tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post5898994388898257216..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: यह नायिका है एक विरहिणी ,परकीया हो या फिर गृहणी!Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-63429568705222141862009-11-12T18:37:19.234+05:302009-11-12T18:37:19.234+05:30बहुत कुछ महत्वपूर्ण छोड़ दिया था मैंने ।
गजब चल र...बहुत कुछ महत्वपूर्ण छोड़ दिया था मैंने । <br /><br />गजब चल रहा है विमर्श, गजब चल रही है श्रृंखला । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-54173484046793358552009-11-11T10:47:51.000+05:302009-11-11T10:47:51.000+05:30कुछ चर्चाएँ दोतरफा संवाद से कितनी अर्थवान बन जाती ...कुछ चर्चाएँ दोतरफा संवाद से कितनी अर्थवान बन जाती हैं, कोई यहाँ देख सकता है....Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40060151583649014752009-11-10T00:03:36.450+05:302009-11-10T00:03:36.450+05:30हमें तो विद्यापति याद आये. इंटरमिडीयेट में पहली ही...हमें तो विद्यापति याद आये. इंटरमिडीयेट में पहली ही कविता थी श्रृंगार रस से लबालब :) और उस उम्र में भरपूर आनंद आता था उसे पढ़ कर.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-21973294943506948072009-11-09T20:23:45.946+05:302009-11-09T20:23:45.946+05:30@अल्पना जी आगे के विवरणों में जरा सतर्क दृष्टि रखे...@अल्पना जी आगे के विवरणों में जरा सतर्क दृष्टि रखें मीनाकुमारी भे दिख ही जायेगीं ! आभार !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-84662446126270769062009-11-09T18:37:04.518+05:302009-11-09T18:37:04.518+05:30आप को छोड़ कर कुल 17 टिप्पणीदाताओं में 7 नारियाँ ह...आप को छोड़ कर कुल 17 टिप्पणीदाताओं में 7 नारियाँ हैं - 41%। विषय लगभग समान रूप से नर नारी को आकर्षित कर रहा है। यह एक महती सिद्धि है। विषय है ही ऐसा - हमारे कोमल पक्ष को छूता है। <br />मुक्ति जी ने नायक विमर्श प्रारम्भ कर के आप की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब आप क्लासिकी कलेवर में नायकों के बारे में नया क्या लिखेंगे - यह उत्सुकता है। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि आप केवल नायिका भेद पर लिखें और वह नायक भेद पर ? एक सुझाव बस है।<br /> ______________________<br />मनुष्य हृदय ही जटिल है। पुरुष हृदय भी सम्भवत: नारी के लिए उतना ही जटिल होता होगा जितना नारी हृदय पुरुष के लिए। विमर्श की आवश्यकता क्यों पड़ी<br />?इसलिए कि दोनों अधूरे हैं - अधूरेपन से जुड़ी उत्सुकता और पूर्णता प्राप्त करने की आशक्ति श्रृंगार की सृष्टि करती है।<br /> प्राचीन काल में भेद विमर्श जनजीवन में दोनों की भूमिका से जुड़े रहे हैं। सामंती सभ्यता के प्रभाव क्लासिक नायिका भेद पर स्पष्ट हैं। नारी केवल भोग का सामान बना दी गई थी। लेकिन क्या बस इसीलिए विमर्श न किया जाय? विमर्श तो सूप है भूसे से तत्त्व निकाल लेने का। <br />जननी होने के कारण प्रकृति ने नारी को कुछ अनूठे गुण स्वभाव से नवाजा है, इस बहाने उन पर भी चर्चा हो जाएगी। <br />_______________________<br />संक्षिप्तता खटकती है लेकिन केवल साहित्य में उपलब्ध का ही अवलोकन कराना उद्देश्य हो तो क्या किया जा सकता है। यात्रा चालू रखें। हम पिछलग्गे हैं।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-24160887685038596712009-11-09T13:53:08.120+05:302009-11-09T13:53:08.120+05:30आपकी पोस्ट पढकर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के दौ...आपकी पोस्ट पढकर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान पढ़े गये विरह वर्णन याद आ रहे हैं। उन तमाम जानकारियों को रिन्यू करने के लिए आभार।<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-7149898980559914642009-11-09T01:33:35.246+05:302009-11-09T01:33:35.246+05:30यह बहुत ही रोचक श्रृंखला आपने शुरू की है....
इतनी ...यह बहुत ही रोचक श्रृंखला आपने शुरू की है....<br />इतनी प्रकार की नायिकाएं ?<br />आपने जो विवरण प्रस्तुत किया है...हम पाठकों के लिए अद्वितीय जानकारी है.....आपका ह्रदय से आभार....अगली कड़ी की प्रतीक्षा है....स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81047497153707907102009-11-08T23:15:11.568+05:302009-11-08T23:15:11.568+05:30अरविन्द जी,
प्रोषितप्रिया अथवा प्रोषितभर्तृका नायि...अरविन्द जी,<br />प्रोषितप्रिया अथवा प्रोषितभर्तृका नायिका के विषय में आचार्य धनंजय की कारिका है,"दूरदेशान्तरस्थे तु कार्यतः प्रोषितप्रिया" जिस नायिका का प्रिय किसी कार्य से दूर देश में स्थित होता है, वह प्रोषितप्रिया कहलाती है. यहाँ "प्रिय" ही कहा गया है पति नहीं. यह एक प्रकार की विरहिणी नायिका है.<br /> आपने कहा है कि क्या मैं नायिकाओं के संस्कृत नामों को सरल हिन्दी में सुझा सकती हूँ, तो यह असंभव है क्यों कि इससे उनके अर्थ भी बदल सकते हैं. रही बात अल्पना जी की शंका समाधान की तो मैं अपने ब्लॉग "नारीवादी-बहस" में एक लेख लिख रही हूँ नायक-भेद के विषय में.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-55640783369943166852009-11-08T22:59:24.305+05:302009-11-08T22:59:24.305+05:30शुक्रिया इन जवाबों के लिए.
अंत में एक और प्रश्न..&...शुक्रिया इन जवाबों के लिए.<br />अंत में एक और प्रश्न..'साहब ,बीवी और गुलाम' फिल्म की उपेक्षित नायिका मीना कुमारी क्या ' बिरहन 'की इस श्रेणी में आती है?वह भी तो एक क्लासिक चरित्र है.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82988055247344464972009-11-08T22:13:22.044+05:302009-11-08T22:13:22.044+05:30बताते रहिये , नहीं तो क्लासिक
का मजा छूटता रहेगा...बताते रहिये , नहीं तो क्लासिक <br /><br />का मजा छूटता रहेगा |<br /><br /> बढ़िया प्रस्तुति ...Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-52374576737980692092009-11-08T22:00:22.020+05:302009-11-08T22:00:22.020+05:30राजराजा वर्मा के सुंदर चित्र हैं। वैसे विरह के दिन...राजराजा वर्मा के सुंदर चित्र हैं। वैसे विरह के दिन बीत गए- फोन, वेबकैम और इंटरनेट के दिन जो आ गए:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45157813577877673772009-11-08T19:54:06.199+05:302009-11-08T19:54:06.199+05:30बिहारी सतसई याद आ गयी।
बढ़िया राग छेड़ा है एक वैज्...बिहारी सतसई याद आ गयी।<br />बढ़िया राग छेड़ा है एक वैज्ञानिक रसिक ने। हम भी रसलीन हो रहे हैं। :)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-66818852728591433902009-11-08T19:22:15.696+05:302009-11-08T19:22:15.696+05:30@@अल्पना जी .लगता तो नहीं की आपने उत्तर जानने के ...@@अल्पना जी .लगता तो नहीं की आपने उत्तर जानने के लिहाज से ही इंगित प्रश्नों को पूंछा हो ! फिर भी मुझे जो उत्तर सूझता है वह यह है -<br />१-इस दुखी नायिकाओं के पास हमेशा एक विश्वसनीय सखी कैसे होती है?<br /><br />यह रचनाकार की युक्ति है जिससे वह काल सापेक्ष साहित्य में नारी की विभिन्न अवस्थाओं की ,रस की निष्पत्ति के दृष्टि से विस्तारित वर्णन कर सके -नारी मन पुरुष के लिए हमेशा एक गुत्थी रही है अनसुलझी सी -सखी न होती तो गुमसुम नायिका रचनाकार के किस काम की थी ?और इन सखी /दूतियों का सहारा लेकर और क्या गुल खिलाया गया है वह भी आगे देखिएगा ! <br /><br /><br />२-क्या पति के चले जाने के बाद ये अपने मायके में होती हैं?या ससुराल में इनकी इतनी शीघ्र सखियाँ बन जाती है?<br /><br />नायिका सर्वव्यापी है .और उसके कई रूप हैं -आप उसे पत्नी के रूप में ही सीमित कर रही हैं ! शायद आपको पता हो पुराने ज़माने में स्वकीया नायिका अपने साथ अपनी प्रिय दूती को भी ले जाती थी ! <br /><br /><br />३-ये सभी नायिकाएं अपने मन की हर बात कहने में इतनी समर्थ कैसे होती हैं?या जो खुल कर कह सके वही नायिका हुई?<br /><br />नायिका ने क्या कहा ? जो कुछ कहा रसिक रचनाकार ने कहा ! <br /><br />आशा है शायद कुछ हद तक आपकी प्रिच्छाओं का यथा बुद्धि समाधान कर सका होऊँ !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-71858079377533756892009-11-08T19:18:55.706+05:302009-11-08T19:18:55.706+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25064861357705671682009-11-08T19:01:24.055+05:302009-11-08T19:01:24.055+05:30@अल्पना जी ,रुचिकर हस्तक्षेप -जी हाँ यहाँ की वर्णि...@अल्पना जी ,रुचिकर हस्तक्षेप -जी हाँ यहाँ की वर्णित नायिकाएं क्लासिक (साहित्य की )हैं -मगर मूड्स शायद अभी भी मिलते जुलते हों जैसे आप ने कुछ उद्घाटित किया है -दरअसल नारी मन बहुत संवेदनशील और जटिल है -पुरुषों की नजर से उसकी व्याख्या एक टेढी खीर रही है -खुशी है यहाँ दोनों पक्षों के अनिषेधित संवाद से कोई साफ़ तस्वीर उभर सके ! आपके विचारों का आगे भी स्वागत रहेगा -दिनेश जी भी सुन रहे होगें ! (उन्होंने अपनी टिप्पणी में विषय के विस्तार का अनुरोध किया था )Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-35569516745725600602009-11-08T18:55:39.466+05:302009-11-08T18:55:39.466+05:30यह तो औरत का रुप है बस देखने का तरीका अलग-अलग है।यह तो औरत का रुप है बस देखने का तरीका अलग-अलग है।IMAGE PHOTOGRAPHYhttps://www.blogger.com/profile/07648170539684419518noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76143985573244358252009-11-08T18:07:39.782+05:302009-11-08T18:07:39.782+05:30virah vedna ka sajeev chitran kiya hai...........a...virah vedna ka sajeev chitran kiya hai...........adbhut.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29792395615839850322009-11-08T16:48:22.614+05:302009-11-08T16:48:22.614+05:30विरहिणी नायिका.
मेरे प्रश्न-
१-इस दुखी नायिकाओं क...विरहिणी नायिका.<br />मेरे प्रश्न-<br /> १-इस दुखी नायिकाओं के पास हमेशा एक विश्वसनीय सखी कैसे होती है?<br />२-क्या पति के चले जाने के बाद ये अपने मायके में होती हैं?या ससुराल में इनकी इतनी शीघ्र सखियाँ बन जाती है?<br />३-ये सभी नायिकाएं अपने मन की हर बात कहने में इतनी समर्थ कैसे होती हैं?या जो खुल कर कह सके वही नायिका हुई?<br />मेरे ख्याल से में ये सब एक कल्पना लोक की Classic नायिकाएं हैं..<br />वास्तव में Real life mein ऐसी नायिका की विरह वेदना को न किसी को सुनने का समय होता है न हर किसी stri में इतनी क्षमता की वह खुल कर कह सके.<br /> आज भी ऐसी नायिकाएं हैं.. आज के समय में फरक यही है की वे खुद व्यस्त रखती हैं और रोना धोना खुद तक रखती हैं-<br />विरहिणी हर समय काल में थी और हैं.aaj उनके रूप में परिवर्तन है और वेदना को जताने के तरीके बदल गए हैं अब वे महज किताबी नहीं रह गए.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-74890012016656219192009-11-08T15:41:51.643+05:302009-11-08T15:41:51.643+05:30@@क्या सचमुच हम इतना बदल चुके हैं डॉ गुप्ता ? बहरह...@@क्या सचमुच हम इतना बदल चुके हैं डॉ गुप्ता ? बहरहाल यह तो शाश्वत क्लासिकी राग है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-20451898610294086532009-11-08T15:25:49.908+05:302009-11-08T15:25:49.908+05:30चित्र बड़े ही मनोहारी हैं। बाकि आज कोई विरहणी कम ही...चित्र बड़े ही मनोहारी हैं। बाकि आज कोई विरहणी कम ही मिलती हैं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78432904014129109222009-11-08T15:23:57.542+05:302009-11-08T15:23:57.542+05:30वाह वाह क्या बात है! बहुत बढ़िया लिखा है आपने! बहु...वाह वाह क्या बात है! बहुत बढ़िया लिखा है आपने! बहुत खूब! सुंदर तस्वीरों के साथ शानदार प्रस्तुती!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-3119890267166960222009-11-08T14:10:33.522+05:302009-11-08T14:10:33.522+05:30वाह आप ने ऎसी नारी की दशा व्यान कि जिस का पति विदे...वाह आप ने ऎसी नारी की दशा व्यान कि जिस का पति विदेश मै गया हो...... लेकिन हमारे फ़ोजी भाईयो की बीबीयो का क्या हाल होगा..... कभी इस पर भी लिखे.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-49559435173597473402009-11-08T11:39:12.429+05:302009-11-08T11:39:12.429+05:30बहुत सुंदर श्रंखला चल रही है. इस मरुभुमी के से मा...बहुत सुंदर श्रंखला चल रही है. इस मरुभुमी के से माहौल मे सुखद लग रही है ऐसी पोस्ट पढना.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4867390944853642612009-11-08T08:44:07.869+05:302009-11-08T08:44:07.869+05:30bahut hi badhiya laga..... virah - vedna ka achcha...bahut hi badhiya laga..... virah - vedna ka achcha chitran kiya hai aapne............डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89695774066290588942009-11-08T08:14:28.445+05:302009-11-08T08:14:28.445+05:30तस्वीरें नायिका की विरह वेदना को उभारने में कामयाब...तस्वीरें नायिका की विरह वेदना को उभारने में कामयाब रही है ...नायिकाओं की मर्यादित विवेचना के लिए आपका आभार ...खुबसूरत तस्वीरों के लिए अदाजी को बहुत धन्यवाद ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.com