tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post5410230843531203964..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: कोई अधिकारी ऐसा तो है जो मुझसे बहस करने की हिम्मत रखता है( सेवाकाल संस्मरण -13) Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-73871487497639502102013-12-06T18:43:33.537+05:302013-12-06T18:43:33.537+05:30॒सरकारी तंत्र में सिद्धान्त के ऊपर व्यवहार की दबंग...॒सरकारी तंत्र में सिद्धान्त के ऊपर व्यवहार की दबंगई अक्सर दुखी करती है......बिलकुल सही है ...यह एक प्रकार के अज्ञान की उपज है , मुझे लगता है .....मैं इसी प्रकार के मामले में मानवाधिकार आयोग की सहायता ले रहा हूं , CAT भी काम की चीज है ! :) अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-69938630059009293932013-12-06T18:37:11.492+05:302013-12-06T18:37:11.492+05:30१. आपके इस ब्लाग पर आकर पोस्ट्स बिना पढ़े वापस जाना...१. आपके इस ब्लाग पर आकर पोस्ट्स बिना पढ़े वापस जाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ;) मैं कुछ और करने के पहले बस एक बार देखने आया था लेकिन पूरा पढ़ना पड़ा , इतना रोचक है .<br />२..... अच्छा , अगर इस (उप निदेशक मत्स्य ) मुहावरे में मत्स्य की जगह मछली प्रयोग किया जाय तो कैसा रहेगा ! ! ! ......एक बार बोल कर देखते हैं ...उप निदेशक मछली :) :) :) अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41786361532987887362013-12-02T18:35:40.106+05:302013-12-02T18:35:40.106+05:30सरकारी तंत्र में सिद्धान्त के ऊपर व्यवहार की दबंगई...सरकारी तंत्र में सिद्धान्त के ऊपर व्यवहार की दबंगई अक्सर दुखी करती है। इस तंत्र की दक्षता भी उसी अनुपात में नष्ट होती है जिस अनुपात में फौरी/ निजी लाभ के लिए सिद्धान्तों और नियमों से समझौता कर लिया जाता है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-33937109666200815002013-12-02T17:08:07.711+05:302013-12-02T17:08:07.711+05:30स्पष्टवादी होना कष्ट देता है , मगर इसके कई लाभ भी ...स्पष्टवादी होना कष्ट देता है , मगर इसके कई लाभ भी हैं ! स्मृतियों के आत्मकथात्मक अंश ख़ासा रोचक है। वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-50260579096706686662013-12-02T10:56:13.353+05:302013-12-02T10:56:13.353+05:30aapka idea likiyane wala hai......umeed hai bare b...aapka idea likiyane wala hai......umeed hai bare bhaiji 'vichar' karenge............<br /><br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17970730513651242412013-12-02T07:53:43.915+05:302013-12-02T07:53:43.915+05:30ट्रान्सफर तो जब भी होता है... बिना हंगामे के नहीं....ट्रान्सफर तो जब भी होता है... बिना हंगामे के नहीं. चाहे वो निर्णय परिपक्वता से लिया जाय या नहीं. 'झांसी गले की फांसी' को तो आपने निश्चय ही झुठला दिया :) ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-15306391666534303892013-12-01T21:54:06.698+05:302013-12-01T21:54:06.698+05:30आपके सेवाकाल के रोचक वर्णन उत्सुकता जगा रहे हैं.आपके सेवाकाल के रोचक वर्णन उत्सुकता जगा रहे हैं. राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-27661210754016030982013-12-01T21:53:07.184+05:302013-12-01T21:53:07.184+05:30आपकी ईमानदारी आपकी पोस्ट से झलकती है ! आपकी ईमानदारी आपकी पोस्ट से झलकती है ! Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-90197341177217115712013-12-01T20:47:08.327+05:302013-12-01T20:47:08.327+05:30घटनाएँ भी रोचक हैं और आपके लिखने की शैली भी। बहुत ...घटनाएँ भी रोचक हैं और आपके लिखने की शैली भी। बहुत बढ़िया। आपके सेवानिवृत्त होने के बाद यह विभाग के कर्मियों के पास अमूल्य धरोहर के रूप में सहेजा जाने वाला है।<br />देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-21923586198277297982013-12-01T20:41:43.549+05:302013-12-01T20:41:43.549+05:30बाबुओं के झांसे में आकर आधे दर्जन मछुओं के तबादले ...बाबुओं के झांसे में आकर आधे दर्जन मछुओं के तबादले कर दिये।<br /><br /> क्या बात है। विवेक का अभाव। :)<br /><br />तारीफ़ सुनकर लज्जित होते हुये कित्ते तो हसीन लगते होंगे। :) :)अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-7494809018554265402013-12-01T20:40:23.082+05:302013-12-01T20:40:23.082+05:30मुझे लगता है कि सारी पोस्ट समूहिक रूप से प्रकाश...मुझे लगता है कि सारी पोस्ट समूहिक रूप से प्रकाशित कर दी जाएं तो अलग से आत्मकथा लिखने की ज़रूरत ही नहीं रह जाएगी :)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38725282545714669082013-12-01T16:59:56.377+05:302013-12-01T16:59:56.377+05:30kaahe tranfer kiye the becharon ke aapne ? :)kaahe tranfer kiye the becharon ke aapne ? :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-74463696065216783792013-12-01T16:31:18.902+05:302013-12-01T16:31:18.902+05:30आपकी बेबाकी को मान मिला अच्छी बात है आपकी बेबाकी को मान मिला अच्छी बात है डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-5643950894861574262013-12-01T15:21:33.123+05:302013-12-01T15:21:33.123+05:30स्पष्टता से बात कहने के अपने जोखिम हैं लेकिन कद्र ...स्पष्टता से बात कहने के अपने जोखिम हैं लेकिन कद्र भी होती है।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85720269294321044502013-12-01T14:24:05.370+05:302013-12-01T14:24:05.370+05:30सच्ची बात कही थी हमने......!सच्ची बात कही थी हमने......!संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47864695931817579412013-12-01T14:05:56.245+05:302013-12-01T14:05:56.245+05:30कभी कभी सीधा और सपाट बोल देना अच्छा रहता है, स्पष्...कभी कभी सीधा और सपाट बोल देना अच्छा रहता है, स्पष्ट रहता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-59762813097655272652013-12-01T13:37:13.089+05:302013-12-01T13:37:13.089+05:30आपको अतीत की छोटी-छोटी घटनायें आज भी याद हैं और उन...आपको अतीत की छोटी-छोटी घटनायें आज भी याद हैं और उन घटनाओं का वर्णन आप इतनी कलात्मकता से कर रहे हैं कि आपसे ईर्ष्या हो रही है । काश मैं भी आप की तरह लिख पाती । रोचक- प्रवाह-पूर्ण प्रस्तुति । शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.com