tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post8588203174028007648..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: जैवीयता केवल मैथुन और जगह की मारामारी (territorialism ) ही नहीं है जैसा कि मेरे कुछ काबिल दोस्त सोचते आये हैं! ..Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81600709251499428662011-02-16T22:27:03.460+05:302011-02-16T22:27:03.460+05:30यहाँ आने के पूर्व भला कहाँ जानता था कि इस अद्भुत &...यहाँ आने के पूर्व भला कहाँ जानता था कि इस अद्भुत " बहस-रस " का आस्वादन करूंगा....अब जो कर लिया तो क्या कहूँ....धन्यवाद....आभार....और क्या...!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48273555879736452072010-06-12T11:11:19.540+05:302010-06-12T11:11:19.540+05:30मनुष्य जितना ६०००० साल में नहीं बदला उतना पिछले ६०...मनुष्य जितना ६०००० साल में नहीं बदला उतना पिछले ६०० साल में बदला और जितना ६०० साल में नहीं, उतना पिछले साठ साल में। <br />चेतना का विस्फोट है यह।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-49629216520102810132010-06-10T16:58:12.953+05:302010-06-10T16:58:12.953+05:30ऐसी बौद्धिक बहसें होती रहनी चाहिए, लोगों की सोच का...ऐसी बौद्धिक बहसें होती रहनी चाहिए, लोगों की सोच का स्तर पता चलता है।<br />--------<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-68224822138583150172010-06-10T13:39:37.393+05:302010-06-10T13:39:37.393+05:30बेहतरीन आलेख , नवीन एवं उपयुक्त शब्दों का हिंदी भ...बेहतरीन आलेख , नवीन एवं उपयुक्त शब्दों का हिंदी भाषा में समावेश , हिंदी भाषा को समृद्ध करेगा , उचित और अनुचित शब्दों के बारे में भाषा विज्ञानी तय करेंगेashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-16753171006489144452010-06-10T07:36:43.382+05:302010-06-10T07:36:43.382+05:30जानकारीपूर्ण!!जानकारीपूर्ण!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41606725969560395052010-06-09T07:17:09.586+05:302010-06-09T07:17:09.586+05:30जहाँ आधुनिक जीवन शैली (अति सांस्कृतिकता /भौतिकता /...जहाँ आधुनिक जीवन शैली (अति सांस्कृतिकता /भौतिकता /सभ्यता ) के चलते तलाक अधिक होते है वहां भी दाम्पत्य निष्ठता एक आदर्श है ..<br /><br />अभी तो बस यही समझ पाए और सहमत भी ...<br /><br />पूरा लेख कई बार पढना होगा ...मैं पढने और समझने में पूरा समय लेती हूँ ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-20961758882370164182010-06-08T18:18:08.483+05:302010-06-08T18:18:08.483+05:30*सुनाहलेर =सुनहले*सुनाहलेर =सुनहलेArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8010319531702444502010-06-08T18:16:57.706+05:302010-06-08T18:16:57.706+05:30वाह अली सा , यह हुआ कोई प्रतिवाद ....आपके कहने का ...वाह अली सा , यह हुआ कोई प्रतिवाद ....आपके कहने का आशय यही है की जैवीयता इतनी हावी है कि हमने उसके नियमन के लिए ही कितने सुनाहलेर नियम बनाए हैं ! सहमत हूँ! बहुलनिष्ट प्रवृत्ति प्रवृत्ति ! सोचता हूँ ! आप सही कहते हुए लग रहे हैं -मुझे भी लगता तो कुछ ऐसा ही है ? मगर फिरे मेरे जैविकता पोषित एकल समर्पण सिद्धांत का क्या होगा ? मिट्टी में मिलाय दियों न ?<br /> !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23224055917468205462010-06-08T17:47:17.805+05:302010-06-08T17:47:17.805+05:30कारण / आकस्मिकता देर से पहुंचे खेद है !
डाक्टर ...कारण / आकस्मिकता देर से पहुंचे खेद है !<br /><br /><br />डाक्टर साहब मुझे लगता है कि बहस ट्रेक से उतर सी रही है ...क्या किसी ने ये कहा कि जैविकता की आयु सामाजिकता / सांस्कृतिकता से कम है ? या ये कि सांस्कृतिकता के वजूद में आने के बाद जैविकता शून्य हो गयी है ? ...नहीं ना ? क्या आयु / समय / काल को 'प्रभुत्व' ( डामिनेंस ) का आधार कहा जा सकेगा ? यदि आपको स्मरण हो तो मनुष्य के पशु बने रहने तक के स्तर में जैवीयता के प्रभावी होने का समर्थन हमने स्वयं किया है किन्तु समाजीकृत हो चुकने के बाद जैविकता को नम्बर दो पर रखा था ( स्मरण रहे ख़ारिज नहीं किया था ) आपका आग्रह मूलतः यह है कि " जीन ही हमारे संरक्षक हैं और हम उनके बंदी है " बाद में आप इसके समर्थन में एकलनिष्ठता का तर्क भी लाये :) मित्र सत्य कहियेगा - क्या सच में जींस / जैविकता सेक्स को लेकर एकलनिष्ठता का समर्थन करती है ? या फिर इस मूल प्रवृत्ति / सहज प्रवृत्ति / पशुतुल्य / स्वाभाविक बहु समागम के जैविक आग्रह को विवाह की रीति ( सामाजिकता ) ने अपनी एकलनिष्ठता की शर्तों के अधीन बंदी बना रखा है ! स्मरण रहे कि मुस्लिम सामाजिकता इसे अधिकतम चार की बहुनिष्ठता का बंदी बनाती है :) यदि मेरे पुत्र का पालन पोषण आप करते तो वह बेचारा आपकी एकलनिष्ठता के लिए विवश हो जाता और यदि आपके पुत्र का पालन पोषण मैंने किया होता तो ? मित्र इस विषय के परम आचार्य आप है ! क्या आपको नहीं लगता कि जींस / जैविकता चाह कर भी पशुतुल्य बहु समागम की अपनी आकांक्षा के लिए स्वतंत्र खेल नहीं कर पा रहे है बल्कि वे सामाजिकता के इशारों के मोहताज और नियंत्रण में हैं ! ये बहस निस्संदेह लम्बी है और तर्क बहुतेरे हैं पर अभी केवल इतना ही कि आदि कालीन दोपायों के काल खंड में जैविकता का स्वच्छंद राज्य था ...सही है पर फिलहाल वो सामाजिकता के नियंत्रणाधीन है और उसे सामाजिकता के निर्देशों के बाहर फुदकने की इजाजत नहीं है !<br />बहस यह नहीं है कि सृष्टि का मूल क्या था / है ...बहस ये है कि ड्राइविंग सीट पर कौन है :)<br />बहस जारी रहना चाहिये ...उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8051275421866145582010-06-08T16:39:50.044+05:302010-06-08T16:39:50.044+05:30मिश्रा जी, गजब का लिखा है आपने। पहली बार मुझे लग र...मिश्रा जी, गजब का लिखा है आपने। पहली बार मुझे लग रहा है कि मैं आपके एक-एक अक्षर का समर्थन करूँ। <br /><br />अब आते हैं 'सांस्कृतिकता' पर। <br />पता नहीं लोग क्यों लकीर के फकीर बने रहना चाहते हैं। जिस प्रकार कृत्रिम से बना कृत्रिमता हो सकता है, उसी प्रकार संस्कृति से हम 'सांस्कृतिकता' क्यों नहीं बना सकते?<br />अंग्रेजी से सीखिए हुजूर, हर साल सैकड़ों शब्द उसमें समा जाते हैं, और हम डिक्शनरी खोल कर कहते हैं कि इस नाम का शब्द इसमें तो नहीं है।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-51580391385668838522010-06-08T07:20:26.823+05:302010-06-08T07:20:26.823+05:30Samay ke sath-sath naye naye shabd bante rahte hai...Samay ke sath-sath naye naye shabd bante rahte hai aur bigadte bhi rahte hain, khair ek bahut hi rochak post. maja aa gaya.Taarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-75886433372615614022010-06-08T00:09:55.844+05:302010-06-08T00:09:55.844+05:30जैवीयता शब्द के स्थान पर जैविकता प्रयुक्त होता है ...जैवीयता शब्द के स्थान पर जैविकता प्रयुक्त होता है हिन्दी में. वैसे दोनों ही सही शब्द नहीं है संस्कृत के हिसाब से ... सही शब्द सिर्फ जैविक और जैवीय हैं.<br />फिर भी जैवीयता अधिक सही लग रहा है. हिन्दी में इस तरह के शब्द बनाने की छूट है बशर्ते वे प्रचालन में आ जाएँ ...<br />जैवीय बंधनों से समाज या संस्कृति मुक्त कहाँ हो सकती है, पर जैविक सिद्धांतों पर अधिक बल देना कम से कम मुझे सही नहीं लगता.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36532273724189221782010-06-07T22:59:30.335+05:302010-06-07T22:59:30.335+05:30गहरी जानकारी मिली ।गहरी जानकारी मिली ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85797722009799677342010-06-07T22:43:18.119+05:302010-06-07T22:43:18.119+05:30बहुत सुंदर जीबहुत सुंदर जीराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8547761044277535292010-06-07T19:38:13.182+05:302010-06-07T19:38:13.182+05:30दिनेश जी आपका प्रेक्षण बहुत सटीक है ...
जब हम विषय...दिनेश जी आपका प्रेक्षण बहुत सटीक है ...<br />जब हम विषय में डूबते हैं तो शब्द खुद ब खुद ऊपर उठ आते हैं<br />कुछ शब्द विज्ञान के अंगरेजी ज्ञान को हिन्दी में लाने के चलते नया बनते हैं /सायास बनाने पड़ते हैं .<br />आज की पोस्ट के दो नए शब्द है -.जैवीयता और सांस्कृतिकता ..<br />मैं भाषा विज्ञानियों और शब्द साधकों से पूरी विनम्रता से इन शब्दों पर गौर करने का आग्रह करूंगा !<br />जब आप इन दोनों शब्दों (जैवीयता और सांस्कृतिकता) को जोड़े में देखेगें तो ये खुद अपने को पारिभाषित होते दिखेगें !<br />हाँ विचारणीय केवल इतना है की क्या आज की हमारी सांस्कृतिक चमक ,कथित सुनहले नियम जैवीय बन्धनों से पूरी तरह मुक्त हैं ?<br /> कृपया अपना मंतव्य दें !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-87219531680073802632010-06-07T19:27:17.190+05:302010-06-07T19:27:17.190+05:30मुझे लगता है कि जैवीयता एक बिलकुल नया शब्द है जिसे...मुझे लगता है कि जैवीयता एक बिलकुल नया शब्द है जिसे आप ने पहली बार प्रयोग किया है। इसे ठीक से परिभाषित किया जाना चाहिए। यदि यह किसी अंग्रेजी शब्द का स्थानापन्न है तो उस की और इंगित किया जाना चाहिए।<br />बात मनुष्य की मूलभूत जैवीय आवश्यकताओं से आरंभ हुई थी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-11186400759076923832010-06-07T19:11:02.668+05:302010-06-07T19:11:02.668+05:30बहुत सुन्दर. सांस्कृतिकता भा गयी.बहुत सुन्दर. सांस्कृतिकता भा गयी.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-56250140744882798352010-06-07T16:40:50.020+05:302010-06-07T16:40:50.020+05:30.
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"मानव के अनेक धर्मसंकटों ,समस्याओं का ह....<br />.<br />.<br /><b>"मानव के अनेक धर्मसंकटों ,समस्याओं का हल इसी जैवीयता की बेहतर और गहरी समझ में ही निहित है ...<br /><br />आज भी एक नंगा कपि मनुष्य के भीतर सक्रिय है! उससे सावधान रहने की भी जरूरत है!"</b><br /><br />सत्य कथन!<br /><br />आभार!प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13652441160042825842010-06-07T13:20:01.831+05:302010-06-07T13:20:01.831+05:30@मुक्ति जी ,
ओफ्फोह आपने भी सांस्कृतिकता का अनुमोद...@मुक्ति जी ,<br />ओफ्फोह आपने भी सांस्कृतिकता का अनुमोदन नहीं किया मतलब गिरिजेश भैया सही थे ..<br />मगर मैं इस नए शब्द के गठन का दावा करता हूँ -सांस्कृतिकता का मतलब है संस्कृति का ऊपरी दिखावा ! हा हां !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-87541414343255514852010-06-07T13:05:38.585+05:302010-06-07T13:05:38.585+05:30सांस्कृतिकता संस्कृत में कोई शब्द नहीं है, हिन्दी ...सांस्कृतिकता संस्कृत में कोई शब्द नहीं है, हिन्दी में प्रयोग कर सकते हैं या नहीं ये हिन्दी के विद्वानों से पूछिए.<br />पोस्ट के विषय में मैं इतना कहूँगी कि मनुष्य की जैवीयता एक सत्य है, इसे अस्वीकृत नहीं किया जा सकता, पर मैं पहले भी कह चुकी हूँ कि 'जैविक निर्धारणवाद' पर ज़रूरत से ज्यादा जोर देने की मैं विरोधी हूँ. भले ही सांस्कृतिक विकास बहुत बाद में आरम्भ हुआ, पर धीरे-धीरे उसका महत्त्व बढ़ता गया है मानव विकास में. रही बात मूलभूत प्रवृत्तियों या basic instinct की तो वो स्वाभाविक है क्योंकि मनुष्य है तो आखिर जीव ही. पर मेरे विचार से सामाजिक परिस्थितियों को अनुकूल बनाकर नकारात्मक प्रवृत्तियों को दूर किया जा सकता है.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-67897667876857564242010-06-07T12:00:40.403+05:302010-06-07T12:00:40.403+05:30...प्रभावशाली व प्रसंशनीय पोस्ट !!!!...प्रभावशाली व प्रसंशनीय पोस्ट !!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36533794244784436512010-06-07T11:38:15.227+05:302010-06-07T11:38:15.227+05:30दिलचस्प...दिलचस्प...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13937935929031448982010-06-07T09:34:35.975+05:302010-06-07T09:34:35.975+05:30शोधपरक ।
प्रशंसनीय ।शोधपरक ।<br />प्रशंसनीय ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-74396121835296113972010-06-07T09:25:46.610+05:302010-06-07T09:25:46.610+05:30अच्छी और विचारणीय पोस्ट...अच्छी और विचारणीय पोस्ट...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-80459810641094751732010-06-07T08:20:40.725+05:302010-06-07T08:20:40.725+05:30मेरे लिए यह विषय बेहद रोचक है, मगर जानकारी कम है अ...मेरे लिए यह विषय बेहद रोचक है, मगर जानकारी कम है अतः मात्र अपना शिष्य मानियेगा ! गिरिजेश राव के प्रयत्न सुंदर लगते हैं मगर यह सिर्फ विद्वानों के ब्लाग को ही सुधारते हैं जो गलती अधिक करते हैं (हम जैसे ) उन्हें कोई ठीक नहीं करेगा क्या ??Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com