आप सभी सुधी ब्लॉगर मित्रों को भारतीय स्वतन्त्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं !
इस अवसर पर एक कविता के चयनित अंश भी पढ़ लें -
चले थे कहाँ से किया था क्या वादा ,
कहाँ आ गए हम ,हुआ क्या इरादा
कितने मनोरम वे सपने लगे थे ,
हुए क्यों पराये जो अपने सगे थे
बहुत ही सुखद था उम्मीदों का पलना,
हुआ जब सबेरा तो छलना ही छलना
सितारों का पाना समझा सरल था ,
बढाया कदम तो अमृत भी गरल था
शहीदों ने जिसके लिए व्रत लिया था ,
कहाँ है वो भारत जो सोचा गया था
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सत्यमेव जयते को क्या हो गया है ,
महाकाव्य का अर्थ ही खो गया है
वोटों के खातिर जुटे हैं जुआड़ी ,
हुयी द्रोपदी आज जनता विचारी
हालत जो पहुँची है बद से भी बदतर,
कहाँ चक्रधारी कहाँ हैं धनुर्धर
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अस्मिता खोता भारत ,महाभ्रष्ट भारत
आजाद है या पराधीन भारत
महाभारती का महाघोष भारत
करो या मरो मन्त्र फिर से लो भारत !
डॉ .राजेंद्र प्रसाद मिश्र
(५ सितम्बर १९४० -५ अक्टूबर १९९९)
आजाद है भारत,
जवाब देंहटाएंआजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें संग्राम
जन की आजादी लाएँ।
भारत को, जन गण मन को, स्वयम की अस्मिता पहचान कर, अपने देश से, अपनी "माँ" से
जवाब देंहटाएंसच्चा प्रेम करना होगा तभी आमूल परिवर्तन सम्भव है !
- लावण्या
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंआजादी के इस उल्लासमय पर्व पर आपको
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
करो या मरो मन्त्र फिर से लो भारत !
एक नायाब हीरा है ....!
badhai achhi aur sachchi baat ki aur swatantrata divas ki
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति । स्वाधीनता दिवस की बधाई
जवाब देंहटाएंमुझे भी लगता है कहां हैं पार्थ और कहां है केशव? यह समय उनके लिये एक बार पुन: कुछ करने का अवसर बन रहा है।
जवाब देंहटाएंवे पुन: आयें।
आज़ादी का मंत्र जप रहे ब्लॉगर भाई।
जवाब देंहटाएंमेरी भी रख लें श्रीमन् उपहार बधाई॥
शुभकामनायें... केवल शुभकामनायें ही, इससे आगे...
जवाब देंहटाएंऔर हम कूश्श नेंईं बोलेगा ।
जैसे अब तक काम चलाते आये हैं,
वैसे ही सिरिफ़ शुभकामनाओं से अपना काम चलाइये नऽ !
ऒईच्च..हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है,
ईशलीए हम कूश्श नेंईं बोलेगा ...
देर से ही सही
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
कविता जितनी सुंदर है उतनी ही सच्ची भी है. मैं ज्ञानदत्त जी की बात से सहमत हूँ.
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा, आज हम अंग्रजों से भले ही आजाद हों, पर स्वार्थ, भ्रष्टाचार, अव्यवस्थाऔर अराजकता के गुलाम हो गये हैं। इनसे मुक्त हुए बिना सच्ची आजादी नहीं मिल सकती।
जवाब देंहटाएंkya kahen hmre bharat ka swtantra bharat naam ba
जवाब देंहटाएंhmri samajh men aajau ee pahile se aur gulam ba .
kavita nhi haqeeqat hai .........kash koi samajh sake is peer ko.
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