tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post9172274457833361886..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: चिलचिलाती धूप ,मनरेगा और औरतें!Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-56167431771544187782010-04-27T22:11:54.114+05:302010-04-27T22:11:54.114+05:30आलसी, निकम्मे पुरुषों अब चेत जाओ
भाईसाहब , इन्हे ...आलसी, निकम्मे पुरुषों अब चेत जाओ <br />भाईसाहब , इन्हे चेतना होता तो कब के चेत जाते । हमारे यहाँ छत्तीसगढ़ में यही मजदूर औरते अब शराबबन्दी के लिये भी आन्दोलन में लगी है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-79820200693650110572010-04-18T07:43:46.947+05:302010-04-18T07:43:46.947+05:30फोटो मे केवल 9 महिलाओ को देख कर आप दयाद्र हो गये म...फोटो मे केवल 9 महिलाओ को देख कर आप दयाद्र हो गये मनरेगा मे महिलाओ का भी पन्जीयन होता है यदि काम ना दिया जाय तो मुसीबत की क्यों नही काम मिला और काम कराया जाय तो मुसीबत कि हाड्तोड मेहनत के बाद मात्र 100 रुपये मज्दूरी <br /> मनरेगा यहा सफ़ल है कि नही मज्दूरो को 100 रू मिल भी रहे है कि नही कि उन पर भी गिध द्रिष्टि लगी हुई है विचारणीय विन्दु यह है कार्य स्थल पर शेड और पानी की सुविधा नही दिख रही है यह नियमो की अवहेलना है सिस्टम की खामी साफ़ दिख रही है जो चित्र से बया हो रही है <br />वैसे मेरा अनुमान है कि इन 9 महिलाओ मे से कम से कम 5 के पति भी इसी साईट पर काम कर रहे होंगे मजबूरी मे कभी कभी महिला और पुरूष दोनो परिवार के लिये कमाते है वरना पुरूष मानसिकता चाहे ग्रामीण हो या शहरी महिला को काम करने की इजाजत नही देता ऐसा नही है कि इन सारि महिलाओ के पति कामचोर या शराबी ही होगे हमे तो इनके हौसले और जज्बे का सम्मान करना चाहिये कि इन्होने पेट की खातिर कोई अन्य साधन नही अपनाया जैसा कि शहरो मे हो रहा है श्रमेव जयते<br /> आपकी काम प्रशंसक द्रिष्टिकोण के हम कायल हो गयेarun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-31210614274341695322010-04-15T01:43:23.834+05:302010-04-15T01:43:23.834+05:30मेहनतकश महिलाएं हैं.घर चलाना है इन्हीं को..पत्थर त...मेहनतकश महिलाएं हैं.घर चलाना है इन्हीं को..पत्थर तोड़ने के अलावा इनके पास कोई और विकल्प नहीं है ये इनकी मजबूरी ही होगी.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81164030535944749722010-04-14T22:00:49.897+05:302010-04-14T22:00:49.897+05:30लवली के कमेन्ट को मेरा भी कमेन्ट माना जाय ..
ऐसी औ...लवली के कमेन्ट को मेरा भी कमेन्ट माना जाय ..<br />ऐसी और चर्चाएँ आयें तो और मजा आये ..<br />हाँ आज तीन पोस्ट पहले वाले अर्थ जी नहीं आ रहे हैं अर्थ - विषयक जानकारी हेतु ? <br />किस 'earth' पर भ्रमण - रत हैं ? कितने miles चले गए होंगे ? आखिर A से Z तक की यात्रा ( आंग्ल-परिप्रेक्ष्य में )<br /> भी करनी पड़ती है न ? / !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89698641250981490282010-04-14T12:48:11.814+05:302010-04-14T12:48:11.814+05:30वक्त बदलने वाला है.
रामराम.वक्त बदलने वाला है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58151907207166475082010-04-14T12:29:42.158+05:302010-04-14T12:29:42.158+05:30बहुत ही बढ़िया आलेख...आज महिलायें शारीरिक श्रम से ...बहुत ही बढ़िया आलेख...आज महिलायें शारीरिक श्रम से भी नहीं घबरातीं...पर कई जगह मजदूरी उन्हें पुरुषों से कम मिलती है जबकि मेहनत समान रूप से करती हैं..rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-80888658185797496102010-04-14T11:53:40.851+05:302010-04-14T11:53:40.851+05:30.
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'कतने लगा'= 'करने लगेगा' पढ़....<br />.<br />.<br />'कतने लगा'= 'करने लगेगा' पढ़ा जाये।प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41551886450756268562010-04-14T11:33:01.475+05:302010-04-14T11:33:01.475+05:30.
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उन्हें मजदूरी के केवल सौ रूपये ही रोज मिलते ....<br />.<br />.<br /><b>उन्हें मजदूरी के केवल सौ रूपये ही रोज मिलते हैं जो की आज की महंगाई के हिसाबं से क्म है -जब अरहर की दाल आज करीब सौ रूपये किलो मिल रही है -१०० रूपये की कीमत आखिर है ही क्या ?</b><br /><br />आदरणीय अरविन्द मिश्र जी,<br />अच्छा सवाल उछाला है, अगर यह मजदूरी बढ़रगी तो खेत में काम करने वाले मजदूर की मजदूरी भी बढ़ जायेगी, परिणाम स्वरूप दाम भी बढ़ेंगे... पर क्या हमेशा अपनी और सिर्फ अपनी ही सोचने वाला <a href="http://praveenshah.blogspot.com/2010/01/blog-post_21.html" rel="nofollow">हमारा मध्य वर्ग इसके लिये तैयार है ?</a> विचित्र विधवा विलाप तो नहीं कतने लगा फिर से !प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-44766573803836584052010-04-14T11:23:36.275+05:302010-04-14T11:23:36.275+05:30सही मुद्दे को लेकर आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रस्त...सही मुद्दे को लेकर आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! महिलाएँ इतनी तकलीफ़ उठाकर दिनभर काम करती हैं पर उसके बदले उन्हें बहुत ही कम पैसे मिलते हैं जो नाइंसाफ़ी है! उम्दा पोस्ट!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41145117556928345222010-04-14T11:06:03.368+05:302010-04-14T11:06:03.368+05:30पता नहीं, मैने पढ़ा कि मनरेगा लोगों को काहिल/अकर्मण...पता नहीं, मैने पढ़ा कि मनरेगा लोगों को काहिल/अकर्मण्य बनाने का रास्ता बताता है। <br />इसका सत्यापन बाकी है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6585970692288697412010-04-14T08:38:55.559+05:302010-04-14T08:38:55.559+05:30मेहनत और लगान के आगे हर कठिनाई दूर हो जाती है...कु...मेहनत और लगान के आगे हर कठिनाई दूर हो जाती है...कुछ ऐसा ही यहा देखने को मिलता है..महिला पुरुष से तनिक भी कम नही है यह सच भी है...उनके हौसले को सलाम करता हूँ...बहुत बढ़िया प्रसंग...धन्यवाद अरविंद जीविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-73896661957452179172010-04-14T08:28:25.979+05:302010-04-14T08:28:25.979+05:30आज की वस्तविकता को दर्शाता ये लेख बहुत ही सुंदर है...आज की वस्तविकता को दर्शाता ये लेख बहुत ही सुंदर है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-10535416509356914212010-04-14T05:30:49.110+05:302010-04-14T05:30:49.110+05:30नारी-शक्ति को सलाम करती इस पोस्ट के लिए बहुत आभार ...नारी-शक्ति को सलाम करती इस पोस्ट के लिए बहुत आभार ....<br />मनरेगा की मेहरबानी है ...:)<br />अच्छी पोस्ट ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-80369628082701305862010-04-13T23:52:51.358+05:302010-04-13T23:52:51.358+05:30मगर यह उनके परिश्रम से कमाया हुआ धन है ,आत्मविश्वा...मगर यह उनके परिश्रम से कमाया हुआ धन है ,आत्मविश्वास और ईमानदारी की कमाई है जो करोडो रूपये की काली कमाई से लाख गुना बेहतर है .. <br />--सीधी-सच्ची बात।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89657373087890379192010-04-13T23:02:27.570+05:302010-04-13T23:02:27.570+05:30@ zeal
@गिरिजेश राव
:))@ zeal <br />@गिरिजेश राव <br /><br />:))Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61452049000648177062010-04-13T22:42:16.379+05:302010-04-13T22:42:16.379+05:30चलिये...आपने माना तो कि महिलाएँ शारीरिक रूप से भी ...चलिये...आपने माना तो कि महिलाएँ शारीरिक रूप से भी पुरुषों से कमतर नहीं होतीं, नहीं तो जैविक निर्धारणवाद के पीछे हाथ धोकर पड़े रहते हैं. अली जी की टिप्पणी सटीक है. पुरुष औरतों की इस शक्ति का फ़ायदा उठाने से भी नहीं चूकता. मज़दूर वर्ग में ये ज्यादा होता है. हमारे हरवाह हरिकेस भी पीकर टुन्न रहते थे. और तो और उनकी पत्नी मज़दूरी करके जो कमाती थीं, वो भी छीनकर दारू पी जाते थे. ये एक घर का नहीं बल्कि हर तीसरे घर का किस्सा है.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-51146623392652183892010-04-13T22:23:22.592+05:302010-04-13T22:23:22.592+05:30@ zeal
:)
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:) :) :).......@ zeal <br />:)<br />:) :) <br />:) :) :).......गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4021918697431651682010-04-13T21:49:39.961+05:302010-04-13T21:49:39.961+05:30स्त्री की इसी मेहनत से डरे पुरूष उसे विधायिका में ...स्त्री की इसी मेहनत से डरे पुरूष उसे विधायिका में बराबर का अधिकार नहीं देना चाहतेKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-10521875367942487822010-04-13T21:36:15.401+05:302010-04-13T21:36:15.401+05:30mahilaon ke prati karuna drishti?
Ghar mein sab r...mahilaon ke prati karuna drishti?<br /><br />Ghar mein sab raji-khushi to hai na?<br /><br />Smiles !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13643120062330897152010-04-13T21:00:59.213+05:302010-04-13T21:00:59.213+05:30कामचोर पुरुषों से हजार गुना सही हैं.कामचोर पुरुषों से हजार गुना सही हैं.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6409779360064462502010-04-13T20:59:36.376+05:302010-04-13T20:59:36.376+05:30आपने ठीक कहा है, स्त्रियाँ अपने काम के प्रति ज्याद...आपने ठीक कहा है, स्त्रियाँ अपने काम के प्रति ज्यादा सिंसेर होती हैं.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23051058907931088892010-04-13T20:52:08.291+05:302010-04-13T20:52:08.291+05:30नारी शक्ति पर अच्छी प्रस्तुति....नारी शक्ति पर अच्छी प्रस्तुति....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-5503303225161910262010-04-13T20:45:23.038+05:302010-04-13T20:45:23.038+05:30बहुत ही सारगर्भित लेख व विचार . मेरे अपने और जिग्य...बहुत ही सारगर्भित लेख व विचार . मेरे अपने और जिग्यांसा से जाना है की स्त्रीयां मर्दों के मुकाबले ज्यादा मेहनती और जिम्मेदार होती हैं .हाँ अपवाद भी हो सकते हैं .<br />यह भी सच है कि उनके श्रम को हर पुरुष प्रधान समाज में अक्सर कमतर आँका जाता है. <br />नरेगा अगर भ्रष्टाचार मुक्त हो जाये तो देश की तस्वीर बदल जाये .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-28305908467918692702010-04-13T20:37:28.562+05:302010-04-13T20:37:28.562+05:30आज का नायिका चित्रण (भेद ) अच्छा लगा.आज का नायिका चित्रण (भेद ) अच्छा लगा.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40815228801000290182010-04-13T20:08:24.025+05:302010-04-13T20:08:24.025+05:30नर्म कलाइयों को हालात कठोर बना देते हैं।
इसी को अ...नर्म कलाइयों को हालात कठोर बना देते हैं।<br />इसी को अनुकूलन कहते हैं।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.com