्त चरित्र के पुरुष पात्रों की उपस्थिति मन को गहरे आश्वस्त करती है कि अभी भी धरा पर मानवीयता जीवंत है। लेखिका की यह कथा मुंबई के मछुवारों की जीवन शैली और इस मायानगरी के अँधेरे कोनो को भी आलोक में लेती है।
कौन सा फूल सर्वश्रेष्ठ है घर में नवागंतुक दुल्हन के सहज होने के लिए जरूरी अभिभावकीय दायित्व को उकेरती है। स्वयं सिद्धा अनुष्ठानों के आडंबरों से आक्रान्त भारतीय परिवार की कहानी है। बालकथाओं में संवाद शैली के जरिये प्रमुख भारतीय पुराकथाओं और नायकों का रोचक वर्णन है जो बच्चों में नैतिकता के आग्रह को तो प्रेरित करता ही है उनकी ज्ञानवृद्धि भी करता है।
लेखिका एक सिद्धहस्त रचनाकर्मी हैं। योग्य पिता की सुयोग्य पुत्री। आदरणीय पंडित नरेंद्र शर्मा जी की विलक्षण प्रतिभा पुत्री को आनुवंशिकता में मिली है। लावण्या जी आश्चर्यजनक रूप से नारी सौंदर्य की चतुर चितेरी हैं जबकि समीक्षक इसे पुरुष डोमेन में मानता आया है। उन्हें नारी तन और मन की एक समादृत समझ है जो प्रशंसनीय है। पुस्तक पढ़ने की प्रबल अनुशंसा है!
जनम जनम के फेरे अपनों और अपनी माटी से विछोह की पीडाभरी दास्ताँ है। कादंबरी एक नृत्यांगना की संघर्ष गाथा है जिसमें उसके पुरुष कामुकता से उत्पीड़ित होते रहते की व्यथा कथा है। नारी के शोषण को पुरुष कैसी कैसी रणनीतियां को अंजाम देता है यह कथा उससे खबरदार करती है। समदर देवा भी नारी के पुरुष द्वारा शोषण की एक मानो एक चिरंतन गाथा है किन्तु अपने कथानक में उदात्त प्रेम की भी सुगंध लिए है, मुंबई के सागर तट पर पनपती एक सात्विक प्रेम कथा मन को अंत तक बांधे रखती है। यहाँ उदात्त चरित्र के पुरुष पात्रों की उपस्थिति मन को गहरे आश्वस्त करती है कि अभी भी धरा पर मानवीयता जीवंत है। लेखिका की यह कथा मुंबई के मछुवारों की जीवन शैली और इस मायानगरी के अँधेरे कोनो को भी आलोक में लेती है।
कौन सा फूल सर्वश्रेष्ठ है घर में नवागंतुक दुल्हन के सहज होने के लिए जरूरी अभिभावकीय दायित्व को उकेरती है। स्वयं सिद्धा अनुष्ठानों के आडंबरों से आक्रान्त भारतीय परिवार की कहानी है। बालकथाओं में संवाद शैली के जरिये प्रमुख भारतीय पुराकथाओं और नायकों का रोचक वर्णन है जो बच्चों में नैतिकता के आग्रह को तो प्रेरित करता ही है उनकी ज्ञानवृद्धि भी करता है।
लेखिका एक सिद्धहस्त रचनाकर्मी हैं। योग्य पिता की सुयोग्य पुत्री। आदरणीय पंडित नरेंद्र शर्मा जी की विलक्षण प्रतिभा पुत्री को आनुवंशिकता में मिली है। लावण्या जी आश्चर्यजनक रूप से नारी सौंदर्य की चतुर चितेरी हैं जबकि समीक्षक इसे पुरुष डोमेन में मानता आया है। उन्हें नारी तन और मन की एक समादृत समझ है जो प्रशंसनीय है। पुस्तक पढ़ने की प्रबल अनुशंसा है!