tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post8522409120437690597..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: लिंगपूजा :उदगम और उत्स (वैज्ञानिक विवेचन -२)Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-32148307126468303182009-02-24T16:05:00.000+05:302009-02-24T16:05:00.000+05:30इसी बहाने बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां मिल रही हैं।...इसी बहाने बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां मिल रही हैं।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78017780729173207632009-02-22T22:52:00.000+05:302009-02-22T22:52:00.000+05:30बहुत मौलिक और अद्भुत आलेख है। इसे पढ़कर बहुत कुछ न...बहुत मौलिक और अद्भुत आलेख है। इसे पढ़कर बहुत कुछ नया सोचने समजने का रास्ता मिला है।<BR/><BR/>कल शिवरात्रि है। देशभर के शिव मन्दिरों में शिवलिंग की पूजा-अर्चना होगी। महिलाएं और कुँआरी लड़किया भी मन्दिरों में जाकर जलाभिषेक करेंगी और व्रत उपवास करेंगी।<BR/><BR/>यहाँ इलाहाबाद के छात्र जीवन की याद आ रही है जब इसदिन विश्वविद्यालय के महिला छात्रावास परिसर से भारद्वाज पार्क के शिवमन्दिर तक लड़कियों का ताँता लगा रहता था। कहीं से इसमें लोकमर्यादा के हनन या “टैबू” का भान नहीं होता है। यह तो प्रकृति में जीवन का मूल आधार है। हमारे आदि मनीषियों ने इसे धर्म से जोड़कर जो महिमा प्रदान की वह स्तुत्य है।<BR/><BR/>आपकी वैज्ञानिक गवेषणा प्रशंसनीय है। मैं अन्यत्र व्यस्तता के कारण यहाँ देर से आ सका इसके लिए पश्चाताप कर रहा हूँ।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-74757700037939050122009-02-21T21:38:00.000+05:302009-02-21T21:38:00.000+05:30आचार्य संजीव 'सलिल' जी की यह काव्यात्मक टिप्पणी भी...आचार्य संजीव 'सलिल' जी की यह काव्यात्मक टिप्पणी भी प्राप्त हुयी है जिसे जस का तस् यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ ! <BR/><BR/>प्रकृति-पुरूष का मेल ही,<BR/>'सलिल' सनातन सत्य.<BR/>शिवा और शिव पूजकर,<BR/>हमने तजा असत्य.<BR/>योनि-लिंग हैं सृजन के,<BR/>माध्यम सबको ज्ञात.<BR/>आत्म और परमात्म का,<BR/>नाता क्यों अज्ञात?<BR/>गूढ़ सहज ही व्यक्त हो,<BR/>शिष्ट सुलभ शालीन.<BR/>शिव पूजन निर्मल करे,<BR/>चित्त- न रहे मलीन.<BR/>नर-नारी, बालक-युवा,<BR/>वृद्ध पूजते साथ.<BR/>सृष्टि मूल को नवाते,<BR/>'सलिल' सभी मिल माथ.<BR/>तथ्य किया इंगित, नहीं<BR/>इसमें तनिक प्रमाद.<BR/>साधुवाद है आपको,<BR/>लेख रहेगा याद.<BR/>-आचार्य संजीव 'सलिल'<BR/>sanjivsalil.blogspot.com<BR/>sanjivsalil.blog.co.in<BR/>divyanarmada.blogspot.comArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-6021258397517386152009-02-21T21:35:00.000+05:302009-02-21T21:35:00.000+05:30पौराणिक रोचक जानकारी के लिए धन्यबाद मेरे ब्लॉग पर ...पौराणिक रोचक जानकारी के लिए धन्यबाद <BR/>मेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है <BR/>http://manoria.blogspot.comप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89749593844876473622009-02-21T17:24:00.000+05:302009-02-21T17:24:00.000+05:30संयत लेखन - किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिये। नारी ...संयत लेखन - किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिये। <BR/>नारी वर्ग क्या कहेगा, कहना कठिन है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-64624563562922046972009-02-21T16:48:00.000+05:302009-02-21T16:48:00.000+05:30संयंमित भाषा ,सशक्त लेखन,अनछुआ विषय.रोचक और नयी जा...संयंमित भाषा ,सशक्त लेखन,अनछुआ विषय.<BR/><BR/>रोचक और नयी जानकारियां , सफल प्रस्तुति -अगले भाग का इंतज़ारAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-27746494787096765872009-02-21T13:17:00.000+05:302009-02-21T13:17:00.000+05:30आप के लेख में कोई नयी बात नहीं है. प्राणि शास्त्र,...आप के लेख में कोई नयी बात नहीं है. प्राणि शास्त्र, समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र के विद्यार्थी यह सब जानते हैं. शिव लिंग की पूजा प्रचलित होने का मूल भी यहीं है. आप न संकोच करें, न भय जो पढ़ा-समझा निस्संकोच लिखें. मैं आप के कथ्य से सहमत हूँ. <BR/> एक बात और.. सिर्फ़ लिंग ही नहीं योनी की भी पूजा होती है वामाचार में. जबलपुर में चौंसठ योगिनी मन्दिर में देवी मूर्तियों में नीचे योनी के चिन्ह हैं. केवल योनी की मूर्तियाँ कम हैं पर हैं. वामाचार के कारण दशरथ के दरबार से महर्षि जाबाली बहिष्कृत किये गए थे. लिंग और योनी की अलग-गहन चिन्तन तथा वैज्ञानिक अवधारणा है. हमारे पोंगा पंडितों ने कर्म-कांड, अवैज्ञानिक दृष्टान्तों तथा कपोल कल्पित कथाओं से न केवल सत्य छिपाया अपितु जन-मन को सदियों से भ्रमित किया है. आपका लेख भ्रमों पर आघात करता है.<BR/>-sanjivsalil.blogspot.com<BR/>-divyanarmada.blogspot.comDivya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65466088486974775132009-02-21T00:58:00.000+05:302009-02-21T00:58:00.000+05:30बहुत ही सुंदर ढंग से आप ने अपने इस लेख को लिखा है ...बहुत ही सुंदर ढंग से आप ने अपने इस लेख को लिखा है फ़िर धार्मिक भावनाये आहत केसे होगी हम सब शिव लिंग को भी तो पुजते है, <BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-110167358212202452009-02-20T23:34:00.000+05:302009-02-20T23:34:00.000+05:30आदरणीय अरविंद जी, महाशिवरात्रि के शुभ अवसर आपका ये...आदरणीय अरविंद जी, महाशिवरात्रि के शुभ अवसर आपका ये वैज्ञानिक तथ्यों से सजा हुआ लेख बहुत सामयिक बन पड़ा है। बहुत आभार इसके लिए आपका।बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-43795525106209919022009-02-20T22:59:00.000+05:302009-02-20T22:59:00.000+05:30नारीवादी विचारक यह मानते हैं कि पुरुषों में लिंग-प...नारीवादी विचारक यह मानते हैं कि पुरुषों में लिंग-प्रदर्शन की प्रवृत्ति होती है.इसके द्वारा वे अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं.यही प्रवृत्ति जब समाजीकरण की प्रक्रिया द्वारा बालक के मन में घर कर जाती है तो वह ख़ुद को नारी से श्रेष्ठ और उसे कमतर मानने लगता है.अक्सर हम अपने आस-पास परिवारों में देखते हैं कि छोटे लड़के के लिंग को लेकर हँसी-मजाक किया जाता है ,जबकि छोटी बच्ची के प्रजनन -अंगों को ढककर रखा जाता है .आपने अपने लेख में बहुत ही महत्वपूर्ण बात को सरल शब्दों में व्यक्त किया है .निश्चित ही लिंग-पूजा का सम्बन्ध श्रेष्ठता के प्रदर्शन से है ,चाहे वह स्त्री से हो या अन्य पुरुषों से .muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-51180229545313830402009-02-20T18:25:00.000+05:302009-02-20T18:25:00.000+05:30बहुत सी बातें हम नही जानते हैं आपने वैज्ञानिक ढंग ...बहुत सी बातें हम नही जानते हैं आपने वैज्ञानिक ढंग से इस बात को बताया है ..शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23926598053007237692009-02-20T17:49:00.000+05:302009-02-20T17:49:00.000+05:30बहुत बढिया. विशुद्ध वैज्ञानिक और दार्शनिक आधारों प...बहुत बढिया. विशुद्ध वैज्ञानिक और दार्शनिक आधारों पर चल रहा है. कोई आहत हो तो होने दें, आप जारी रहें.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78154738011991590082009-02-20T15:02:00.000+05:302009-02-20T15:02:00.000+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-37851093033498643262009-02-20T14:13:00.000+05:302009-02-20T14:13:00.000+05:30वो धार्मिक भावना ही क्या जो आलेखों से आहत हो जाय ?...वो धार्मिक भावना ही क्या जो आलेखों से आहत हो जाय ? बहुत बढ़िया चल रही है श्रृंखला.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-68675135339182525792009-02-20T12:28:00.000+05:302009-02-20T12:28:00.000+05:30नर सरीखा व्यवहार (जिसमें लिंग प्रदर्शन की एक मुख्य...नर सरीखा व्यवहार (जिसमें लिंग प्रदर्शन की एक मुख्य भूमिका है) जहा दबंगता (डामिनेन्ट ) का परिचायक है,<BR/><BR/>------------------------- संभवतः इसी कारण मनुष्यों में सार्वजनिक लिंग प्रदर्शन नहीं होता. आप नोट करें पुरुष ग्रुप में शौच या स्नान नहीं करते jabकि स्त्रियां कर लेती हैं क्योंकि स्त्रियों में ऐसी परम्परा नहीं होती स्वभावतः.........<BR/><BR/> बहरहाल pichhli post ki tippaniyon me मेरी कुछ पंक्तंयों से आप को संबल मिला jaan kar मैं कृतार्थ हुआ.योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-26805671398467021662009-02-20T11:49:00.000+05:302009-02-20T11:49:00.000+05:30दिलचस्प आलेख है सारगर्भित भाषा में .निसंदेह जानका...दिलचस्प आलेख है सारगर्भित भाषा में .निसंदेह जानकारी पूर्वक भी.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70040113302959701892009-02-20T11:48:00.000+05:302009-02-20T11:48:00.000+05:30"लिंग" का एक अर्थ "प्रतीक" भी है। क्या लिंग पूजा स..."लिंग" का एक अर्थ "प्रतीक" भी है। क्या लिंग पूजा से आशय परमात्मा के प्रतीक की पूजा से नहीं हो सकता है?Sanjeevhttps://www.blogger.com/profile/16613354300792808697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70823485802813954902009-02-20T11:10:00.000+05:302009-02-20T11:10:00.000+05:30अच्छी जानकारी,अच्छी भावना से, अच्छी भाषा में।अच्छी जानकारी,अच्छी भावना से, अच्छी भाषा में।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-11204972285850401662009-02-20T11:08:00.000+05:302009-02-20T11:08:00.000+05:30मानव के विकास के साथ-साथ 'लिंग-पूजा' के स्वरुप का ...मानव के विकास के साथ-साथ 'लिंग-पूजा' के स्वरुप का भी क्रमिक विकास होता गया. कई नई जानकारियां भी मिल रही हैं इस श्रंखला से.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-50798389498626265912009-02-20T10:53:00.000+05:302009-02-20T10:53:00.000+05:30बहुत अच्छा आलेख है. इससे बेहतर इस वोषय पर लिख पाना...बहुत अच्छा आलेख है. इससे बेहतर इस वोषय पर लिख पाना शायद ही संभव हो..साधुवाद.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-12082270478173021082009-02-20T10:39:00.000+05:302009-02-20T10:39:00.000+05:30Thanks for this type of information on 'LING PUJA...Thanks for this type of information on 'LING PUJA' with respected language. SANJAYAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-49197905583775314102009-02-20T10:31:00.000+05:302009-02-20T10:31:00.000+05:30डिस्कवरी पर एक प्रोग्राम देखा था.. जोधपुर के वानरो...डिस्कवरी पर एक प्रोग्राम देखा था.. जोधपुर के वानरो पर आधारित था.. उसमे भी लगभग यही बात कही थी.. वानर अपने दल से पृथक किसी दूसरे वानर को देखते ही उग्र हो जाता है.. शक्ति प्रदर्शन तो देयखहा था लाइव मगर उसमे वानर को लिंग का प्रदर्शन करते नही देखा.. मगर ज़रूरी नही की उसमे जो नही देखा वो हो ही नही.. <BR/><BR/>अभी तक के आलेख से तो नही लगता किसी की धार्मिक भावना आहत हो सकती है.. हा हिस्ट्री चैनल पर भी नगा साधुओ को लिंग से वजन उठाते हुए देखा है.. वीनस मंदिर की जानकारी नही थी.. कार्टून वेल उदाहरण से आपने बढ़िया बात कही... <BR/><BR/>खुशी है की अभी जारी हैकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29113933701439257412009-02-20T09:53:00.000+05:302009-02-20T09:53:00.000+05:30बहुत ही वैज्ञानिक आधार पर लिखा गया ये आलेख आपके अन...बहुत ही वैज्ञानिक आधार पर लिखा गया ये आलेख आपके अन्य लेखों की तरह ही बहुत पसंद आया और जानकारी मे वृ्द्धि हुई. <BR/><BR/>अगले भाग का इन्तजार है.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9308901860405199172009-02-20T09:39:00.000+05:302009-02-20T09:39:00.000+05:30जैसा मैं ने आलेख 1 में कहा था, पिछले 35 साल से इस ...जैसा मैं ने आलेख 1 में कहा था, पिछले 35 साल से इस विषय के वैज्ञानिक अध्ययन में मेरी रुचि रही है. लेकिन इतने सालों में जितने लेख दिखे हैं उन में सबसे अधिक वैज्ञानिक आधार पर आपका यह लेख चल रहा है. लिखते रहें. <BR/><BR/>सस्नेह -- शास्त्रीShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-87207293937920234452009-02-20T09:07:00.000+05:302009-02-20T09:07:00.000+05:30जानकारी अच्छी है। इस से किसी की धार्मिक भावनाएं आह...जानकारी अच्छी है। इस से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत होने का सवाल नहीं है। इन तथ्यों को सामने लाना आज की आवश्यकता भी है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com