tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post6028391184144346651..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: पहेलियाँ तो मेरे पिता जी बूझा करते थे और वह भी बिना गूगलिंग किये .....Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger72125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-53265491750457861822010-11-17T17:26:56.618+05:302010-11-17T17:26:56.618+05:30आशीष जी ,बहुत कुछ है जो नहीं भी दिखा ,सारा मामला इ...आशीष जी ,बहुत कुछ है जो नहीं भी दिखा ,सारा मामला इसलिए थोडा अप्रिय हुआ कि एक मोहतरमा ने जो बुर्के के पीछे कोई और है ने मेरे विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की ....जिसका जवाब तस्लीम पर मैंने दिया ..उन्होंने फिर अहमकाना जवाब दिया ..वे मोहतरमा ई मेल वाले शख्स से जुडी हैं या वे वही भी हो सकती हैं ..मुझे मुखौटे और दुरभिसंधियां बेहद नापसंद हैं ..और मैं उनके प्रति रिएक्टिव होता हूँ ..इसलिए इतना मेरी दृष्टि में जरूरी था .....आप पूरे परिप्रेक्ष्य को देख नहीं पा रहे हैं -मुझे अपना फोन नंबर दें आपसे बात भी कर सकता हूँ !<br />किसी भी मुद्दे पर आलोचना प्रत्यालोचना एक स्वस्थ विचारधारा है और उसे अगर कोई कलेजे पर लेता है तो ले ,बला से !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48098594707204028552010-11-17T09:05:21.498+05:302010-11-17T09:05:21.498+05:30@ नाम कहाँ गोपनीय है...........वो तो सीधा दिख रहा ...@ नाम कहाँ गोपनीय है...........वो तो सीधा दिख रहा है.आशीष मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/15289198446357998161noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58444897463584897502010-11-17T08:45:42.134+05:302010-11-17T08:45:42.134+05:30@आंशिक सहमति -ई मेल की पूरी बात नहीं बताई गयी और न...@आंशिक सहमति -ई मेल की पूरी बात नहीं बताई गयी और नाम गोपनीय रखा गया .यह कम नहीं है बाकी असहमति का अधिकार आपको पूरा है ..मैं खुद व्यक्ति पूजा नहीं पसंद करताArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4453794262232814712010-11-17T08:40:41.502+05:302010-11-17T08:40:41.502+05:30आदरणीय श्री अरविंद मिश्रा जी नमस्कार,
सर आपने एक ब...आदरणीय श्री अरविंद मिश्रा जी नमस्कार,<br />सर आपने एक बहुत ही अच्छा मुद्दा उठाया है,<br />आपने यहाँ कई बातें कही, मुझे कुछ समझ में आया कुछ नहीं.<br />कारण यह कि मैं अन्य लोगों की तरह इतना ज्ञानी और समझदार नहीं हूँ.<br />मै इस चिट्ठाजगत मे नया हूँ, और इसकी विशेषताओं से भी अंजान हूँ.<br />आप लोगों से उम्र और ज्ञान में तो न जाने कितना छोटा हूँ.<br />पर सर मुझे यहाँ एक बात बहोत बुरी लगी..........<br />जानते हैं क्या..............................?<br />आपने अपनें टिप्पणीयों में किसी के ई-मेल को शामिल कर लिया है.<br />मेरी दृष्टि में आपने ये बहोत गलत किया.<br />जब किसी ने आपसे इस पोस्ट के संबंध में एक निजी ई-मेल करके आपसे कुछ पुछना चाहा तो आपने उन बातों को यहाँ टिप्पणी बॉक्स में शामिल कर लिया............<br />और आपने उसका उत्तर भी यहीं देना उचित समझा.................?<br />आखिर ऐसा क्यों.......................?<br />मैं जानता हूँ कि मै छोटा मुँह बड़ी बात कर रहा हूँ..........<br />पर क्या करूँ ये बात मुझसे सहन नहीं हुई.....<br />मै ये बात बहोत पहले कहना चाहता था............<br />पर ना जाने क्यों मैं चाह कर भी आपसे ये नहीं कह पाया............<br />लेकिन आज ये कह रहा हूँ.........<br />इस दृष्टता के लिये यदि आप मुझे कोई द्ण्ड भी देंगे तो वो सहर्ष स्वीकार है....आशीष मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/15289198446357998161noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4800484730013400592010-11-13T20:57:59.106+05:302010-11-13T20:57:59.106+05:30पोस्ट पढ़ी, आपके पटाक्षेप तक की टिप्पणियाँ भी.
@ ...पोस्ट पढ़ी, आपके पटाक्षेप तक की टिप्पणियाँ भी. <br />@ अल्पना जी, आपने याद किया तो मैं आ गयी. थोड़ी देर ज़रूर हुयी. इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ. अरविन्द जी की बात सही है, लेकिन आपकी भी बात ठीक है कि गूगल पर खोजने के लिए भी थोड़ा पूर्व ज्ञान आवश्यक है. <br />पूरी पोस्ट और टिप्पणियाँ पढ़कर अच्छा लगा क्योंकि विषय पर गंभीरता से चर्चा हुयी है.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-34462367281839555612010-11-12T13:40:02.002+05:302010-11-12T13:40:02.002+05:30चलो बधाई हो सभी को..................... भुकंप शांत...चलो बधाई हो सभी को..................... भुकंप शांत हो गया.........................:)आशीष मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/15289198446357998161noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-12373791191623508842010-11-12T12:43:59.954+05:302010-11-12T12:43:59.954+05:30टिप्पणियाँ देख कर लगता है कि पहेली सुलझने के बजाये...टिप्पणियाँ देख कर लगता है कि पहेली सुलझने के बजाये उलझ गयी है।तभी तो मुझे केवल जीवन की पहेली सुलझाने मे अधिक आनन्द आता है। काफी ग्यान बढा यहाँ आ कर। सभी को शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-18660964854778731572010-11-12T09:37:17.160+05:302010-11-12T09:37:17.160+05:30मानव स्वभाव :
जीवन से जुड़े सभी समस्यायों का जवाब म...मानव स्वभाव :<br />जीवन से जुड़े सभी समस्यायों का जवाब मेरे पास नहीं है . भौतिकी<br />और गणित यह तो बता सकते हैं कि ब्रह्मांड विकसित कैसे हुआ , मगर ज्यादा कारगर नहीं हैं मानव स्वभाव का अंदाजा लगा सकें क्योकि यहाँ बहुत समीकरण हैं -मैं और की तुलना<br />में खुद को असफल पाता हूँ जानने में कि लोगों को अच्छा<br />क्या लगता है ,खासकर औरतों को!<br />स्टीफेन हाकिंगArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-90647856813703315452010-11-12T09:18:33.405+05:302010-11-12T09:18:33.405+05:30८.९५/१०
सुन्दर पोस्ट.
बधाई
प्रणाम
शुभकामनाएं.८.९५/१० <br /><br />सुन्दर पोस्ट. <br />बधाई<br />प्रणाम <br />शुभकामनाएं.उस्ताद जी जूनियर होशियारपुर वालेnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70058610279060135772010-11-12T08:42:21.809+05:302010-11-12T08:42:21.809+05:30क्या बात कही है सतीश जी! पूरा इत्तेफाक है !क्या बात कही है सतीश जी! पूरा इत्तेफाक है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-34344546238733026692010-11-12T08:34:53.162+05:302010-11-12T08:34:53.162+05:30उस्ताद जी जो भी हैं ...नाटकीय हैं !
उद्देश्य युक्त...<strong><br />उस्ताद जी जो भी हैं ...नाटकीय हैं !<br />उद्देश्य युक्त मार्किंग करके यह सिर्फ कुछ लोगों को खुश करने व अपने अनुयायियों को बढ़ावा देने की सोची समझी बेईमानी है ! ऐसी प्रवृत्तियों को नकारा जाना चाहिए ! <br /><br />खुद को विश्व का उस्तादजी बताने की प्रवृत्ति से ही इस व्यक्ति की मानसिकता का पता चल जाता है ! ऐसे बुद्धिधारी लोगों से और ईमानदारी की अपेक्षा क्यों करें ??<br /><br />अफ़सोस है कुछ लोग इनकी तारीफों के कसीदे पढ़ते हैं ....<br /><br />जिन अनामियों द्वारा दूसरों की निंदा करना स्पष्ट उद्देश्य हो उनकी प्रतिक्रिया नहीं छापना चाहिए ! <br /><br />अगर किसी का विरोध करना ही हो तो वही बात हँसते हुए अथवा शिकायती लहजे में भी, की जा सकती है ! इसके लिए हम लिख कर विरोधी विचारों का नाम लेकर अपमान करें, यह सिर्फ हमारी कुत्सित भावना का परिचायक है और कुछ नहीं ! </strong>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-34768182030853321522010-11-12T08:30:21.036+05:302010-11-12T08:30:21.036+05:30ओ जी हूँण मुकावो वी गळल नुं !!!
पंजाबी वाक्य
मतल...ओ जी हूँण मुकावो वी गळल नुं !!!<br />पंजाबी वाक्य <br />मतलब<br />अब बात(मामला) खत्म कर दी जाए <br />सादरDarshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23186724564324593412010-11-12T08:22:44.824+05:302010-11-12T08:22:44.824+05:30@ सतीश सक्सेना जी
"आभार किसी को तो नटखट बच्चो...@ सतीश सक्सेना जी<br />"आभार किसी को तो नटखट बच्चों का ख्याल आया हा हा हा हा " <br /><br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48299430039671253712010-11-12T08:18:36.460+05:302010-11-12T08:18:36.460+05:30आपके और प्रकाश गोविन्द जी के सवाल जवाब कुछ कुछ रहस...<strong> आपके और प्रकाश गोविन्द जी के सवाल जवाब कुछ कुछ रहस्यमय और एक दूसरे पर शंका लिए हुए लगते हैं !<br /> <br />आपकी उपरोक्त पोस्ट मेरे विचार से विवादित नहीं होनी चाहिए, इन्टरनेट से सर्च कर दिए गए जवाब कुछ दिनों में ईनाम पाने वाले को ही याद नहीं रहेंगे औरों के ध्यान देने की तो बात ही छोड़ दें ! इस प्रकार की पहेली पोस्ट को पसंद एक विशेष वर्ग ही करेगा और शायद इसीलिये इस प्रकार की पोस्ट लिखी जा रही हैं ! अगर एक विशेष वर्ग में लेखक और पाठक दोनों खुश हैं तो हमें क्या फर्क पढता है ........??<br /><br />उन्हें आनंद लेने दीजिये !<br /><br />गूगल से उत्तर तलाश कर, जवाब देना केवल नक़ल प्रवृत्ति को ही बढ़ावा देता है ! ऐसा आनंद नटखट बच्चे उठाते रहे हैं और ऐसे बच्चों की आज भी कमी नहीं है .......<br /><br />क्यों न उन्हें आनंद लेने दिया जाये ?? <br /><br />भारी भरकम बुद्धि के यह लोग जब मुस्कराते भी हैं तो लगता है, धन्य कर दिया वे इन प्रश्न पहेलियों को न ही पढ़ें तभी ठीक है ! <br /><br />बच्चों को खुश होने दो यार.......<br /> </strong>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61520998005344201002010-11-12T07:01:59.956+05:302010-11-12T07:01:59.956+05:30मेरा जवाब -
आप इस तरह की बातें आखिर क्यों करते ह...मेरा जवाब -<br /><br />आप इस तरह की बातें आखिर क्यों करते हैं ?<br />इसलिए कि हम किसी कट्टर साम्यवादी या इस्लामी देश के वासी नहीं हैं<br /><br />आदरणीय अरविन्द जी<br />नमस्कार !!<br /><br />नमस्कार जी ,<br /><br /><br />आशा है आप प्रसन्नचित्त होंगे !<br /><br />मैं ज्यादातर प्रसन्नचित्त ही रहता हूँ ...<br /><br /><br />कल रात में मुझे दर्शन जी ने फोन किया !<br /><br />तो वे आपको फोन करते हैं ,यह तो अच्छी बात है<br /><br />मैं थोड़ा व्यक्तिगत मसलों में उलझा हुआ था !<br /><br />उस्ताद जी ने पोस्टों को पढने का काम आपको ही तो ठेके पर नहीं दे दिया है :)<br /><br /><br />मैं सवेरे से सब कुछ देख रहा हूँ ... आपकी पोस्ट भी पढ़ी !<br /><br />देखिये न भाई ईश्वर ने दो आँखे इसलिए ही दी हैं ,कृपा की आपने मेरी पोस्ट पढ़कर<br /><br />चकित भी हूँ और दुःख भी है !<br /><br />भला क्यों ,ऐसा क्या हो गया -दुखती रंग दबी क्या ?<br /><br /><br />आप इस तरह की बातें आखिर क्यों करते हैं ?<br /><br />हम सिरफिरे हैं जी ,पागल दीवाना<br /><br />क्या ऐसी बातें हम जैसे पहेली के शौकीनों के लिए अपमानजनक नहीं है ?<br /><br />आलोचनाएँ अपमान कब से होने लगीं<br /><br />क्या आपको अंदाजा है कि इस पहेली के लिए हम लोग क्या-क्या सहते हैं ?<br />नहीं जी ,मगर क्यूं ?<br /><br />कितना समय बर्बाद करते हैं ?<br /><br />अपने लिए या समाज के लिए<br /><br />कितनी ही बार तो नुकसान का सामना भी करना पड़ता है !<br /><br />अपने लिए या समाज के लिए<br /><br />आपने एक पंक्ति में सब धो के रख दिया !<br /><br />मैंने अपना पक्ष रखा है और वह मैं अपनी जिम्मेदारी समझता हूँ<br /><br />एक बात और<br />ध्यान दीजियेगा<br />जीतने वाला हमेशा २-४ मिनट के भीतर ही सही जवाब देता है !<br />आपके लिए ये मजाक है ?<br /><br />प्रतिभा का दुरूपयोग मजाक से भी बढ़कर है<br /><br />मजा तो तब है कि आप भी ऐसा करके दिखाएँ !<br /><br />मैंने ऐसे मजे लेने कबके छोड़ दिए ,१९८७ में आकाशवाणी की सलाहकार समिति में विज्ञान कार्यक्रमों का परामर्शदाता था तो वैज्ञानिक क्विज कार्यक्रम जो डॉ अरविन्द दुबे एम डी देखते थे ,मेरे पर्यवेक्षण में होता था ..यह केवल इसलिए बता दिया कि अब मुझे निरा गोबर गणेश ही मत मान लीजिये :)<br />तब मैं आपकी हर एक बात मान लूँगा !<br />आईये खेल के मैदान में !<br /><br />ललकारिये मत नकलबाजी के लिए जी ,मै बौद्धिकता को दागदार नहीं करना चाहता ..और जो खेल आप खेल रहे हैं वह मेरे मन का नहीं है<br /><br />ज्यादा कुछ कहूँगा तो स्वयं का गुण गान होगा !<br />फिर भी अगर किसी तरह की शंका हो तो कुछ प्रमाण आपको दिखाना चाहूँगा !<br />ऐसे प्रमाण जिसमें गूगल जैसी चीज के बिना भी स्वयं को साबित किया है !<br />वो भी एक प्रमाण नहीं पचासों प्रमाण !<br />एक छोटा सा प्रमाण देता हूँ<br />पता कीजियेगा आप<br />लखनऊ में एफ एम जीनियस मैं चार बन चुका हूँ<br />मेरे अलावा कोई दो बार भी नहीं बन पाया आज तक<br />ये क्विज प्रोग्राम ओन लाईन होता है !<br /><br />मैंने भी अपना एक प्रमाणपत्र ऊपर दे दिया है ...<br />आपकी एक फैन ने मुझे पहले से ही काफी खरी खोटी सुना दी है ,मैं यही दुआ करता हूँ कि आप वह स्वयं न हों !<br /><br />मुझे नकाब और मुखौटे लगाए लोग सख्त नापसंद हैं ,यहाँ अपवाद केवल उन्मुक्त जी हैं!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-88838008705665130632010-11-12T06:13:43.369+05:302010-11-12T06:13:43.369+05:30यह प्रतिक्रया मेल से प्राप्त हुयी -
आप इस तरह की ...यह प्रतिक्रया मेल से प्राप्त हुयी -<br /><br />आप इस तरह की बातें आखिर क्यों करते हैं ?<br /><br /><br />आदरणीय अरविन्द जी<br />नमस्कार !!<br />आशा है आप प्रसन्नचित्त होंगे !<br />कल रात में मुझे दर्शन जी ने फोन किया !<br />मैं थोड़ा व्यक्तिगत मसलों में उलझा हुआ था !<br />मैं सवेरे से सब कुछ देख रहा हूँ ... आपकी पोस्ट भी पढ़ी !<br />चकित भी हूँ और दुःख भी है !<br />आप इस तरह की बातें आखिर क्यों करते हैं ?<br />क्या ऐसी बातें हम जैसे पहेली के शौकीनों के लिए अपमानजनक नहीं है ?<br />क्या आपको अंदाजा है कि इस पहेली के लिए हम लोग क्या-क्या सहते हैं ?<br />कितना समय बर्बाद करते हैं ?<br />कितनी ही बार तो नुकसान का सामना भी करना पड़ता है !<br />आपने एक पंक्ति में सब धो के रख दिया !<br />एक बात और<br />ध्यान दीजियेगा<br />जीतने वाला हमेशा २-४ मिनट के भीतर ही सही जवाब देता है !<br />आपके लिए ये मजाक है ?<br />मजा तो तब है कि आप भी ऐसा करके दिखाएँ !<br />तब मैं आपकी हर एक बात मान लूँगा !<br />आईये खेल के मैदान में !<br /><br />ज्यादा कुछ कहूँगा तो स्वयं का गुण गान होगा !<br />फिर भी अगर किसी तरह की शंका हो तो कुछ प्रमाण आपको दिखाना चाहूँगा !<br />ऐसे प्रमाण जिसमें गूगल जैसी चीज के बिना भी स्वयं को साबित किया है !<br />वो भी एक प्रमाण नहीं पचासों प्रमाण !<br />एक छोटा सा प्रमाण देता हूँ<br />पता कीजियेगा आप<br />लखनऊ में एफ एम जीनियस मैं चार बन चुका हूँ<br />मेरे अलावा कोई दो बार भी नहीं बन पाया आज तक<br />ये क्विज प्रोग्राम ओन लाईन होता है ! <br /><br /><br />-- <br /> <br /> प्रकाश गोविन्द<br /> लखनऊ<br />www.aajkiaawaaz.blogspot.comArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-34502046394974056232010-11-12T05:38:28.127+05:302010-11-12T05:38:28.127+05:30बूझे-बूझे लालबुझक्कड़ और ना बूझे कोय,
पाँव में चक्...बूझे-बूझे लालबुझक्कड़ और ना बूझे कोय,<br />पाँव में चक्की बाँध के हिरन छलांगा होय.<br />उस्ताद जी से सहमत.. जो पोस्ट को उत्तम कहे उसके मुँह में घी-शक्कर.. जो कमियों की तरफ इशारा करे उस पर जूतम-पैजार.. ये सही है जी.. :)दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78956693187962270762010-11-12T01:19:34.283+05:302010-11-12T01:19:34.283+05:30सतीश सक्सेना जी मैं सोंच रहा हूँ, इंसान की पहचान न...सतीश सक्सेना जी मैं सोंच रहा हूँ, इंसान की पहचान नामक पहेली शुरू कर दूं.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17917530661511726452010-11-12T00:18:15.172+05:302010-11-12T00:18:15.172+05:30लाल बुझक्कड़ बूझते और न बूझे कोय
-समीर लाल बुझक्क...लाल बुझक्कड़ बूझते और न बूझे कोय<br /><br />-समीर लाल बुझक्कड़ बूझते और न बूझे कोयUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9250990609840270572010-11-11T22:50:03.585+05:302010-11-11T22:50:03.585+05:30:-)
प्रेमरस.कॉम:-)<br /><br /><br /><br /><br /><br /><br /><a href="http://www.premras.com" rel="nofollow"> <br />प्रेमरस.कॉम<br /><br /></a>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-54558371554119663012010-11-11T21:17:18.502+05:302010-11-11T21:17:18.502+05:30hmm.....तो इतना सारा भाष्य हो चुका है इस मसले पर :...hmm.....तो इतना सारा भाष्य हो चुका है इस मसले पर :)<br /><br /> पहले दो तीन पहेली वाली पोस्टों पर मैं भी गया था लेकिन बाद में इच्छा ही नहीं हुई इस तरह के पोस्टो पर जाने की। इस तरह के पोस्टों पर जाना खुद ब खुद बंद कर दिया। यह मामला भी तब पढ़ा जब ब्लॉगजगत में राय मांगी गई थी कि बताओ किसको क्या दूं....वगैरह वगैरह। <br /><br /> सो, अपन तो बिन पहेलिये ही बहेलिये बने यदा कदा ब्लॉगजगत में घूमते हैं कि कहीं कोई अच्छी पोस्ट दिखे और बहेलिये की तरह शिकार कर उसका आनंद लें लिया, पढ़ लिया, गुन लिया। <br /> <br /> यह नहीं कि अलहदा बातों को लेकर ऐसा नहीं तो क्यों... और वैसा नहीं तो फिर क्यों... यदि वैसा है ही तो फिर भला ऐसा ही क्यों नहीं :)<br /> <br /> वैसे पोस्ट और टिप्पणीयां दोनों राप्चिक हैं। एकदम धुँआधार।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13326839430762666632010-11-11T20:13:00.588+05:302010-11-11T20:13:00.588+05:30@ यह हमें ही नहीं हमारी आने वाली पीढी की जुगुप्सा ...@ यह हमें ही नहीं हमारी आने वाली पीढी की जुगुप्सा ,सहज जिज्ञासा और प्रतिभा के परीक्षण के लिए निश्चय ही एक शुभ लक्षण नहीं है ..<br /><br />जुगुप्सा के प्रयोग पर थोड़ा प्रकाश डालिए न!गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-22706062122253109612010-11-11T19:40:26.808+05:302010-11-11T19:40:26.808+05:30पहेलियाँ पूछना और बूझना दोनों आसान नहीं है. गुगल ब...पहेलियाँ पूछना और बूझना दोनों आसान नहीं है. गुगल बाबा का क्या किया जाये जिनके पास बूझने और पूछने के साधन मौजूद हैं. <br />पहेलियाँ अगर कौतूहल पैदा करता है तो सार्थक है अन्यथा गूगल बाबा हैं हीM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70337471016042828642010-11-11T19:05:49.692+05:302010-11-11T19:05:49.692+05:30अली भाई ,
ये मास्कधारी ऐसे ही होते हैं यानि मुंह औ...अली भाई ,<br />ये मास्कधारी ऐसे ही होते हैं यानि मुंह और मुखौटा और ..<br />साथ ही यह भी कितने पुरानी और सच्ची बात है न कि परदेशियों से न अंखिया मिलाना ..हा हाArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72809035165926888452010-11-11T18:59:18.463+05:302010-11-11T18:59:18.463+05:30अरविन्द जी
तस्लीम पर टिप्पणियां पढते हुए कल सोचा ...अरविन्द जी <br />तस्लीम पर टिप्पणियां पढते हुए कल सोचा था कि पहेलियां 'आई क्यू टेस्ट' में गिनी जायेंगी या 'मेमोरी टेस्ट' में ? फिर ...इरादा किया कि आज पोस्ट लिखूंगा इस विषय पर लेकिन वक़्त ही नहीं मिला ! अब शाम को आपकी पोस्ट पर टिप्पणियों को पढकर इरादा तर्क किया !<br /><br />मेरे हिसाब से आयोजकों को नियमावली पहले ही घोषित करना चाहिये थी,वो चाहे जैसे भी होती , मित्र अगर मर्ज़ी होती तो सहमत होकर पहेली बूझते या फिर नहीं !<br /><br />व्यक्तिगत रूप से मैं इस विधा का क़ायल नहीं पर इस बात से सहमत हूँ कि हिंट बतौर लाइफ लाइन का प्रोसीजर इसमें पहले से ही मौजूद है , केबीसी ने अल्बत्ता गिनती चार कर दी !<br /><br />मेरे ख्याल से तस्लीम को पहेली बूझन कार्यक्रम फिलहाल रद्द कर देना चाहिये क्योंकि इस कार्यक्रम से ज्ञान के बजाये वैमनष्य अधिक बढता दिखाई दे रहा है , व्यक्तिगत आक्षेप की हद तक ! यदि जरुरी हो तो इसे नये फार्मेट में शुरु किया जा सकता है !<br /><br />एक बात और जो चलते चलते कहना ज़रुरी लग रही है :)<br />यहां छद्मनामधारी जी के कमेंट का एक वाक्य और तस्लीम में नामधारी जी के कमेंट का एक वाक्य हूबहू कैसे है ?<br /><br />इस वाक्य में एक मंतव्य निहित है इसलिये बात कुछ खास हुई :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.com