tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post4366505752089593167..comments2024-03-13T17:50:52.287+05:30Comments on क्वचिदन्यतोSपि...: का न करै अबला प्रबल?.....(मानस प्रसंग-7)Arvind Mishrahttp://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comBlogger47125tag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-4446651488371757312021-08-12T09:14:39.846+05:302021-08-12T09:14:39.846+05:30अरे मूर्खो शास्त्र समझने के पहले व्याक़रण पढो। अपन...अरे मूर्खो शास्त्र समझने के पहले व्याक़रण पढो। अपने गुरु से ज्ञान लेना चाहिएAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/00660620260729571771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-40061011926283408192017-11-13T22:05:12.478+05:302017-11-13T22:05:12.478+05:30बहुत ही अच्छी बात कही आपने नारी शक्ति का रूप है और...बहुत ही अच्छी बात कही आपने नारी शक्ति का रूप है और नारी शक्ति के बिना श्रृष्टि का कुछ नहीं हो सकता,<br />इसीलिए नारी सम्मान योग्य हैं और हमें यह ज्ञात होना चाहिए।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09377382148145403466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-79761977863903959432013-02-13T18:41:22.038+05:302013-02-13T18:41:22.038+05:30It's enormous that you are getting thoughts fr...It's enormous that you are getting thoughts from this paragraph as well as from our dialogue made here.<br /><br />Look at my homepage ... <a href="http://jordan-capri-sex.thumblogger.com/" rel="nofollow">jordan-capri-sex.thumblogger.com</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-17584147181466913202012-07-24T20:19:44.945+05:302012-07-24T20:19:44.945+05:30nar ho chahe ho nari burai aur achchai dono mein h...nar ho chahe ho nari burai aur achchai dono mein hi hoti hai bas burai ka prakar badal sakta hai. na nar kam hai na naari :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-91728053092545938782012-07-24T10:53:26.136+05:302012-07-24T10:53:26.136+05:30मुझे तो लगता है कि रामचरित मानस (या कोई अन्य ग्रंथ...मुझे तो लगता है कि रामचरित मानस (या कोई अन्य ग्रंथ - पुराण इत्यादि,) को कोई तुलसीदासिनी जैसी महिला लिखती, तो शर्तिया ग्रंथ में हर जगह जहाँ नारी लिखा है, वहाँ नर होता. ही ही ही.... :)रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-57948028851386068092012-07-24T10:07:39.233+05:302012-07-24T10:07:39.233+05:30जो भी हो इस तरह से केवल पुरूषों को ही दोषी मानने क...जो भी हो इस तरह से केवल पुरूषों को ही दोषी मानने की प्रवृत्ति को आंख मूंदकर समर्थन करना मैं अपनी सोच और समझ को कमतर करना ही कहूंगी, <br /><br />किसी भी मामले में दोषी महिलायें भी हो सकती हैं पुरूष भी, इस तरह किसी के कहने मात्र से या स्त्री होने के नाते ही समर्थन करना अनुचित मानती हूँAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-53127310224551290432012-07-24T09:33:31.683+05:302012-07-24T09:33:31.683+05:30@ अबूझ स्त्रीवाद
उन्हें ब्लॉगजगत की महिलाओं ने...@ अबूझ स्त्रीवाद<br /><br /> उन्हें ब्लॉगजगत की महिलाओं ने अपनी आत्मरक्षा के लिये तैनात मान लिया है ताकि अरविंद मिश्र जैसी सोच वालों पर जब चाहें तब गले का पट्टा खोलते हुए "छू" बोलकर छोड़ सकें.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-49483142838046956252012-07-24T08:40:31.129+05:302012-07-24T08:40:31.129+05:30ओह !
चार अक्षरी ?
समझ गई हूँ कि ये किस महिला क...ओह !<br /><br /> चार अक्षरी ?<br /><br /> समझ गई हूँ कि ये किस महिला की बात की जा रही है. मैं इतना ही कहना चाहूँगी कि पुरूषवादी सोच के तहत न तो आप इस तरह की पोस्टें लिखने से बाज आयेंगे और न तो वे तथाकथित नारीवादी महिला जिन्हें खुद पता नहीं कि वे कहना क्या चाहती हैं, पारिवारीक खटमिठ क्या होता है, सहज जीवन कैसा होता है। लेकिन विडंबना यह कि हां विडंबना ही कहूंगी कि उनके चक्कर में हमारी बहनें भी अपनी सहज सोच को गंवा बैठी हैं. अपनी लेखन शैली को कुंद कर कहीं और दिशा में उर्जा लगा रही हैं. अब एक उदाहरण यहीं देखिये कि जिन चार अक्षरी जी की बात हो रही है कभी वे मुखर होकर अपनी सोच अपने ब्लॉग पर बयां करती थीं और आज ये नौबत आ गई कि बेनामी होकर अपनी उर्जा एक अबूझ स्त्रीवादी के चक्कर में लगा रही हैं. वैसे बेनामी होकर तो मैं खुद भी लिख रही हूँ लेकिन इस ओर ध्यान दिलाना जरूरी था. <br /> सहज लेखन का यह पतन निराशाजनक है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-1338002841667829262012-07-24T07:29:05.940+05:302012-07-24T07:29:05.940+05:30ये बेनामी की शैली कुछ जानी पहचानी लगती है। उनके पू...ये बेनामी की शैली कुछ जानी पहचानी लगती है। उनके पूर्णविराम पर ध्यान देने से पता चल जाता है कि वे कौन ब्लॉगर/ ब्लॉगरा हैं। <br /><br /> इस तरह के बड़े पूर्णविराम छद्मी नारीवादी की एक तरह से वकील और जगह जगह उनकी स्पोक्सपर्सन बनकर तरफदारी करने वाली चार अक्षरी जी हैं :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-13768235815640429622012-07-23T20:23:54.961+05:302012-07-23T20:23:54.961+05:30मित्रों आप सभी का बहुत आभार -आप आये और इस विमर्श म...मित्रों आप सभी का बहुत आभार -आप आये और इस विमर्श में भाग लिया आपने -इसका समापन अंश अगली पोस्ट ही है -और आपके वाद प्रतिवाद को लेकर भी मेरी टिप्पणियाँ हैं वहां -आप वहां पधारें कृपया !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-42529224980646153362012-07-23T18:48:02.994+05:302012-07-23T18:48:02.994+05:30नारी ही क्या पुरुष को ही कौन जान सका है जो अपने मन...नारी ही क्या पुरुष को ही कौन जान सका है जो अपने मन की बात की सहमति दूसरों से करवाना चाहता है . एक व्यक्ति ही कौन दूसरे व्यक्ति को अच्छी तरह जान पाता है .<br />समय और परिस्थितियों के साथ समाज के आचार- व्यवहार भी बदलते हैं. हर लेखन में कुछ सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक भी होता है , प्रत्येक व्यक्ति की स्वयं की मानसिकता या जीवन के अनुभव यह बताते हैं कि उसने उनसे क्या ग्रहण किया !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-23344372819698924162012-07-23T18:39:14.180+05:302012-07-23T18:39:14.180+05:30डॉ.दराल,
अब कौन सी अपनी इज्जत बची रह गयी है जो कमे...डॉ.दराल,<br />अब कौन सी अपनी इज्जत बची रह गयी है जो कमेन्ट माडरेशन करूं..<br />वैसे भी मैं कमेन्ट माडरेशन के पक्ष में नहीं हूँ -लोग या तो प्रतिकूल टिप्पणी की <br />भीरुता या इमेज/इज्जत बचाए रखने के चक्कर में यह करते हैं ....अब कौन सी गाली या चित्र <br />ब्लॉग जगत में इस्तेमाल करने से बच गए हैं जिसका इस्तेमाल लोग करेगें और क्यों करेगें ?<br />मैं तो जैसा हूँ अच्छा बुरा वैसा हूँ और कोई कुछ भी कहे .....क्या फर्क पड़ता है ...<br />हाँ मेरे यहाँ कमेंट्स से किसी दूसरे का कुछ बिगड़ता हो तो दुखी पक्ष कहे मैं टिप्पणी हटाने पर विचार करूंगा...<br />हाँ तिप्पू चच्चा कुछ जरुर कह गए हैं मगर उनसे तो पुरानी जान पहचान है उनकी बात का गंभीरता से क्या लेना <br />वे भी अपने तरीके की मौज मस्ती करते रहे हैं जिनसे ब्लागजगत थोडा मनसायन रहता था :-)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-80044680532666307932012-07-23T13:52:45.189+05:302012-07-23T13:52:45.189+05:30आखिर बवाल हो ही गया .
यह सही है -- धर्म ग्रंथों म...आखिर बवाल हो ही गया . <br />यह सही है -- धर्म ग्रंथों में लिखी सारी बातें वर्तमान में सारगर्भित नहीं हो सकती . इसलिए उन पर आँख मूँद कर विश्वास नहीं किया जा सकता . लेकिन किसी को भी आवेश में आने की भला क्या ज़रुरत है ! <br /><br />वैसे अनाम टिप्पणियों का ऑप्शन बंद होना चाहिए . आपने न जाने क्यों खुला छोड़ रखा है .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89047437998149191772012-07-23T11:51:43.415+05:302012-07-23T11:51:43.415+05:30जितने मुँह इतनी ही बातें,
जितने दिन उतनी ही रातें।...जितने मुँह इतनी ही बातें,<br />जितने दिन उतनी ही रातें।<br />विषयविमुख गोष्ठि अब तो<br />जैसे बिन दुल्हे की बरातें॥सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-79167015470624815102012-07-23T11:42:12.087+05:302012-07-23T11:42:12.087+05:30शायद तुलसीदास जी ने अपने अनुभव को ही इस काव्य में ...शायद तुलसीदास जी ने अपने अनुभव को ही इस काव्य में पिरो दिया हो .... वैसे आज तक नारी ही क्यों पुरुष को भी कहाँ कोई समझ पाया है .... सही कहूँ तो कोई भी इंसान दूसरे को यदि 20 प्रतिशत भी समझ ले तो बहुत बड़ी बात है .... <br /><br />नारी कभी भी अबला नहीं रही यह तो पुरुष की ही सोच है जो उसे अबला समझता है और वैसा ही व्यवहार करता है ....प्राकृतिक देन को समाज ने बन्दिशों में बांध दिया है अन्यथा जो पुरुष को जन्म देती है वो भला अबला कैसे ? और वही पुरुष नारी के अस्तित्व को रौंद देना चाहते हैं ...रामायण भले ही धार्मिक ग्रंथ है पर उसमें लिखी बात कोई अंतिम सत्य नहीं .... धारणाएं नित प्रतिदिन बदलती रहती हैं । पुरुषों के ही अत्याचारों के कारण पर्दा प्रथा का जन्म हुआ था ... आज नारी उससे मुक्ति चाहती है तो बर्दाश्त नहीं होता और यही मानसिकता गोहाटी जैसी घटनाओं को जन्म देती है .... <br /><br />कृपया इसे हर पुरुष पर लागू न समझें / करते कुछ लोग हैं पिसना घुन को भी पड़ता है जैसे स्त्रियॉं में भी यह प्रवृति देखी जाती है ...कुछ के ही कारण बाकी स्त्रियाँ सवालों के कटघरे में खड़ी कर दी जाती हैं ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-2152032708571915902012-07-23T11:35:31.009+05:302012-07-23T11:35:31.009+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-89569646372647188812012-07-23T11:19:01.735+05:302012-07-23T11:19:01.735+05:30@तुलसी की विह्वलता में बंध
क्यों लोग मनाते दीवाली ...@तुलसी की विह्वलता में बंध<br />क्यों लोग मनाते दीवाली ?<br />अस्त्र-शस्त्र क्या खत्म हुए<br />मच गई यहाँ पर रूदाली !!संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-65125127302934791702012-07-23T10:37:42.707+05:302012-07-23T10:37:42.707+05:30bahut sundar aur sarthak prastuti.bahut sundar aur sarthak prastuti.S.N SHUKLAhttps://www.blogger.com/profile/16733368578135625431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-38054127526985512002012-07-23T09:52:40.700+05:302012-07-23T09:52:40.700+05:30.
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निशांत जी से अक्षरश: सहमत,
आस्था रखना सही ह....<br />.<br />.<br />निशांत जी से अक्षरश: सहमत,<br /><br />आस्था रखना सही है पर अंध आस्था किसी भी समाज को पीछे ले जाती है... तब थोड़ा और शीघ्रता से, जब हम थोथे व हास्यास्पद तर्कों से साफ-साफ लिखी बातों को किन्हीं खास संदर्भों में देखने की बात कह जस्टिफाई करने लगते हैं...<br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-69901361406578594382012-07-23T09:30:07.940+05:302012-07-23T09:30:07.940+05:30भयाक्रांत रविकर मुखर, गुरु चरणों में आय ।
त्राहिम...भयाक्रांत रविकर मुखर, गुरु चरणों में आय ।<br /><br />त्राहिमाम गुरुवर अगर, कोई जो धमकाय ।।<br /><br />(1)<br /><br /> बिगत युगों की परिस्थिति, मुखर नहीं थी नार ।<br /><br />सोच-समझ अंतर रखे, प्रगटे न उदगार ।<br /><br /> प्रगटे न उदगार, लांछित हो जाने पर ।<br /><br />यह बेढब संसार, जिंदगी करता दूभर ।<br /><br />रहस्यमयी वह रूप, किन्तु अब खुल्लमखुल्ला ।<br /><br />पुरुषों को चैलेन्ज, बचे न पंडित मुल्ला ।<br /><br />(2)<br /><br />अब रहस्य कुछ भी नहीं, नहीं छुपाना प्रेम ।<br /><br />कंधे से कन्धा मिला, करे कुशल खुद क्षेम ।<br /><br />करे कुशल खुद क्षेम, मिली पूरी आजादी ।<br /><br />कुछ भी तो न वर्ज्य, मस्त आधी आबादी ।<br /><br />का न करे अबला, प्रबल है पक्ष चुपाओ ।<br /><br />राम चरित का पाठ, इन्हें फिर कभी पढाओ ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-85604920609273467812012-07-23T09:21:22.346+05:302012-07-23T09:21:22.346+05:30अरे मिसिर बचुआ बहुते नीके लिखे हो। ई ससुर डागदरवा ...अरे मिसिर बचुआ बहुते नीके लिखे हो। ई ससुर डागदरवा आज ईंहा आके काहे बिलबिलाय रहा है? ई भी लगत है शुक्लवा का चेला है। ऐसन ही लिखत रहो, ई कुकुर सुकर जैसन भौंकबे वारे प्राणियों की फ़िकिर नाही करो।<br />सभी बच्चा लोगन को चच्चा की टिप टिप।चच्चा टिप्पू सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14646155414008217434noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-1391040422681953152012-07-23T08:36:31.276+05:302012-07-23T08:36:31.276+05:30तुलसी की विह्वलता में बंध
क्यों लोग मनाते दीवाली ...<b><br />तुलसी की विह्वलता में बंध<br />क्यों लोग मनाते दीवाली ?</b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-63626087057151722252012-07-23T07:51:51.597+05:302012-07-23T07:51:51.597+05:30विचारणीय व रोचक विमर्श...विचारणीय व रोचक विमर्श...Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-44498360552297851912012-07-23T07:12:30.556+05:302012-07-23T07:12:30.556+05:30मानस की नारी
दिखा दी आप ने सारी
हम तो देखते आ रहे...मानस की नारी <br />दिखा दी आप ने सारी<br />हम तो देखते आ रहे हैं<br />आज तक जो नारी वो <br />तुलसीदास की नारी से <br />क्यों नहीं मेल खा री ?सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8597911904720918143.post-9218335515240905652012-07-23T06:53:37.556+05:302012-07-23T06:53:37.556+05:30भाई साहब निस्संदेह आपने सिर्फ व्याख्या की है और सट...भाई साहब निस्संदेह आपने सिर्फ व्याख्या की है और सटीक की है प्रसंगेतरकुछ भी नहीं है अलबत्ता भारतीय आदर्श नटराज हैं शिव का अर्द्ध - नारीश्वर रूप ही है .नारी रही होगी कभी सबला आज तो रोज़ बालातकृत और अपमानित हो रही है लोग उसकी स्कर्ट की लम्बाई नाप रहें हैं भले वह सानिया मिर्ज़ा ही क्यों न हों ऐसे अधर्मी समाज को भला कौन आइना दिखा पायेगा तिस पर तुर्रा यह ,समाज के कुछ ठेकेदार वोट खोर और उनके भकुए कथित बौद्धिक चमचे सेकुलर होने का दंभ भी भरते हैं . .कृपया यहाँ भी पधारें -<br /><br />ram ram bhai<br /><br />सोमवार, 23 जुलाई 2012<br /><br />अमरीका नहीं देखा उसने जिसने लास वेगास नहीं देखा<br /><br />http://veerubhai1947.blogspot.de/<br />तथा यहाँ भी -<br /><br />कैसे बचा जाए मधुमेह में नर्व डेमेज से<br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.covirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com