tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post6266811006536780240..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: देवता उसने कहा था ....Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82323250481746269972009-02-28T18:27:00.000+05:302009-02-28T18:27:00.000+05:30सुन्दर गीत ...धन्यवाद.सुन्दर गीत ...धन्यवाद.समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-59823803988558184172009-02-28T01:09:00.000+05:302009-02-28T01:09:00.000+05:30सब ने बहुत तारीफ़ कर दी हम तो यु कुछ कहे गे कि हर स...सब ने बहुत तारीफ़ कर दी हम तो यु कुछ कहे गे कि हर सुबह मै बहुत गुनगुनाता हुं कोई सुंदर सा गीत, कई बार इन गोरो को अच्छा नही लगता, लेकिन मुझे खुश देख कर पूछते जरुर है क्या बात है बहुत खुश हो... तो मै उन्हे कहता हूं, भगवान ने आज का दिन फ़िर से उपहार मै हमे दिया आओ तुम सब भी खुशियां मनाओ... बहुत सुंदर लगा आप का लेख.<BR/>धन्यवाद, हिमांशु जी का भी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-60121525829715806692009-02-28T00:07:00.000+05:302009-02-28T00:07:00.000+05:30Bachchan jee ki kavita yaad karvane ka shukriya. (...Bachchan jee ki kavita yaad karvane ka shukriya. <BR/><BR/>( sorry to comment in Eng. I'm away from my PC )लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-88879138770943110872009-02-27T19:00:00.000+05:302009-02-27T19:00:00.000+05:30आप चाहे तो बच्हन की कई कविताएं एच एम् वी पर उपलब्...आप चाहे तो बच्हन की कई कविताएं एच एम् वी पर उपलब्ध है कुछ में मन्ना डे का स्वर है कुछ में अमिताभ का...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15203950746872666292009-02-27T17:59:00.000+05:302009-02-27T17:59:00.000+05:30@सुधीजन ,हिमांशु ने भावानुवाद प्रस्तुत कर दिया है...@सुधीजन ,हिमांशु ने भावानुवाद प्रस्तुत कर दिया है -उनका यह स्नेहार्पण मुझे कृत्यर्थ कर गया -भावानुवाद के तो कहने ही क्या और उस पर फिर से बच्चन जी की पंक्तियाँ मानो व्यक्त भावों में चार चाँद लगा रही हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-87752536987111228952009-02-27T17:48:00.000+05:302009-02-27T17:48:00.000+05:30द्विवेदी जी ,लगता है आप पर भी सांकृतायन जी के जूता...द्विवेदी जी ,लगता है आप पर भी सांकृतायन जी के जूता पुराण का पूरा प्रभाव पड़ गया है -कैसा रसभंग किया है आपने ! (मजाक )Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89608762556272490242009-02-27T16:06:00.000+05:302009-02-27T16:06:00.000+05:30स्कूल में बच्चन साहब की कुछ कविताओ को धुन दी थी.. ...स्कूल में बच्चन साहब की कुछ कविताओ को धुन दी थी.. वो भी एक अलग रोमांच था.. उनके लिखे में एक कमाल का फ्लो होता है.. यकीन मानिए उनसे इस कदर इनस्पाइर हुआ था तब.. की नौंवी क्लास में स्कूल की लाइब्ररी से मधुशाला उठाकर ले आया... पर तब समझ में नही आई थी... पर शब्दो को ले में बाँधना बहुत बढ़िया था... आज की कविता को भी उसी लय में पढ़ा... पुरानी यादे ताज़ा हो गयी.. <BR/><BR/>शुक्रिया आपका.. इस पोस्ट को पढ़वाने के लिए..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61514569517650308902009-02-27T13:49:00.000+05:302009-02-27T13:49:00.000+05:30गोद मन्दिर बन गयी थी दे नए सपने गयी थी किन्तु जब आ...गोद मन्दिर बन गयी थी <BR/>दे नए सपने गयी थी <BR/>किन्तु जब आँखे खुली तो<BR/>कुछ न था मंदिर जहां था <BR/>देवता उसने ....<BR/>" bhut sundr or bhavatmk panktiyan...aabhar aapka inhe yhan pdhvane ka ..hme bhi intjaar hai Himanshu ji ke bhavarth ka.."<BR/><BR/>Regards<BR/><BR/>regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-36724569697757192652009-02-27T13:43:00.000+05:302009-02-27T13:43:00.000+05:30मुझे भी हिमांशु जी के जवाब का ही इंतजार है ।मुझे भी हिमांशु जी के जवाब का ही इंतजार है ।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70835655695199709612009-02-27T13:00:00.000+05:302009-02-27T13:00:00.000+05:30आपके अनुग्रह का सदैव आकांक्षी हूँ। देर से आया हूँ,...आपके अनुग्रह का सदैव आकांक्षी हूँ। देर से आया हूँ, नहीं जानता था, इस योग्य भी समझा जाउंगा। आपके स्नेह की शक्ति से इस क्षुद्र-मति ने जो भी किया उसे प्रेषित कर चुका हूँ । यद्यपि जानता हूँ कि ऐसे कार्य हम जैसे लोगों के लिये कालिदास की भाषा में 'तर्तुं उडुपेनापि सागरम्' जैसा प्रयास है, पर फिर भी…Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65967317954251554702009-02-27T11:31:00.000+05:302009-02-27T11:31:00.000+05:30बहुत ही सुन्दर और जबरदस्त गेय कविता है, जो किसी ...बहुत ही सुन्दर और जबरदस्त गेय कविता है, जो किसी भी युवा मन को आकृष्ट कर सकती है। बसंत के मौसम में ऐसे गीत याद आए, तो इसमें आपकी खता क्या है।<BR/><BR/>आभार, इतना सुन्दर गीत पढवाने के लिए।<BR/><BR/>जाकिर अली रजनीशScience Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47103348316792872452009-02-27T11:20:00.000+05:302009-02-27T11:20:00.000+05:30बच्चन जी की यह कविता बहुत सुन्दर है...इसको पढ़वाने...बच्चन जी की यह कविता बहुत सुन्दर है...इसको पढ़वाने का धन्यवाद कुछ रचनाये यूँ ही जहन पर छाई रहती है ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17628175403208531942009-02-27T11:15:00.000+05:302009-02-27T11:15:00.000+05:30इस कविता पर संक्षित टिप्पणी देने और यहां देने के ल...इस कविता पर संक्षित टिप्पणी देने और यहां देने के लिए आभार।222222222222https://www.blogger.com/profile/03001125920425180811noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72824205856978661202009-02-27T10:57:00.000+05:302009-02-27T10:57:00.000+05:30अक्सर हमारे साथ भी हुआ है. लेकिन कविता कभी सर नहीं...अक्सर हमारे साथ भी हुआ है. लेकिन कविता कभी सर नहीं चढी. पुराने फ़िल्मी या गैर फ़िल्मी गीत सूरज के साथ साथ वे भी ढल जाते हैं. रात को याद करने की जित्ती भी कोशिश करो दुबारा याद नहीं आते.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-83842661567621880852009-02-27T10:54:00.000+05:302009-02-27T10:54:00.000+05:30बच्चन जी की रचना पढ़वाने का शुक्रिया ।हिमांशु जी...बच्चन जी की रचना पढ़वाने का शुक्रिया ।<BR/><BR/>हिमांशु जी द्वारा किए जाने वाले भावार्थ का इंतजार रहेगा ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4909694115179624322009-02-27T10:34:00.000+05:302009-02-27T10:34:00.000+05:30सृजन से जुड़े लोगों के साथ ऐसा होता है शायद. यह सही...सृजन से जुड़े लोगों के साथ ऐसा होता है शायद. यह सही कहा आपने कि कालजयी पंक्तियों के जरिये हम अपनी बात शायद और भी प्रभावपूर्ण तरीके से कह सकते हैं.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-7722699290357410412009-02-27T09:41:00.000+05:302009-02-27T09:41:00.000+05:30इस कविता ने कुछ घटनाएँ याद आ रही है जो महेन्द्र ने...इस कविता ने कुछ घटनाएँ याद आ रही है जो महेन्द्र नेह सुनाते हैं कि एक सज्जन के पूर्वजों का बनाया शिव मंदिर था। वे सट्टा लगाते थे। जिस दिन खुल गया उस दिन खूब पूजा होती थी महल्ले के सब बच्चों को दूध पिलाया जाता था। जिस दिन सट्टे में रकम हाथ से निकल जाती थी वे उस दिन की पूजा जूतों की जोड़ी से किया करते थे। दो चार दिन बाद फिर लाभ हुआ कि पूजा कायदे से होती थी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-64223955106392466612009-02-27T09:24:00.000+05:302009-02-27T09:24:00.000+05:30बहुत आभार आपका. श्री हि्मांशु जी के जवाब का इन्तजा...बहुत आभार आपका. श्री हि्मांशु जी के जवाब का इन्तजार करते हैं.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.com