मंगलवार, 24 जून 2014

तुम वो तो नहीं!

तुम वो नहीं
तसव्वुर में थी बसी एक तस्वीर जो
मुद्दत से  था जिसका ख़याल
था सदियों से इंतज़ार जिसका
तुम वो नहीं

पास तुम आये जो
लगा सच हुआ ख्वाब मेरा
मगर जल्द ही टूटे भरम
तुम वो नहीं

शुक्र है उन
नजदीकियों का
होती गयी हर हकीकत  बयां
तुम वो नहीं

तिश्नगी फिर से वही अब
इंतज़ार फिर उस प्यार का
ताकि हो ताबीर उस ख्वाब का
तुम वो तो नहीं!

रविवार, 15 जून 2014

क्या पुरुष को बस यही चाहिए?


एक ही धरती एक ही कालावधि मगर लोगों की सोच और रुचियाँ अलग अलग देशों में कितनी भिन्न हैं और हैरत में डालने वाली हैं . क्या सही है और क्या गलत यह भी पूरी तरह सापेक्षिक है . आज फेसबुक दोस्त शालिनी श्रीवास्तव ने एक लिंक साझा किया . यह मामला है एक पश्चिमी दुनिया में पली बढ़ी युवती का जिन्हे सेक्स की लत  है और वे इसकी खुले आम जिक्र भी करती हैं -पब्लिक डोमेन में उन्होंने एक आर्टिकल प्रकाशित किया है. और अपने सेक्स अभिरुचियों और झुकावों का ईमानदारी से जिक्र भी किया है. इस लेख की चर्चा अन्यत्र जगहों पर इसकी बेबाकी और ईमानदार स्वीकृतियों के चलते है। आप को पूरा आलेख पढ़ने के लिए ऊपर के  अंग्रेजी लिंक पर जाना होगा मगर मैं हिन्दी प्रेमियों के लिए यहाँ कुछ उद्धरण देना चाहता हूँ.

क्रिस्टीन व्हेलेन  ४० वर्ष की मोटी महिला हैं। एक रिलेशन में थीं जो दस वर्षों चला मगर टूट गया। अब उन्हें सेक्स की सनक सवार हो गयी - अपने सर्किल के किसी मित्र, जान पहचान वाले  के साथ सोने को तैयार। और यह सिलसिला चल पड़ा. उन्होंने अपने अनुभवों को समेट कर यह प्रकाश डाला है कि आखिर पुरुष चाहते क्या हैं? और इससे भी बढ़कर कि उनकी खुद की क्या ख्वाहिश होती  है . उनके सेक्स संबंधियों में कई आयु वर्ग के लोग हैं. टीनएजर्स भी . उनकी स्वीकारोक्ति को कुछ आलोचकों ने वर्ष २०१४ का एक बड़ा खुलासा माना है.

मोहतरमा क्रिस्टीन व्हेलेन ने खुद के बारे में बताया है कि वे बहुत इंटेलिजेंट हैं ,मनोविनोदी हैं ,कभी कभार स्टाइलिश ,अपने बारे में बेफिक्र और वास्तव में बहुत अच्छी हैं। वे कहती हैं कि आकर्षण एक निजी मामला है और उनमें वह बहुत कुछ नहीं है जो बहुतों के लिए उन्हें आकर्षक बनाए। उनकी अपनी सेक्स अभिरुचियाँ /वितृष्णायें हैं और इसलिए और लोगों के समान व्यवहार से भी उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता ।क्रिस्टीन ने अपने एक दीवाने से पूछा कि उसे एक थुलथुल चालीस वर्षीय महिला में आखिर क्या आकर्षक लगा? जवाब था क्रिस्टीन तुम्हारा जबर्दस्त आत्मविश्वास ! कांफिडेंस इज सेक्सी! 

मैंने यह क्रिस्टीन कथा एक सनसनी पोस्ट के लिए ही नहीं की है . यह भारतीय समाज के सेक्स वर्जना को  सापेक्ष रखने और उस पर खुली चर्चा के लिए पोस्ट किया है मैंने . बहुत से लोग तुरंत क्रिस्टीन को वैश्या कह देगें -काल गर्ल कहेगें! मगर उसके निर्भीक आत्मकथन, स्पष्टवादिता को तवज्जो नहीं देगें .हमारा कल्चर इतनी स्वच्छंदता को अनुमति नहीं देता बल्कि सेक्स को पाप की सीमा तक यहाँ घृणित समझा जाता है -एक उचित स्थिति कहीं बीच में है . है ना ?

मंगलवार, 10 जून 2014

क्यूँ होता है ऐसा? (कविता)

क्यूँ होता है ऐसा?

क्यूँ होता है ऐसा  कि पराये अपने हो जाते हैं और अपने पराये
कि चुक जाती  है प्रीति अनायास ही किसी मीत की और
अलगाते हैं रिश्ते  अकारण ही  बिना बात के
विस्मृत  हो जाते  हैं वे सभी  वादे
किये गए थे जो  कभी भावों के आगोश में 
क्यूँ होता है 
ऐसा कि  अनायास ही कोई मिलता है  और लगता है
जैसे हो उससे  जन्म जन्मान्तर का कोई रिश्ता
मगर  वह भी  बिखर जाता है बिना परवान चढ़े 
यह अल्पकालिक जीवन भी कैसे कैसे  श्वेत श्याम
और इंद्रधनुषी सपने दिखाता  है
 एक दिन सहसा ये सारे सपने बेआवाज टूटते हैं -
सहसा  आ धमकता है आख़िरी दिन का फरमान
ऐसा क्यूँ होता है?

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