यह नायिका है वासकसज्जा !
"सेज को सुन्दर सुगन्धित फूलों से सजा कर सोलह श्रृंगार से संजी सवरी सुन्दरी प्रिय की आतुर प्रतीक्षा में मीठे सपनो में जा खोयी है....प्रियतम बस आते ही होगें यह विश्वास अटल है मन में ....साँसों की लय में भी उसके अंतस का दृढ विश्वास मुखर हो उठा है "
चित्र सौजन्य :स्वप्न मंजूषा शैल
नोट :अगली नायिका का दर्शन अब १९ नवम्बर को....
बहुत जल्दी में लिखी गयी मगर बहुत ही खूबसूरत प्रविष्टि ...
जवाब देंहटाएंआपकी सभी नायिकाओं में से यही भाई ...!!
लो भैया यह भी हो गया ,
जवाब देंहटाएंअगली के लिए इतना इंतजार ...
अरविन्द जी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लेख है..
चित्र सहित देख कर और भी आनंद आता है पढने में...
आप को और स्वप्ना जी को बधाई...
सुंदर!
जवाब देंहटाएंअगला 19 नवम्बर को, अर्थात पूरे सप्ताह का अवकाश?
"सोलह श्रृंगार से संजी सवरी सुन्दरी प्रिय की आतुर प्रतीक्षा में ..."
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
अरविन्द जी लगता है श्रृंगार रस का यह ग्रन्थ पूरा कर के ही दम लेंगे जो ब्लॉग जगत को नए आयाम प्रदान करने वाला है.
जवाब देंहटाएंवैसे नाम तो सही रखा गया है, देखने में वासक सज्जा लग रही है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
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बहुत घातक है प्रेमचन्द्र का मंत्र।
हिन्दी ब्लॉगर्स अवार्ड-नॉमिनेशन खुला है।
सेज को सुन्दर सुगन्धित फूलों से सजा कर सोलह श्रृंगार से संजी सवरी सुन्दरी प्रिय की आतुर प्रतीक्षा में मीठे सपनो में जा खोयी है....प्रियतम बस आते ही होगें यह विश्वास अटल है मन में ....साँसों की लय में भी उसके अंतस का दृढ विश्वास मुखर हो उठा है "
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobsoorat panktiyan......
सोलह सिंगार का भी वर्णन दे देते :)
जवाब देंहटाएंबिहारी ने इसी नायिका के लिये ही न लिखा था -
जवाब देंहटाएं"मृग नयनी फरकत दृगन उर उछाल तन फूल
बिन ही पिय आगम उमगि पलटन लगी दुकूल।"
लक्षणों की काव्यात्मक प्रस्तुति लें -
"वही है वासकासज्जा जिसे कुछ मिल गया सुनगुन
कि उसका आज निश्चय आ रहा है प्राण-प्रिय साजन
कभी वह दौड़ कर करती सुसज्जित वसन आभूषण
कभीं वह हर्ष से फिर-फिर सजाती है सुरम्य भवन ।"
आप के इस नयिका ने स्व्पनवासवद्त्त की याद दिला दी बडा ही मार्मिक चित्रण है चित्र भी बहुत कुछ अपने आप कह दे रहा है अगली नायिका तारीख दे कर आ रही है आश्चर्य हो रहा है लग रहा है कोई विशेष नायिका की साज सज्जा हो रही है जिसे आप उन्नीस तारीख को पेश करेंगे कही वह नायिका तो उन्नीस बीस की नही है उत्सुकता बढा दी है आपने
जवाब देंहटाएंसेज को सुन्दर सुगन्धित फूलों से सजा कर सोलह श्रृंगार से संजी सवरी सुन्दरी प्रिय की आतुर प्रतीक्षा में
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत सुंदर लगी आज की पोस्ट, सुंदर चित्र
हमम... सोलह श्रृंगार कौन कौन से हैं जी? आज कल के ब्यूटी पार्लर वाले इसमें आते हैं या नहीं.
जवाब देंहटाएंवासकसज्जा नायिका के विषय में आचार्य धनंजय ने दशरूपक में लिखा है, "मुदा वासकसज्जा स्वं मण्डयत्येष्यति प्रिये" अर्थात् "वासकसज्जा नायिका वह है जो प्रिय के आने के समय हर्ष से अपने आपको सजाती है." इसके उद्धरण में धनंजय ने जो पद्यांश दिया है, उसका भाव यह है कि एक नायिका अपने प्रिय के आने से पूर्व अपने हाथ को मुँह के पास ले जाकर मुँह की सुगन्धि की परीक्षा कर प्रसन्न हो रही है.प्रिय के आगमन से पूर्व की उत्सुकता और रोमाँच का इससे सुन्दर वर्णन और क्या होगा?
जवाब देंहटाएंBahut sundar...!!
जवाब देंहटाएंहमें तो विरह में व्याकुल हिरनी लगी ये नायिका.
जवाब देंहटाएंआपकी इस सोलह श्रृंगार से सजी सवरी सुन्दरी के चित्र को देखते ही मन में एक प्रश्न कुलबुलाने लगा. शायद आज जयशंकर प्रसाद भी देखते तो उनके मुख से स्वत: ही निकल जाता:
जवाब देंहटाएंहे अनंत रमणीय ! कौन तुम ?
यह मैं कैसे कह सकता
कैसे हो? क्या हो ? इसका तो
भार विचार न सह सकता .
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महावीर शर्मा
वाह! क्या बात है!
जवाब देंहटाएंbahut hi sundarta se pesh kiya hai.
जवाब देंहटाएंVastutha yaha nayika kamaneeya hai
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