tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post438513627442296232..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: एक जब्तशुदा प्रेम पत्र के कुछ अंशArvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38196795287425607202009-12-08T21:25:57.534+05:302009-12-08T21:25:57.534+05:30उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़!
ये पोस्ट कैसे छूट गयी थी मुझसे। ध...उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़!<br /><br />ये पोस्ट कैसे छूट गयी थी मुझसे। धन्य हो आप!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-27437598827821491052009-12-08T20:39:50.174+05:302009-12-08T20:39:50.174+05:30डॉ. साहब ! आपके ब्लॉग पर शायद पहली बार आई हूँ और ...डॉ. साहब ! आपके ब्लॉग पर शायद पहली बार आई हूँ और इतनी रोचक सामग्री देखने को मिली की समझ नहीं आया की क्या पढूं पहले..फिर इस पोस्ट के शीर्षक ने ध्यान आकर्षित किया .वाह मूंगफली खाना कभी कभी कितना सार्थक हो सकता है..इसी बहाने बहुत बड़ी बात कह दी आपने...बाकि रचनाएँ पढने फिर आऊँगी.आभार.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76558589853192696372009-10-05T23:24:33.172+05:302009-10-05T23:24:33.172+05:30अभी भी प्रेमपत्र लिखे जाते हैं और वो भी ऐसे? और वो...अभी भी प्रेमपत्र लिखे जाते हैं और वो भी ऐसे? और वो भी मूंगफली वाले के हाथ लग जाते हैं ! मूंगफली बेचना चालु कर दें तो एक ठो किताब ही छपवा लेंगे :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78569353023021089922009-10-05T21:59:44.664+05:302009-10-05T21:59:44.664+05:30दद्दा रे! लगता है जासूस लगाने पड़ेंगे इस कवि-ह्रदय ...दद्दा रे! लगता है जासूस लगाने पड़ेंगे इस कवि-ह्रदय दुखी-पति/प्रेमी को ढूँढने के लिए.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29511019176490878172009-10-05T13:46:28.488+05:302009-10-05T13:46:28.488+05:30बहुत सुंदर भाव हैं, आपको ये पत्रांश ही नहीं मूंगफल...बहुत सुंदर भाव हैं, आपको ये पत्रांश ही नहीं मूंगफली भी हमेशा याद रहेंगी।<br />काश हमें भी कोई ऐसा पत्र मिलता।<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">Think Scientific </a><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">Act Scientific </a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-12261696500649726442009-10-05T09:25:57.956+05:302009-10-05T09:25:57.956+05:30ऐसा पत्र तो कोई प्रेमी साहित्यकार ही लिख सकता है ....ऐसा पत्र तो कोई प्रेमी साहित्यकार ही लिख सकता है ...शेष अंश मिलने में आपकी आशावादिता के भागीदार और भी हैं ...दिल को छूती भावविह्वल करने वाली रचना के लिए बहुत आभार ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-16266538900480139482009-10-05T02:03:20.361+05:302009-10-05T02:03:20.361+05:30mungfali ke sath chne khridte to shayd prempatr po...mungfali ke sath chne khridte to shayd prempatr poora ho jata .<br />khair bhut achhi post <br />abharशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-75567633286760062682009-10-05T00:41:11.431+05:302009-10-05T00:41:11.431+05:30हिमांशु जी की राय से पूर्णत: सहमत...प्रेम एक अबूझ ...हिमांशु जी की राय से पूर्णत: सहमत...प्रेम एक अबूझ पहेली ही है...इस प्रेमपत्र को पढ़कर काफी समय तक सोचता रहा...वाह !! आपकी मूंगफली खरीदने औए उसमे बचे हुए प्रेमपत्र के अंश का हमें भी इंतज़ार रहेगाSudhir (सुधीर)https://www.blogger.com/profile/13164970698292132764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-43711066440033852832009-10-04T23:58:10.527+05:302009-10-04T23:58:10.527+05:30वे रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव रस का कटु प्याला...वे रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव रस का कटु प्याला है<br />वे मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहनकारी हाला है<br />मैनें विदग्ध हो जान लिया अंतिम रहस्य पहचान लिया<br />मैनॆं आहुति बनकर देखा..ये प्रेम यज्ञ की ज्वाला है॥<br /><br />ज्यादा नहीं कहूँगा...कार्तिकेय मिश्र (Kartikeya Mishra)https://www.blogger.com/profile/03965888144554423390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-63904857236739524352009-10-04T21:27:53.537+05:302009-10-04T21:27:53.537+05:30प्रेम-यूँ ही अबूझ न हुआ होगा । जब तक पढ़ रहा था, तब...प्रेम-यूँ ही अबूझ न हुआ होगा । जब तक पढ़ रहा था, तब तक मुग्ध था, अब पढ़ चुका तो मौन होकर इसकी ध्वनि महसूस कर रहा हूँ अपने अन्तर्जगत में । <br /><br />अज्ञेय का प्रबल विश्वास है कि हृदय का भाव जब तक सलामत है तब तक दो प्रेमी एक दूसरे से पृथक नहीं हो सकते । बस एक भावतंतु मात्र ही उनके स्नेह को अम्लान रख सकता है, रखता है । <br /><br /><b>मैं पागलपन की हद तक आशावादी हूँ !</b> इस दुर्निवार आस्था के लिये नत हूँ !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-67552959862806745872009-10-04T20:30:17.155+05:302009-10-04T20:30:17.155+05:30अरविंद जी!
आपके ब्लाग पर देरी से आने के लिए स्वयं...अरविंद जी!<br /><br />आपके ब्लाग पर देरी से आने के लिए स्वयं पर क्षोभ हो रहा है......<br /><br />आपकी साहित्यिक टिप्पणीयों से पूर्व परिचय था( एक आलसी का चिट्ठा पर....)<br /><br /><br />आशा है कि आप के साहित्यिक सानिध्य का लाभ मुझे मिलेगा......<br /><br /><br />सादर<br /><br /><br />गंगेश रावगंगेश रावhttps://www.blogger.com/profile/10791109109633152718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89445694756369219802009-10-04T20:16:29.073+05:302009-10-04T20:16:29.073+05:30वाकई में मूंगफली खाना बहुत ही सुखद रहा ....आपके लि...वाकई में मूंगफली खाना बहुत ही सुखद रहा ....आपके लिए........<br /><br /><br />आपने इतने सधे हुए अंदाज से प्रस्तुत किया है कि .........<br /><br /><br />अगर कभी इस प्रेमपत्र का बाकी कोई अंश मिले तो आशा है कि आप बिना आलस्य किये तुरंत प्रकाशित करेंगे............गंगेश रावhttps://www.blogger.com/profile/10791109109633152718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4433902136714024352009-10-04T19:30:46.148+05:302009-10-04T19:30:46.148+05:30वाह, फीड में आता ये यह प्रेमपत्र (?) और नीचे आता ह...वाह, फीड में आता ये यह प्रेमपत्र (?) और नीचे आता है "नानापुराणनिगमागम सम्मतं यद..."<br />:-)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-78565045353321800822009-10-04T17:41:12.061+05:302009-10-04T17:41:12.061+05:30अब शेष क्या रह गया, सब कुछ तो कह दिया आप ने इस प्र...अब शेष क्या रह गया, सब कुछ तो कह दिया आप ने इस प्रेमप्त्र मै. चलिये कल देखे क्या निकलता है मुगफ़ली के लिफ़ाफ़े मै??राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38139091757099201172009-10-04T15:14:31.456+05:302009-10-04T15:14:31.456+05:30टिप्पणी लिखने बैठा तो नई आदत ने जोर मारा इसलिए एक ...टिप्पणी लिखने बैठा तो नई आदत ने जोर मारा इसलिए एक पोस्ट ही बन गई। आप यहाँ देख लीजिए। गलती सही मुआफ करिएगा।<br /><br />http://girijeshrao.blogspot.com/2009/10/blog-post_04.htmlगिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-81950605700473880152009-10-04T13:28:47.241+05:302009-10-04T13:28:47.241+05:30अरविन्द जी,
एक निजी लेकिन भावनाओं से भरा प्रेमपत्...अरविन्द जी,<br /><br />एक निजी लेकिन भावनाओं से भरा प्रेमपत्र पढ़वाने के लिये आपका आभार। हो सकता है कि यह पत्र अपने गंतव्य तक पहुँचा ही ना हो? क्या स्थिति हुई होगी उस बेचारे की जिसका की पत्र अब मूंगफली के साथ आपके पास पहुँचा और फिर हम तक।<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-25267428609352143532009-10-04T13:04:26.953+05:302009-10-04T13:04:26.953+05:30बहुत दिलचस्प। यकीनन आपका आशावाद फलीभूत होगा। मूंगफ...बहुत दिलचस्प। यकीनन आपका आशावाद फलीभूत होगा। मूंगफलियों के ठोंगे खरीदते रहिए या फिर जहां से वह रद्दी खरीदता है, वहां तलाशिये। बाकी हिस्सा शायद वहां मिले। <br />पंगेबाज ब्लागजगत से विदा हो गए, वर्ना ऐसी अधूरी चीजें पूरी करने के पंगे वे लिया करते थे:)अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-22839154291477548322009-10-04T13:03:52.095+05:302009-10-04T13:03:52.095+05:30बहुत ही उम्दा व लाजवाब।बहुत ही उम्दा व लाजवाब।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-67307356937147155852009-10-04T12:22:09.667+05:302009-10-04T12:22:09.667+05:30"ऐसा क्या है प्रिये जो मैं चाहता हूँ और तुम ..."ऐसा क्या है प्रिये जो मैं चाहता हूँ और तुम दे नहीं सकती ..."<br />सरल सा उत्तर है - दिल:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-60998767490582987182009-10-04T12:16:38.271+05:302009-10-04T12:16:38.271+05:30अब मूंगफली खाना शुरू करता हूं। लेकिन, इस तरह के का...अब मूंगफली खाना शुरू करता हूं। लेकिन, इस तरह के कागजों पर लपेटकर मूंगफली बेचने वाले यहां नोएडा में तो मिलने से रहे:) शानदारBatangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65248240448348701642009-10-04T12:05:28.332+05:302009-10-04T12:05:28.332+05:30मूंगफ़ली खरीदते रहिये शायद आगे का अंश मिल जाये। हम...मूंगफ़ली खरीदते रहिये शायद आगे का अंश मिल जाये। हम भी आशावादी हैं....विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65596504739699511022009-10-04T12:04:02.913+05:302009-10-04T12:04:02.913+05:30यह बढ़िया रहा .मूंगफली खरीदते रहिये ..अगला भाग भी ...यह बढ़िया रहा .मूंगफली खरीदते रहिये ..अगला भाग भी इसका मिल ही जाएगारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89515156865179256782009-10-04T11:58:06.388+05:302009-10-04T11:58:06.388+05:30डाक्साब अब तो मूंगफ़लियां खरीदना ही पड़ेगा।डाक्साब अब तो मूंगफ़लियां खरीदना ही पड़ेगा।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-29000088415081055722009-10-04T11:43:04.541+05:302009-10-04T11:43:04.541+05:30प्रेम पत्रों से दुनिया का साहित्य समृद्ध हुआ है -स...प्रेम पत्रों से दुनिया का साहित्य समृद्ध हुआ है -साहित्य का एक पहलू इनमें जीवंत होता है ,दस्तावेज बनता है ...jee bilkul sahi kaha hai aapne....<br /><br />कहीं खुद राम का दिया कोई स्पष्टीकरण नहीं मिलता और नहीं यह अपेक्षा की गयी कि जाना जाय कि सीता के परित्याग पर उन पर क्या बीती होगी -उनकी मनोदशा क्या थी ? yahan hum sirf kalpana hi kar sakte hain..... ki unki manodasha kya rahi hogi....? aise hi URMILA ke baare mein bhi hamein sochna chahiye..... jab Shri.LAXMANji ko Shri Ram ji ke saath vanwaas jana pada tha.....<br /><br />कहते हैं न कि इतिहास खुद को इसलिए ही दुहराता है कि हम उससे सीख नहीं लेते ! yeh aapne achcha analysis kiya....aur ekdum sahi hai yeh....<br /><br />bahut achcha achcha laga ...आपके लेखन को नमन...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-51107032850703005702009-10-04T10:52:53.853+05:302009-10-04T10:52:53.853+05:30@लवली जी ,जाहिर है !@लवली जी ,जाहिर है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com