tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post5360409255502495484..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: ताऊ के शोले में टंकी का सीन !Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-35740291367414713042018-08-03T21:30:26.147+05:302018-08-03T21:30:26.147+05:30great blog
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दिल खुश हो गया प...आपने भी क्या दिलकश समां बाँधा है <br />दिल खुश हो गया पढ़कर ! <br /><br /><b>मुझे लगता है अब वक्त आ गया है - <br />जाकिर भाई को टंकी पर परमानेंट बैठना पड़ेगा<br /> <br />पहले टिकट लो फिर चढो !</b>प्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-54945753641768137132009-08-22T14:41:54.545+05:302009-08-22T14:41:54.545+05:30ऊपर टिप्पणियों में पूछा गया है कि यह मुहावरा किसने...ऊपर टिप्पणियों में पूछा गया है कि यह मुहावरा किसने गढ़ा ?<br /><br />तो नाहर जी के उसी लेख <a href="http://nahar.wordpress.com/2006/06/30/alvida-dosto/" rel="nofollow"><b>'अलविदा चिठ्ठा जगत'</b></a> पर <b>e-swami</b> की टिप्पणी देखें !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-47672516563336729532009-08-22T10:15:43.438+05:302009-08-22T10:15:43.438+05:30हा हा .. वो भी क्या दिन थे नाहर भाई! :)
हां जी ये...हा हा .. वो भी क्या दिन थे नाहर भाई! :) <br />हां जी ये मुहावरा मेरा ही दिया हुआ है!eSwamihttps://www.blogger.com/profile/04980783743177314217noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-14664573585943390212009-08-22T04:36:09.747+05:302009-08-22T04:36:09.747+05:30यह टिप्पणी मेल से प्राप्त हुयी है-
जब मित्रगन वैच...यह टिप्पणी मेल से प्राप्त हुयी है-<br /><br />जब मित्रगन वैचारिक मतभेदों के कारन सामूहिक सार्थक प्रयासों की बलि चढा देंगे ..हम जैसे पूर्णकालिक टंकी आरोहित्त लोगों को वापस आना ही होगा ..सुन्दर पोस्ट :-)<br /><br />L.K.GoswamiArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-37813732873385832782009-08-21T17:17:12.045+05:302009-08-21T17:17:12.045+05:30अद्भुत!!
ससुरा, टंकिया पर पैर राखे खातिर जगहिये न...अद्भुत!!<br /><br />ससुरा, टंकिया पर पैर राखे खातिर जगहिये न होई अब तो!! के चढ़ी भीड़ भड्ड्का में. कई तो वहीं जा बसे हैं.<br /><br />कोई फूलसूंधा बदनी हो तो बात बने..हमारे आपके लिए नहीं रह गया यह रोल अब!!<br /><br /><b>सागर नहारिय परम्परा</b> के परिपालक युगों युगों तक पाये जायेंगे.<br /><br />सबके साथ आपको पढ़ हम भी एक छटाक हल्के हो लिए. आपका आभार. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-72627521723718393552009-08-20T16:51:41.155+05:302009-08-20T16:51:41.155+05:30मजेदार ...........इतने महान महान ब्लोग्स लिख रहे ह...मजेदार ...........इतने महान महान ब्लोग्स लिख रहे हैं तो अपनी तो क्या बिसात है .......... बहुत ही अच्छा लिखा .......दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-55797979164937809912009-08-20T11:18:42.262+05:302009-08-20T11:18:42.262+05:30@नहीं अल्पना जी ,
मैं तब गब्बर (ब्लॉग पर जब्बर ) क...@नहीं अल्पना जी ,<br />मैं तब गब्बर (ब्लॉग पर जब्बर ) की स्टाईल में कहूंगा की ये रोल मुझे दे दे ताऊ ! नहीं तो ......Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38354733061661538132009-08-20T11:15:43.110+05:302009-08-20T11:15:43.110+05:30पहली बार किसने प्रयोग किया तो पता नहीं पर मैंने ये...पहली बार किसने प्रयोग किया तो पता नहीं पर मैंने ये शब्द शायद पहली बार तब पढ़ा था जब अनूप जी ने समीर लाल जी के टंकी आरोहण का समाचार सुनाया था. बढ़िया पोस्ट.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-14303686960449299912009-08-20T09:29:12.830+05:302009-08-20T09:29:12.830+05:30आप ने apne lekh mein कहा--:
' मेरी गुजारिश तो ...आप ने apne lekh mein कहा--:<br />' मेरी गुजारिश तो है कि ताऊ मेरे जैसे अनुभवी को इस रोल के लिए ले लें -अभिनय ही तो करना है ....-इन दिनों मेरा मन भी कुछ उभ चुभ कर रहा है एक्टिंग से शायद कुछ शान्ति मिल जाय ! ....मुझ जैसे अनुभवी के साथ यह लफडा नही आने को ..ताऊ आश्वस्त हो सकते हैं कि हम चढेगें भी सलीके से ( जानी ) और उतरेगें भी उसी ठाठ के साथ!'<br /><br />----वैसे ताऊ जी और अनीता कुमार जी पोस्ट देख कर जा चुके हैं और आप की गुजारिश नोट भी कर ली हो [??]<br />--aur to aur अभिषेक मिश्र जी ने फोतोफुनिया से आप की मॉडलिंग वाली तस्वीर भी बना दी...[kal ki unki post mein]---<br />अब इतने 'strong' प्रोफाइल को टंकी पर चढ़ने से कौन रोक सकता है?<br />वैसे अगर रोल अब भी न मिले तो धरम जी के अंदाज़ में कहियेगा--<br />'ये रोल मुझे दे दे ताऊ !'<br />-----Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-45791023792987089102009-08-19T23:57:19.461+05:302009-08-19T23:57:19.461+05:30@सिद्धार्थ जी ,गौर से देखें मैं किसी को छोड़ने वाल...@सिद्धार्थ जी ,गौर से देखें मैं किसी को छोड़ने वाला नहीं -<br /><br />@यूरेका यूरेका -यह मुहावरा छुपे रुस्तम ई स्वामी का दिया है -सागर नाहर जी की ऊपर लिंकित पोस्ट पोर ई स्वामी की यह टिप्पणी -<br />जैसे फ़िल्म शोले में धर्मेंद्र पानी की टंकी पे चढ गया था “अलविदा गांव वालों” वैसे “अलविदा चिट्ठाजगत” ना करें – नीचे आकर मुझे जरा आराम से बात समझाएं.<br />किसी का दावा और हो तो बताये -नहीं तो इस ब्लॉग मुहावरे के जनक के रूप में ई स्वामी पक्के <br />@ @हिमांशु जी आपकी यह व्याख्या मुझे आत्मानुशीलन को उकसाती है ! क्या कहूं ,शुभेच्छु हों तो ऐसे ! गुह्यम च गुह्यत गुणान प्रगटी करोत -इस तरह के पर - उत्साह वर्धन से आप बड़े हो जाते हैं ! मुझमें गौणता का प्रादुर्भाव हो जाता है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85803119569984432302009-08-19T21:29:22.656+05:302009-08-19T21:29:22.656+05:30आपकी इस प्रविष्टि ने तो जी हल्का कर दिया मेरा । ऐस...आपकी इस प्रविष्टि ने तो जी हल्का कर दिया मेरा । ऐसा साहित्य भी रचा जा रहा है यहाँ - बहाना कुछ भी बन जाय - किसी का टंकी पर चढ़ जाना या उतर जाना । <br />साहित्य में हास्य का एक प्रकार है -स्नेहनहास । इसकी अंग्रेजी है Humour | यद्यपि अंग्रेजी के इस शब्द का हास्य के व्यापक अर्थ में भी व्यवहार होता है । स्नेहनहास सजल हास है, मुक्तक हास है । जितनी भी वक्रता, आकस्मिकता या कोणत्व - सबमें दिखती है एक प्रकार की हार्दिकता । तब आलोचना और उपहास के अवसर खो जाते हैं । <br />स्नेहनहास का कोई निहित लक्ष्य नहीं, कोई प्रयोजन नहीं । सच कहूँ तो यह आत्मनिवेदन है। निवेदन भी ऐसा, जिसकी नैसर्गिकता पर हम मुग्ध होने लगते हैं । आपकी किसी भी प्रविष्टि में यह तत्व अनायास ही सुलभ नहीं ? <br /><br />स्नेहनहास किसी दिख गयी गलती (किसी की भी ) या सीमा का विदूषक नहीं । यह तो आभ्यंतरिक प्रमाद को प्रदर्शित करता है । इसलिये ही तो इसमें एक वैयक्तिक नैतिकता होती है (श्री चन्द्रशेखर मिश्र जी के संस्मरण से आपने अपनी बात को नैतिक बनाया या नहीं ? ) । इसलिये आपका स्नेहनहास जो विनोद करता है उसमें स्वभाव की आवश्यक अभिव्यक्ति है, हार्दिकता की अनिवार्य प्रतीति है । <br /><br />ज्यादा हो रहा है । यूँ लिखेंगे, तो सब गये - सबमें स्नेहनहास कहाँ ?Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-26281610504899620122009-08-19T20:43:54.603+05:302009-08-19T20:43:54.603+05:30ये टंकी चिंतन भी खूब रहा :-)ये टंकी चिंतन भी खूब रहा :-)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-20537867001878110212009-08-19T20:14:03.354+05:302009-08-19T20:14:03.354+05:30वैसे इस बार बहुत दिन हो गये कोई चढ़ा नहीं टंकी पर....वैसे इस बार बहुत दिन हो गये कोई चढ़ा नहीं टंकी पर.. :)रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-32640103673309654332009-08-19T19:49:33.585+05:302009-08-19T19:49:33.585+05:30आप सब मित्रों का शुक्रिया।
जब जब कोई ब्लॉगर टंकी प...आप सब मित्रों का शुक्रिया।<br />जब जब कोई ब्लॉगर टंकी पर चढ़ता है, मुझे सहर्ष याद किया जाता है। यानि भले ही यह मुहावरा मैने नहीं गढ़ा हो पर इस महान मुहावरे की रचना में सबसे बड़ा योगदान मेरा ही रहा। <br />वह मैं ही हूं जिसने अरविन्द जी सहित अनेक चिट्ठाकारों को टंकी पर चढ़ने विषयक पोस्ट लिखने की प्रेरणा दी, मसाला दिया।<br />कई बार बड़ी तकलीफ होती है जब कोई ब्लॉगर टंकी पर चढ़ने और उतरने की प्रक्रिया के दौरान मुझे याद भी नहीं करता। मैं अनुरोध करता हूं भई कि पोस्ट लिखकर समय बर्बाद करने की बजाय मेरी पोस्ट का लिंक ही दे दिया करो, ताकि टंकी पर जल्दी चढ़ा जा सके और बचे समय में सबको चैट में टंकी से उतारने का न्यौता दे सको। ( जैसे आज तक आप अपनी नई पोस्ट का लिंक दिया करते हो) <br />एक बात की खुशी भी होती है कि चिट्ठाजगत का जब भी इतिहास लिखा जायेगा तब मेरे लिये एक पन्ना जरूर लिखा जायेगा। <br /><br />और अंत में यह रही वह महान पोस्ट :) <br /><a href="http://nahar.wordpress.com/2006/06/30/alvida-dosto" rel="nofollow"> अलविदा चिट्ठाजगत</a>सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70626671842297988292009-08-19T14:11:15.052+05:302009-08-19T14:11:15.052+05:30भगवान उस ब्लॉगर को चिरंजीवी बनाए जिसने टंकी पर चढ़...भगवान उस ब्लॉगर को चिरंजीवी बनाए जिसने टंकी पर चढ़ने का ब्लागजग्तीय मुहावरा ही गढ़ डाला ! ब्लागिंग के आदि देव बताएगें ही कि आख़िर यह महान कल्पनाशीलता किसकी थी !haha....<br /><br /><br />वैसे किसकी थी ये creativity ???<br />मुझे तो डर लगता है सो मैं तो नहीं चढने वाली टंकी पर :)) Ria Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07417119595865188451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-7801055290514294592009-08-19T13:07:05.789+05:302009-08-19T13:07:05.789+05:30हम तो शीर्षक पढ़कर ही लेख की गंभीरता समझ गये। ;)
-...हम तो शीर्षक पढ़कर ही लेख की गंभीरता समझ गये। ;)<br />---<br /><a href="http://prajapativinay.blogspot.com/2009/08/na-laao-zamaane-ko-tere-mere-beech.html" rel="dofollow" rel="nofollow">ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-73325665724958687742009-08-19T13:01:22.529+05:302009-08-19T13:01:22.529+05:30Aapki salaah kaabile gaur hai.
Waise iska screanpl...Aapki salaah kaabile gaur hai.<br />Waise iska screanplay kaun likh raha hai? Lage haath bataana chaahoonga ki bande ki is baare men ek kitaab Hindi Sansthan se Chhap rahee hai. Tagra amount mile, to is baare men soch sakta hoon.<br />Ha Ha Haaa.<br /><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81224344808805649952009-08-19T12:54:20.256+05:302009-08-19T12:54:20.256+05:30Sahee kaha aapne.Sahee kaha aapne.अशरफुल निशाhttps://www.blogger.com/profile/09800331914695674842noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76493266776273484502009-08-19T11:41:35.932+05:302009-08-19T11:41:35.932+05:30ह्म्म ताऊ की शोले ने तो धमाल कर दिया…बहुत कुछ सोचन...ह्म्म ताऊ की शोले ने तो धमाल कर दिया…बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया आप नेAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-46724115589162773352009-08-19T10:07:31.035+05:302009-08-19T10:07:31.035+05:30mujhe to pata hee nahee thaa ki itane log tankee p...mujhe to pata hee nahee thaa ki itane log tankee par chad utar chuke hai !!!Mishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-66836327223910545982009-08-19T08:50:40.157+05:302009-08-19T08:50:40.157+05:30'Tau ji ki sholey' ka intejar rahega.'Tau ji ki sholey' ka intejar rahega.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-16172435321289369412009-08-19T08:41:37.738+05:302009-08-19T08:41:37.738+05:30हा हा हा हा हा हा हा हा क्या खूब चित्र खेंचा है शो...हा हा हा हा हा हा हा हा क्या खूब चित्र खेंचा है शोले की टंकी का और क्या रिसर्च की है आपने इस विषय पर.....बेहद रोचक.....अब टंकी पर ताऊ जी किस को चड़ने का मौका देते हैं ये तो वक़्त हे बतायेगा..."<br /><br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-71841490677975983632009-08-19T08:24:04.709+05:302009-08-19T08:24:04.709+05:30आपके इस आलेख को उच्च साहित्यिक कोटि का माना जायेग...आपके इस आलेख को उच्च साहित्यिक कोटि का माना जायेगा. बहुत लाजवाब अंदाज मे लिखा है आपने. अब हमारी ही शोले है तो आप कहो जिसको टंकी पर चढवा दें कोई मना थोडे ही ना करेगा. बस आप देखते जाईये कि कौन टंकी पर चढता है और कौन उतरता है. :)<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29406451722613332172009-08-19T07:16:24.058+05:302009-08-19T07:16:24.058+05:30टंकी पर चढ़ने का रिवाज किसने शुरु किया इस बारे में ...टंकी पर चढ़ने का रिवाज किसने शुरु किया इस बारे में विद्वानों में मतभेद है। लेकिन सागर चंद नाहर पहले यादगार टंकी चढौवा रहे हैं। बाकी लोग जब-जब टंकी पर चढ़े हैं , उतरने पर उससे तेज बहे हैं। <br />टंकी पर चढ़ने के तमाम कारण होते हैं। हरेक के केस में अलग-अलग! अब जब कोई टंकी पर चढ़ने के लिये धमकी देता है तो हंसी और दया दोनों आती है कि सहानुभूति और दिखावे के लिये इत्ता बेचारा हो लिया।<br /><br />लवली ने लिखना कम किया था। टंकी पर न चढ़ी थीं इसबार। अब कल ही एक पोस्ट लिख कर फ़िर बैटिंग शुरू कर दी।<br /><br />बकिया शोले की क्या कहें? वैसे इस वाली पोस्ट की लिखाई में अनीता कुमार जी का हाथ है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com