tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post4372209017585542555..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: मन की उम्रArvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-8331308806439132482011-09-20T13:11:45.676+05:302011-09-20T13:11:45.676+05:30स्त्रियों की शारीरिक रचना , पुरुषों की तुलना में ज...स्त्रियों की शारीरिक रचना , पुरुषों की तुलना में ज्यादा कमज़ोर होती है .एक प्रजनन उनके लिए शारीरिक शक्ति को घटाने के लिए ही काफी होता है अधिक प्रजनन होने पर उनकी शक्ति में क्षय होना स्वाभाविक है . शायद इसीलिए पृकृति ने उन्हें प्रजनन हेतु वह उम्र नहीं दी जो पुरुष को दी , जहाँ तक मन के चंचल होने की बात है , तो वही एक ऊर्जा है जो व्यक्ति को कर्म से बांधे रहती है .., चाहे फिर वह कोई भी कर्म क्योँ न हो !...,sabhajeethttps://www.blogger.com/profile/10391264415920827682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-48101115506449103972011-09-20T13:11:20.708+05:302011-09-20T13:11:20.708+05:30स्त्रियों की शारीरिक रचना , पुरुषों की तुलना में ज...स्त्रियों की शारीरिक रचना , पुरुषों की तुलना में ज्यादा कमज़ोर होती है .एक प्रजनन उनके लिए शारीरिक शक्ति को घटाने के लिए ही काफी होता है अधिक प्रजनन होने पर उनकी शक्ति में क्षय होना स्वाभाविक है . शायद इसीलिए पृकृति ने उन्हें प्रजनन हेतु वह उम्र नहीं दी जो पुरुष को दी , जहाँ तक मन के चंचल होने की बात है , तो वही एक ऊर्जा है जो व्यक्ति को कर्म से बांधे रहती है .., चाहे फिर वह कोई भी कर्म क्योँ न हो !...,sabhajeethttps://www.blogger.com/profile/10391264415920827682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-70905374260430634352011-08-31T21:03:13.372+05:302011-08-31T21:03:13.372+05:30@Jyoti,
'man' in English is man -what a se...@Jyoti,<br />'man' in English is man -what a semblance! :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-2353588090551044092011-08-31T21:01:54.729+05:302011-08-31T21:01:54.729+05:30@अशोक कुमार शुक्ल जी,
मन को चंचल रहने दीजिये उनकी ...@अशोक कुमार शुक्ल जी,<br />मन को चंचल रहने दीजिये उनकी लगाम संस्कारों ने थाम रखी है -मुझे और आपको चिंतित होने की जरुरत नहीं है :) <br />हाँ उस पहलू पर जरुर लिखेगें मगर तभी जब खुद अपने मन पर नियंत्रण रख लें !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-73046414280239080842011-08-31T20:52:26.375+05:302011-08-31T20:52:26.375+05:30आदरणीय महोदय
, आपने प्रश्न तो आपने बडा प्रासंगिक ...आदरणीय महोदय<br /><br />, आपने प्रश्न तो आपने बडा प्रासंगिक उठाया है, लेकिन मैं यह सोच रहा था कि वर्जय नारी स्वर ने यहाँ तो ‘लगे रहो मुन्ना भाई ’ की तर्ज पर ‘ तो फिर लगे रहो शव साधना में....’ की सलाह दी है और उधर साधक की श्रेष्ठता को ही प्रश्नचिन्हित कर रही हैं।<br /><br /> सारवान विचार तो अमृता जी के ही हैं जिन्होंने इतिहास के खजाने से उठाकर सभी बहुमूल्य रत्न पुरूषों के खाते में ही डाल दिये हैं। मन का साथ छोडती शारीरिक क्षमताओं के संबंध में आत्मानुशासन पर आप जैसा कोई सधी कलम का चितेरा ही लिख सकेगा ।<br /><br /> कृपया इसे भी अपने विचाराधीन विषयों के झोले में डाल लें। आभारी रहूँगा।अशोक कुमार शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/00322447925425282794noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-43934708897989333242011-08-31T19:53:08.606+05:302011-08-31T19:53:08.606+05:30क्यों आस लगाए बैठे हो
शीशे का मसीहा कोई नहीं :)
ह...क्यों आस लगाए बैठे हो<br />शीशे का मसीहा कोई नहीं :)<br /><br />हमारे बुज़ुर्ग कह गए हैं कि ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’। बदन साथ दे न दें, पर दिल को जवान रखिए ना॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-33829581691431130682011-08-31T17:51:26.770+05:302011-08-31T17:51:26.770+05:30"ये जो मन है ना.. मन समझती हैं ना आप.."
..."ये जो मन है ना.. मन समझती हैं ना आप.."<br />टू भी तो तड़पा होगा मनको बनाकर <br />तूफ़ान ये प्यार का मन में बसाकर<br />कोई छवि तो होगी आँखों में तेरी<br />आंसू भी छलके होंगे पलकों से तेरी.चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76965110902677855782011-08-31T12:09:13.604+05:302011-08-31T12:09:13.604+05:30"Man" is always as curious as an infant ..."Man" is always as curious as an infant :)Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41096452360961231782011-08-31T11:34:05.643+05:302011-08-31T11:34:05.643+05:30यहीं आ कर तो फेल हो जाते हैं समाज शास्त्री। प्रकृत...यहीं आ कर तो फेल हो जाते हैं समाज शास्त्री। प्रकृति पर समाज का कठोर नियंत्रण। हम जब से सामाजिक प्राणी हुए, सभ्य होते गये, हमारे विचार भी बदलते रहे। पहले एक पुरूष की कई पत्नियाँ होती थीं..बाद में तुलसी दास जी ने भगवान राम के माध्यम से एक पत्नी व्रत का ऐसा पाठ पढ़ाया कि जिसे देखो वही पत्नी व्रता हो गया। फिर नई समस्या आने लगी..लीव टुगेदर पर सहमति बन गई। समाज इस बिंदु पर बड़ा कनफ्युजियाया लगता है। मुझे तो इस समस्या के समाधान के लिए ओशो की शरण में जाना अच्छा लगता है। ओशो के ध्यान और ज्ञान दर्शन से ही मन की चंचलता रोकी जा सकती है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-76840961677869083502011-08-31T10:13:40.728+05:302011-08-31T10:13:40.728+05:30matlab......thoughts......to bejor hai...............matlab......thoughts......to bejor hai............<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40973967295050179302011-08-31T08:11:59.811+05:302011-08-31T08:11:59.811+05:30अब पुष जाने वे अपनी ऊजा का कैसे उपयोग करते है.
Amr...अब पुष जाने वे अपनी ऊजा का कैसे उपयोग करते है.<br />Amrita ji ki is tippani par sare purush sathiyo ko vichat karna chahiye.<br />Kripya atmanushashan par bhi koi aosi hi post awasya likhiyega.अशोक कुमार शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/00322447925425282794noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-41033046622185142362011-08-31T07:56:21.444+05:302011-08-31T07:56:21.444+05:30आभार ...आभार ...Darshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-1442241246776089042011-08-31T07:16:05.885+05:302011-08-31T07:16:05.885+05:30@नीरज भाई,
टिप्पणी -विचार के लिए आभार .मगर बुढापे ...@नीरज भाई,<br />टिप्पणी -विचार के लिए आभार .मगर बुढापे से शुक्राणु में आनुवांशिक विकृतियों वाले मामले पर <br />शोध का लिंक चाहूंगा ताकि यह देख सकूं कि विकृतियाँ अगर आती भी हैं तो क्यों और कैसे ? <br />बाकी ग़ालिब का शेर तो निचोड़ ही है ..<br />@विवेक जैन जी ,<br />मैं तो भईया खुद तलाश में हूँ मिलेगी तो साझा कर लेगें <br />@डॉ. मोनिका शर्मा जी <br />आभार <br />@देवि वर्ज्या:) <br />आप आयीं तो पोस्ट सार्थक हुयी :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-58259759883014685492011-08-31T07:03:20.891+05:302011-08-31T07:03:20.891+05:30ओहो...! तो फिर लगे रहिये शव-साधना में और ..वो जो ग...ओहो...! तो फिर लगे रहिये शव-साधना में और ..वो जो गिनीज बुक हैं न ..उसमे रिकार्ड-दर-रिकार्ड बनाते रहिये..Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14612724763281042484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-61669360069746228082011-08-31T06:03:15.197+05:302011-08-31T06:03:15.197+05:30सच है मन को बांधना आसान नहीं है....... हर उम्र में...सच है मन को बांधना आसान नहीं है....... हर उम्र में उर्जावान होता रहता है मन डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-82549243446143304782011-08-30T22:41:14.814+05:302011-08-30T22:41:14.814+05:30बहुत सुंदर ज्ञानवर्धक प्रस्तुति,
एक चीज और, मुझे ...बहुत सुंदर ज्ञानवर्धक प्रस्तुति,<br />एक चीज और, मुझे कुछ धर्मिक किताबें यूनीकोड में चाहिये, क्या कोई वेबसाइट आप बता पायेंगें,<br />आभार-<a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-19441623708706835252011-08-30T21:35:02.027+05:302011-08-30T21:35:02.027+05:30वैसे गालिब ने क्या खूब कहा है,
गो हाथ को जुम्बिश न...वैसे गालिब ने क्या खूब कहा है,<br />गो हाथ को जुम्बिश नहीं, आंखो में तो दम है,<br />रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे ।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-26223986734750599372011-08-30T21:32:31.144+05:302011-08-30T21:32:31.144+05:30अरविन्द जी,
एक सुंदर आलेख के लिये धन्यवाद। कुछ ही ...अरविन्द जी,<br />एक सुंदर आलेख के लिये धन्यवाद। कुछ ही दिन पहले एक आलेख पढा है प्रकृति के इस अनोखे खेल पर उसी से मिली जानकारी पेश कर रहा हूँ, शायद आपको पहले से पता हो। <br />स्त्री अपने सीमित अंडाणुओं के साथ ही जन्म लेती है और किशोरावस्था से लेकर प्रौढावस्था तक इन अंडाणुओं का प्रयोग होता रहता है। इसमें से ज्यादातर मासिक धर्म के समय व्यर्थ चले जाते हैं। लेकिन स्त्री का शरीर चाहकर भी अंडाणु बना नहीं सकता, जितने बचे हैं, बचे हैं।<br /><br />पुरूष का मामला पेचींदा है। पुरुष फ़ोटोकापी मशीन की तरह अपने शुक्राणुओं की रिप्लिका किन्ही किन्ही मामलों में ७०-७५ वर्ष की उम्र तक कर पाने में सक्षम होते हैं। लेकिन नये शोध बताते हैं कि ३५-४० की उम्र के बाद पुरुष संतान उत्पन्न करने में भले ही सक्षम हो लेकिन उसके शुक्राणुओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसका कारण है कि शरीर शुक्राणु की ओरिजनल कापी को सहेज कर नहीं रखता और फ़ोटोकापी से फ़ोटोकापी बनाते बनाते आप ओरिजनल से काफ़ी दूर आ चुके होते हैं। है न बडी दिलचस्प बात...<br />इसी के चलते ४०-४५ से बडी उम्र के पुरूषों की सन्तानों में आनुवांशिक अवगुण आने की सम्भावना बढ जाती है।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-12445182305574372242011-08-30T21:00:05.413+05:302011-08-30T21:00:05.413+05:30@दीपक बाबा जी,
जी यही तो, दिल है कि ससुरा मन को म...@दीपक बाबा जी,<br />जी यही तो, दिल है कि ससुरा मन को मानने नहीं देता :)<br />@अभिषेक जी ,<br />अब गुलदस्ते के सभी फूलों के बजाय किसी एक फूल पर एक समय केन्द्रित रहना <br />ज्यादा उपयुक्त है ...अभी हम प्रजनन उर्वरा को ही लिए हैं -आपको कुछ कहना है तो खुल के कहिये न <br />लजा क्यों रहे हैं :) <br />@ललित शर्मा जी <br /> योगश्चित्तवृत्ति निरोध: बड़ा कठिन मार्ग है :) <br />@सतीश पंचम जी ,<br />"जैसे व्यक्तिगत अनुभव, वैसे विचार :)"<br />मगर आप खीस खेमें में हैं-यह भी तो बताते जाईयेArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-33580336519939443502011-08-30T20:54:46.184+05:302011-08-30T20:54:46.184+05:30प्रत्युत्तर :
@सतीश सक्सेना जी ,
आप डरेगें भला ?
@...प्रत्युत्तर :<br />@सतीश सक्सेना जी ,<br />आप डरेगें भला ?<br />@प्रवीण पाण्डेय जी ,<br />इश्वर करें ३७ का यह यौवन ही चिरस्थायी हो जाय.<br />@संतोष जी <br />बचपन तो ठीक है मगर बचपना नहीं<br />@अमृता तन्मय जी ,<br />आपके विचार सारवान हैं ,आभार !<br />@डॉ, दराल साहब ,<br />समझ गए जी समझ गए :)<br />@अमरेन्द्र जी ,<br />सटीक टिप्पणी है ,क्या मारा है पापड वालों को :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-49813328664413562942011-08-30T20:11:10.480+05:302011-08-30T20:11:10.480+05:30मैं मन हूँ। युगों युगों से लोग मुझे कभी काबू में र...मैं मन हूँ। युगों युगों से लोग मुझे कभी काबू में रखने के पक्षधर हैं तो कोई मन की कुंलाचे भरने देने के पक्षधर हैं। <br /><br /> लेकिन ऐसा देखा गया है कि जो लोग मन को काबू में रखने के पक्षधर हैं वे आलरेडी मन को लिये लिये पता नहीं कहां कहां डोल आये हैं और अब थककर मन को काबू में रखने की बात करते हैं :) <br /><br /> तो दूजी ओर मन को कुलांचे भरने देने के पक्षधर वो लोग हैं जो अब तक मन ही मन बेहद दबे दबे से रहे थे, अब जाकर एहसास हो रहा है उन्हें कि मन को कुलांचे भरने देता तो अच्छा था :)<br /><br /> जैसे व्यक्तिगत अनुभव, वैसे विचार :)सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-14729388051865972232011-08-30T18:02:08.443+05:302011-08-30T18:02:08.443+05:30तो क्या मन की उम्र सिर्फ़ 'प्रजनन - उर्वरता...तो क्या मन की उम्र सिर्फ़ 'प्रजनन - उर्वरता' पर ही आश्रित है, या यह सिर्फ़ एक पहलू है ! अमृता तन्मय जी की राय भी विचारणीय हैं.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-71072213545547191222011-08-30T16:58:51.422+05:302011-08-30T16:58:51.422+05:30डॉ. दाराल की टिप्पणी से सहमत हूँ.
योग दर्शन में क...डॉ. दाराल की टिप्पणी से सहमत हूँ. <br />योग दर्शन में कहा गया है -- योगश्चित्तवृत्ति निरोध:. मन की चपलता और चंचलता को दूर करने से बढती उमर के साथ सामंजस्य स्थापित हो जाता है.....ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-62063702997887098742011-08-30T16:10:42.775+05:302011-08-30T16:10:42.775+05:30लेख तो बढिया और गंभीर है... पर अपन तो गंभीर होने स...लेख तो बढिया और गंभीर है... पर अपन तो गंभीर होने से रहे....... अत: दुबारा यही कहेंगे..<br /><br />दिल है की मानता नहीं :)दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-2465307767606835522011-08-30T16:09:44.428+05:302011-08-30T16:09:44.428+05:30दिल है की मानता नहीं...दिल है की मानता नहीं...दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.com