tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post8843826638178316011..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: भारतीय समाज की विवशताएँ! Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-10387750461165121622016-06-11T20:14:44.640+05:302016-06-11T20:14:44.640+05:30मैं तो अपने निर्णय पर अडिग रहा, बेटे की दहेज रहित ...मैं तो अपने निर्णय पर अडिग रहा, बेटे की दहेज रहित शादी 2014 में की। प्रवीण जी नोट करिये। Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48897310451592862142016-06-11T20:05:19.343+05:302016-06-11T20:05:19.343+05:30:):)Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-42425501152686262482013-07-09T18:59:57.139+05:302013-07-09T18:59:57.139+05:30@वादा प्रवीण जी! मैं लूँगा नहीं (अब आप सरीखे मित्र...@वादा प्रवीण जी! मैं लूँगा नहीं (अब आप सरीखे मित्रों और ब्लॉग लेखन के कारण इतना त्याग तो बनता है ;-) .............मुझे नहीं लगता कि कौस्तुभ के इतने बुरे दिन आयेगें कि उन्हें इस तरह वाला "बियाह" करना पड़ेगा ! :) अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4616588663695641082013-06-16T07:22:57.869+05:302013-06-16T07:22:57.869+05:30रश्मि जी
आपकी बात सही लगती है ...मुझे विश्वास है क...रश्मि जी<br />आपकी बात सही लगती है ...मुझे विश्वास है कुछ ऐसा ही होगा ><br />मनोबल बढाने के लिए आभार ! रचना जी हमेशा डराने वाली बात ही<br />करती हैं :-( Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-42796670913895951722013-06-15T23:54:02.511+05:302013-06-15T23:54:02.511+05:30रचना जी,आपने कहा ,
"आप अपने पुत्र के विवाह म...रचना जी,आपने कहा ,<br /> "आप अपने पुत्र के विवाह में किसी से भी किसी प्रकार का दहेज नहीं लेंगे<br />tab log kahengae baetae me khot haen <br />jaraa kisi ladki waale sae keh kar daekhiyae "hamae dahej nahin chahiyae " shadi honi hi mushkil ho jayegi bichare bachchae ki ."<br />यह लोगों का भ्रम है. मेरे भाई की शादी को सत्रह साल हो गए. पिताजी ने एक पैसा दहेज़ में नहीं लिया था . उसकी शादी में कोई मुश्किल नहीं हुई. मेरी भाभी भी इंजिनियर है . अपने माता-पिता की इकलौती संतान है. उसके माता- पिता अपनी बेटी को बहुत कुछ देना चाहते थे .पर न मेरे पिता न मेरे भाई ,दोनों ही तैयार नहीं थे कुछ लेने को. शादी के पहले साल उनके घर में टी.वी. ..फ्रिज कुछ नहीं था .आज आलीशान बँगला है. तीन गाड़ियां हैं..दोनों ने अपनी मेहनत से जुटाए हैं. <br />rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-35786996872254535672013-06-15T23:47:59.545+05:302013-06-15T23:47:59.545+05:30@मगर देने से नहीं बचूंगा! :-(
ऐसा क्यूँ सोचना है?...@मगर देने से नहीं बचूंगा! :-(<br /><br />ऐसा क्यूँ सोचना है?? निश्चय ही आपकी पुत्री उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही होगी. और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की राह पर भी होगी.फिर क्यूँ उसकी शादी में दहेज़ देना है ? उच्च पदस्थ लड़के भी बिना दहेज़ लिए शादी करते हैं. लव मैरिज में तो खैर करते ही हैं पर अरेंज्ड मैरिज में भी ऐसे लड़के मिल जाते हैं लेकिन इसके लिए जाति की दीवार तोड़नी होती है.और महानगरों में आजकल हर जाति-प्रदेश के लोगों का रहन-सहन एक सा ही होता है. इसलिए एडजस्ट करने में परेशानी नहीं होती.<br /><br />मेरी एक सहेली है ,पति-पत्नी दोनों बिहार के एक गाँव से हैं. रहन-सहन बिलकुल परम्परावादी. दो बेटियाँ हैं दोनों को उंची शिक्षा दिलाई. बड़ी बेटी MBA करने के बाद एक अच्छी कम्पनी में ऊँचे पद पर है.दो साल तक उन्होंने अपनी जाति में बिना दहेज़ की शादी करनेवाला अच्छा लड़का ढूंढा ,नहीं मिला.फिर जाति की दीवार हटा दी और छः महीने में ही दूसरी जाति का एक बहुत ही अच्छा लड़का मिल गया और बिना एक पैसा दहेज़ दिए शादी संपन्न हो गयी. <br />हमारे ब्लॉग जगत में भी एक मशहूर महिला ब्लॉगर हैं जिन्होंने अपनी बेटी को उंची शिक्षा दिला कर आत्मनिर्भर बनाया और बिना दहेज़ के दूसरी जाति के लड़के से अरेंज्ड मैरेज करवाई है. दो साल हो गए उस लड़की की शादी के .दोनों बहुत सुखी हैं. rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23716189522419139032013-06-14T11:13:47.243+05:302013-06-14T11:13:47.243+05:30इसमें कोई दो राय नही कि राह बड़ी कठिन है। किन्तु ब...इसमें कोई दो राय नही कि राह बड़ी कठिन है। किन्तु बस कठिन है। नामुमकिन नही है।<br /><br />@मैं बेटे के विवाह में दहेज नही लूँगा । स्वागत योग्य निर्णय :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-56554155839425554682013-06-13T22:36:27.934+05:302013-06-13T22:36:27.934+05:30ये किससे छुपा है जरुरत आमूल परिवर्तन की है ये किससे छुपा है जरुरत आमूल परिवर्तन की है राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-27483827215332261252013-06-13T19:30:00.047+05:302013-06-13T19:30:00.047+05:30विवशताएँ नहीं , अज्ञानता , अशिक्षा , धर्म भीरुता ...विवशताएँ नहीं , अज्ञानता , अशिक्षा , धर्म भीरुता और मूर्खता है। <br />इसलिए हम आज भी पिछड़े हुए हैं। <br />जाति को बढ़ावा किसने दिया , यह तो सभी अच्छी तरह जानते हैं। डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85260274696769744712013-06-12T20:14:08.994+05:302013-06-12T20:14:08.994+05:30आप पहाड़ों को ख़तम करके नदी नाले ढूंढ़ने निकले है...आप पहाड़ों को ख़तम करके नदी नाले ढूंढ़ने निकले हैं विषमता प्रकृति का मूल है इसके बिना जीवन कहाँ और उसका महत्व शून्य Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70336740607835633812013-06-12T19:55:45.020+05:302013-06-12T19:55:45.020+05:30विवश हैं, अवश नहीं, जीवन चलता रहेगा, नयी पीड़ी अपन...विवश हैं, अवश नहीं, जीवन चलता रहेगा, नयी पीड़ी अपना मार्ग निकाल ही लेगी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-71369257364714733522013-06-12T16:14:03.009+05:302013-06-12T16:14:03.009+05:30दहेज़ एक कलंक है ...
सिर्फ इसके कारण मानव मन में प...दहेज़ एक कलंक है ...<br />सिर्फ इसके कारण मानव मन में पड़ी गुत्थियों का निकालना असंभव हो जाता है !<br />शुभकामनायें !<br />Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38824841519588535982013-06-12T13:37:05.641+05:302013-06-12T13:37:05.641+05:30समाज पे हमेशा ही बाह्य शक्तियों के प्रभाव पढते रहत...समाज पे हमेशा ही बाह्य शक्तियों के प्रभाव पढते रहते हैं और परिवर्तन की सूक्ष्म गति चलती रहती है ... शायद तभी हम सनातन धर्म में भी विश्वास करते हैं ... पर कोई न कोई समय ऐसा जरूर आया होगा जब मार्गदर्शक कर्तव्य-च्युत हो गए होंगे और (जैसा की आज भी है) ये कुपरिवर्तन हमारा अंग बन गया होगा ... बदलाव तो आएगा क्योंकि परिवर्तन सतत क्रिया है ...कब आएह ये समय बताएगा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-12548207305521915002013-06-12T13:28:10.799+05:302013-06-12T13:28:10.799+05:30सच है ..बहुत ही कठिन राह है.
इनमें से कुछ से तो ह...सच है ..बहुत ही कठिन राह है. <br />इनमें से कुछ से तो हम अपने व्यक्तिगत लेवल पर बच जाते हैं. पर कुछ का पालन करना ही पड़ता है :(.विवशताएँ हैं .shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47941715654665675112013-06-12T13:21:14.280+05:302013-06-12T13:21:14.280+05:30बेहतर शिक्षा दीक्षा और खुला पारिवारिक परिवेश बच्चो...बेहतर शिक्षा दीक्षा और खुला पारिवारिक परिवेश बच्चों में स्वावलंबन और स्वतंत्र निर्णय का संस्कार डालता ही है ...मेरे<br />बच्चे किसी भी प्रतिबन्ध से मुक्त हैं - अगर वे अपना निर्णय खुद लेते हैं तो मुझे आपत्ति नहीं होगी !मैं जीवन में दुहरे मानदंड नहीं अपनाता !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-27234300446754267912013-06-12T12:02:55.211+05:302013-06-12T12:02:55.211+05:30samaj ki yah kuch gahari vindmbanaayen hai ...par ...samaj ki yah kuch gahari vindmbanaayen hai ...par upaay kai baar dur dur tak najar nahi aate hain acchi lagi yah post रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-7108091628879331282013-06-12T11:06:31.305+05:302013-06-12T11:06:31.305+05:30आप अपने पुत्र के विवाह में किसी से भी किसी प्रकार ... आप अपने पुत्र के विवाह में किसी से भी किसी प्रकार का दहेज नहीं लेंगे<br />tab log kahengae baetae me khot haen <br />jaraa kisi ladki waale sae keh kar daekhiyae "hamae dahej nahin chahiyae " shadi honi hi mushkil ho jayegi bichare bachchae ki <br /><br /><br />problem kaa solution haen jinka vivaah honaa haen unko apna nirnay laenae kae liyae mukt kar dae <br />betaa yaa beti 25 saal ke baad naukri karnae kae baad apnae aap apni pasand sae vivaah karae aur maataa pitaa kaa role kewal atithi kae rup me aashirwaad daenae kaa ho <br /><br />jis din samaaj apni santaan ko ungli par nachaanaa band kar daegaa aur yae sochna band kar daegaa yae reeti riwaj haen badlaav tab hi ayegaa <br /><br />aap kaa yae niranay galat hogaa agr aap apne putr kae vivaah me dahej lae yaa naa lae iskaa nirnay karaegae <br />uskae jeevan kae nirnay usko karnae diyae jayae <br /><br />aur wahii baat putri par bhi laagu ho <br /><br /><br />प्रौढ़ों को यौन शिक्षा की जरुरत है yae baat ek dam sahii haen रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9703011511136796082013-06-12T08:21:31.903+05:302013-06-12T08:21:31.903+05:30वादा प्रवीण जी! मैं लूँगा नहीं (अब आप सरीखे मित्रो...वादा प्रवीण जी! मैं लूँगा नहीं (अब आप सरीखे मित्रों और ब्लॉग लेखन के कारण इतना त्याग तो बनता है ;-)<br />मगर देने से नहीं बचूंगा! :-( Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-60053437105148321382013-06-12T08:15:41.490+05:302013-06-12T08:15:41.490+05:30.
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न ये विडंबनायें हैं और न ही विवशतायें ही...
....<br />.<br />.<br />न ये विडंबनायें हैं और न ही विवशतायें ही...<br /><br />१- 'दहेज' के जिन्दा रहने के पीछे तो सिर्फ और सिर्फ वर और वर के परिवार का बिना कुछ खास किये धरे मोटा माल पाने का लालच है, और वे लोग बहाना बनाते हैं समाज की रीत व परंपरा निभाने का... वरना हर वर्ग, धर्म, क्षेत्रीयता और जाति में आपको ऐसे लोग मिलेंगे जिन्होंने दहेजरहित विवाह किये-कराये, और मैंने कभी नहीं सुना कि दहेज न लेने के खातिर इनको जात-समाज से बाहर किया गया हो... वैसे सर जी, आपके स्नेह का लाभ उठाते हुऐ आपकी निजता का उल्लंघन करने का दुस्साहस करते हुऐ भी आपसे यह वादा अभी और यहीं चाहूंगा कि आप अपने पुत्र के विवाह में किसी से भी किसी प्रकार का दहेज नहीं लेंगे... हम सबको आज ही से शुरूआत करनी होगी... और देखियेगा दहेज प्रथा कैसे खत्म हो जाती है...<br /><br />२- रही बात अंधविश्वासों की, तो हम सदियों से पोंगापंथ समाज रहे हैं... नजर लगना, जादू टोना, दैवीय-दानवीय प्रकोप, ग्रह-चाल, पत्थर शरीर पर पहनने के लाभ आदि आदि बेसिरपैर की बातों को मानते रहे हैं... अपने अपने हित साधने के लिये धर्म-अध्यात्म-संस्कृति के नाम पर इस पोंगापंथी को और बढ़ाया जा रहा है... आप सुबह सात बजे देखो तो सारे हिन्दी न्यूज चैनल राशिफल-टैरो-वास्तु आदि की बकवास दिखाते हैं... कई पढ़े लिखे भी इस दुष्चक्र को न समझ इस में फंस जाते हैं... मैंने बड़े काबिल डॉक्टरों के यहाँ इलाज कराते लोगों को साथ ही साथ तान्त्रिकों से भी बीमारी मिटवाने का प्रयास करते देखा है... विज्ञान और वैज्ञानिक दॄष्टिकोण का प्रचार प्रसार इस पोंगापंथी से निपटने के लिये अहम है... विज्ञान संचारकों को इन सब चीजों से टकराना होगा, खुल्लम खुल्ला लड़ाई लड़नी होगी, 'तेरी भी जय-मेरी भी जय' कहने से काम नहीं चलने वाला... पर हमारे विज्ञान संचारक टकराव से बचते हैं और पोगापंथी पुष्ट होती जाती है... ;)<br /><br />३- रही बात जाति की, तो यह एक तथ्य है कि जाति व्यवस्था वहीं ज्यादा हावी है जहाँ लोग जाति आधारित ghettos में रह रहे हैं... यह ghettos तोड़ने होंगे, हर किसी की बेहतर जीवनशैली जीने की इच्छा का लाभ उठा... तेज, नियोजित व नियम पूर्वक किया गया शहरीकरण, जहाँ नीति के तौर पर आबादी को मिक्स करने के प्रयास किये गये हों... उदारीकृत शिक्षा, और लड़के-लड़की दोनों के लिये घर से पढ़ने-रोजगार के लिये बाहर निकलने के मौके जाति व्यवस्था को ध्वस्त कर देंगे... उदाहरण के लिये बंगलौर के आईटी सेक्टर में काम करती नयी पीढ़ी की एक ही जाति है, कंपनियों में उनका स्तर और सालाना पे-पैकेज...<br /><br /><br />आभार आपका...<br /><br /><br />...<br /><br />प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4787790225757199262013-06-12T08:00:54.381+05:302013-06-12T08:00:54.381+05:30कम से कम वैसे वहशी और घृणित तो नहीं कम से कम वैसे वहशी और घृणित तो नहीं Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25086019202414470892013-06-12T07:56:42.637+05:302013-06-12T07:56:42.637+05:30vidambana bhi aur vivashta bhi vidambana bhi aur vivashta bhi Monika Jainhttps://www.blogger.com/profile/18206634037142003083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-3324700182623564502013-06-12T07:46:14.842+05:302013-06-12T07:46:14.842+05:30धीरे-धीरे इन कुप्रथाओं, कुरीतियों में कमी आ रही है...धीरे-धीरे इन कुप्रथाओं, कुरीतियों में कमी आ रही है ये अच्छी बात है. उम्मीद है अगले कुछ दशकों में दहेज़ का अंत हो जाएगा. अच्छी बात है कि स्त्रियाँ शिक्षित और आत्मनिर्भर हो रही हैं और उससे बहुत फर्क होने वाला है आने वाले दिनों में. बांकी समस्याओं की जड़ें बहुत गहरी है. उनको जाने में वक़्त तो लगेगा. अपनी आज़ादी भी तो उतनी पुरानी नहीं. लेकिन कम होते-होते खत्म भी होंगे ये.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-57610207783051491592013-06-12T06:59:08.310+05:302013-06-12T06:59:08.310+05:30हर समाज की अपनी-अपनी समस्यायें हैं। अपने यहां रेंज...हर समाज की अपनी-अपनी समस्यायें हैं। अपने यहां रेंज कुछ ज्यादा है।<br /><br />समस्याओं से निपटना है, इनको पटकना है।<br /><br />अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-87396016154374767262013-06-11T23:12:44.749+05:302013-06-11T23:12:44.749+05:30वर्जनाहीन समाज में यौन अपराध कम होते हैं -
क्या...वर्जनाहीन समाज में यौन अपराध कम होते हैं - <br /><br />क्या वाकई? संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-79382121360167452812013-06-11T22:16:20.182+05:302013-06-11T22:16:20.182+05:30बहुत ही कठिन डगर है. तामिलनाडू में अनुसूचित जातिय...बहुत ही कठिन डगर है. तामिलनाडू में अनुसूचित जातियों में 62 उपजातियां पाई जातीं हैं और उनमें भी उंच नीच है. कई लोग दूसरे जाति के हाथों का पानी तक नहीं पीते. P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.com